शराब के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ये इंसान को अपने नशे में बादशाह बना देती है लेकिन जब इसका नशा उतरता है तो सिर्फ़ अफ़सोस बचता है। रात को मनोज शराब पीते पीते बालकनी में ही कब सो गए उन्हें पता नहीं चला। आज उनकी आँख एक झटके और हल्के दर्द के साथ खुली थी। उनके चेहरे पर न्यूज़पेपर रोल आकर लगा था। नीचे से अख़बार वाले ने उनकी बालकनी में अख़बार फेंका जो सीधा उनके चेहरे पर आकर लगा। वो एक दर्द के साथ उठे और गुस्से में इधर उधर देखने लगे। जब उन्होंने अख़बार देखा तब समझे कि अख़बार वाले ने ये मारा है। वो उस पर बरसने लगे। अख़बार वाला बार बार ये कह कर माफी माँग रहा था कि उसे नहीं पता था कि वो बालकनी में हैं। उसने जान बूझ कर ऐसा नहीं किया। इससे पहले किसी ने भी मनोज को इस तरह से हंगामा करते नहीं देखा था। वो खड़ूस तो थे लेकिन कभी किसी को कुछ कहते नहीं थे।
पहली बार लोग उनका ऐसा रूप देख रहे थे। कुछ ही देर में वहां लोग जामा हो गए जो कहने लगे कि अख़बार वाले से गलती हो गई उसे जाने दीजिए मगर मनोज का गुस्सा शांत ही नहीं हो रहा था फिर अचानक से उन्हें अहसास हुआ कि वो कहीं की चिढ़ कहीं उतार रहे हैं। वो चुप हो गए और लोगों ने अख़बार वाले को वहां से भगा दिया। मनोज ने एक बार सामने नज़र घुमायी वो शराब की पूरी बोतल रात ख़ाली कर चुके थे और कुर्सी पर ही सो गए थे। उन्हें ये सोच कर अफ़सोस होने लगा कि धीरे धीरे वो शराब की गिरफ्त में फँसते जा रहे हैं। उन्होंने घड़ी में टाइम देखा तो अभी सुबह के छह बजे थे। पार्क जाने के लिए उनके पास टाइम था लेकिन इसे लेकर भी उनके अंदर बहस चल रही थी।
उनका एक मन था कि उन्हें पार्क जा कर उस लेडी से सॉरी बोलना चाहिए और उनका दूसरा मन कह रहा था कि ये चारदीवारी ही उनके लिए सही है क्योंकि बाहरी दुनिया उनके लिए नहीं बनी है। आख़िर में उन्होंने तय किया कि वो पार्क जाएँगे। वो तैयार हुए और पार्क के लिए निकल गए। मनोज ने आज तक अपनी ज़िंदगी में किसी को सॉरी नहीं बोला या फिर ऐसा कहें कि उन्हें किसी को सॉरी बोलने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। उनका काम परफेक्ट था इसलिए उन्होंने कभी काम में गलती नहीं की, उनकी रोज़ का रूटीन फिक्स था जिसमें किसी से ना कोई मिलना था ना किसी से कोई बात थी और जब किसी से बात ही नहीं होगी तो गलती और माफी की गुंजाइश कहाँ रहेगी? ऐसे में मनोज को ये पता ही नहीं था कि माफी माँगी कैसे जाती। हालांकि अभी वो इतना सब नहीं सोच रहे थे, उन्हें बस अच्छा नहीं लग रहा था कि उन्होंने बेमतलब किसी के साथ रूड बिहेव किया।
पार्क पहुँचे तो हमेशा की तरह लोगों की चहल पहल देख उनके कदम रुके लेकिन हिम्मत कर वो पार्क में enter हो गए। राजू की नज़र उनपर पड़ी लेकिन वो उन्हें आवाज़ देता तब तक वो जा चुके थे। आज उन्होंने सोचा बैठने से अच्छा है वो थोड़ा टहल लें, इसके साथ ही वो पिंकी को भी ढूँढ लेंगे। उन्हें आज ना वो दिख रही थीं ना उनकी क्लास दिख रही थी। पहले अख़बार वाले से झड़प और अब पिंकी भी नहीं दिख रही थी। मनोज को लग रहा था कि आज दिन ही ख़राब है लेकिन इस बीच जो अच्छा हुआ था वो ये कि उनकी ही उम्र के कुछ खुशदिल लोगों ने वाक करते करते सिर हिला कर उन्हें हैलो बोला था। जवाब में मनोज के चेहरे पर अपने आप मुस्कुराहट आ गई और उनका भी सिर झुक गया।
एक ही दिन में कुछ लोग उन्हें चेहरे से पहचानने लगे थे। स्टेशन के बाहर की इस दुनिया में पहली बार उनके चेहरे को पहचान मिल रही थी हालांकि आज उनका मूड सही नहीं था। पिंकी को उन्होंने बहुत ढूंढा लेकिन वो नहीं दिखी। थक हार कर वो बाहर जाने लगे। जैसे ही उन्होंने पार्क के बाहर कदम रखा वैसे ही कोई उनके एकदम सामने आ कर खड़ा हो गया। ये राजू था। उसने कहा कि अगर कोई किसी से किसी बात पर नाराज होता है तो उसे बता देना चाहिए जिससे कि वो दोबारा वैसी गलती ना करे। राजू को अभी भी लग रहा था कि उसने मनोज को कह दिया था कि उनकी आवाज़ स्टेशन पर अनाउंस करने वाली आवाज़ जैसी है, इसलिए वो बुरा मान गए शायद। राजू ने कहा वो उनको अपनी तरफ़ से चाय पिला कर माफी माँगेगा।
मनोज ने उसे काफ़ी बार कहा कि वो उससे नाराज़ नहीं है लेकिन राजू ये मानने को तैयार नहीं था। हार कर मनोज उसकी चाय की टपरी पर चले गए। राजू ने एक बार फिर से मनोज से माफी माँगी। तब मनोज ने उसे समझाया कि हाँ वो उस दिन उसकी बात सुनकर उदास ज़रूर हुए थे लेकिन वो उससे नाराज नहीं थे। उन्होंने बस कुछ ज़्यादा सोच लिया था और इसी से उनका मूड खराब हो गया। मनोज ने राजू को बताया कि उसका अंदाज़ा सही था, उनकी आवाज़ स्टेशन अनाउंसर जैसी ही है क्योंकि अपनी ज़िंदगी के 41 साल उन्होंने यही काम किया है। उन्हें रिटायर हुए अभी हफ़्ता भर भी नहीं हुआ। उन्हें अब रिटायर होने के बाद ये दुख लग रहा था कि उनकी पहचान सिर्फ़ उनकी आवाज़ से ही है। बोलते बोलते मनोज को याद आया कि वो एक अजनबी से इतना सब कुछ नहीं कह सकते हैं। वो चुप हो गए। राजू उन्हें और सुनना चाहता था लेकिन वो अब कुछ ऐसा नहीं बोलना चाहता था जिससे उन्हें फिर से बुरा लग जाये।
राजू ने उनकी तरफ़ चाय बढ़ाते हुए कहा कि उनकी आवाज़ से ही पता लगता है कि उन्हें अपने इस काम से कितना प्यार रहा होगा। मनोज ने कहा कि जब तक काम से प्यार ना हो तब तक इंसान परफेक्ट नहीं हो सकता हालांकि उन्हें अब धीरे धीरे अहसास हो रहा है कि काम के साथ साथ और भी बहुत चीज़ों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है नहीं तो इंसान अकेला रह जाता है। इस बात पर राजू कुछ नहीं बोला, वो अपने बाक़ी ग्राहकों को चाय देने में बिज़ी हो गया। तब तक मनोज चाय की चुस्कियां लेते हुए फिर से पार्क में नज़र दौड़ाने लगे।
तभी राजू ने पीछे से उनके कान में कहा कि जिन्हें वो ढूँढ रहे हैं वो आज नहीं आई है। हफ्ते में एक दिन उनकी क्लास ऑफ रहती है। वो उन्हें कल ही मिलेंगी। मनोज ये सुन कर इतना हैरान हो गए कि उनके हाथ से चाय का कप गिरते गिरते बचा। उन्होंने थोड़ा संभलते हुए कहा कि वो किसी को नहीं ढूँढ रहे, राजू को कुछ गलतफहमी हुई है। राजू ने ख़ुद ही अपनी तारीफ़ करते हुए कि लोग उसे इस पार्क का सीसीटीवी कहते हैं। उसकी नज़रों से कुछ नहीं बच सकता, ख़ास कर नए आने वाले लोगों पर तो उसकी पूरी नज़र रहती है। राजू ने बताया कि उसने देखा था कल वो जब यहां से उठ कर पार्क में गए तो उनका मूड बहुत ख़राब था।
तभी पिंकी जी उनसे बात करने आई लेकिन मनोज ने उनसे बात नहीं की। अब मनोज को इस बात का बुरा लग रहा है। राजू ने बताया कि ये पिंकी जी का नेचर है, वो जब भी किसी को उदास देखती हैं उनके पास बैठ कर बातें करने लगती हैं। ज्यादातर लोग उनसे बात कर के अच्छा महसूस करते हैं लेकिन एक वही थे जिन्होंने उनके साथ रूड बिहेव किया। राजू को यकीन था कि अब उन्हें इस बात का बुरा लग रहा होगा इसीलिए वो उनसे माफी मांगने आए हैं।
मनोज सच में ये सब सुन कर हैरान थे कि कैसे राजू ने एक एक बात नोट की थी हालांकि पिंकी की इतनी तारीफ़ उन्हें हज़म नहीं हुई थी। उन्होंने राजू से कहा कि इंसान अंदर से क्या है ये तो बाद में पता चलता है लेकिन सबसे पहले तो उसे बाहरी कपड़ों से पहचाना जाता है। इस उम्र में लेडीज़ को ऐसे कपड़े पहनना शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि वो समझते हैं ज़माना बदल गया है एक उम्र तक जो मन पहन सकते हैं लेकिन उसके बाद इंसान को अपने पहनावे का ख्याल करना चाहिए। राजू उनकी बातें सुन हँसने लगा। वो बोला कि उनकी सोच बहुत पुरानी है, शायद उन्होंने नए ज़माने को गौर से नहीं देखा। अब महिलाएं सिर्फ़ घर में क़ैद नहीं रहतीं बल्कि हर तरह के काम करती हैं। जब इस उम्र में वो ट्रैक सूट पहन कर वाक पर आ सकते हैं तो फिर योगा सिखाने वाली पिंकी जी के पहनावे में क्या दिक्कत है? अब योगा ऐसे ही कपड़ों में सिखाया जाता है तो उनकी क्या गलती। कभी उनके घर जा कर उन्हें देखिए वहां वो सिंपल सूट सलवार या कुर्ती में होती हैं। राजू ने मनोज को समझाया कि उन्हें ज़माने के साथ अपनी सोच को बदलना चाहिए।
मनोज को ये अच्छा नहीं लग रहा था कि एक 22 साल का लड़का उन्हें कोई ज्ञान दे रहा है लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि अगर उन्हें आज की दुनिया में घुलना मिलना है तो उन्हें हर छोटे बड़े शख्स की बात सुननी पड़ेगी और सीखना पड़ेगा कि आख़िर आजकल चल क्या रहा है। मनोज ने कहा कि वो जैसे हैं ठीक हैं, ये तो बस उनकी सोच थी, वो किसी को भी किसी काम के लिए रोक टोक नहीं सकते। राजू ने कहा ये सोच ही तो सबसे बड़ी दिक्कत होती है, धीरे धीरे ये सोच एक खीज में बदल जाती है और फिर इंसान अपनी उसी सोच का गुलाम हो जाता है।
मनोज को अभी एक अलग ही डर सता रहा था। उन्हें लग रहा था कि राजू की तरह बाक़ी लोगों ने भी नोटिस किया होगा कि वो पिंकी को ढूँढ रहे हैं। पता नहीं लोग उनके बारे में क्या क्या सोचेंगे, जबकि वो तो बस उससे सॉरी बोल कर बात खत्म करने आए थे। राजू ने एक बार फिर से मनोज के मन की बात पढ़ ली थी। उसने फिर से कहा कि उन्हें घबराने की ज़रूरत नहीं। यहाँ किसी को किसी की भी नहीं पड़ी। एक वही है जिसने उन्हें पिंकी के साथ देखा और उनकी बातें नोटिस कीं इसलिए वो इस बात की टेंशन ना लें कि लोग क्या कहेंगे। यहाँ किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता। उन्हें पिंकी जी से मिलना चाहिए, पिंकी के पास हर बात का positive जवाब होता है, बशर्ते आप सुनने के लिए तैयार हों अगर आप मुँह मोड़ लेंगे फिर भला कोई क्या ही कर सकता है?
मनोज जी ने मन ही मन कहा कि उन्हें इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वो कैसी है, उन्हें तो बस उससे माफी माँगनी है और फिर ये किस्सा यहीं खत्म कर देना है। वो अगर बार बार उनके पास आ कर बैठेंगी तो वो इस पार्क को छोड़ दूसरे पार्क में जाना शुरू कर देंगे। असल में पिंकी से मिलना अब उनके लिए डर बन गया था। उन्हें लग रहा था पता नहीं एक लेडी से मिलने पर लोग उनके बारे में क्या सोचेंगे।
क्या मनोज अपनी सोच को बदल पाएंगे? क्या इस नई जर्नी में राजू चाय वाला उनका गाइड बनेगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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