"अरे बोलो भाई। तुम्हारे पास समय कम है।"- पुलिस इंस्पेक्टर ने भी जोर देते हुए कहा।
लक्ष्मण को मेल्विन की बेगुनाही साबित करने के लिए सिर्फ 5 मिनट दिए गए थे। और यह इतना आसान काम तो हर्गिज़ नहीँ था क्योंकि अगर लक्ष्मण के पास ठोस सबूत हो भी तब भी उन्हें इस बात पर कन्विन्स करना इतना आसान नहीं था और यह बात न सिर्फ लक्ष्मण जानता था बल्कि वो इंसान भी जानता था जो इस पूरे घटना को अपने पैने नजरों से देख रहा था। यूँ तो वो आश्वस्त था कि अब मेल्विनको बचाया नहीं जा सकता इसलिए वो यहाँ से जाने के लिए भी निकल चुका था लेकिन कहानी में नए मोड़ ने इस पर उसकी दिलचस्पी और बढ़ा दिए इसलिए थोड़े देर के लिए ही सही लेकिन उसने अपने हॉल से बाहर जाते कदम एक बार फिर से ठिठका लिए। अब वह सामने वाली टेबल पर बैठ गया और उनके पूरे हरकतों को ध्यान से देखने लगा और साथ ही साथ उसने यह बात भी सुनिश्चित कर लिया था कि लक्ष्मण और बांकी लोग उसे न देख पाए।
"तुम चाहे जो भी तर्क पेश कर दो। जो भी सबूत पेश कर दो। लेकिन वे फिर भी मेल्विन को नहीं छोड़ने वाले।"- उसने मन ही मन मुस्कुराते हुए कहा।
"1 मिनट हो गया। तुमने अभी तक कुछ भी नहीं बोला है। तुमको कुछ बोलना भी है या फिर बस खाली पीली हमारा वक़्त जाया करना है।"- उसी पर्सनल असिस्टन्ट ने कहा।
लेकिन लक्ष्मण अभी भी शांत रहा। यह देखकर वहाँ खड़े इंस्पेक्टर साहब की हंसी छूट पड़ी।
"लगता है भाई की पैंट गीली हो गयी। भाई सोच में पड़ गया होगा कि 5 मिनट में कैसे बेगुनाही साबित करे। भाई, तुझसे नहीं हो रहा तो छोड़ दे। बांकी का काम हम सम्भाल लेंगे।"- इंस्पेक्टर साहब ने कहा।
इतना कहकर वहाँ खड़े सभी लोग ठहाके लगाकर हँसने लगे। इसी बीच लक्ष्मण ने अपना पहला शब्द बोला। यह एक सवाल था।
"इंस्पेक्टर साहब! क्या आप मुझे बता सकते हैं कि इस नेकलेस को इससे आखरी बार कब और कहाँ देखा गया था? और कब पता चला कि यह नेकलेस चोरी हो चुकी है।"- लक्ष्मण ने पूछा।
"ये सेंसिटिव इनफार्मेशन है जिसे तुझे जानने का हक नहीं है।"- इंस्पेक्टर साहब ने जवाब दिया।
"मैं इसकी संवेदनशीलता को समझता हूँ पर आपको नहीं लगता अगर इन सवालों को लेकर लोगों को अंधेरे में रखना एक तरह का शक पैदा करता है।"- लक्ष्मण ने कहा।
लक्ष्मण के इतना कहते ही इंस्पेक्टर साहब गुस्से से आग बबूला हो उठे, उन्होंने तुरंत अपनी लाठी निकालकर लक्ष्मण पर तान दिया।
"तू कहना क्या चाहता है बे? की हमने खुद हार छिपाया है? तेरी ईतनी हिम्मत? उल्टा चोर कोतवाल को डांटे? श्याम साहब! आप बस इज़ाज़त दीजिए, अभी इस दो टके के बड़बोले के अक्ल ठिकाने लाता हूँ।"- इंस्पेक्टर साहब ने बेहद गुस्से से कहा।
यह बात लक्ष्मण भी अच्छे से जानता था कि उसके सवाल को लेकर उसे कोई जवाब नहीं मिलने वाला पर उस इंस्पेक्टर का ऐसा रवैया उल्टा लक्ष्मण का ही पक्ष मजबूत कर रहा था। और यह बात श्याम लाल जी भी अच्छे से समझ रहे थे इसलिए उन्होंने तुरंत इंस्पेक्टर को शांत होकर होने का इशारा किया।
"पर सर!"- इससे पहले की इंस्पेक्टर साहब कुछ भी बोल पाते, श्याम लाल जी के पर्सनल असिस्टन्ट ने तुरंत उन्हें कहा-
"आप अभी कुछ देर के लिए शांत हो जाइए। इस लड़के के पास अपनी बात रखने के लिए महज 3 मिनट है। इस 3 मिनेट में इसे बोलने दीजिए जो भी बोलना है। इसके बाद आपको खुली छूट है।"- उन्होंने कहा।
वे पर्सनल असिस्टन्ट साहब भी न सिर्फ उम्र में बल्कि ओहदे में भी इंस्पेक्टर साहब से कहीं ऊंचे थे। इसलिए उस इंस्पेक्टर ने उनकी बात तुरन्त मान ली। और एक कोने में खड़े हो गए।
"ठीक है सर।"- इंस्पेक्टर ने कहा।
इसके बाद पर्सनल असिस्टन्ट ने लक्ष्मण की तरफ देखते हुए कहा-
"तुम्हारे 5 मिनेट पूरे होते ही तुम्हारे सभी सवालों के जवाब दे दिया जाएगा। लेकिन यहाँ इस वक़्त यह मुमकिन नहीं। इसलिए बेहतर रहेगा कि तुम कोई और दलील पेश करो।"- उन्होंने कहा।
"ठीक है।"- लक्ष्मण ने हामी भरी। इसके बाद उसने मेलविन की तरफ देखते हुए कहा-
“मेलविन! एक बार अपना बैग दोबारा से चेक करना।”
मेलविन का इतना सुनने भर की ही देरी थी कि वो तुरन्त अपने बैग्स को खंगालने लग गया। कुछ देर यूँ ही उसे खंगालने के बाद उसे कुछ ऐसा मिल गया जिसने उसके होश उड़ा दिए। उसने उस चीज़ धीरे से उसे सबके सामने अपने बैग से बाहर निकाला। जब भीड़ ने उसे देखा तो वे भी हक्के बक्के रह गए। यह वही आर्टिफिशयल नेकलेस था जिसे मेलविन ने खरीदा था जो, अगर कुछ बदलावों को छोड़ दिया जाए तो हुबहु श्याम लाल जी के नेकलेस की तरह दिख रहा था। यह देखकर मेलविन और बांकी सब काफी ज्यादा हैरान हो चुके थे। मेलविन अभी कहना तो काफी कुछ चाहता था लेकिन उसे इस वक़्त कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उस हार को तुरन्त जोहरी के हाथों में सौंप दिया गया। जब उसने इसकी देख परख की तो उसे तुरंत समझ आ गया कि यह नेकलेस न सिर्फ दिखने में बल्कि अपने आकार, क्वालिटी और रंग रूप में भी बिल्कुल उसी नेकलेस की ही तरह था। पर शायद यह मेल्विन के लिए अच्छी खबर नहीं थी।
"यह नेकलेस, अपनी गुणवक्ता, आकर और बांकी गुणों में भी हुबहु श्याम लाल जी के नेकलेस की ही तरह है। बल्कि यह इसके इतने समीप है कि अगर इसे मार्किट में बेचा जाए तो कोई आम खरीददार इन दोनों नेकलेस में लगे हीरों के बीच कोई अंतर बता ही नहीं पाएगा।"- उस जोहरी ने कहा- "सर! कहीं ऐसा तो नहीं कि हम कोई गलती कर रहे हो?"
"बिल्कुल नहीं।"- उसी असिस्टेन्ट ने कहा - "ऐसा नहीं हो सकता। उन हीरों को इतने तगड़ी सिक्युरिटी में रखा गया था कि बिना तगड़ी प्लानिंग के उनके पास तक फटकना आसान काम नहीं है। और अगर इसके पास इससे मिलती जुलती हुबहु नेकलेस है इसका मतलब यह हुआ कि इसने पूरी तैयारी के साथ यह सब कुछ अंजाम दिया है। पहले असली हीरे चुराकर इन नकली हीरों से बदलने का इसका इरादा साफ-साफ जाहिर होता है। अब तो यह बात साबित ही हो गयी है कि यही असली चोर है।"
इसके बाद उसने लक्ष्मण की तरफ देखते हुए कहा-
"देखो लड़के। मुझे नहीं पता तुम इन सब से क्या साबित करना चाहते हो पर ये साबित तो जरूर कर चुके हो कि यह आदमी ही असली चोर है। क्या अब भी आ इसके बचाव में कुछ कहना चाहोगे क्योंकि अब तुम्हारे पास बेहद कम टाइम बचा है।"- पर्सनल असिस्टन्ट ने कहा।
"हाँ! आपने बिल्कुल ठीक कहा। वर्तमान सबूतों के आधार पर यह बिल्कुल कहा जा सकता है कि मेल्विन ही वास्तव में वो अपराधी है।"- लक्ष्मण ने हामी भरी।
"पर क्या आपको नहीं लगता कि यह सवाल उस ज्वेलरी शॉप से पूछा जाना चाहिए कि आखिर उनके पास इस नेकलेस से मिलता जुलता नेकलेस आखिर कैसे आया। यह कोई संयोग तो नहीं हो सकता न?"- लक्ष्मण ने उनसे कहा- " यहाँ मेरे दोस्त का बस इतना सा ही अपराध है कि उन्होंने हुबहु आपके नेकलस जैसा नेकलेस खरीदा जो कि आपके हाथों में है।"
"अगर ऐसा है भी तो तुम इस दुसरे नेकलेस के बारे में क्या कहना चाहोगे? इसने उस लड़की के गले में यही नेकलेस पहना रहा था न कि दूसरा वाला। हमारा नेकलेस आज इसी एग्जिबिशन हॉल में लाते वक़्त ही चोरी हुआ था। जब हम इस बारे में जाँच पड़ताल कर ही रहे थे कि तभी हमारे एक आदमी ने हमें सूचना दी कि हमारे नेकलेस को एक लड़की के गले में पहनाकर यहाँ से चुराने की साजिश की जा रही है। हमें यह भी पता था कि हमें बरगलाने के लिए इससे मिलता जुलता एक नकली नेकलस भी पास में रखा गया था। यह जिस शॉप की रसीद दिखा रहा है न वे लोग कस्टम मेड ज्वेलरी भी बनाने हैं। यह जो नेकलेस है उसे बनाने का आर्डर आज से 1 हफ्ते पहले ही दे दिया गया था। अगर तुम्हें कोई शक हो तो पूछ लो अपने दोस्त से की क्या इसने इसे बनाने का एडवांस ऑर्डर दिया था?"- इंस्पेक्टर साहब से जो अब तक चुप चाप खड़े थे उनसे अब रहा नहीं गया वो बीच में ही कूद पड़े-
"तुम्हें सच में लगता है कि हम बिना सबूत के ऐसे ही किसी को पकड़ लेंगे? बिना जाँच पड़ताल किये? जरा एक बार पूछो अपने दोस्त से। पूछो।"- उन्होंने आगे कहा।
"मेल्विन! क्या यह सच है कि तुमने इसे कस्टम मेड कराया है? क्या यह लोग सच कह रहे हैं?"- लक्ष्मण ने पूछा।
"हाँ। यह लोग बिल्कुल सही कह रहे हैं। मैंने इसे कस्टम मेड कराया है। मैंने उन्हें "एग्जिबिशन" वाले नेकलेस की तरह ही बनाने को कहा था।"- मेल्विन ने सर झुकाते हुए कहा।
"इसका मतलब की? तुम सच में?"- लक्ष्मण ने मेल्विन से पूछा। अब उसका आत्म विश्वास डोलने लगा था।
"नहीं लक्ष्मण। मैं अब भी यही कहूँगा की मैं चोर नहीं हूँ। अगर होता तो असली क्या? नकली नेकलेस को भी यहाँ न लाता। मेरी बस इतनी ही गलती थी कि मुझे पता ही नहीं था कि जिन
हीरों के तर्ज पर मैंने यह नेकलेस बनवाया था उन्हीं की आज प्रदर्शनी होने वाली होगी।"- मेल्विन ने टूट चुके मन से कहा।
"हाँ, हाँ । ठीक है। अब कोई नया कहानी गढ़ने की कोशिश मत कर। सबको तेरे सच का पता लग चुका है। अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं। श्याम लाल जी जरा बताइए कि 5 मिनट हुए की नहीं।"- इंस्पेक्टर साहब ने लाठी बाहर निकलते हुए कहा।
"हाँ इंस्पेक्टर। 5 मिनट हो गए हैं। आप ले जाइए इस चोर को।"- श्याम लाल जी के असिस्टन्ट ने कहा।
"नहीं। मुझे जरा माफ कीजिएगा लेकिन अभी तक 5 मिनट नहीं हुए हैं। अभी भी 30 सेकंड बांकी है और मैं चाहूंगा कि इन अंतिम 30 सेकंड में उन दोनों हीरों को एक बार फिर से चेक कराया जाए।"- लक्ष्मण ने जोर देते हुए कहा।
यह सुनकर पल भर के लिए श्यामलाल जी सोच में पड़ गए लेकिन उन्होंने इसकी इज़ाज़त दे दी। जोहरी ने भी इस बार ज्यादा वक्त नहीं लगाया।
"नहीं। कोई अंतर नहीं। एक असली है और दूसरा नकली।"- उसने कहा।
"कौन सा वाला असली है और कौन सा वाला नकली है?"- लक्ष्मण ने फिर पूछा।
"इसमें पूछने की क्या बात है? यह दाएं वाला असली है और बाएं वाला नकली है।" - जोहरी ने दोनों नेकलेस को अपने एक एक हाथ में लटकाते हुए कहा। उसके ऐसा करते ही श्याम लाल जी की नजर उन दोनों नेकलसेस में लगे हीरों पर पड़ी। उन्हें देखते ही वे इस भरी सभा में पहली बार बोल पड़े-
"नहीं। तुम गलत बोल रहे हो। ये दोनों ही हीरे असली हैं। मैं अपने हीरों से कभी धोखा नहीं खा सकता। लेकिन यह कैसे हो सकता है, मेरा हीरा अपनी तरह का सिर्फ एक ही है, इसे कॉपी नहीं किया जा सकता। लेकिन फिर यह कैसे सम्भव है।"
"आप चाहे इसे ऐसे कह सकते हैं कि शायद ये दोनों ही नकली हो। क्योंकि वैसे भी असली हीरे और आर्टिफिशयल हीरे के बीच फर्क बताना इतना आसान नहीं होता और इन्हें तो इतना परफेक्टली बनाया गया है कि बगैर हाइ क्वालिटी टेस्टिंग के इनके बीच अंतर नहीं बताया जा सकता। और अगर ऐसा है तो बिना असली हीरे को पहचाने, सिर्फ शक के गिनाह पर आप मेरे दोस्त को अरेस्ट नहीं करवा सकते। क्योंकि अगर ये दोनों ही नकली हैं तो हो सकता हो असली चोर इस तमाशे का सहारा लेकर असली हीरा ले भागे।इसलिए हमें अपना वक़्त इन चीजों पर नहीं जाया करना चाहिए।" - लक्ष्मण ने तर्क देते हुए कहा।
"बस! अब हो गए तेरे 5 मिनट पूरे। तुम दोनों को गिरफ्तार किया जाता है। और रही बात असली हीरे की पहचान की तो जब तक वो नहीं हो जाता, इसे और तुम्हें, दोनों को ही गिरफ्तार किया जाता है। तब तक के लिए जाँच पड़ताल वाला काम हम पर छोड़ दो।"- इंस्पेक्टर ने बीच में टोकते हुए कहा- " वैसे तुमने कोशिश बहुत अच्छी की। पर अफसोस तू भी फँस गया। अब यहाँ से एक भी शब्द तू बोला तो मैं खुद सुनिश्चित करूँगा तुम दोनों की सजा और ज्यादा कड़ी हो।"
लक्ष्मण ने अपनी और से पूरी कोशिश की पर बाजी उसके ही खिलाफ जा चुकी थी। वहीं वहाँ दूर बैठा व्यक्ति अब फिर से खड़ा हो चुका था। उसके हाथ में वाइन की नई गिलास थी।और वेटर भी वही था। उसी वेटर ने पूछा-
"आप किस सोच में डूबे हैं सर?"
"सोच रहा हूँ कि इस खेल में मुझे अभी कूदना चाहिए या फिर कुछ देर और तमाशा देखना चाहिए।"- उसने कहा।
"लेकिन तमाशा तो अब खत्म हो चुका है। उनके हाथों में हथकड़ियां बन्ध चुकी है। अब आप क्या ही करेंगे।"- वेटर ने कहा।
"हाँ तुमने ठीक बोला। तमाशा तो खत्म हो चुका है। चलो देखता हूँ अब मैं क्या कर सकता हूँ।"- यह कहकर उसने फिर से वाइन की गिलास वेटर के ट्रे पर रख दिया और वह उन्हीं लोगों की तरफ बढ़ चला।
"लेकिन सर!"- उस वेटर ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन इस बार उसने कदम नहीं ठिठकाए। वहीं मेल्विन और बाकी लोगों को भी वह व्यक्ति अपनी और आता है दिख चुका था। उसे देखते ही उन सभी की आंखें जैसे भौचक्की रह गयी।
"तुम! और यहाँ!"- मेल्विन ने कहा।
अब आगे क्या होगा? कौन था यह अंजान शख्स? अब यह क्या करनेवाला है। जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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