भूषण के साथ उस रात क्या हुआ, यह उसके लिए अब भी एक रहस्य था। वह लड़की जो भूषण के सामने आई, कौन थी? सच में थी या सिर्फ भूषण का भ्रम था? यह बात भी भूषण के लिए एक रहस्य ही था, लेकिन इन सबके बीच भूषण ने आखिरकार अवनाश की बात मानकर ब्रेकअप रिज़ॉर्ट जाने का फैसला कर लिया था। भूषण आज रात की ही फ्लाइट से मुंबई से दिल्ली जाने वाला था, उसके बाद के सफर के लिए भूषण को कुछ भी नहीं बताया गया था। भूषण एक खाली बैग लेकर अपने कमरे में खड़ा था, कमरे में बिखरी चीज़ों को वह गहरी निगाहों से देख रहा था। उसका दिल अंदर ही अंदर टूट रहा था, लेकिन चेहरे पर एक अजीब-सी कठोरता थी। एक गहरी सांस लेकर उसने अलमारी खोली और कपड़ों को सलीके से बैग में भरने लगा। तभी उसकी नज़र कोने में रखे एक एल्बम पर पड़ी। धूल की एक हल्की परत उस पर जमी हुई थी। एल्बम के कवर पर कुछ लिखा हुआ था, जिसे भूषण ने मन ही मन में पढ़ा, ‘भूषण और रिनी…. the tale of endless love’
भूषण ने धीरे से एल्बम उठाया, मानो जैसे वह कोई बहुत भारी पत्थर उठा रहा हो। उसने जैसे ही पन्ने पलटना शुरू किया, रिनी के मुस्कुराते हुए चेहरे की तस्वीरें उसकी आँखों के सामने आ गईं। हर तस्वीर में भूषण और रिनी की वह दुनिया दिख रही थी, जो अब बिखर चुकी थी। तस्वीरों को देखकर भूषण के होंठों पर मुस्कान आई, लेकिन अगले ही पल उसकी आँखें आंसुओं से भीग गई। उसने खुद को संभालने की कोशिश में एल्बम बंद किया और बगल में रख दिया। उसके बाद भूषण ने कमरे में चारों तरफ़ देखा, हर तरफ सिर्फ और सिर्फ रिनी का सामान था, कहीं उसका स्कार्फ़ था तो कहीं पर उसके ब्रेसलेट। कमरे में मौजूद हर सामान को देखकर भूषण ने बुदबुदाते हुए कहा, ‘’मैं तुम्हें कैसे भूल जाऊँ रिनी, तुम तो हर जगह हो। क्यों? क्यों हर चीज़ मुझे तुम्हारी याद दिलाती है, रिनी? सब खत्म होने के बावजूद भी यह यादें क्यों नहीं जाती? क्यों यह मेरा पीछा नहीं छोड़ रही हैं। तुम मुझसे नफ़रत करती हो, लेकिन मैं तुमसे नफ़रत क्यों नहीं कर पा रहा हूँ।''
यह बात कहते हुए भूषण ने एक सिसकी भरी, लेकिन न जाने अगले ही पल उसके दिमाग में क्या आया। उसने तेज़ी से वह सारी चीज़ें इकठ्ठा करनी शुरू कर दीं और फ़िर उन्हें एक बड़े से carton में डाल दिया। उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह अपने दिल के हिस्से को अपने ही हाथों से अलग कर रहा हो। जैसे ही उसने बॉक्स बंद किया, उसने गहरी सांस ली। बॉक्स उठाकर एक खाली कमरे में ले गया, और उसे एक कोने में रख दिया। भूषण ने एक बार नज़र भरकर उस बॉक्स को देखा और अपनी भीगी हुई आँखें पोंछते हुए कहा, ‘’बस... अब यह यादें यहाँ बंद रहेंगी।''
भूषण ने यह कहते हुए कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। उसने अभी बाहर की तरफ़ मुश्किल से दो कदम ही रखे थे, लेकिन वह एक और कदम चलने की हिम्मत ही नहीं कर पाया। भूषण घूटनों के बल नीचे गिर पड़ा, उसकी आँखों से आँसू की नदियां बहने लगी और उसने हिचकियों के बीच रोते हुए कहा, ‘’क्यों किया तुमने ऐसा, रिनी? क्या कमी थी मेरे प्यार में? मैंने तो तुम्हें अपनी ज़िंदगी बना लिया था, पर तुमने मुझे सिर्फ दर्द दिया। तुम पहले मुझे एक अंधेरे से बाहर लेकर आई और अब तुमने मुझसे उससे भी ज़्यादा घने अंधेरे में ला पटका.. मैं कितना भी इस दर्द से पीछा छुड़ाने की कोशिश क्यों न कर लू, लेकिन हर चीज़ मुझे तुम तक खींच लाती है। तुम्हारी वजह से मैं खुद से नफरत करने लगा, लेकिन तुमसे नहीं कर पा रहा, पर अब नहीं..''
उसने रोते हुए अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया, मानो खुद से ही छुपने की कोशिश कर रहा हो। कुछ देर बाद, वह खुद को संभालते हुए उठा और आईने के सामने गया। आईने में उसका चेहरा थका हुआ और उदास दिख रहा था। गौर से देखने पर भूषण को आईने में अपने ही दो अक्स दिखाई दिए। पहला अक्स शांत और मुसकुराता हुआ था, जिसने भूषण को समझाते हुए कहा, ‘’रिनी से नफरत मत कर। अगर तुमने उसे सच्चा प्यार किया था, तो उसकी खुशी की दुआ कर, प्यार में बदला नहीं होता।''
भूषण ने कुछ सोचते हुए गहरी साँस ली, लेकिन तभी एक कठोर और तीखी आवाज़ भूषण के कानों में पड़ी। सामने देखा तो वह आवाज़ उसके दूसरे अक्स की थी, जिसने भूषण की आँखों में आँखें डालकर नफ़रत के साथ कहा, ‘’पागल मत बनो भूषण, इसकी बात मत सुनो। यह सब बकवास है, सारी लड़कियाँ एक जैसी होती हैं। रिनी ने तुम्हें धोखा दिया। जिसऔरत को तुमने माँ समझा, वह तुम्हें दुनिया में दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ गई। हर औरत ने तुम्हारे साथ गलत किया है, नफरत करो उनसे! वह सिर्फ तुम्हारी नफरत के लायक हैं, न प्यार के और न ही माफी के..
इस दूसरे अक्स की बात सुनकर भूषण का चेहरा उसी की तरह नफ़रत से भर गया। उसने आईने में अपने पहले अक्स को देखा, जो उसे माफ़ी का रास्ता चुनने को कह रहा था। भूषण ने उस आईने को देखा और फ़िर अचानक आईने के सामने रखे स्टूल को बहुत तेज़ उसमें दे मारा। पल भर में आईना चकना-चूर हो गया, भूषण ने उन टूटे हुए टुकड़ों को देखकर गुस्से में कहा, ‘’मैं किसी को माफ नहीं करूंगा, मुझे अब बस नफ़रत करनी है, (ज़ोर डालकर)मुझे नफरत ही करनी है… रिनी से, प्यार से, हर उस चीज़ से, हर उस इंसान से जिसने मुझे इस हालत में लाकर खड़ा कर दिया है। अब मैं खुद से वादा करता हूँ, मैं कभी किसी से प्यार नहीं करूँगा। कभी नहीं! जिन लोगों ने मेरे प्यार, मेरे साथ का मज़ाक बनाया, उसका फायदा उठाया, मैं उन सबकी ज़िंदगी को नर्क बना दूंगा। नर्क बना दूंगा…''
भूषण की आवाज़ कमरे में गूँजती रही, उसने मुट्ठियाँ भींच लीं और पीछे हट गया।उसने बैग उठाया और एक कोने में रख दिया। फिर उसने अपना फोन उठाया और एक नंबर डायल किया, कॉल कनेक्ट होते ही उसने कड़क आवाज़ में कहा, ‘’मुझे एक defamation और फ्रॉड केस दर्ज करवाना है, इतनी रात को फोन करने के लिए sorry, लेकिन as my legal advisor you have to help me..''
भूषण की बात सुनकर दूसरी तरफ से एक आदमी ने जम्हाई लेते हुए कहा “वह सब ठीक है पर केस किस पर करना है?” भूषण ने इस सवाल पर बिना रुके, अपनी आँखों में नफ़रत भरकर कहा, ‘’रिनी सब्बरवाल, और उसकी माँ, बाप और भाई। चार लोग, इन चारों ने पिछले पाँच साल में मुझसे दो करोड़ रुपए लिए हैं, अलग-अलग बहानों से, और वह पैसे अब तक वापस नहीं किए। इन लोगों ने मेरे workplace में मुझे परेशान किया और मेरी इमेज बिगाड़ने के लिए झूठे आरोप लगाए।''
भूषण की बात सुनकर दूसरी तरफ से एक हकलाती हुई फिक्रमंद आवाज़ आई, “भूषण तू ठीक है, यह सब अचानक क्यों कर रहा है। शांति से सोच, रिनी के साथ तुम्हारा रिश्ता था, अचानक यह सब...” उस आदमी ने अभी इतना ही कहा था कि भूषण ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा, ‘’अचानक नहीं, मैंने यह बहुत सोच-समझकर किया है। तुम फ़िक्र मत करो, इससे सिर्फ़ तुम्हारा ही नहीं, बल्कि तुम्हारी wife का भी फ़ायदा होगा, क्योंकि रिनी और क्षितिज का एक ऐसा सच मेरे पास है, जो उन दोनों को अर्श से फर्श पर ले आएगा और तुम्हारी पत्नी को फर्श से अर्श तक.. जानना चाहोगे?''
भूषण की यह बात सुनकर दूसरे आदमी ने कहा “ऐसा है क्या? तब तो जल्दी बताओ।” भूषण ने उसकी बात पर एक गहरी मुस्कान के साथ कहा, ‘’मालती कामत। इस औरत को ढूंढो, क्षितिज और रिनी से बहुत गहरा रिश्ता है इसका, खून से सना हुआ रिश्ता।''
यह बात कहते हुए भूषण के चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गई। उसने फोन काटकर ठंडी आवाज़ में कहा, ‘’तुमने अब तक सिर्फ मेरा प्यार देखा था, रिनी। अब तुम मेरी नफरत देखोगी।''
भूषण ने यह बात बोलकर ज़ोर-ज़ोर से हँसना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद भूषण अपने घर से बाहर निकला, और टैक्सी में बैठ गया। समय रात और सुबह के बीच का था। अंधेरा अभी पूरी तरह छंटा नहीं था, लेकिन हल्की रोशनी आसमान में दिखने लगी थी। सड़कों पर गाड़ियों की रौशनी दूर तक फैली हुई थी। भूषण टैक्सी में बैठा, चुपचाप खिड़की से बाहर देख रहा था। टैक्सी तेज़ी से एयरपोर्ट की ओर बढ़ रही थी, भूषण के मन में कई सवाल उमड़-घुमड़ रहे थे। उसने गहरी सांस ली और खुद से बुदबुदाया, ‘पता नहीं, यह सफर कैसा होगा। क्या सच में वहाँ जाकर मुझे सुकून मिलेगा या यह दर्द, यह बेचैनी, मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है?’
भूषण की आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसके भीतर की हलचल इतनी तेज़ थी कि खामोशी भी उसे चुभ रही थी। वह अपने ही आप में खोया हुआ था कि तभी टैक्सी अचानक झटके से एयरपोर्ट के सामने रुकी। भूषण ने गहरी सांस ली, अपना बैग उठाया और धीरे-धीरे अंदर की ओर बढ़ा। चेक-इन काउंटर पर पहुंचते ही उसने formalities को निपटाया और फिर सिक्योरिटी चेक के लिए लाइन में लग गया। लाइन में खड़े-खड़े भी उसका मन घबराहट से भरा हुआ था। जैसे-जैसे समय बीत रहा था, उसकी धड़कनें तेज़ होती जा रही थीं। वह बार-बार अपने बैग की स्ट्रैप को कसकर पकड़ लेता, आखिरकार उसने सिक्योरिटी चेक पूरा किया और boarding गेट की ओर बढ़ने लगा। boarding announcement के बाद भूषण ने गहरी सांस ली और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। खिड़की के पास की सीट पर बैठते ही उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, मन को शांत करने की कोशिश की, लेकिन यादों का सैलाब उसकी सोच को घेरने लगा। उसे याद आया कि 9 साल पहले एक ऐसी ही फ्लाइट थी, जब वह खिड़की पर बैठा था और लंदन से मुंबई का सफ़र तय कर रहा था। उसके हाथ पसीने से भीगे हुए थे और आँखों में आंसुओं की परछाई साफ दिखाई दे रही थी। उसने सिर झुकाकर खुद को संभालने की कोशिश की, तभी उसके बगल वाली सीट पर बैठी लड़की ने उसे देखा और concern के साथ कहा, ‘’क्या आप ठीक हैं?''
भूषण ने उसकी ओर देखा। वह लड़की लगभग उसकी ही उम्र की थी, हल्की सी मुस्कान और चेहरे पर अपनापन। भूषण ने नकली मुस्कान के साथ कहा, ‘’हाँ, मैं ठीक हूँ।''
भूषण का जवाब सुनकर रिनी हल्का सा मुस्कुराई, लेकिन फिर दोबारा बात छेड़ते हुए बोली, ‘’आपको देखकर लग नहीं रहा कि आप ठीक है। क्या आपको flights में डर लगता है। सॉरी, मैं इस तरह बार-बार पूछ रही हूँ, लेकिन जो मुझे लगा मैंने कह दिया।''
भूषण ने रिनी की तरफ़ देखा, रिनी की आँखों में अपनापन और मासूमियत थी। भूषण को उसकी आँखों में सच्चाई नज़र आई, उसने एक गहरी सांस लेकर कहा, ‘’मुझे flights से डर नहीं लगता था, डर लग रहा है किसी को खोने से... मेरे डैड, हॉस्पिटल में ऐड्मिट हैं। मुझे बस जल्द से जल्द उनके पास मुंबई पहुंचना है, यह ही सोचकर डर लग रहा है कि जिस हालत में मैं उन्हें छोड़कर आया था, वह अब वैसे नहीं होंगे। शायद आज इसलिए मुझे और भी ज़्यादा डर लग रहा है…''
रिनी ने थोड़ी देर चुप रहकर भूषण को देखा, और फिर बहुत प्यार से कहा, ‘’मेरी तरफ़ देखो, डरने की ज़रूरत नहीं है। बस मेरी तरफ देखो, गहरी सांस लो, सब ठीक हो जाएगा। वैसे आपका नाम क्या है?''
भूषण ने उसकी बात मानने की कोशिश की, लेकिन उसकी घबराहट कम नहीं हो रही थी। उसने थोड़ा रुककर कहा, ‘’मेरा नाम भूषण है, भूषण व्यास..थोड़ा अजीब लग रहा होगा आपको? मैं डर रहा हूँ, बिल्कुल बच्चों की तरह..''
भूषण की बात सुनने के बाद रिनी ने उसकी तरफ़ देखा, और मुस्कुराते हुए उसका हाथ पकड़ कर बोली, ‘’डर से लड़ने का यही तरीका है, भूषण, बस मेरी बात मानो और गहरी सांस लो। सब कुछ ठीक हो जाएगा। तुम बस मुझे बताओ अपने डैड के बारे में, या जो भी तुम चाहो.. बात करोगे तो ध्यान भटकेगा..''
कुछ देर बाद भूषण ठीक महसूस करने लगा। उसने रिनी की बात मानते हुए कहा, ‘’कुछ है ही नहीं बताने को....जो कुछ हैं डैड हैं, उनके अलावा मेरा इस दुनिया में कोई नहीं। सब वह ही हैं...कोई रिश्ता नहीं है मेरे पास उनके अलावा। ज़्यादा लोगों के करीब भी नहीं आता, क्योंकि जितने ज़्यादा लोग होते हैं, उतनी दिक्कत.. मेरे डैड को ही देख लो, मुझे समझ नहीं आता, उन्होंने शादी क्यों की थी? न वह खुद खुश रहे, न उनका पार्टनर। न जाने क्यों लोग यह सब करते हैं, क्यों जबरदस्ती रिश्तों में बंधते हैं.. और फ़िर बंधने के बाद एक दिन अचानक उसे तोड़ देते हैं..''
भूषण की बात पर रिनी ने उसे शांत करने की कोशिश की, और फिर एक मुस्कान के साथ कहा, ‘’लोगों की तरह रिश्तों की भी एक एक्सपायरी डेट होती है। हमें बस यह समझना चाहिए कि कब सब खत्म कर देना चाहिए, शायद तुम्हारे मॉम् डैड ने वही सोचा हो। एक जबरदस्ती का रिश्ता क्यों ढोना..और जानते हो, हर किसी को अपनी खुशी चुनने का अधिकार है, तुम्हें भी और उन्हें भी…''
भूषण ने रिनी की ओर देखा, उसकी बातों में गहराई थी, लेकिन उस वक्त वह इतना टूटा हुआ था कि उसका दिल मानने को तैयार नहीं था। ठीक ऐसा ही कुछ भूषण आज भी महसूस कर रहा था, लेकिन फर्क बस इतना था कि उसके पास कोई नहीं था। न रिनी न कोई और..एक झटके के साथ भूषण ने अचानक अपनी आँखें खोल दीं, उसने इधर-उधर देखा। फ्लाइट लैंड कर चुकी थी, लोग धीरे-धीरे अपनी सीटों से उठ रहे थे। भूषण ने खुद को संभाला और महसूस किया कि उसकी बगल वाली सीट खाली थी। उसने अपने दोनों हाथों को कसकर पकड़ा हुआ था, ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने अभी भी उसका हाथ थाम रखा हो। उसने एक लंबी सांस ली और अपने बैग को उठाकर बाहर निकलने के लिए तैयार हो गया। फ्लाइट से उतरते ही भूषण अपना luggage लेकर बाहर गया, बाहर गाड़ियों की भीड़ थी, बहुत से लोग अपने हाथों में nameplate लेकर खड़े थे, उन्हीं में से एक nameplate पर भूषण ने अपना नाम लिखा देखा.. भूषण ने उस आदमी की तरफ देखकर अपना हाथ हिलाया और उसके करीब जाकर कहा, ‘’आपकी car कहाँ है?''
उस आदमी ने भूषण की तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए भूषण को अपने पीछे आने का इशारा किया। पार्किंग में खड़ी गाड़ी में उसने भूषण को बैठने को कहा और फिर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया, उसके बाद उस आदमी ने भूषण को एक पानी की बॉटल पकड़ाई और एक मास्क देकर कहा “सर, दिल्ली में इसके बिना काम नहीं चलेगा आप मास्क लगा लीजिए..” भूषण ने उसकी तरफ देखा और मास्क लेकर लगा लिया। कुछ ही देर बाद भूषण को महसूस हुआ कि उसकी आँखों में नींद भरने लगी थी, भूषण ने अपनी आँखों को मलते हुए आदमी से पूछा, ‘’मुझे इतनी नींद आ रही है..''
भूषण अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाया था कि अचानक वह ढ़प से गाड़ी की सीट पर गिर गया, और सामने बैठे ड्राइवर के चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गई। उसने पीछे मुड़कर देखा और कहा “जानता था पानी नही पियोगे, इसलिए मैंने मास्क पर ही बेहोशी की दवा डाल दी..अब आएगा मज़ा..”
आखिर क्या होने वाला है भूषण के साथ? क्या यह आदमी भूषण को पहुंचाएगा उसकी मंजिल तक या भूषण घिर जाएगा किसी नई मुसीबत में? क्या रिनी परेशान होकर आएगी भूषण के पास? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।
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