गुप्ता जी आज मनोज के घर आए थे। एक साथ 30 से ज्याद सालों तक साथ काम करने के बाद भी आज पहली बार ऐसा हुआ कि दोनों एक साथ ड्रिंक करने बैठे। गुप्ता जी तो महफ़िलें सजाते रहते थे लेकिन बहुत सी बातों की तरह मनोज के लिए ये भी पहली बार ही था कि वो किसी के साथ बैठ कर शराब पी रहे थे। दो पेग तक तो दोनों एक दूसरे से शर्माते रहे लेकिन जैसे ही तीसरा पेग अंदर गया, दोनों की शर्म बाहर निकल गई। उसके बाद गुप्ता जी उन्हें बताने लगे कि वो उनकी कितनी रिस्पेक्ट करते हैं। जब मनोज ने बताया कि कल उनके स्टेशन जाने पर सबने उन्हें इग्नोर किया तो गुप्ता जी गुस्से से लाल हो गए। वो कहने लगे कि वो कल ऑफ़िस जाते ही सबकी क्लास लेंगे। 
 

गुप्ता जी की नज़र में मनोज का स्टेशन से जाना उस स्टेशन के लिए ही नहीं बल्कि पूरे इंडियन रेलवे के लिए बहुत बड़ा लॉस था। उनका कहना था कि उन्होंने पूरे इंडिया में उनसे बेहतर अनाउंसर नहीं देखा। उनकी आवाज़ ही भगवान ने इस खास काम के लिए बनाई थी। गुप्ता जी बताने लगे कि जबसे उन्होंने ज्वाइन किया था वो तभी से उनके करीबी बनना चाहते थे लेकिन उन्हें हमेशा उनसे डर लगता रहा। वो उन्हें हमेशा अपने बड़े भाई की तरह देखते थे। मनोज को गुप्ता जी की ये बातें सुनकर बहुत अच्छा लग रहा था। ज़िंदगी में पहली बार कोई उनके बारे में इतना अच्छा अच्छा बोल रहा था। वो तो चाह रहे थे कि ये शाम कभी खत्म ही ना हो लेकिन वो भूल गए थे कि भले ही उनका परिवार ना हो लेकिन गुप्ता जी का भरा पूरा परिवार है इसी वजह से तो वो रेलवे क्वाटर्स में नहीं बल्कि अपने ख़ुद के घर में रहते हैं। 
 

असल में शुरुआत में मनोज को गुप्ता जी पसंद नहीं थे क्योंकि उन्हें अपने पिता की जगह नौकरी मिली थी। मनोज को लगता था कि ऐसे लोग काबिल लोगों की नौकरी खा जाते हैं। इसलिए गुप्ता जी ने उनके कितना भी क्लोज़ होने की कोशिश की मगर मनोज ने ऐसा नहीं होने दिया हालांकि मनोज जान गए थे कि उनके ऑफ़िस में अगर कोई उनकी दिल से इज़्ज़त करता है तो वो गुप्ता जी ही हैं। आज मनोज ने उनसे कहा कि वो यहीं रुक जायें, वो उनके लिए उनकी पसंद का खाना बनायेंगे। गुप्ता जी ने कहा कि उनके मुँह से ऐसी बात सुनना और उनका ये सब ऑफ़र करना उनके लिए बड़ी बात है लेकिन उन्हें घर जाना ही होगा नहीं तो उनकी बीवी उनका जीना हराम कर देगी। 
 

अपनी बात कह कर गुप्ता जी हँसने लगे। मनोज ने कहा कि ऐसा भी होता है? क्या शादी होने के बाद लोगों की ज़िंदगी पर किसी दूसरे का कंट्रोल हो जाता है? गुप्ता जी ने कहा कंट्रोल हम ख़ुद देते हैं क्योंकि उस शख्स को हम अपनी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बना चुके होते हैं। उन्होंने बताया कि इन सबसे उलझन तो बहुत होती है लेकिन कभी कभी अहसास होता है किसी का ज़िंदगी में होना कितना ज़रूरी है। उनके हिसाब से शादी अच्छी है या बुरी ये एक ऐसा सवाल है जिसका सटीक जवाब किसी के पास नहीं। जिनकी शादी हो चुकी है वो सोचते हैं कि कुंवारे सही थे और जिनकी नहीं हुई वो शादीशुदा लोगों को देख कर, उनकी लाइफ जीने के लिए तरसते रहते हैं। 
 

गुप्ता जी ने वादा किया कि जल्दी ही वो लोग program बनायेंगे जब वो पूरी रात मनोज के यहाँ ही रुकेंगे और पूरी रात दबा के खाना पीना चलेगा। इसके बाद गुप्ता जी चले गए। मनोज ने भी अपने हिसाब भर की शराब पी ली थी। उनके जाने के बाद वो बेड पर लेटे कुछ सोचने लगे। उनके दिमाग़ में आज शादी के बारे में बातें चल रही थीं। शादी का ख्याल आते ही उनकी आँखों के सामने एक चेहरा उभरा। इस बात की पूरी संभावना थी कि वो चेहरा आज इस सूने घर की रौनक हो सकता था लेकिन मनोज के सिद्धांतों और काम को लेकर उनकी लगन ने ऐसा होने नहीं दिया। उस चेहरे का ख्याल आते ही कुछ देर के लिए मनोज के अतीत का दरवाज़ा खुल गया। वो उसमें एंटर करने ही वाले थे कि उन्होंने ख़ुद को रोक लिया। आज की शाम बहुत अच्छी बीती थी अब वो उन यादों में खो कर इसे खराब नहीं करना चाहते थे। 
 

इन बातों से ध्यान हटाने के लिए वो सोचने लगे कि वो कैसे अपने पूरे दिन को बिज़ी रख सकते हैं। उन्हें लगा कि उन्हें अपने लिए टाइम टेबल बनाना चाहिए। जिसमें वो अपने पूरे दिन का शेड्यूल नोट करेंगे और उनका मन ना भी हो फिर भी वो इसे फ़ॉलो करेंगे। वो उसी समय उठ कर बैठ गए और एक पेपर पेन लेकर अपना टाइमटेबल बनाने लगे। 
 

उन्होंने लिखा कि वो सुबह 5 बजे उठेंगे, फ्रेश होंगे और फिर 5.30 तक मॉर्निंग वॉक के लिए निकल जाएँगे। ये वॉक उनकी कम से कम २ घंटे की होगी। वापस आने के बाद वो अपने प्लांट्स को पानी देंगे और फिर नहायेंगे। मनोज बहुत ज़्यादा पूजा पाठ करने वाले इंसान नहीं थे लेकिन अब उनके पास टाइम ही टाइम है तो उन्होंने अपने टाइम टेबल में आधा घंटा पूजा भी जोड़ दी। इसके बाद वो अपने लिए नाश्ता बनाएंगे और फिर घर के छोटे मोटे काम निपटायेंगे। इन कामों में कपड़े धोना, झाड़ू-पोछा सब शामिल था जिन्हें ज़रूरत के हिसाब से करना था। इसी तरह उन्होंने पूरे दिन का टाइम टेबल बनाया जिसमें लंच बनाना, शाम की चाय, रात का खाना सब शामिल था, फिर भी उनके पास दिन के कई घंटे फालतू बच रहे थे। वो ख़ुद का दिमाग़ ख़ाली नहीं रहने देना चाहते थे। 
 

उन्होंने उसमें ज़बरदस्ती के कई काम भी जोड़ दिए थे, जैसे कि किताबें पढ़ना या किसी को फ़ोन करना। उनके पास कोई था ही नहीं जिसे वो फ़ोन करते लेकिन फिर भी उन्होंने इसे add कर लिया। इसके बावजूद उनके पास बहुत समय बच रहा था। अब उन्हें नींद आने लगी थी। उन्होंने सोचा कि वो कल इसके बारे में सोचेंगे कि अपने बचे हुए वक्त का वो कैसे इस्तेमाल करें? यही सब सोचते हुए उन्हें नींद आ गई। 
 

सुबह उनकी आँख 5 बजे खुल गई थी। उनकी आँख जब खुली तो उन्होंने देखा पास में एक पेन पेपर पड़ा है। उन्हें याद आया कि वो रात में टाइम टेबल बना रहे थे। फ़िलहाल वो जल्दी से तैयार हुए और पार्क की तरफ़ निकल गए। आज वो काफ़ी जल्दी पहुँच गए थे लेकिन राजू आ चुका था। वो राजू के पास जा कर बैठ गए। राजू ने उनका उतरा हुआ चेहरा देखा तो पूछने लगा कि अब किस बात पर उनका मूड ऑफ़ है? उन्हें अगर पिंकी जी की चिंता है तो वो थोड़ी ही देर में खत्म हो जाएगी क्योंकि वो आने ही वाली हैं। मनोज ने उसे डांटा और कहा कि उससे फालतू बात ना करे। राजू ने कान पकड़ते हुए सॉरी बोला लेकिन उसकी मस्ती खत्म नहीं हुई। मनोज भी उस पर सच में गुस्सा नहीं हो रहे थे। वो बस थोड़ा परेशान थे। राजू ने फिर से पूछा कि उन्हें क्या परेशान कर रहा है, हो सकता है उसके पास उनकी परेशानी का कोई हाल हो। मनोज ने कहा उनकी परेशानीं कोई रिटायर बंदा ही दूर कर सकता है। 
 

इसके बाद मनोज ने बताया कि उसके पास टाइम बिताने के लिए कोई काम नहीं। सारे काम खत्म करने के बाद भी उसके पास पूरे दिन का समय बच जाता है अगर इस बीच उन्होंने कुछ नहीं किया तो उनके दिमाग़ में बेकार की बातें चलती रहेंगी लेकिन वो समझ नहीं पा रहे कि आख़िर उन्हें करना क्या चाहिए। राजू ने कहा ये तो बहुत मामूली सी बात है। इसका जवाब देने वाले तो यहाँ कई लोग मिल जाएँगे। मनोज ने आँखें दिखाते हुए कहा कि अगर उसने उसकी प्रॉब्लम किसी और से डिस्कस की तो अच्छा नहीं होगा। राजू ने कहा कि वो किसी को ये थोड़े ना बताएगा कि वो आपके लिए ये सब पूछ रहा है। उसने कहा बस देखते जाइए वो क्या करता है। मनोज भी वहां बैठे उसकी हरकतें देखते रहे। 
 

थोड़ी ही देर में राजू की टपरी पर कई बुजुर्ग लोग इकट्ठे हो गए। राजू ने सबको चाय देते हुए कहा कि उसे तो काम करना बहुत पसंद है। उसे ये सोच कर हैरानी होती है कि जो लोग रिटायर हो जाते होंगे वो भला कैसे टाइमपास करते होंगे। इस पर एक बुजुर्ग ने चाय की चुस्की खींचते हुए कहा कि काम से इंसान रिटायर हो जाता है लेकिन काम थोड़ी ना खत्म होते हैं। उनका तो सारा दिन कैसे बीतता है उन्हें पता ही नहीं चलता। ये सुन कर मनोज की आँखों में चमक आ गई। उन्हें लगा कि अब उन्हें टाइम बिताने का आइडिया मिल जाएगा। राजू ने उस बुजुर्ग से पूछा कि वो ऐसा क्या करते हैं? उस बुजुर्ग ने कहा उसकी एक पोती है वो उसी के साथ खेलते रहते हैं और फिर उनका टाइम कट जाता है। मनोज के हाथ फिर से निराशा लगी क्योंकि उनकी तो शादी तक नहीं हुई थी फिर पोता पोती कहाँ से आते?
 

दूसरे बुजुर्ग ने कहा कि जब वो काम करते थे तब उनकी बीवी की हमेशा शिकायत रहती थी कि वो उनके साथ ज़्यादा टाइम नहीं बिताते। अब रिटायरमेंट के बाद वो उनके साथ पूरा टाइम बिताते हैं, वो बहुत खुश रहते हैं। वो उनके लिए खाना बनाते हैं, उन्हें बाहर घुमाने ले जाते हैं, कई बार तो वो दोनों ट्रिप पर निकल जाते हैं। लाइफ़ पार्टनर के साथ उनकी रिटायरमेंट मस्त कट रही है। 
 

मनोज के लिए ये आइडिया भी किसी काम का नहीं था। तब एक और बुजुर्ग ने कहा कि उनकी तो बीवी कई साल पहले गुज़र गई और बच्चे भी बाहर रहते हैं फिर भी उनका टाइम मस्त गुज़रता है। इन बुजुर्ग की सलाह मनोज जी को कुछ काम की लग रही थी। बुजुर्ग ने कहा कि जब हम अपने अंदर की हॉबी को फ़ॉलो करने लगते हैं तो पता ही नहीं चलता कि कैसे टाइम बीत जाता है। जैसे कि जब उन्हें बचपन से ही पेंटिंग का शौक था लेकिन उनके पापा चाहते थे वो अफ़सर बनें, पिता की ख्वाहिश पूरी करने के चक्कर में उनकी हॉबी पीछे रह गई लेकिन फिर भी वो टाइम निकाल कर पेंटिंग करते थे और सोचते थे कि जब रिटायर हो जाएँगे तो अपनी इसी हॉबी पर काम करेंगे। आज वो वैसा ही कर रहे हैं। उनका पूरा दिन पेंटिंग में कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता। इसी तरह सबकी कोई ना कोई हॉबी ज़रूर होती है अगर उस हॉबी को ढूँढ लिया जाये तो टाइम पास करना बहुत आसान हो जाता है। 
 

मनोज को ये आइडिया सही लगा। वो सोचने लगे कि उनके दिमाग़ में ऐसा ख्याल क्यों नहीं आया? अब सब सेट था, उनका टाइम भी मस्त तरीक़े से बीतने वाला था लेकिन दिक्कत बस यही थी कि अपने मनोज जी को पता ही नहीं था कि उनकी हॉबी क्या है? Gardening में उनका मन तो लगता था लेकिन जितना वो जानते थे उससे टाइम नहीं बीतने वाला था। अब उन्हें अपने अंदर की किसी ऐसी हॉबी को ढूँढना है जो उनका अच्छे से टाइमपास करा दे। 
 

क्या मनोज जी अपनी हॉबी ढूँढ पाएंगे? क्या अपनी हॉबी ढूँढने के चक्कर में वो पिंकी से माफी माँगना भूल जाएँगे? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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