राजू और मनोज के बीच बहुत लंबी बातचीत चली थी। अपनी अभी तक की ज़िंदगी में मनोज ने कभी किसी से इतनी देर बैठ कर बात नहीं की थी। उनकी उम्र से आधे से भी कम का एक लड़का उन्हें दुनिया जहान का ज्ञान दे रहा था फिर भी वो चुप चाप सुने जा रहे थे। मनोज का इस समय ख़ुद पर कंट्रोल नहीं था, अगर होता तो वो राजू के सामने से कब के उठ कर चले गए होते। उन्हें कभी ये मंज़ूर नहीं रहा कि कोई जूनियर उन्हें आकर कुछ सिखाए लेकिन राजू की बातों में एक अलग तरह का जादू था या शायद ऐसा भी कह सकते हैं कि मनोज ने पहली बार किसी से इतनी लंबी बात की है इसलिए वो बस उसे सुनते जा रहे हैं। 
 

मनोज ने उसे बताया कि उन्हें अपने काम से बहुत प्यार था जिस पर राजू ने कहा कि उसे भी अपने इस काम से बहुत ज़्यादा प्यार है। उसने मनोज से कहा कि अगर उसे कहीं से एक करोड़ रुपए भी मिल जाते हैं तो भी वो दूसरा कोई काम नहीं करेगा। चाय बनाना और लोगों को पिलाना उसके लिए सिर्फ़ काम नहीं है बल्कि उसे इसमें ख़ुशी मिलती है। राजू के हिसाब से चाय इस दुनिया की सबसे शानदार चीज़ है। ये चाय ही है जिसने दुनिया को बांधे रखा है। राजू का कहना था कि ये चाय पहले से मौजूद रिश्तों को मजबूत बनाती है और नए रिश्ते जोड़ती है। जैसे कि अगर आज वो और राजू इतनी देर से साथ बैठे बात कर रहे हैं तो उसकी भी वजह चाय ही है अगर उनके साथ चाय ना होती तो भला इतनी देर वो साथ कैसे बैठ सकते थे। 
 

इसलिए वो हमेशा चाय का धंधा ही करना चाहता है क्योंकि इस धंधे में हमेशा मन लगा रहता। उसे पूरे देश में अपनी चाय की फ्रेंचाइज़ी खोलनी है लेकिन वो रेस्टोरेंट नहीं खोलना चाहता क्योंकि उसमें बैठ के चाय पीने की वो फ़ील नहीं आती जो एक चाय की टपरी पर आती है। वो मॉडर्न चाय टपरियाँ खोलना चाहता है पूरे देश में। वो भले ही कभी अरबपति हो जाये मगर फिर भी वो टपरी ही खोलेगा। जहाँ उन जैसे लोग आकर अपना अकेलापन दूर कर सकें और वो स्टाफ ऐसे लोगों का रखेगा जो हँसना और हंसाना जानते हों। 
 

मनोज सोच रहे थे कि उनकी ही तरह राजू को भी अपने काम से प्यार है लेकिन वो इस प्यार में इतना नहीं बंधा हुआ कि हँसना ही भूल जाये। उन्हें उसकी बातें सुन अच्छा लग रहा था। इसके बाद मनोज ने भी उसे अपनी ज़िंदगी की पूरी कहानी कुछ मिनटों में सुना दीं। राजू को मोटा मोटा समझ आ गया था कि मनोज के साथ बस यही दिक्कत है कि वो अकेले हैं और इसी एक दिक्कत ने उनकी ज़िंदगी की लंका लगा कर रखी है। असल में अकेले तो वो हमेशा से ही थे लेकिन अपने काम में वो इतना खो गए थे कि उन्हें कभी अकेलेपन का अहसास नहीं हुआ लेकिन जब काम नहीं रहा उसके बाद से ये अकेलापन उनपर हावी हो रहा है। 
 

बातों बातों में राजू ने एक रजिस्टर निकाल लिया और मनोज से उनका नाम पूछने लगा। मनोज ने कहा कि क्या उससे जो भी मिलता है उन सभी का नाम वो इस डायरी में लिख लेता है? राजू ने कहा नहीं वो तो उनका नया खाता शुरू कर रहा है। मनोज बोले कि वो ऐसा क्यों कर रहा है? उसे क्या पता कल से उसका मन ना हो आने का। राजू ने कहा उसे पता है कि अब वो रोज़ यहाँ आया करेंगे। मनोज ने कहा कि वो उसकी आदत को नहीं जानता, अगर उसे एक भी चीज़ यहाँ सही नहीं लगी तो वो कल से सच में नहीं आएंगे। राजू ने कहा वो शर्त लगा सकता है कि वो हर हाल में कल से आयेंगे और हो सकता है मॉर्निंग और इवनिंग दोनों टाइम भी वो आयें। 

मनोज को ये सुन कर हैरानी हुई लेकिन फिर भी उन्होंने अपना नाम बता दिया। राजू ने उनका नाम लिखा मनोज बाबू रेलवे वाले। 
 

राजू कहता है कि वैसे तो उसका काम सुबह और शाम में ही चलता है लेकिन वो सारा दिन यहाँ रहता है। उसका अड्डा इसी पेड़ के नीचे है। वो जब चाहें उनसे मिलने और उसके हाथों की कड़क चाय पीने आ सकते हैं। मनोज कहते हैं कि उन्हें चाय की इतनी भी आदत नहीं है लेकिन फिर भी अगर मन किया तो वो ज़रूर आएंगे। इसके बाद वो वहां से उठ कर जाने लगे। राजू ने पीछे से कहा कि अगर वो कल थोड़ा जल्दी आ जाएं तो पिंकी जी से उनकी अच्छे से मुलाक़ात हो सकती है। मनोज इस बात पर चिढ़ गए कि ये लड़का हद से कुछ ज़्यादा ही बढ़ता चला जा रहा है। वो कुछ बोले नहीं लेकिन पैर पटकते वहां से अपने घर चले आए। राजू फिर समझ गया कि उन्हें लास्ट वाली बात कुछ ख़ास अच्छी नहीं लगी लेकिन वो इतना भी समझ चुका था कि मनोज से बातें करने के लिए उसे बहुत सी ऐसी बातें करनी पड़ेंगी जो उन्हें बुरी लग सकती हैं। तभी तो उन्हें समझ आएगा कि सबकुछ उनके चाहे मुताबिक़ नहीं होता। राजू जान गया था कि कुछ भी हो जाए वो अब रोज़ यहाँ आने वाले हैं। 
 

भले ही मनोज को राजू का इस तरह से बात करना पसंद नहीं आया था इसके बावजूद वो आज बहुत हल्का महसूस कर रहे थे। उन्होंने अपने अंदर दबी हुई कई बातें आज राजू के सामने निकाल दी थीं। घर आने पर जब उन्होंने घड़ी देखी तो दस बाज चुके थे। उन्हें यक़ीन नहीं आ रहा था कि उन्होंने एक २२ साल के अजनबी लड़के से बातें करते हुए पूरे 4 घंटे बिता दिए थे। उसके साथ बिताए वक्त का मनोज पर अच्छा असर हो रहा था। उन्होंने अगर शादी की होती तो शायद उनका बच्चा भी इतना ही बड़ा होता। उसके साथ उनकी बांडिंग भी कुछ ऐसी ही होती। वो काफ़ी देर तक राजू की कही बातों में ही उलझे रहे। वो ख़ुद ही ये तय नहीं कर पा रहे थे कि राजू से मिलना उनके लिए अच्छा था या बुरा। बेशक राजू बड़बोला था जो कि उसके काम के लिए अच्छा है। कोई भी ऐसे चायवाले के पास क्यों खड़ा होना चाहेगा जिसके चेहरे पर हँसी की जगह एक चिढ़ हो। जिन पेशों में ग्राहक ज़्यादा टाइम बिताता है उन्हें ज़्यादा बोलने की आदत हो जाती है। बार्बर, चाय वाले, दुकानदार जैसा काम करने वाले लोग अंदर से कितने भी चिढ़े हों लेकिन इनके चेहरे की मुस्कुराहट कम नहीं होती क्योंकि इनके ग्राहक इनके पास कुछ टाइम बिताते हैं और अगर इस टाइम में उनका मुँह बना रहेगा तो बहुत से लोग उनके पास आना बंद कर देंगे हालांकि राजू ये सब अपने काम के लिए नहीं करता था उसकी तो आदत ही ऐसी थी, सबसे हंस कर बात करना उसकी ख़ासियत थी।       
 

घर लौटने के बाद मनोज अपने घर के बाक़ी कामों में लग गए। उन्हें ये पता था कि अभी कुछ दिनों में उन्हें ये घर ख़ाली करना होगा इसके बावजूद उन्होंने पूरे घर की ऐसी सफ़ाई की जैसे दिवाली आने वाली हो। पूरे घर के जाले उतारे, टेबल क्लॉथ से लेकर बेड की चादर तक सब बदल दी। कमरे को भी बहुत अच्छे से धोया। ये सब करते करते शाम हो गई थी। अब सबसे मुश्किल वक्त शुरू होने वाला था, रात का! दिन फिर भी किसी तरह कट जाता था लेकिन जैसे ही रात होती उन्हें अजीब तरह की घबराहट होने लगती। जब वो बहुत ज़्यादा घबरा जाते तब उन्हें एक ही रास्ता दिखता और वो था शराब का लेकिन अब वो शराब पीना नहीं चाहते थे। उन्होंने पूरा मन बना लिया था कि वो अब शराब को हाथ नहीं लगाएंगे। 
 

वो सोच ही रहे थे कि रात का खाना बनाने के अलावा वो और क्या कर सकते हैं। एक बार के लिए उन्होंने इवनिंग वॉक पर जाने के बारे में सोचा फिर उन्हें ख़याल आया कि कोई भी काम लिमिट में ही सही रहता है। ऐसा ना हो कि वॉक पर जाने से उनका मन ही हट जाये। वो यही सब सोच रहे थे कि तभी गुप्ता जी का फ़ोन आया। उन्होंने कहा कि उन्हें पता चला कि कल वो स्टेशन गए थे लेकिन कल वो ऑफ पर थे। वहां होते तो कम से कम एक एक कप चाय तो साथ में पी लेते। मनोज ने कहा कि अगर वो फ्री हैं तो घर आ सकते हैं। स्टेशन वाली एक एक कप चाय वो लोग घर पर पी लेंगे। गुप्ता जी भी तो यही चाहते थे लेकिन बस बोल नहीं पा रहे थे। वो झट से तैयार हो गए और बोले कि वो बस आधे घंटे में उनके पास पहुँच रहे हैं। 
 

फ़ोन कट गया लेकिन 10 मिनट बाद ही गुप्ता जी का फिर से फ़ोन आया। उन्होंने डरते डरते पूछा कि चाय तो वो लोग कभी भी पी सकते हैं। शाम का समय है, अगर उन्हें बुरा ना लगे तो माहौल बनाया जाए? मनोज माहौल बनाने का मतलब नहीं समझ पाये उन्होंने कहा कि वो साफ़ साफ़ बतायें क्योंकि ऐसी कोड लैंग्वेज उन्हें समझ नहीं आती। तब गुप्ता जी ने कहा कि वो जनना चाहते हैं कि क्या वो ड्रिंक करते हैं? अब मनोज जी क्या बतायें कि पिछले महीने भर से वो ड्रिंक ही तो करते आ रहे हैं और आज ही उन्होंने ख़ुद से promise किया है कि वो अब ड्रिंक नहीं करेंगे लेकिन दूसरी तरफ़ मनोज जी ये भी सोच रहे थे कि उन्होंने किसी के साथ बैठ के कभी नहीं पी। उन्हें ये experience भी लेना चाहिए। खुद से promise तो कल से भी continue हो सकता है। उन्होंने गुप्ता जी से कहा कि वो थोड़ी सी ले लेंगे। 
 

उधर गुप्ता जी मुस्कुराए क्योंकि उन्हें पता था, शराब में थोड़ी सी जैसी कोई चीज़ नहीं होती, या तो इंसान पीता है या फिर नहीं पीता। उन्होंने पूरी बोतल ख़रीद ली और बाक़ी सारे सामान के साथ मनोज जी के यहाँ पहुँच गए। वो मनोज जी को देखते ही उनसे गले मिले। मनोज ने बालकनी में ही पीने का सेटअप लगा लिया। इतने साल साथ काम करने के बाद भी ऐसा दिन कभी नहीं आया था। दो पेग तक दोनों एक दूसरे से छुपा कर पीते रहे लेकिन जैसे ही तीसरा पेग अंदर गया। दोनों के अंदर के जवान लड़के बाहर आ गए। फिर जो बातें, शिकायतें और इमोशन बाहर निकला है उसने तो आज की शाम को एक अलग ही लेवल तक पहुंचा दिया था। फिर तो हमेशा शांत रहने वाले गुप्ता जी भी सबकी ऐसी तैसी करने के लिए तैयार थे। उन्हें जब पता चला कि मनोज स्टेशन गए थे और किसी ने उसने ठीक से बात नहीं की तो वो गुस्से से लाल हो गए। उन्होंने कहा कि उनके भाई को जिसने भी इग्नोर किया उन सबकी क्लास लगा देंगे वो। उनकी औक़ात नहीं कि वो मनोज देसाई के सामने एक मिनट भी खड़े हो जायें। गुप्ता जी ने कहा कि जब तक मनोज स्टेशन पर रहे उस स्टेशन की बात ही अलग थी। उनके जाने के बाद से ही वो जगह मुरझायी हुई लगती है। 
 

क्या गुप्ता जी और मनोज की दोस्ती लंबी चलेगी? गुप्ता जी दिल से मनोज की तारीफ़ कर रहे थे या इसके पीछे उनका कोई मकसद था?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

    

 

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