अजीब सा सपना देखने के बाद मनोज ने तय किया था कि वो अब उस पार्क में नहीं जाएँगे जहाँ पिंकी योगा सिखाने आती हैं। वो दूसरे पार्क के लिए निकले थे कि रास्ते में उन्हें एक लेडी दिख गई जिसे मदद की ज़रूरत थी। उसके पास बहुत सारा सामान था जो उससे संभल नहीं रहा था। मनोज उसकी हेल्प करने आगे बढ़ ही रहे थे कि जैसे ही उन्होंने उसका चेहरा देखा वो वहीं रुक गए। जिस पिंकी से बचने के लिए वो पार्क बदल रहे थे वो उन्हें रास्ते में ही मिल गई थीं। उन्हें देखते ही पिंकी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। एक मुलाक़ात में ही पिंकी को उनका चेहरा याद हो गया था। मनोज ने हरकत भी तो कुछ ऐसी ही की थी। इंसान को दो ही तरह के लोगों का चेहरा याद रहता है, एक जिसने उनके दिल में जगह बनाई हो, दूसरे वो जिन्होंने उनका दिल दुखाया हो। मनोज का बिहेवियर दिल दुखाने  वाला ही था, वो तो अपनी पिंकी जी हैं जो ऐसी छोटी छोटी बातों को दिल पर नहीं लेतीं, नहीं तो दूसरा कोई होता तो दोबारा मनोज को टोकता तक नहीं।


पिंकी ने मनोज को Hi बोला, मनोज ने बिना कुछ बोले सिर हिला कर उनके Hii का जवाब दिया। पिंकी को ये नहीं पता था कि मनोज उनसे ही बचने के लिए दूसरे पार्क जा रहे हैं, उन्हें लगा वो भी उसी पार्क में जा रहे होंगे। इसलिए उन्होंने मनोज से request की कि उनका थोड़ा सामान वो ले चलें। पिंकी ने बताया कि आज उनका special session है जिसके लिए ये सारा सामान ज़रूरी है। कोई दूसरा उनकी हेल्प करने वाला है नहीं, इसलिए अगर वो हेल्प कर देंगे तो उनकी बड़ी मेहरबानी होगी। पिंकी ने इतने प्यार से रिक्वेस्ट की थी कि मनोज जैसे खूसठ इंसान से भी मना नहीं हो पाया। उन्होंने उनका आधा समान पकड़ लिया। पिंकी ने बताया कि जिस घर के सामने वो लोग खड़े हैं वो उनका ही है।


मनोज पिछले 41 साल से इस गली से रोज़ाना गुज़रते थे लेकिन उन्होंने कभी पिंकी को नहीं देखा था। उन्हें नहीं पता था कि उनका घर उनकी कॉलोनी से बस दो गली छोड़ कर ही है। पिंकी अपनी बातें सुनाती हुई आगे बढ़ती रहीं और मनोज उनके पीछे पीछे चलते रहे। जैसे ही पार्क नजदीक आने लगा, मनोज ऐसे अपना चेहरा छुपाने की कोशिश करने लगे जैसे उन्होंने यहाँ से कोई चोरी की हो। उन्हें सबसे ज़्यादा राजू का डर था। वो अगर उन्हें पिंकी के साथ देख लेता तो बहुत बातें बनाता हालांकि उसकी नज़रों से कुछ भी बच पाना मुमकिन कहाँ था? जैसे ही उसने मनोज को समान लेकर पिंकी जी के पीछे पीछे चलते देखा वैसे ही शरारती मुस्कान लिए चिल्लाया, सर चाय नहीं पियेंगे? ये सुनते ही मनोज का मन हुआ उसे जा कर अभी कूट दे लेकिन वो अभी कुछ बोल भी नहीं सकते थे।
 

दोनों पार्क में पहुँच गए। समान के बाद पिंकी नी उनसे एक और हेल्प के लिए कहा। वो चाहती थीं मनोज उनके सारे समान को सेट करवा दें। ना चाहते हुए भी मनोज को ये सब करना पड़ा। जिस पिंकी से दूर जाने के लिए उन्होंने इस पार्क में ना आने का फैसला किया था, वही पिंकी ना सिर्फ़ उन्हें इस पार्क में वापस ले आई बल्कि अभी उन्हें अपने साथ काम भी करवा रही थी। मनोज काम करते हुए इधर उधर नज़रें दौड़ा कर देख रहे थे कि क्या लोग उन्हें घूर भी रहे हैं? हालांकि किसी को उनसे कुछ लेना देना नहीं था सब अपने आप में मस्त थे लेकिज तब भी उन्हें लग रहा था कि हर कोई जैसे उन दोनों के बारे में ही बात कर रहा है।


अभी वो ऐसा फंसा हुआ फ़ील कर रहे थे कि काम बीच में छोड़ कर जा भी नहीं सकते। पिंकी साथ साथ उनसे बातें भी कर रही थीं। उन्होंने मनोज के बारे में उनसे पूछा। मनोज ने अपना हल्का फुलका introduction दिया और बताया कि वो अभी कुछ दिनों पहले ही रिटायर हुए हैं। पिंकी ने कहा रिटायरमेंट के बाद की लाइफ़ बहुत शानदार होती है। मनोज ने कहा कि जिनकी होती है उन्हें भी उनसे मिलना है और पता करना है कि आख़िर रिटायर होने के बाद कोई कैसे मज़े कर सकता है? पिंकी ने कहा कि उसे समझ आ रहा है कि वो अपने काम से बहुत प्यार करते होंगे तभी काम छूटने के बाद  दुखी हैं लेकिन दुनिया में और भी बहुत से ऐसे काम हैं जिनमें उनका मन लग सकता है। वो अगर अपने चारों तरफ़ नज़र दौड़ायेंगे तो उन्हें करने के लिए बहुत कुछ मिल जाएगा।
 

मनोज ने कहा कि उन्होंने बहुत कुछ ट्राई कर लिया है लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। फिर मनोज ने पिंकी को बताया कि वो पेंटिंग का सामान भी ले आए थे लेकिन उन्हें जल्दी अहसास हो गया कि पेंटिंग उनके बस की बात नहीं है। ये सब सुन कर पिंकी इतनी ज़ोर से हँसने लगीं कि आसपास के लोग उन्हें देखने लगे। मनोज ने पिंकी को टोका और कहा कि वो ऐसे क्यों हंस रही हैं? सब उन्हें देख रहे हैं। इसके जवाब में पिंकी ने कहा लोग देख रहे हैं उससे क्या हुआ? उन्हें किसी बात पर हँसी आई तो वो हँसने लगीं उन्हें अगर रोना आयेगा तो रोने लगेंगी, इससे लोगों का कुछ लेना देना नहीं है। इस तरह से हैरान होकर देखना नार्मल है, उनके देखने से कोई अपना काम नहीं रोक देगा।
 

इसके बाद पिंकी ने कहा कि एक दिन में कोई भी किसी काम में मास्टर नहीं होता। किसी भी काम को सीखने और उसमें माहिर होने के लिए सालों की मेहनत लगती है और हॉबी का मतलब होता है वो काम जिसे करने में आपका मन लगे, जिसे करते हुए आप बाक़ी सब कुछ भूल जाओ। उनके पास अगर कोई हॉबी नहीं है तो वो नई चीज़ें सीख सकते हैं। ऐसा नहीं कि हॉबीज़ बचपन में ही डेवलप होती हैं, किसी भी age में इंसान अपने अंदर कोई नई हॉबी डेवलप कर सकता है। जैसे कि उन्होंने 40 की उम्र के बाद योगा सीखना शुरू किया, धीरे धीरे उनको ये करना अच्छा लगने लगा। अब वो पिछले पाँच साल से लोगों को योगा सिखा रही हैं।
 

मनोज पिंकी की बातें गौर से सुन रहे थे। पिंकी का सारा काम हो चुका था, उनकी पूरी क्लास भी आ चुकी थी। मनोज वहां से जाने लगे लेकिन पिंकी ने उन्हें रोक लिया। पिंकी ने कहा कि उन्हें योगा भी ट्राई करना चाहिए। मनोज ने कहा कि उनका इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं मगर पिंकी ये कह कर ज़िद करने लगीं कि इंट्रस्ट डेवलप करना पड़ता है। वो उनसे इसके पैसे नहीं लेंगी। वो कुछ दिन योगा कर के देखें अगर उन्हें सही लगे तभी क्लास में एडमिशन लें, वरना छोड़ दें। मनोज ज़्यादा मना नहीं कर पाये और उनके साथ योगा स्टेप्स करने लगे।
 

मनोज नए थे इसलिए उन्हें ये सब करने में थोड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन पिंकी उनका हौसला बढ़ा रही थीं। वो कह रही थी कि मनोज अच्छा कर रहे हैं। दूर खड़ा राजू अपनी टपरी से ये सब देख रहा था और खूब हंस रहा था। उसे मनोज का इस तरह से योगा करना funny लग रहा था। इसके साथ ही वो इन दोनों को साथ में देख कर ना जाने क्यों खुश हो रहा था? उसे इनकी जोड़ी अच्छी लग रही थी।
 

मनोज को भी ये सब अच्छा लग रहा था लेकिन इसके बावजूद वो चाहता था कि ये क्लास जल्दी से जल्दी खत्म हो और वो यहाँ से जाये। ये क्लास एक घंटे चलने वाली थी लेकिन अभी तो बस दस मिनट ही हुए थे। शायद मनोज किसी तरह एक घंटा योगा कर भी लेते लेकिन तभी किसी ने पीछे से उनका नाम पुकारा। मनोज चौंक गए कि उन्हें कौन बुला रहा है? इस पार्क में तो वो किसी को जानते भी नहीं। उन्होंने मुड़ कर देखा तो हैरान रह गए! ये उनके जूनियर्स थे, जो उनसे काफ़ी यंग थे। वो भी इस पार्क में टहलने आए थे। उनमें से एक ने उन्हें देख लिया था। उसने अपने बाक़ी साथियों से पूछा कि ये मनोज सर जैसे लग रहे हैं ना? तब एक ने कहा कि लग नहीं रहे बल्कि वही हैं।
 

हमेशा अपने काम में डूबे रहने वाले, किसी से बात ना करने वाले, हमेशा अकेले रहने वाले मनोज सर को एक पब्लिक पार्क में एक लेडी के साथ योगा करते देख किसी को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। उन्हें लगा कि उन्हें मनोज सर से जाकर मिलना चाहिए और उनका हाल चाल लेना चाहिए। इसीलिए उन्होंने उन्हें आवाज़ लगायी थी लेकिन मनोज उनको देखते ही भाग खड़े हुए। उन्होंने सोचा कि ये सब उनके बच्चों जैसे हैं उन्हें ऐसे किसी लेडी के साथ योगा करते देख उनके बारे में ना जाने क्या क्या सोचेंगे? इसीलिए वो उनके आने से पहले ही योगा session से भाग खड़े हुए।
 

उन्हें इस तरह से बीच में क्लास छोड़कर भागते देख पिंकी को हैरानी हो रही थी। उसने सोचा कि वो बहुत अजीब इंसान हैं, हर बार बिना कुछ बोले ही भाग जाते हैं। मनोज भाग कर राजू की दुकान पर जा छिपे थे। राजू ने उनसे पूछा कि वो ऐसे क्यों छुपे हैं लेकिन मनोज कुछ नहीं बोले, वो बस पार्क की ओर देखते रहे। राजू समझ गया कि पक्का उन्हें अपना कोई जानने वाला दिख गया होगा इसलिए वो योगा करना छोड़ कर यहाँ आ छुपे हैं। राजू ने कहा, ‘’ सर जानते हैं इसीलिए आप अकेले हैं और आपके पास करने के लिए कुछ खास काम नहीं है। आप ना ख़ुद से ज़्यादा लोगों की परवाह करते हैं। पता नहीं आप जैसे इंसान ने इतने साल तक अनाउंसमेंट कैसे कर ली? मुझे तो लगता है आपने आजतक किसी से आँख मिला कर बात तक नहीं की होगी। इतना नहीं सोचा जाता सर, जो पसंद हो उसे तुरंत कर लेना चाहिए। लोगों को फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप क्या कर रहे हैं और अगर पड़ता भी है तो उनके फ़र्क़ पड़ने से भला हम क्यों रुकें? उन्हें जो पसंद नहीं वो उनकी परेशानी है। आपको जो पसंद है आप उसपर ध्यान दीजिए ना। सच बताइए क्या आपका योगा क्लास में मन नहीं लग रहा था?''
 

मनोज ने कहा कि मन लग रहा था। राजू ने आगे से कहा कि फिर उन्हें वो करते रहना चाहिए था। पार्क में लोग यही करने तो आते हैं। अब सोचिए इस बीच कोई kitchen का सेटअप लगा कर खाना बनाने लगे तब अजीब लगेगा। ये पार्क तो है ही योगा, walk ये सबके लिए फिर उन्हें भला किस बात की शर्म आ गई? राजू ने उनकी तरफ़ एक कप चाय बढ़ा दी। मनोज ने भी कप पकड़ लिया और राजू की बात पर गौर से सोचने लगे। उन्हें याद आया कि वो पहले तो ऐसे नहीं थे। उनके पिता चाहते थे वो किसान बनें लेकिन उन्होंने अनाउंसर बनने का फैसला किया और बने भी। उन्होंने वही किया जो उन्हें पसंद था, फिर वो भला अभी क्यों और किससे डर रहे हैं? उन्हें तो बस अपनी ज़िंदगी जीनी है। इसमें बुरा क्या है?
 

क्या मनोज के अंदर से लोगों का डर निकल पायेगा? क्या पिंकी सच में उनसे नाराज हो जाएगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

 

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