राजू ने अपना दिमाग़ लगा कर मनोज की बड़ी प्रॉब्लम सॉल्व कर दी थी। राजू ने पार्क में आने वाले कई बुजुर्गों से पूछा कि वो लोग रिटायरमेंट के बाद अपना टाइम कैसे स्पेंड करते हैं? उन्हीं में से एक retired बुजुर्ग ने बताया कि टाइमपास करने का सबसे मज़ेदार तरीक़ा है अपनी हॉबी को फ़ॉलो करना। मनोज को ये आइडिया सही लगा लेकिन दिक्कत ये थी कि उन्हें पता ही नहीं था उनकी हॉबी है क्या? काम के अलावा उनका मन कभी दूसरा कुछ करने को किया ही नहीं। उन्होंने अपने घर में कुछ प्लांट्स ज़रूर लगाए थे लेकिन प्लांट्स, ये भी उनकी हॉबी नहीं थी। उन्हें अब पता लगाना था कि क्या करने में उनका मन लग सकता है। उन्होंने फैसला किया कि वो सब कुछ try करेंगे।
उन्होंने पिंकी से माफी माँगना postpone कर दिया और सीधा घर निकल गए। राजू उन्हें पीछे से आवाज़ देता रहा। वो कहना चाहता था कि पिंकी आंटी बस आती ही होंगी, उन्हें थोड़ा वेट करना चाहिए लेकिन वो कुछ सुने बिना ही वहां से चले गए। मनोज घर आकर नहाए और अपना ATM कार्ड लेकर मार्केट चले गए। कुछ पैसे निकलवाने के बाद मनोज सीधा स्टेशनरी की दुकान पहुंचे और पेंटिंग का जितना भी सामान होता है वो सब ले लिया। उन्होंने दुकानदार से भी यही कहा कि पेंटिंग के लिए जो कुछ भी चाहिए होता है वो उन्हें सब दे दे। दुकानदार ने पूछा कि क्या उन्हें ये सारा सामान अपने पोते-पोती के लिए चाहिए? तो ये सुन कर मनोज चिढ़ गए। उन्होंने खीज कर कहा कि क्या उनकी दुकान में बड़ों के लिए सामान नहीं मिलता? क्या वो उम्र देख कर सामान देते हैं?
दुकानदार ने उन्हें बताया कि उसने ये सवाल इसलिए पूछा क्योंकि वो उस हिसाब से सामान देगा। उसने बताया कि बच्चों के लिए वो बेसिक पेंटिंग का सामान देते हैं और जो लंबे टाइम से पेंटिंग कर रहे हैं उनके लिए वो प्रोफेशनल सामान देते हैं। मनोज को अब अहसास हुआ कि उन्हें हर जगह हर किसी पर बिना बात समझे भड़कने वाली अपनी आदत को बदलना होगा। उन्होंने दुकानदार से कहा कि उन्हें बेसिक लेवल का सामान चाहिए। वो ख़ुद पेंटिंग करना चाहते हैं लेकिन उन्होंने इससे पहले कभी पेंटिंग नहीं की। दुकानदार ने सलाह दी कि उन्हें पहले पेंटिंग की classes लेनी चाहिए फिर ख़ुद से try करना चाहिए। उसने बताया कि उनकी क्लास भी चलती है अगर वो चाहें तो ज्वाइन कर सकते हैं।
मनोज समझ गए कि दुकानदार उन्हें फँसा रहा है। मनोज ने कहा उन्हें क्लास लेने की ज़रूरत नहीं। पेंटिंग इतना भी मुश्किल काम नहीं जिसके लिए उन्हें सीखना पड़े। वो ख़ुद से सब सीख लेंगे। दुकानदार ने एक दो बार और उन्हें फोर्स किया जिसके बाद वो समझ गया कि मनोज एक ज़िद्दी इंसान है। अगर उसने एक और बार कहा तो वो उसकी दुकान से चले जाएँगे इसलिए उसने मनोज की पसंद का सारा सामान उन्हें दे दिया। मनोज ने घर आते ही सारा सामान अपने कमरे में फैला दिया। आज वो अपनी हॉबी के चक्कर में इतने बिज़ी हो गए थे कि नाश्ता करना भी भूल गए थे। उनके सामने पेंटिंग का सारा सामान पड़ा था और वो बैठे सोच रहे थे कि अब इनका करें क्या? उन्हें तो ब्रश तक पकड़ना नहीं आता था।
कुछ देर टेढ़ी मेढ़ी लाइनें खींच कर उनमें रंग भरने की नाकाम कोशिश करने के बाद उन्हें समझ आने लगा कि पेंटिंग उनके बस की बात नहीं है। उन्होंने ख़ुद से कहा कि इसमें उदास होने वाली बात नहीं, क्या पता उनकी हॉबी कुछ और ही हो। उन्होंने अपनी हॉबी ढूँढने में इंटरनेट बाबा का सहारा लिया और पूछा कि इंसान की क्या क्या हॉबी हो सकती हैं? उनके सामने एक पूरी लिस्ट आ गई। Singing को देख वो सोचने लगे कि वो तो आईने के सामने गाने में घबराते हैं फिर लोगों के सामने क्या ही गा पाएंगे? उसके बाद उनको पता चला कि लोगों से बात करना भी एक हॉबी होती है लेकिन वो भला किससे बात करेंगे? दो दिन ही उन्होंने राजू से बात की तो उनका सिर दुखने लगा। फिर उन्हें ट्रैवलिंग के बारे में पता चला लेकिन उन्हें तो कहीं जाना ही पसंद नहीं था।
थक हार कर उन्हें समझ आया कि उनकी कोई हॉबी ही नहीं है। उन्हें बस अपना काम ही पसंद था उसके अलावा उन्हें कुछ भी पसंद नहीं। आज उनका सारा दिन अपनी हॉबी तलाशने में ही निकल गया था लेकिन रात तक उनके हाथ लगी तो सिर्फ़ उदासी। उन्होंने इस चक्कर में आज खाना भी नहीं खाया। वो बस एक ग्लास दूध पी कर सो गए।
अगली सुबह टाइम पर उनकी आँख नहीं खुली थी, शायद वो और देर तक सोते रहते अगर किसी ने ज़ोर से उनका दरवाज़ा ना खटखटाया होता। वो उठे तो उन्होंने देखा कि घड़ी में 8 बाज चुके हैं। वो आज पार्क भी नहीं जा पाये। फिर से उन्हें सुनायी पड़ा कि कोई उनका दरवाज़ा ऐसे पीट रहा है जैसे तोड़ ही देगा। मनोज ने अपने घर में कभी डोर बेल नहीं लगवायी क्योंकि उन्हें कभी ज़रूरत ही नहीं पड़ी। कोई भी तो नहीं आया था इतने साल से उनके घर। उनकी सरकारी चिट्ठियां या बाक़ी डॉक्यूमेंट उन्हें स्टेशन पर ही डिलीवर हो जाते थे और कोई परिचित था नहीं जो उनके घर आता लेकिन फिर आज कोई कैसे उनके दरवाज़े तक आ गया? उन्हें दरवाज़ा पीटने वाले पर गुस्सा भी आ रहा था। वो गुस्से में उठे और दरवाज़ा खोला। सामने राजू खड़ा था जो हांफ रहा था। उन्हें इस बात की हैरानी हुई कि राजू भला इतनी सुबह उनके घर क्या कर रहा है? उसे उनके घर का पता कैसे चला? उन्होंने राजू से पूछा कि वो यहाँ क्या कर रहा है? राजू ने कहा वो उनके लिए एक खास खबर लेकर आया है।
मनोज ने पूछा कि ऐसी क्या खास बात है जिसके लिए वो अपनी टपरी छोड़ यहाँ भगा चला आया? राजू ने गहरी सांस लेते हुए कहा कि पिंकी आँटी उन्हें बेचैनी से ढूँढ रही हैं। वो उससे भी कितनी बार पूछ चुकी हैं कि मनोज आज क्यों नहीं आए? उन्हें उनसे कुछ बात करनी है। मनोज सोच में पड़ गए कि आख़िर पिंकी को उनसे क्या ऐसी बात करनी हो सकती है? राजू ने कहा सोचने में टाइम बर्बाद करने से अच्छा है कि वो जा कर उनसे ख़ुद मिल लें और पता कर लें कि वो क्या कहना चाहती हैं?
मनोज को ये बात ठीक लगी। उन्होंने कपड़े पहने और राजू के साथ पार्क की ओर चल दिए। मनोज इतनी तेज चल रहे थे कि राजू कहीं पीछे ही छूट गया। वो पार्क पहुंच कर पिंकी को ढूँढने लगे। उन्होंने चारों तरफ़ नज़रें दौड़ायी। कुछ देर नज़रें दौड़ाने के बाद उनकी नज़रें पिंकी से जा टकरायीं। उन्होंने देखा पिंकी आज योगा सूट नहीं बल्कि गुलाबी साड़ी पहन कर पार्क आई थी। वो उस साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही थीं। पिंकी उनकी तरफ़ ही चली आ रही थी। पहले तो मनोज उसकी ख़ूबसूरती में खो गए लेकिन जैसे ही वो उनके नज़दीक आई उन्हें फिर से झिझक महसूस होने लगी। वो वहां से जाने लगे लेकिन इस बार पिंकी उन्हें जाने देने वाली नहीं थीं।
उसने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा कि अब वो उन्हें कहीं नहीं जाने देगी। वो सालों से जैसे उनके ही इंतज़ार में बैठी थी। उस दिन जब उसने उन्हें पार्क के एक बेंच पर अकेले बैठे देखा तो उनका दिल धक से रह गया। उन्हें उनसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था। पिंकी ने कहा वो उनसे प्यार करती हैं और अब हमेशा उनके साथ ही रहना चाहती हैं। ये सुनकर मनोज का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा था। एक बार पहले भी किसी ने उनसे ऐसा ही कुछ कहा था लेकिन तब वो अपनी नौकरी के बंधन में बंधे हुए थे मगर आज वो हर बंधन से आज़ाद हैं। मनोज ने सोचा कि उनकी ज़िंदगी में पिंकी आने वाली थी शायद इसीलिए उनका दूसरे किसी काम में मन नहीं लग रहा था।
पिंकी ने एक बार फिर उनसे पूछा कि क्या वो भी उनसे प्यार करते हैं? मनोज कुछ बोल नहीं पा रहे थे। वो बस मुस्कुराए जा रहे थे। उनसे कुछ भी बोला नहीं गया। वो चाहते थे कि वो कहें, हाँ पिंकी जी हम हमेशा साथ रहेंगे लेकिन उसके गले से कोई आवाज़ ही नहीं निकल रही थी। तभी उनका फ़ोन रिंग करने लगा, वो बार बार उस रिंग को बंद कर रहे थे लेकिन वो बार बार बजता ही जा रहा था। हार कर उन्होंने मोबाइल उठाया तो देखा…
ये फ़ोन का अलार्म था। वो एक सपना देख रहे थे और इस अलार्म ने उनके सपने को तोड़ दिया। सपने में उनके चेहरे पर आई मुस्कान अभी तक चेहरे पर बनी हुई थी लेकिन ये मुस्कान ज़्यादा देर तक बनी नहीं रही क्योंकि उनके अंदर का सिद्धांतवादी मनोज भी जाग चुका था। उस उसूलों वाले मनोज ने इस मनोज को समझाया कि वो भला ऐसा कुछ भी सपने में भी कैसे सोच सकता है? उसके दिल में ऐसा कुछ चल रहा होगा तभी पिंकी जी सपने में आईं। वो कोई यंगस्टर नहीं है जो प्यार मोहब्बत करे। उसकी उम्र हो गई है और वो एक बुजुर्ग है इसकी गवाही उसका रिटायरमेंट दे रहा है। उसे इस तरह के ख्यालों से भी दूर रहना चाहिए।
मनोज को आज सालों बाद किसी और का सपना आया था। नहीं तो वो हर बार एक सुनसान स्टेशन, कुछ लोगों और एक बच्चे को ही अपने सपनों में देखते आ रहे थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि पिंकी जी का सपने में आना कैसे पॉसिबल हो सकता है? इसी उलझन में उलझे हुए मनोज फ्रेश हुए और वॉक के लिए तैयार हो गए लेकिन घर से निकलते हुए उन्हें ख़याल आया कि दो दिन से जब भी वो पार्क जा रहे हैं, पिंकी के बारे में ही बातें हो रही हैं। राजू ने भी उनके बारे में कितनी बातें की थीं। यही वजह है कि पिंकी उनके सपने में आई। मनोज को डर लगने लगा कि सच में अगर वो पिंकी की तरफ़ अट्रैक्ट हो गए तो क्या होगा? इस उम्र में उन्हें ये सब करते हुए कितनी शर्मिंदगी होगी। जो भी इस बुढ़ापे की प्रेम कहानी के बारे में सुनेगा वो उन पर हँसेगा।
जो चीज़ होने भी नहीं वाली थी मनोज ने वो सब भी सोच लिया था। इससे बचने का उन्होंने यही एक रास्ता निकाला कि वो पिंकी से दूरी बनायेंगे और आज से वो किसी और पार्क में जाया करेंगे और जब पिंकी दिखेंगी ही नहीं फिर उनके दिल में उनको लेकर ख्याल भी कैसे आएंगे? यही सोच कर मनोज दूसरे पार्क का रूख करते हैं। वो रेलवे कॉलोनी से निकल कर आगे बढ़ ही रहे होते हैं कि देखते हैं एक लेडी के हाथ में बहुत सारा सामान है जो उनसे संभल नहीं रहा। वो एक चीज़ उठाती हैं तो दूसरी गिर जा रही है और दूसरी उठा रही हैं तो कुछ और गिर जा रहा है। मनोज वैसे ऐसे ही किसी की मदद करने वालों में से नहीं थे लेकिन फिर भी उन्हें लगा कि उन्हें उस लेडी की हेल्प करनी चाहिए। उसकी तरफ़ बढ़े ही थे कि वो औरत पलटी और फिर मनोज के पैर जहाँ थे वहीं जम गए।
क्या मनोज पिंकी से अपना पीछा छुड़ा पायेंगे? या फिर जो उन्होंने सपने में देखा वो पूरा हो जाएगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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