भूषण इस वक्त एक अनजान आदमी के साथ एक पहाड़ी पर मौजूद था। उन दोनों को वहाँ लाने वाले आदमियों के चेहरों पर नकाब थे, और कहीं न कहीं भूषण यह  समझ गया था कि अब आगे उनके साथ क्या होने वाला था। भूषण और राघव दोनों के चेहरे पर डर और हैरानी थी, भूषण ने यहाँ लाने वाले लोगों से सवाल करना चाहा लेकिन इससे पहले कि भूषण उनकी तरफ़ मुड़ पाता, उन आदमियों ने भूषण और राघव को धक्का दे दिया। धक्का लगने से भूषण और राघव के पैर डगमगा गए और वह पहाड़ी से लुढ़क गए। दोनों तेज़ी से पहाड़ी से नीचे गिर रहे थे, तेज़ हवाएँ उनके चेहरे और शरीर पर चोट कर रही थीं। नीचे सिर्फ एक अंतहीन खाई दिख रही थी, दोनों को लग रहा था कि अब उनका अंत आ चुका है। उनकी चीखें हवा में गूँज रही थीं, और दिल में सिर्फ डर और पछतावा था।  राघव ने चिल्लाते हुए कहा, भगवान! मुझे बचा लो! मैं वादा करता हूँ... अब से कभी पापा को ठेस नहीं पहुंचाऊँगा, उनकी सारी बातें मानूँगा....

राघव की आवाज़ में डर के साथ पछतावा भी था, उसके मुँह से निकलने वाला हर शब्द उसके पिछले पापों का हिसाब चुकाने जैसा लग रहा था।  दूसरी ओर, भूषण ने अपनी आँखें कसकर बंद कर रखी थीं। हवा की ठंडक उसकी आत्मा तक घुस चुकी थी, और उसकी आँखों के सामने उसकी पूरी ज़िंदगी किसी फिल्म की तरह घूम रही थी।  उसे वह दिन याद आया, जब वह सिर्फ सात साल का था। उसने अपनी माँ को घर छोड़ते हुए देखा था, उसकी नन्ही आँखों में आँसू थे। उसने अपनी माँ का पल्लू पकड़कर रोते हुए कहा था, ‘’माँ! मत जाओ! मुझे मत छोड़ो!''

भूषण को अपना वह रोता हुआ चेहरा याद आया, लेकिन उसके आंसुओं के बावजूद उसकी माँ ने उसकी ओर देखा तक नहीं, इसके बाद, उसने अपने डैड का चेहरा देखा। वह पल, जब उसके पिता ने उसे उसकी पहली बाइक दी थी। उस दिन उसके चेहरे पर जो मुस्कान थी, वह अब तक किसी कोने में दबी हुई थी। फिर उसे वह पल याद आया, जब उसने यूनिवर्सिटी में टॉप किया था और उसे स्टेज पर बुलाया गया था, उसने इन पलों को याद करते हुए दुख भरी मुस्कान के साथ कहा, ‘’ज़िंदगी के हर मोड़ पर मैंने किसी न किसी को खोया है। और जो बचा... वहसिर्फ मैं था। लेकिन... मैं कभी यह  समझ ही नहीं पाया।''

उसकी आँखों के सामने चमकती तस्वीरें धुंधली पड़ने लगीं, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। अचानक उसने महसूस किया कि उसका शरीर नीचे गिरने के बजाय ऊपर की ओर खिंच रहा है। ऐसा ही कुछ राघव के साथ भी हुआ और उसने चिल्लाते हुए कहा, ‘’भूषण भाई! हमारे पास पैराशूट है! देखो, ऊपर देखो!''  

भूषण ने हड़बड़ाते हुए ऊपर देखा। पैराशूट की रस्सियाँ उनके शरीर को कसकर थामे हुए थीं। उसकी जान में जान आई, लेकिन राहत की इस लहर के बीच अचानक उन्हें एक और अजीब आवाज़ सुनाई दी। वह आवाज़ किसी दरवाजे के खुलने जैसी थी। दोनों ने आवाज़ की दिशा में नीचे देखा, अब तक जो गहरी खाई लग रही थी, वह धीरे-धीरे दो हिस्सों में बंटने लगी। बीच में से एक सपाट मैदान सा दिखाई दिया। जिसे देख राघव ने घबराते हुए कहा, ‘’भूषण भाई, यह  क्या हो रहा है? कहीं दुनिया खत्म तो नहीं होने वाली? यह  सब क्या है?''  

भूषण ने अपने डर को काबू में रखते हुए गहरी सांस ली और कहा, ‘’नहीं, राघव। यह दुनिया खत्म नहीं हो रही, यह स्पेशल effects से बनाया गया एक भ्रम, एक illusion है, यह कोई खाई नहीं...बल्कि एक बड़ा सा ग्राउन्ड है, जिसके ऊपर इन्होंने इस तरह की थ्री डी effects वाली स्क्रीन लगाई हुई है, और ऐसी ही स्क्रीन देखो, वहाँ भी है... वह  झरना हमेशा एक ही दिशा में गिर रहा है, उसकी धार बस उन्हीं पत्थरों को छू रही है। यह  सब नकली है..''

राघव(हैरान-परेशान)- भ्रम? अच्छा...हाँ शायद मैंने इसके बारे में पहले भी एक फिल्म में देखा है, लेकिन तुम्हें यह सब कैसे पता?

राघव के सवाल पर भूषण चुप रहा, क्योंकि वह अभी अपने प्रोफेशन के बारे में नहीं बताना चाहता था। वहीँ राघव अपने आसपास फैले इस टेक्नॉलजी के चमत्कार को ध्यान से देख रहा था। अब उसे भी समझ आ रहा था कि उनके सामने जो कुछ भी है, वह किसी तरह का illusion है, दोनों अब उस सपाट मैदान की ओर धीरे-धीरे बढ़ने लगे। जैसे ही उनके पैर जमीन से टकराए, एक जोरदार झटके के साथ वे नीचे गिर पड़े। दोनों हांफते हुए उठने की कोशिश कर रहे थे।  तभी अचानक, चारों ओर ताली बजने की आवाज़ें गूँज उठीं। भूषण और राघव ने चारों ओर देखा, कुछ लोग उनके चारों ओर खड़े होकर तालियाँ बजा रहे थे। उनके चेहरे पर अजीब-सी मुस्कान थी, भूषण की नजर उन लोगों के हाथ में पकड़े बैनर पर पड़ी, उसने जोर से पढ़ा

भूषण (जोर से पढ़ते हुए) - ब्रेकअप रिज़ॉर्ट में आपका स्वागत है.... (खुद से ) तो यह  सब इन लोगों ने करवाया ???

राघव (चिल्लाते हुए)- यह इनके स्वागत करने का तरीका है? जान निकाल दी हमारी!

राघव के चिल्लाने के बावजूद वहाँ खड़े सभी लोग अपने चेहरे पर मुस्कान लिए खड़े रहे। उन सबकी यह हँसती-मुसकुराती शक्ल देखकर भूषण गुस्से में आगे बढ़ा और भड़कते हुए बोला

भूषण(गुस्से में)- मैंने इस ड्रामे के लिए पैसे नहीं दिए हैं! यह सब कितना खतरनाक था, कोई idea है आप लोगों को? अगर कुछ हो जाता, तो कौन जिम्मेदार होता?

उन दोनों की शिकायतों का किसी ने जवाब नहीं दिया। उन लोगों में मौजूद दो लड़कियां ट्रे लेकर राघव और भूषण के पास आई और उस पर से नारियल पानी के गिलास राघव और भूषण को थमा दिए।  राघव ने गिलास को घूरकर देखा, फिर नाराज़गी से बोला, ‘’राघव (चिढ़ते हुए)-  यह  सब क्या था? आप लोग ऐसे किसी का स्वागत करते हैं? पहले जान गले में अटका दो, फिर मस्त नारियल पानी पिलाओ..''

राघव अपने सवाल पर जवाब की उम्मीद कर रहा था, लेकिन लड़कियाँ बिना कुछ कहे वापस चली गईं। जिसपर भूषण ने गुस्से में कहा, ‘’यह पूरा सेटअप ही अजीब है, मुझे मेरा रिफंड चाहिए.. यह बहुत बुरा काम कर रहे हैँ।

 

भूषण और राघव का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचता जा रहा था कि तभी, एक अधेड़ आदमी की आवाज़ उनके कानों में आई, उसने आत्मविश्वास के साथ कहा “या शायद, हम यहाँ कुछ बहुत अच्छा कर रहे हैं”  भूषण और राघव ने उस आवाज़ की दिशा में देखा, वहाँ से सफेद पोशाक पहने, एक बूढ़ा आदमी बेहद धीमी चाल से उनकी ओर बढ़ रहा था। उसने झुककर दोनों को नमस्ते किया और कहा,  “उम्मीद है, आपको ज़्यादा परेशानी नहीं हुई होगी” उसकी बात सुनकर राघव ने उसके सामने जाकर कहा, ‘’परेशानी? बहुत परेशानी हुई। हमें किडनैप करके यहाँ लाने का क्या मतलब है?''

भूषण ने राघव को पीछे हटाया और उसकी बात काटते हुए कहा, ‘’यह  लोग हमारी बातों का जवाब क्यों नहीं दे रहे? क्या इसी तरह हमें रखा जाएगा…''

भूषण के सवाल पर बूढ़े आदमी ने शांत लहज़े में कहा,  “आज हमारे स्टाफ का मौन व्रत है। इसलिए वे बात नहीं कर सकते” भूषण ने इस बात पर बहुत गुस्से में कहा, ‘’मुझे इस प्रोग्राम से कोई लेना-देना नहीं है। मुझे मेरा रिफंड चाहिए।''

भूषण की बात पर बूढ़े ने मुस्कुराते हुए कहा,  “क्या आपने टर्म्स एंड कंडीशंस पढ़े थे मिस्टर व्यास?” भूषण ने उसकी बात पर चिढ़ते हुए कहा, ‘’हाँ, पढ़े थे, लेकिन उसमें यह नहीं लिखा था कि हमें किडनैप किया जाएगा।''

भूषण की बात पर बूढ़ा आदमी मुस्कुराते हुए हल्की आवाज़ में बोला,  “हम आपकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रख रहे थे। आपके साथ हमारे डॉक्टर भी थे, यकीन मानिए, आपको यहाँ कोई तकलीफ नहीं होगी, स्टाफ मेम्बर आप लोगों को आपके रूम तक ले जाएंगे। आप वहाँ जाकर आराम कीजिए, वहीं आपका सारा सामान होगा। एक बार आप ओरीएन्टेशन में आ जाईए, यहाँ रहने या यहाँ से जाने का फैसला उसके बाद करिएगा।” उस आदमी की बात सुनकर राघव ने भूषण की तरफ देखा। इसके बाद वह बूढ़ा आदमी अपने एक स्टाफ मेम्बर को इशारा करते हुए वापस अंदर चला गया। स्टाफ मेम्बर ने राघव और भूषण को जिस तरफ चलने का इशारा किया, वहाँ सामने एक दीवार थी। भूषण ने स्टाफ मेम्बर की तरफ देखकर हैरानी से कहा, ‘’क्या यह दीवार तोड़कर जाना होगा…''

भूषण के इस सवाल पर सामने एक दरवाज़ा खुल गया, दोनों ने एक-दूसरे की ओर अनजाने डर के साथ देखा। स्टाफ मेम्बर ने दोनों को हैरान देख मुस्कुराते हुए कहा “डरिए मत, रिज़ॉर्ट का यह हिस्सा सिर्फ adventures के लिए है, यहाँ आपको वापस कभी नहीं लाया जाएगा। रिज़ॉर्ट का मुख्य भाग तो वह है, जहां हम अब जा रहे हैं”। भूषण और राघव ने उस आदमी की बात सुनकर बिना कुछ कहे उसके पीछे-पीछे चलना शुरू कर दिया। अंदर जाते वक्त भूषण और राघव को महसूस हुआ कि उनका यह  सफर तो अभी शुरू हुआ था, यह जगह जितनी सुंदर दिख रही थी, उतनी ही डरावनी और रहस्यमय भी थी। अंदर जाने के बाद राघव और भूषण अपने-अपने रूम्स में गए। कमरा बेहद साफ-सुथरा और व्यवस्थित था। दरवाजे के पास ही एक छोटी अलमारी थी, जिसमें उनके कपड़े और बाकी सामान सलीके से रखा हुआ था। भूषण ने कमरे का एक सरसरी मुआयना किया, दीवारें सफेद और खाली थीं, लेकिन उन्हें देखने से एक अजीब सी शांति मिल रही थी।  दीवार पर एक बोर्ड भी लगा था, जिसपर भूषण का दिन भर का schedule लिखा हुआ था। भूषण ने उसे पढ़ना शुरू किया और बोला, ‘’6:30 – स्नान, 7:00 – ओरिएंटेशन रूम,  8:30 – पर्सनल सेशन''

भूषण ने शेड्यूल को ध्यान से देखा, फ़िर कुछ सोचते हुए कमरे में चारों तरफ़ देखने लगा, जैसे कुछ ढूंढ रहा हो। ऐसा करने के बाद वह अपने बेड पर बैठा और फ़िर गहरी सांस लेकर बोला, ‘’यहाँ कोई घड़ी तो है नहीं, वक्त का कैसे पता चलेगा?''

भूषण ने इतना सोचते हुए एक और  गहरी सांस ली और बाथरूम की ओर बढ़ गया। बाथरूम चमचमाता हुआ था। वहाँ एक बड़ी शीशे की दीवार थी, जिसके दूसरी तरफ छोटा सा शावर नजर आ रहा था। भूषण ने ठंडे पानी से चेहरा धोया, जिसके बाद उसकी नसों में एक सुकून-सा बहने लगा। उसने शावर लिया और तैयार होने के बाद, भूषण और राघव को ओरिएंटेशन रूम के लिए बुलाया गया।  दोनों को एक नौजवान लड़के ने वहाँ तक का रास्ता दिखाया। वैसे ही भूल भुलैया रास्ता देखकर दोनों के चेहरे पर हैरानी थी, लेकिन जैसे ही वे ओरिएंटेशन रूम के अंदर पहुंचे, उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। यह एक बड़ा कमरा था, जिसमें हर तरफ कुर्सियाँ लगी थीं जिन पर लोग बैठे थे। बीच में एक बड़ी सी स्क्रीन थी, कमरे की रौशनी हल्की थी, जिससे माहौल थोड़ा रहस्यमय लग रहा था, जिसे देख राघव ने भौंचक्का होकर कहा, ‘’भाई, यह  तो किसी साइंस फिक्शन मूवी का सेट लग रहा है,मेरे कॉलेज में ऐसा ही हुआ करता था...लेकिन वहाँ से मुझे अक्सर भगा दिया जाता था...मुझे नींद जो आ जाती थी..''

भूषण ने उसकी बात सुनकर हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा। भूषण खुद भी इस बात से हैरान था। उन्होंने देखा कि उनकी सीट सबसे आखिर में थी, वह दोनों लोगों के बीच से होकर अपनी सीट तक पहुँचे।  कुछ मिनट बाद, स्क्रीन पर एक वीडियो प्ले होने लगा, यह वीडियो वहाँ बैठे हर इंसान का था, उस वक्त का, जब उन्हें यहाँ लाया गया। वीडियो में एक-एक करके सभी की रिकॉर्डिंग दिखाई गई, जिसमें वह गिरने से पहले डर और पछतावे में चीख रहे थे। किसी ने अपने परिवार के लिए माफी माँगी थी, किसी ने अपनी गलतियों को सुधारने का वादा किया था।  भूषण ने यह  हैरान होकर कहा, ‘’यह ... यह  सब रिकॉर्ड किया गया था? इन लोगों ने हमें हर पल ट्रैक किया। यह  सब एक खेल था। पर क्यों, इस तरह यह  सब करने का मतलब?''

जब भूषण का वीडियो आया, तो उसने खुद को गिरते हुए देखा। उसकी आवाज़ गूँजी

भूषण- ज़िंदगी के हर मोड़ पर मैंने किसी न किसी को खोया है। और जो बचा, वह सिर्फ मैं था। लेकिन... मैं कभी यह  समझ ही नहीं पाया।  

अपना वीडियो चलता हुआ देख भूषण ने शर्मिंदगी और गुस्से से अपनी मुट्ठियाँ कस लीं।  वीडियो खत्म होने के बाद,  वह चलने को हुआ कि तभी कमरे के बीचों बीच एक मंच पर बूढ़ा आदमी खड़ा हुआ। यह वही था, जिसने पहले उनका स्वागत किया था। उसने हाथ जोड़कर कहा “नमस्कार। मैं आनंद श्री, मैं  इस रिज़ॉर्ट का संचालक हूँ, मेरे दादा ने इस रिज़ॉर्ट की शुरुआत अमेरिका में की थी, पिछले 50 साल से हम वहाँ लोगों को उनके दुखों से छुटकारा दिलाने और उनकी नई जिंदगी से मिलने का मौका दे रहे हैं। भारत में पहली बार हम इस रिज़ॉर्ट की शुरुआत कर रहे हैं, लेकिन इस रिज़ॉर्ट की जानकारी गोपनीय रखने के लिए हम आपको यहाँ का असली पता नहीं बता सकते। अब इस वीडियो पर आते हैं..”आनंद ने स्क्रीन की तरफ इशारा कर कहा “आप सबको यहाँ इस तरह लाने का एक ही मकसद था, आपको आपकी ज़िंदगी का मूल्य समझाना। जब आप पहाड़ी से गिर रहे थे, तब आपके मन में क्या चल रहा था? आपने क्या सोचा?  क्या आप यह सोच रहे थे कि सब खत्म हो गया है… या यह कि आपको एक और मौका मिले?” आनंद श्री के सवाल पर कमरा शांत था, क्योंकि  उनकी बात सुनकर हर कोई सोचने पर मजबूर हो गया था। आनंद ने आगे बोलते हुए कहा “हम अपनी ज़िंदगी को कितनी हल्के में लेते हैं। हर दिन शिकायतें करते हैं,  कभी पैसे की, कभी रिश्तों की। पर उस एक पल, जब आपको लगा कि यह अंत है, तब आपके दिल ने सच में क्या चाहा?  आपके दिल ने यह चाहा कि आपको एक और मौका मिले, एक और मौका।  तो आज, मैं आपसे यही पूछता हूँ,  अपने दिल पर हाथ रखिए और मुझे बताइए, क्या आप अपनी ज़िंदगी को एक और मौका देने के लिए तैयार हैं?” आनंद की बात सुनकर सबने अपने दिल पर हाथ रख लिया और आनंद श्री की बात दोहराई। वहीं राघव ने अपने दिल पर हाथ रखकर भूषण की तरफ़ देखा और धीमी आवाज़ में कहा, ‘’भाई, यह  तो सही में खेल खेल रहे हैं, पर इनकी बातें सुनकर अजीब सा महसूस हो रहा है।''

हाँ, मुझे भी। मुझे इनकी बातें अजीब लग रही हैं, यह सवाल अजीब भी है और सीधा भी...अभी हर कोई कहेगा कि उसे एक मौका चाहिए, लेकिन अगर हम ठीक ढंग से जीवन जी पा रहे होते तो हम यहाँ होते?

भूषण के सवाल पर राघव ने उसे हैरानी से देखा, वहीं आनंद ने स्टेज से एक नौजवान लड़के को इशारा किया, और वह एक बड़े bowl में कई चिटें लेकर आया।  आनंद ने उन्हें देखकर कहा, “यहाँ हर व्यक्ति एक चिट उठाएगा, यह चिट आपके अगले सेशन का हिस्सा होगी। कृपया इसे ध्यान से चुनें” अपनी बारी आने पर भूषण ने अपनी चिट उठाई। उस पर लिखा था, ‘’शेट्टी... ‘’

राघव ने भी अपनी चिट उठाई। उस पर लिखा था, ‘’ray… भाई, यह  पक्का किसी मसाज या थैरेपी का हिस्सा है। मुझे यह रे का नाम पसंद नहीं। चल, मेरी चिट ले ले और मुझे तेरी वाली दे दे, मुझे फीलिंग आ रही है, यह  पक्का कोई लड़की होगी...''

भूषण(मुस्कुराकर)- तुम भी न... राघव, यहाँ भी लड़की... मैं तो एक लड़की की वजह से यहाँ आया हूँ, और बिल्कुल नहीं चाहता कि मेरा सामना एक लड़की से हो...

इतना कहते भूषण अपनी कुर्सी से उठ बताए गए रास्ते की तरफ चला गया, भूषण को उसके नाम के साथ एक कमरे की ओर भेजा गया। कमरे में घुसते ही उसकी नजरें फूलों की टोकरी पर पड़ीं। कमरे में एक भीनी-भीनी महक थी। उसने थोड़ा अजीब महसूस करते हुए कहा, ‘’कहीं यह सच में मसाज तो नहीं करने वाले? हो भी सकता है...''

भूषण अभी इधर-उधर देख ही रहा था कि तभी दरवाज़ा खुला और पीछे से एक धीमी आवाज़ आई, ‘’हैलो मिस्टर भूषण। कैसे हैं आप?''

भूषण तुरंत पलटा और जो उसने देखा, उससे उसके होश उड़ गए? आखिर कौन था यह  शख्स? क्या भूषण इसे जानता था? क्या सच में यह  जगह है कोई वेलनेस सेंटर या बस है एक illusion… जानने के लिए पढ़िए अगला भाग। 

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