भूषण breakup रिज़ॉर्ट के लिए निकल गया था। फ्लाइट के दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड होते ही भूषण को एक टैक्सी ड्राइवर मिला। वह उसकी गाड़ी में बैठ तो गया, लेकिन इस बात का अंदाजा उस वक्त भूषण को नहीं था कि यह सफ़र उसके लिए आसान नहीं होगा। वह गाड़ी में बैठने के कुछ देर बाद ही बेहोश हो गया था और जब उसे होश आया, तो उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाया हुआ था। उसने महसूस किया कि उसकी आँखों पर किसी ने काली पट्टी बांध रखी थी। हाथ बंधे हुए थे और शरीर पर कपड़े भी नहीं थे। उसे अपने हाथ और पैर पर बंधी रस्सियों का तनाव महसूस हो रहा था, जिसकी वजह से वह हिल-डुल भी नहीं पा रहा था। चारों तरफ गहरी खामोशी थी, हवा तक के चलने की आवाज़ नहीं आ रही थी। भूषण ने अपने पास कोई हलचल न पाकर डरते हुए कहा, ‘’कोई है? मैं कहाँ हूँ?''

भूषण ने बहुत ज़ोर लगाकर यह  बात कही लेकिन उसकी आवाज़ जैसे किसी दीवार से टकराकर उसी तक लौट आई। उसने एक बार फिर, गहरी सांस ली और गुस्से में चिल्लाया, ‘’कोई है? जवाब दो! यह  सब क्या हो रहा है? मैंने अविनाश को कहा था, यह सब नहीं करते, लेकिन उसने ज़बदस्ती… वह हरामी ड्राइवर मुझे पता नहीं कहाँ ले आया है। कोई है.... कोई है…''

भूषण की आवाज़ गूंज रही थी, जिससे उसे एहसास हुआ कि यह  जगह कोई खुला मैदान या जंगल नहीं था।  बल्कि ऐसा लग रहा था मानो वह किसी बड़ी बंद जगह में हो। उसकी तेज़ आवाज़ सुनकर अचानक, खामोशी को तोड़ते हुए, कहीं से एक हड़बड़ाई हुई आवाज़ आई, ‘’हाँ... कौन है? कौन है यहाँ?''

यह आवाज़ सुनकर भूषण का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसे महसूस हुआ कि वह यहाँ अकेला नहीं है। कोई और भी था यहाँ… तो अब तक भूषण की बात का जवाब क्यों नहीं दिया। उसने घबराते हुए पूछा, ‘’तुम कौन हो? तुम्हें मेरी आवाज़ पहले क्यों नहीं सुनाई दी?''

वह शख्स कुछ देर खामोश रहा, फिर घबराकर बोला, ‘’तुमने कहा कि ड्राइवर, क्या तुम्हें भी कोई ड्राइवर यहाँ लेकर आया है?''

भूषण को उस शख्स की बात सुनकर झटका लगा, उसने जल्दी से पूछा, ‘’तुम्हें भी? मतलब? क्या तुम्हें भी यहाँ इसी तरह लाया गया है, आँखों पर पट्टी बांधकर और हाथ बंधे हुए?''

राघव(खीजते हुए)- और क्या? मुझे भी उसी तरह यहाँ लाया गया है। मैं कुछ देर पहले उठा था, चिल्लाया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। यह किसी अगवा करने वाले गिरोह का काम है। देखना, अब यह  लोग हमारे घरवालों को फोन करेंगे और फिरौती मांगेंगे। ओह, मेरे पापा तो मुझे मार ही डालेंगे... एक फ्रॉड रिसॉर्ट के चक्कर में फँस गया मैं।

भूषण को उसकी बात पर हैरानी हुई। उसने जल्दी से पूछा, ‘’क्या तुम भी ब्रेकअप रिज़ॉर्ट जा रहे थे?''

भूषण की बात सुनकर वह  शख्स कुछ देर चुप रहा। भूषण को कुछ अजीब लगा तो उसने फिर पूछा, ‘’कोई है?''

भूषण ने सवाल पर उसके साथ मौजूद शख्स ने चौंकते हुए कहा, ‘’मैं यहीं पर हूँ, बस तुम्हारी आवाज़ से दिशा समझने की कोशिश कर रहा हूँ, ताकि तुम्हारे पास आ सकूँ। हाँ, तुम्हारे सवाल का जवाब, मैं भी उसी रिज़ॉर्ट में जा रहा था।''

भूषण उसकी बात सुनकर सोच में पड़ गया। उसने हाथ खोलने की कोशिश करते हुए कहा, ‘’पर तुम यह कैसे....  कैसे कह सकते हो कि हमें किडनैप ही किया गया है? शायद कुछ और हो…''

राघव(तंज कसते हुए)- तो तुम्हें क्या लगता है, भाई? हमारे साथ क्या हुआ है? आँखों पर पट्टी बंधी है, बदन पर कपड़े नहीं हैं, और यह ट्रक…

राघव ने जैसे ही ट्रक कहा, भूषण के कान खड़े हो गए। उसने अपने हाथों को रोका और फिर चौंकते हुए पूछा, ‘’ट्रक? मतलब?''  

राघव(बिना किसी हैरानी के)- हाँ भाई! हम इस वक्त एक बड़े कंटेनर ट्रक में हैं। क्या तुम्हें एहसास नहीं हुआ?

भूषण(हैरानी से)- मुझे तो लगा था कि हम किसी कमरे में हैं।

राघव(समझाते हुए)- नहीं, नहीं। यह एक कंटेनर ट्रक है। तुमने महसूस नहीं किया, क्योंकि इन्होंने ट्रक के नीचे मोशन रेसिस्टेंस शीट लगा रखी है। हमारी कारों में भी ऐसी शीट लगाते हैं।  

राघव बोले ही जा रहा था, भूषण इस चीज़ से परेशान हो गया। उसने चिढ़ते हुए राघव को चुप कराते हुए कहा, ‘’ओह! चुप रहो! पहले क्यों नहीं बताया कि हम ट्रक में हैं? मुझे लगा था कि हम किसी कमरे में हैं। अब मुझे सच में लग रहा है कि हमें किडनैप कर लिया गया है। मुझे पूरा यकीन है कि मेरे जान पहचान के लोगों ने ही ऐसा किया है। क्षितिज, मैं तुझे छोड़ूँगा नहीं। अविनाश... तुझे भी उसने अपने साथ मिला लिया।''

भूषण को बड़बड़ाता हुआ देख राघव कुछ देर के लिए चुप हो गया। फिर कुछ देर बाद चौंकते हुए बोला, ‘’वैसे यह क्षितिज और अविनाश कौन हैं?''

भूषण(थोड़ी देर रुककर)- कोई नहीं..  (परेशान होकर) वैसे क्या तुम्हारे हाथ भी बंधे हुए हैं? और कपड़े नहीं हैं?

राघव(चिढ़ते हुए)- भाई! अगर मेरे हाथ खुले होते और आँखों पर यह  पट्टी नहीं होती, तो मैं पहले तुम्हें खोल देता। तुम अपने सारे सवाल पूछ रहे हो, मेरे सवालों का जवाब बहुत ऐंठ के साथ दे रहा हो, पहले यह  बताओ, तुम्हारा नाम क्या है?

भूषण(गहरी सांस लेकर)- भूषण। और तुम्हारा?  

राघव- राघव जावेरी।

भूषण ने राघव की बात पर सिर झुकाकर बुदबुदाते हुए कहा, ‘’ठीक है, राघव। अब हमें सोचने की ज़रूरत है। क्या तुम्हारे पास कोई आइडिया है?''

राघव(गहरी सांस लेकर)- वैसे मैं बहुत स्मार्ट हूँ, पर नहीं....मेरे पास कोई idea नहीं।  

भूषण ने राघव का जवाब सुनकर मुंह बना लिया। जहां एक तरफ भूषण और राघव एक परेशानी में फंसे थे तो वहीं दूसरी तरफ मुंबई में रिनी की सुबह भी थोड़ी डरावनी होने वाली थी। सूरज की हल्की-हल्की रोशनी खिड़कियों से अंदर झाँक रही थी, रिनी अपने बेडरूम में बैठी थी, और आईने में खुद को निहार रही थी। उसके सामने एक चाय का कप रखा था, उसने अपने बाल पीछे समेटे और चाय का कप हाथ में लेकर कुछ सोचने लगी। वह  सोच में डूबी चाय की चुसकियाँ ले रही थी कि तभी अचानक उसका फोन बज उठा, उसने स्क्रीन पर नजर डाली, नंबर अनजान था। कुछ पल के लिए उसने फोन को अनदेखा करने की कोशिश की, लेकिन फोन लगातार बजता रहा। झुंझलाते हुए उसने कॉल उठाई और कहा, ‘’हैलो... कौन?''

जहां रिनी ने भड़कते हुए यह  सवाल किया था, वहीं दूसरी तरफ से एक शांत, लेकिन ठहरी हुई आवाज़ आई, “हैलो रिनी, कैसी हो?” रिनी ने यह  अनजान आवाज़ सुनकर एक बार फिर से फोन देखा, फिर उसे वापस कान पर लगाकर बोली, ‘’कौन बोल रहा है? क्या मैं आपको जानती हूँ...''

रिनी के सवाल पर दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, “मैं टीवी न्यूज़ से आँचल सिन्हा बोल रही हूँ। हमें आपके बारे में एक खबर मिली है, लेकिन उसे पब्लिश करें या नहीं, इसका जवाब आप हमें देंगी” उस लड़की की यह  बात सुनकर रिनी ने एक बार फिर झटके से फोन की स्क्रीन की तरफ देखा, जैसे वह  यकीन करना चाहती हो कि यह  कॉल असली है या कोई मजाक। रिनी ने चिढ़ते हुए कहा, ‘’कौन हो तुम? यह  कोई प्रैंक है ना? ऐसी क्या खबर मिल गई तुम्हें?

रिनी के सवाल पर दूसरी तरफ कुछ शांति रही, जिसपर रिनी ने खुद अंदेशा लगाते हुए कहा, ‘’ओह, अब समझी। शायद आपको मेरी और क्षितिज  की इंगेजमेंट फोटोज़ और एक वीडियो के बारे में पता होगा, जिसमें एक पागल आदमी ने मेरे सिर पर बंदूक तान रखी थी। वह सब फ़ोटोज़ तो हर जगह है उसके पैसे क्यों दूँ मैं तुम्हें? जो करना है करो...''

उसने फोन काटने की कोशिश की, लेकिन तभी दूसरी तरफ से आवाज़ आई, “मालती कामत... इनसे जुड़ी खबर का क्या करें? उसकी तस्वीरें तो अब तक किसी ने नहीं दी, चलो एक काम करती हूँ पहले इस बारे में क्षितिज जी से पूछ लेती हूँ”। मालती कामत का नाम सुनकर ही रिनी का चेहरा सफेद पड़ गया, उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने तुरंत फोन काट दिया और कुछ देर तक स्तब्ध बैठी रही। फिर उसने हड़बड़ाते हुए क्षितिज को फोन लगाया। क्षितिज के फोन उठाते ही रिनी ने घबराते हुए कहा, ‘’क्षितिज... तुम कहाँ हो?''

क्षितिज ने चौंकते हुए कहा “ऑफिस में हूँ। क्यों, क्या हुआ? तुम घबराई हुई लग रही हो।” रिनी ने हिचकिचाते हुए कहा, ‘’नहीं, नहीं... मैं घबराई नहीं हूँ। बस यह पूछना था, क्या तुम्हें किसी जर्नलिस्ट का फोन आया?''

क्षितिज रिनी के सवाल पर चौंका ज़रूर, लेकिन उसने फिर बेफ़िक्री के साथ कहा “नहीं, अब तक तो नहीं। और जानू, मेरी टीम ऐसे मामलों को संभाल लेगी। तुम इतनी परेशान क्यों हो?” क्षितिज की बात सुनकर रिनी ने एक राहत की सांस ली और फिर कहा, ‘’कुछ नहीं... मुझे बस एक बुरा सपना आया था। लगा जैसे कोई हमारे रिश्ते को तोड़ने की कोशिश कर रहा है।''

क्षितिज ने हँसते हुए कहा “रिनी, मेरी जान, ऐसा कभी नहीं होगा। तुम फिक्र मत करो। यह  स्ट्रेस की वजह से है। तुम मगर जानती हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, और मैं तुमसे प्यार करता हूँ।” रिनी ने मुस्कुराते हुए साथ थोड़ी हड़बड़ाहट से कहा, ‘’हाँ, मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ, अच्छा, मैं थोड़ी देर में तुम्हें कॉल करती हूँ।''

रिनी ने फोन काट दिया और एक गहरी सांस ली। उसने मन ही मन कहा, शुक्र है, क्षितिज तक फोन नहीं पहुँचा। अगर पहुँच गया, तो मुसीबत हो जाएगी, मुझे यह  सब सॉर्ट करना होगा, जल्द से जल्द।

रिनी ने इतना सोचते हुए तुरंत उसने अपने भाई अंकुश को फोन लगाया। फोन दो बार कट गया, लेकिन तीसरी बार अंकुश ने अलसाई आवाज़ में फोन उठाया। “क्या है दीदी? क्यों सुबह-सुबह नींद खराब कर रही हो?”  अंकुश की बात सुनकर रिनी ने गुस्से में कहा, ‘’नींद तो तेरी दिन-रात की खराब होने वाली है, अंकुश। किसी पागल जर्नलिस्ट को तेरे कांड के बारे में पता चल गया है, एक्सिडेंट के बारे में।  उसने मालती कामत का नाम लिया।''

रिनी की बात सुनकर अंकुश की नींद उड़ने में एक सेकंड नहीं लगा, उसने चौंकते हुए कहा “क्या? तुमने तो कहा था कि तुमने उस औरत को पैसे दे दिए हैं। फिर कैसे?”  रिनी ने उसपर चिल्लाते हुए कहा, ‘’मुझे नहीं पता। बस इतना जानती हूँ कि वह  पैसे कहाँ से आए और क्यों आए। तुम सब जानते हो, क्योंकि जो किया तुमने किया। एक्सिडेंट क्यों हुआ, यह  भी तुम जानते हो।  अगर यह  बात क्षितिज तक पहुँची, तो सब खत्म हो जाएगा। जिस मखमल के बिस्तर पर तू सो रहा है, वह  काल कोठरी की ज़मीन बन जाएगी।''

रिनी की बात पर अंकुश को भी गुस्सा आ गया, उसने रिनी को उसी की भाषा में जवाब देते हुए कहा अंकुश “ओ मैडम, मैं जेल गया ना, तो तुम भी जाओगी। इसलिए धमकी मत दो। समझी? रास्ता बताओ। अगले महीने मेरी नहीं, तुम्हारी शादी है। उसी आदमी से, जिसकी ज़िंदगी में  तुमने कांटे बो दिए और फिर बहार बनकर खुद उसकी ज़िंदगी में गई। समझ आया, या सीधे लफ़्ज़ों में समझाऊँ”।  रिनी ने घबराहट के बावजूद अपने गुस्से को दबाते हुए कहा, ‘’बकवास बंद करो, जानते हो न किस से बात कर रहे हो? खैर.... मैं एक नाम और नंबर तुम्हें भेज रही हूँ, उसके बारे में पता करो।''  

इतना कहते हुए रिनी ने एक नाम अंकुश को बताया और फोन काट दिया। फिर उसने दीवार पर लगी अपनी और क्षितिज की तस्वीर को देखा और बुदबुदाई, ‘मैं सब इतनी आसानी से बर्बाद नहीं होने दूँगी। बहुत मेहनत की है मैंने यहाँ तक पहुँचने के लिए।’

जहां एक तरफ रिनी का अतीत उसे डरा रहा था तो वहीं दूसरी तरफ, एक ट्रक के अंदर भूषण और राघव अंधेरे में संघर्ष कर रहे थे। दोनों ने अपने हाथ खोलने की बहुत कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। राघव ने झल्लाते हुए कहा, ‘’भाई, तुम्हारे हाथ खुले नहीं अभी तक?''

भूषण(तंज कसकर)-- नहीं! मेरे हाथ अगर खुले होते, तो क्या तुम्हें नहीं खोल देता?

राघव(डरकर)- फिर अब क्या करेंगे?"  

भूषण आगे कुछ कह पाता कि तभी अचानक ट्रक रुक गया। दोनों को झटका लगा, जिससे वे आगे की तरफ खिसक गए।  राघव के चेहरे पर पहले तो मुस्कान आई, लेकिन फिर वह  हैरानी से डरते हुए बोला, ‘’भूषण भाई! ट्रक रुक गया। अब लगता है कि यह  लोग हमें अपने ठिकाने पर ले आए हैं..''

राघव की बात खत्म भी नहीं हुई थी कि दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। ठंडी हवा का एक तेज़ झोंका अंदर आया, जिसने दोनों को सिहरा दिया। कोई बिना आवाज़ के अंदर आया और दोनों के हाथ खोलते हुए सख्त लहज़े में कहा, “कोई होशियारी नहीं, वरना भेजा फ्राई हो जाएगा। जल्दी से यह  कपड़े पहनो और आँखें खोलने की कोशिश मत करना” एक आदमी ने आकर राघव और भूषण के हाथ खोलकर उनके हाथों में कपड़े थमा दिए।  राघव ने कपड़ों को एक तरफ किया और उस आदमी के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘’भाई, सुनो ना। बताओ, तुम्हें क्या चाहिए? मैं पहले ही बता दूँ, मेरे पास कुछ भी नहीं। मैं तो अनाथ हूँ…''

भूषण (गुस्से में)- तुम्हें क्षितिज ने यह  सब करने के लिए कहा है, ना? मैं जानता हूँ।

राघव और भूषण की बात पर उनमें से एक आदमी ठंडी आवाज़ में बोला, "जितना बोलना है, बोल लो। क्या पता यह  शब्द तुम्हारे आखिरी हों” आदमी की बात सुनकर दोनों डर से सहम गए, कपड़े पहनने के बाद उन्हें ट्रक से बाहर निकाला गया। ठंडी हवा ने उन्हें घेर लिया।  कुछ देर चलने के बाद आदमी ने आखिरकार, उन्हें रुकने का आदेश दिया गया और कहा अपनी पट्टी खोलो..जैसे ही भूषण और राघव ने अपनी आँखों से पट्टी हटाई, उनकी आँखें फटी की फटी रह गई, क्योंकि वह एक पहाड़ी के किनारे खड़े थे।

आखिर भूषण और राघव के साथ क्या होगा?  रिनी का अतीत कितनी दूर तक उसका पीछा करेगा? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग। 

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