दरवाज़ा खुलने की आवाज़ के बाद भूषण ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा तो उसके सामने एक लड़की खड़ी थी। उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी और उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी, उसने अपनी नाक में एक छोटी सी नथ पहनी हुई थी, जो उसके चेहरे को और भी attractive बना रही थी। भूषण के मन में एक पल के लिए अजीब सी घबराहट और शांति दोनों का अहसास हुआ। उसकी नथ ने जैसे उसे एक पल के लिए समय के उसी मोड़ पर वापस खींच लिया, जब उसने रिनी को देखा था। रिनी हमेशा ऐसी नथ पहनती थी।  भूषण को याद था, जब वह पहली बार रिनी से मिला था, तब वह भी ऐसी ही नथ पहने हुए थी, उसकी मुस्कान, उसकी आँखों में भी खास सी चमक थी। वह यादें भूषण के मन में गहरे तक समा गईं, और एक पल के लिए वह यह भी भूल गया कि वह कहाँ था? भूषण को खोया हुआ देखकर लड़की ने धीरे से हाथ बढ़ाया और कहा, ‘’मेरा नाम मंदिरा है... मंदिरा रे, मुझे तुमसे मिलकर बहुत खुशी हुई,  वैसे, मैं यहाँ राघव जावेरी के होने की उम्मीद कर रही थी, लेकिन जिंदगी के plans कब बदल जाएँ, कुछ पता नहीं होता। कई बार जो हम चाहते हैं, वह हमें नहीं मिलता... और जो हम सोच भी नहीं सकते, वह मिल जाता है।''

मंदिरा  की बातों में एक अजीब सी ताज़गी और सच्चाई थी, लेकिन फिर भी भूषण के मन में एक उलझन बनी हुई थी। वह मंदिरा  के सामने खड़ा था, लेकिन उसकी मुस्कान, उसकी बातें, उसकी आँखों की चमक, सब कुछ उसे रिनी की याद दिला रहा था… वह कुछ कह नहीं पा रहा था। मंदिरा  ने कुछ पल चुप रहकर उसके reaction का इंतजार किया, फिर बोली, ‘’वैसे, मैं काफी कुछ बोल रही हूँ, लेकिन इन सब बातों का बस एक ही मतलब है... हमें चीज़ों को बिना किसी presumption  के होने देना चाहिए...''  

भूषण मंदिरा  की ओर देख रहा था, लेकिन उसका मन कहीं और था, पर तभी भूषण का ध्यान मंदिरा के हाथ में बंधे bracelet पर गया। उसे देखकर भूषण ने मन ही मन में कहा, ‘’यह तो बिल्कुल वैसा ही bracelet i-card  है...(सोचते हुए) अविनाश ने बताया था, यहाँ सब यह ही पहनते हैं…''

भूषण को चुप देखकर मंदिरा ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, ‘’खैर, भूषण... मुझे उम्मीद है कि तुम्हें आज का पहला session अच्छा लगा होगा।''  

भूषण ने उसे सुना, लेकिन  वह मंदिरा  के शब्दों पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे पा रहा था। उसका ध्यान बस इस बात पर था कि वह लड़की कहीं मंदिरा तो नहीं थी। वह अपने ख्यालों में था, तभी मंदिरा ने हल्के से मुस्कुराते हुए भूषण की तरफ देखा और कहा, ‘’मैं जानती हूँ, तुम्हें यह सब अजीब लग रहा होगा...वैसे मुझे पता चला कि तुमने खुद को मारने की कोशिश की, वह भी चार बार..क्या सच में ज़िंदगी इतनी आम चीज़ लगने लगी थी?''

मंदिरा का सवाल सुनकर भूषण का ध्यान टूटा, वहीं मंदिरा  ने एक पल के लिए रुककर कहा, ''सच बताना, उस वक्त ऐसा लगा था न, कि कोई आकर तुम्हारा हाथ थाम ले और कहे कि रुक जाओ, मुझे तुम्हारी ज़रूरत है, अगर मैं गलत नहीं हूँ तो तुम उस वक्त रिनी को वहाँ देखना चाहते थे...''

रिनी का नाम सुनते ही भूषण ने मंदिरा को देखा। उसे यह जानकर हैरानी हुई कि कैसे मंदिरा ने उसके दिल का हाल उसी के सामने बयां कर दिया। भूषण ने मंदिरा की तरफ से अपना ध्यान हटाकर एक गहरी सांस ली, फिर मुस्कुराते हुए बोला, ‘’सच कहूँ तो मुझे इन सब बातों को करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, मैं बस अपने दोस्त के कहने पर यहाँ आया हूँ, समझ लीजिए, एक vacation मनाने! उसे लगता है मुझे healing की जरूरत है..''

मंदिरा(मुस्कुराते हुए)- आपको नहीं लगता, आपको इसकी जरूरत है।

भूषण ने मंदिरा के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया, बस अपने हाथों को देखता रहा। मंदिरा  ने फिर मेज़ पर रखी भूषण के नाम की फाइल को उठाया और उसे ड्रॉअर में रख दिया। भूषण ने उसे हैरानगी से देखा, जिसपर मंदिरा ने हँसते हुए कहा, ‘’तो फिर ठीक है, जब तुम खुद से यह महसूस करो कि तुम्हें इन सेशन्स की ज़रूरत है, हम उस दिन से एक डॉक्टर और मरीज के रिश्ते को निभाएंगे..  उससे पहले हम दोस्त बन सकते हैं...''  

मैं किसी रिश्ते की शुरुआत नहीं करना चाहता... खासकर यहां, जहां कुछ भी असली नहीं है। आपके वक्त के लिए शुक्रिया! उम्मीद करता हूँ कि दोबारा मुलाकात न हो....  

भूषण यह बात कहकर उठने लगा कि मंदिरा ने उसे टोकते हुए कहा, ‘’मैं ऐसी उम्मीद नहीं करती, क्योंकि मैं जानती हूँ... मेरी और आपकी यह मुलाकात आखिरी नहीं है। वैसे, यह सिर्फ एक introductory session था... हम ज़्यादा बात नहीं कर पाए, पर मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई और मैं उम्मीद करती हूँ कि एक दिन आप भी यह ही कहेंगे। अब आपका lunchtime होगा, आप जा सकते हैं।''

भूषण ने मंदिरा को अनचाही मुस्कान के साथ देखा और उठकर कमरे से बाहर जाने लगा। भूषण दरवाज़े  पर ही पहुंचा था कि तभी फिर से एक बार उसका ध्यान उन फूलों की तरफ़ गया जो उस कमरे में रखे थे। उन्हें उसकी आँखों में दर्द की झलक उतर आई, जिसे लेकर भूषण कमरे से बाहर आ गया। बाहर आने के बाद भूषण ने खुद से बात करते हुए कहा, ‘’यहाँ मौजूद हर चीज़ न जाने मुझे अतीत के उन दर्द भरे लम्हों से क्यों जोड़ देती है, जिन्हें मैं भूलना चाहता हूँ। यह फूल, बिल्कुल वैसे ही थे, जैसे मॉम ने घर पर लगाए थे..''

भूषण की यादें उसे फिर से घेरने लगीं, जब वह लंदन में अपनी मॉम के साथ था। उसकी मॉम किसी खास मौके के लिए एक पेंटिंग बना रही थी, जिसके लिए उन्होंने कैन्वस के सामने रखे फूलदान में कुछ सफ़ेद फूल रखे हुए थे। भूषण ने जब पेंटिंग और उन फूलों को देखा तो हैरान होकर कहा, ‘’यह बहुत प्यारा है मॉम... ऐसा लग रहा है जैसे आपने असली फूलों को कैन्वस पर रख दिया...कौन कहेगा, यह बस रंग हैं? क्या आप यह पापा के लिए बना रही हैं?''

भूषण ने सवाल पर उसकी मॉम थोड़ा हिचकिचाई फिर एक हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया था,  “हाँ, बेटा... यह पेंटिंग प्यार से inspired हैं, मैं इसे एंडलेस लव नाम दूँगी... जानते हो यह फूल वही फूल हैं जो 12 साल में एक बार खिलते हैं, और जब वे मुरझाते हैं तो उन्हें फिर से 12 साल बाद ही खिलने का मौका मिलता है। इनका नाम है,  नीलकुरंजी.. तुम्हारे पापा ने मुझे यह ही फूल दिए थे, पहली मुलाकात में..पहाड़ों में ही खिलते हैं..अगर तुम्हें कभी यह फूल दिखें, तो समझ जाना कुछ बहुत स्पेशल होने वाला है...क्योंकि यह फूल खास जगहों पर ही मिलते हैं...” अपनी मॉम के यह शब्द भूषण के जहन में अब भी जिंदा था। उसके लिए यह कल की ही बात थी, लेकिन यह गुज़रे हुए पल भूषण को राहत नहीं बल्कि दर्द ही देते थे। इस दर्द की सबसे बड़ी वजह थी रिनी, जिसने भूषण की इस मीठी याद को उसके लिए कड़वा घूंट बना दिया था। इस वक्त भूषण के दिमाग में अतीत का वह लम्हा गुजर रहा था जब उसने इसी फूल की कहानी रिनी सुनाई थी, और रिनी ने हंसते हुए कहा था, ‘’क्या बकवास फूल की कहानी सुना रहे हो... हम यहाँ Bangalore में concert के लिए आए हैं, और देखो न भूषण, अब तो वह फूल यहाँ खिलते भी नहीं।''

रिनी की बेरुखी से भरे इस पल को याद करते हुए भूषण की आँखों में नफ़रत उमड़ आई। उसने कसकर अपनी मुट्ठियों को भींचा और फिर आज की सच्चाई में आने की कोशिश करते हुए डायनिंग हॉल की तरफ़ कदम रख दिए। वहाँ जाते ही सबसे पहले उसकी नज़र राघव पर पड़ी। राघव उस हॉल में  सिर झुकाए अकेला बैठा था। भूषण ने वहीं अपनी जगह पर रुककर एक पल के लिए सोचते हुए खुद से सवाल किया, ‘’क्या इसके पास जाना चाहिए....सारा वक्त बोलता रहता है, पर अभी चुप है..(गहरी सांस लेकर) चला ही जाता हूँ, कम से कम खाने के वक्त कंपनी ही मिल जाएगी।''

भूषण ने अपने मन में उठ रहे सारे सवालों को छोड़कर राघव के पास जाने का फैसला किया। उसने उसके पास जाकर राघव के कंधे पर हाथ रखा और कहा, ‘’क्या हुआ, यार? तुम्हारा सिर झुका हुआ, चेहरे पर 12 बजे हैं? क्या हुआ, हॉट डॉक्टर ने मसाज देने से मना कर दिया?''

यह बात कहते हुए भूषण उसके सामने जाकर बैठ गया, राघव ने हल्का सा सिर उठाया और फिर नाराज़गी के साथ भूषण को देखा और वापस अपना सिर झुका लिया। भूषण आगे सवाल करना चाहा लेकिन ऑक्वर्ड होने से बचने के लिए वह चुप रहा। राघव को देखकर भूषण ने महसूस किया कि राघव बहुत कुछ कहना चाहता है, पर कुछ कह नहीं पा रहा था। भूषण ने अपनी बात को रफ़ू सा करते हुए कहा, ‘’देखो अगर बताना चाहो, तो बता सकते हो, मैं तुम्हें जज नहीं करूंगा, क्या हुआ वहाँ तुम्हारे साथ?''

भूषण के सवाल पर राघव ने अपनी कुर्सी के किनारे को थोड़ा और कस के पकड़ लिया, और फिर आहिस्ता से बोला, ‘’वह डॉक्टर कोई लड़की नहीं, एक लड़का था...''

राघव की बात सुनकर भूषण को उसके उदास होने की इसमें कोई बड़ी वजह नज़र नहीं आई। उसने राघव को समझाते हुए कहा, ‘’तो इसमें उदास होने वाली क्या बात है? अच्छा ही है न, तुम्हारा ध्यान नहीं भटकेगा..''

राघव ने बिना हिले-डुले भूषण की ओर देखा, उसकी आँखों में वही गहरी उदासी थी, जैसे उसकी मुस्कान कहीं खो गई हो। उसने एक धीमे से सिर झकते हुए जवाब दिया, मैं एक ऐसे रिज़ॉर्ट में पहले भी जा चुका हूँ, और वहाँ अवन्तिका शेट्टी नाम की एक डॉक्टर थी, मुझे लगा शायद वह ही होंगी यहाँ... इसलिए मैंने...

राघव की बात सुनकर भूषण हैरान रह गया। उसे यकीन नहीं हुआ कि जिस जगह पर वह एक पल भी रुकना नहीं चाहता, वहाँ कोई दूसरी बार आया है। भूषण ने राघव की तरफ़ सवालिया निगाहों से देखा और कहा, ‘’क्या, सच में? तो फिर तुम इतना क्यों चौंके जब वह सब हमारे साथ हुआ?''

तब मैंने किसी की जान लेने की कोशिश की थी, और उस वक्त मेरा वेलकम अलग तरह से हुआ था..

राघव के इस खुलासे ने भूषण को हैरान किया, उसे समझ नहीं आया कि आखिर राघव एक बार फिर यहाँ क्यों आया है। सिर्फ एक डॉक्टर के लिए? भूषण ने राघव को थोड़ा अच्छा फ़ील कराने के लिए उसकी तरफ देखा और मज़ाक भरे लहज़े में कहा, ‘’यार, सच कहूँ तो मैं बहुत परेशान हूँ, मुझे जो डॉक्टर मिली है, उसकी शक्ल बिल्कुल उस लड़की से मिलती है, जिसकी वजह से मैं यहाँ हूँ,''

 

राघव ने एक हल्की सी मुस्कान देने की कोशिश की, लेकिन उसकी आँखों की गहराई में दिख रहा था कि वह संघर्ष कर रहा था… जैसे उसे खुद से भी कुछ छिपाना पड़ रहा हो। वह भूषण के मजाक पर पूरी तरह से नहीं हंसा, बल्कि उसकी उदासी ने उसे फिर से चुप करवा दिया। राघव ने फिर कुछ सोचते हुए कहा, ‘’हम ज़िंदगी में कितना ही आगे क्यों न बढ़ जाएँ, लेकिन हमारा अतीत हमें पीछे खींच ही लेता है। कभी-कभी कोशिश करने वालों की भी हार हो जाती है, भूषण, इसलिए मैं दूसरी बार यहाँ हूँ। मुझे इनकी मदद लेने से अच्छा फ़ील होता है, लगता है जैसे कोई समझ रहा है। कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं होती..''

भूषण ने राघव की बातों पर ध्यान दिया और फिर कुछ सोचने लगा। कुछ देर बाद राघव और भूषण ने खाना खाया। दोनों के बीच चुप्पी थी, राघव ने उस खामोशी को तोड़ते हुए कहा, ‘’चलो, थोड़ा टहलते हैं..''

भूषण ने राघव की बात पर हामी भरी, दोनों उठकर खाने के बाद बाहर चले गए। टहलते वक्त भी भूषण के ज़हन में राघव की बातें घूम रही थी।  इस वक्त राघव उसे एक पहेली जैसा लग रहा था, लेकिन भूषण उसमें उलझना नहीं चाहता था, पर वह राघव को जानना भी चाहता था। आखिरकार भूषण ने गहरी सांस ली और कहा, ‘’तुम यहाँ पर किस वजह से हो? मतलब डॉक्टर की बात नहीं कर रहा, असली वजह क्या है यहाँ आने की? जैसे मेरा breakup हुआ, तुम्हारे साथ क्या हुआ?''

राघव ने एक लंबी खामोशी के बाद, गंभीरता के साथ कहा, ‘’पिछली बार वाले रिज़ॉर्ट में जाने से पहले मैंने अपनी किडनी बेच दी थी, और अब मैं अपनी आँखें बेचने जा रहा था।''

राघव का जवाब सुनकर भूषण के चेहरे पर एक हैरानी उभर आई, उसके मन में सवाल उठे पर वह चुप रहा। राघव ने अपनी बात जारी रखी और उदास होकर एक हल्की सी हंसी के साथ कहा, ‘’मैं खुद को यूं टुकड़ों में मार रहा था, मेरे पापा को यह बात पता चली और उन्होंने मुझे यहाँ भेज दिया, बिना कुछ पूछे और जाने...बस भेज दिया..पर वह अभी अपने बेटे से अनजान हैं, उन्हें नहीं पता कि मैं क्यों यहाँ आया…''

भूषण बिना पलक झपकाए राघव की बातें सुन रहा था। उसके चेहरे के बदलते हुए भावों को देख रहा था कि तभी अचानक अलार्म की तेज़ आवाज़ आई। दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, राघव ने भूषण को समझाते हुए कहा, ‘’यह रूम में वापस जाने का अलार्म है, चलो जल्दी...मुझे लगता है कोई लड़ाई हुई होगी...'' 

भूषण और राघव तेज़ी से अपने-अपने कमरे की ओर बढ़े। जब वे अपने कमरे के सामने पहुंचे, भूषण अंदर जाने को ही हुआ था कि उसे दरवाज़े पर एक कार्ड दिखाई दिया। भूषण ने उसे उठाया और पढ़ते हुए कहा, ‘’अंधेरा कायम नहीं रहेगा... (भोंहें सिकोड़कर)यह क्या है?''

आखिर क्या मतलब है इस कार्ड का?क्या है राघव के यहाँ आने की पूरी कहानी? क्या मंदिरा  भूषण को अपना दोस्त बना पाएगी?  जानने के लिए पढ़िए अगला भाग। 

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