राघव: (गिड़गिड़ाते) “मुझे मार डालो भूषण, मैं जीना नहीं चाहता, मैं मर जाना चाहता हूँ”

भूषण के सामने गिड़गिड़ाते हुए यह शब्द बोलने वाला राघव ही था, जो इस वक्त एक बड़ी मुसीबत का सामना कर रहा था। पर वह मुसीबत क्या थी, इस बात से भूषण अनजान था, अब भी और तब भी जब उसने राघव की यह हालत देखने से पहले उसका एक हंसता खेलता चेहरा देखा था। यह बात सुनने के कुछ घंटों पहले राघव और भूषण के सामने एक अजीब सा कार्ड आया था, जिसे देखकर लग रहा था कि यह किसी पार्टी या ग्रुप का कार्ड है। कार्ड पर लिखे शब्दों ने भूषण के दिलों-दिमाग में सवालों को जन्म दे दिया था, शब्द थे “अँधेरा कायम नहीं रहेगा”। इन शब्दों को पढ़कर ही लग रहा था मानों कोई अँधेरे और उसमें छिपी सारी नकारात्मक भावनाओं को चुनौती दे रहा हो। भूषण और राघव दोनों ही सेंटर में बने अपने-अपने कमरों में मौजूद थे। भूषण ने जैसे ही वह कार्ड पढ़ा, उसने तुरंत राघव के कमरे में जाने का फैसला किया, लेकिन जैसे ही भूषण राघव के कमरे में पहुंचा उसने देखा कि राघव अपने बेड के कोने में कार्ड को अपने हाथों में लिए बैठा था, पर उसके हाथ काँप रहे थे। भूषण उसे देखकर तुरंत उसके पास गया और बोला, ‘’क्या हुआ? क्या हुआ? तुम ठीक हो? क्या हुआ तुम्हें?''

राघव ने भूषण को देखा और फिर उसे धक्का देकर कहा, ‘’दूर हटो मुझसे, मुझे पता है, तुम यहाँ क्या करने आए हो? मुझे मारने आए हो न?''

राघव के मुंह से यह बात सुनकर भूषण हैरान रह गया, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अचानक राघव को हुआ क्या? उसने राघव को संभालने की कोशिश की लेकिन राघव पर उसका बस नहीं चला। जब भूषण ने उसे कसकर पकड़ने की कोशिश की तब राघव ने उसे बहुत तेज़ पेट में कोहनी मारी और उसे पीछे धकेल दिया। भूषण दर्द से कराहता हुआ बेड पर जा गिरा, इससे पहले भूषण संभल पाता, राघव ने उसे मारना शुरू कर दिया। राघव ने सबसे पहले भूषण के मुंह पर मुक्का मारा और उसके बाद वह पागलों की तरह इधर-उधर कुछ ढूँढने लगा। उसे देखकर लग रहा था शायद वह भूषण को मारने के लिए कोई भारी चीज़ ढूंढ रहा हो, भूषण ने उसे रोकने की कोशिश करते हुए कहा, ‘’राघव, राघव, क्या कर रहे हो तुम?... मुझे...क्यों मार रहे हो?''

भूषण के होंठ के पास से खून आ रहा था, पेट में हुए वार की वजह से वह उठ भी नहीं पा रहा था। वहीं राघव खुद में बडबडाते हुए कमरे में सामान को उलट-पलट रहा था, राघव ने एक बार भूषण को देखा जो उसे रुकने के लिए कह रहा था, उसके बाद वो भूषण के पास आया और उसके होंठों पर उंगली रखते हुए बोला, ‘’चुप, चुप, बिल्कुल चुप...मुझे पता चल गया है, तुझे उन्होंने मुझे मारने के लिए भेजा है, मैं जानता हूँ... वह कभी मुझे जीने नहीं देंगे, उन्होंने यह कार्ड भी इसलिए ही भेजा है, पर देखना मैं इस बार नहीं फँसने वाला.…''

भूषण को राघव की कोई भी बात समझ नहीं आ रही थी। जिस कार्ड को भूषण अब तक समझ भी नहीं पाया था, राघव का बर्ताव देखकर लग रहा था कि उस कार्ड से ज़रूर राघव की कोई डरावनी याद जुड़ी है। बहरहाल भूषण ने अपने सारे ख्यालों को पीछे करते हुए एक बार फिर हिम्मत करते हुए कहा, ‘’क्या? ऐसा कुछ नहीं है, तुम क्या बोले जा रहे हो.. क्या तुम जानते हो यह कार्ड किसलिए है? मैं तो वह भी नहीं जानता…''

राघव ने भूषण की कोई बात नहीं सुनी, उल्टा वो कमरे की चीज़ें उठा-उठाकर भूषण पर फेंकने लगा और आख़िरकार राघव के हाथ में एक काँच का vase आया।  राघव ने हाथ में उसे उठाया, और भूषण की तरफ घूम गया, भूषण ने राघव को देखा तो उसकी आँखों में डर की परछाई उमड़ आई।  उसने घबराकर बेड से उठने और बाहर जाने की कोशिश की लेकिन इतने में ही राघव ने अपने हाथ में पकड़ा वास नीचे ज़मीन पर पटक दिया, और फिर उसके एक टुकड़े को अपनी कलाई पर लगा लिया। भूषण यह देखकर और भी डर गया, अब उसके पास कोई चारा नहीं बचा, उसने चिल्लाने की कोशिश की लेकिन उसके हलक से आवाज़ नहीं निकली। राघव ने भूषण को देखकर कहा, ‘’किसी को बुलाने की कोशिश की तो मैं...अपनी नस काट लूंगा और इल्ज़ाम तेरे सिर पर होगा''

राघव को यूँ अजीब हरकतें करते देख भूषण ने बड़े ध्यान से उसकी तरफ देखा फिर उसने अपने मन में सोचते हुए कहा, ‘’मैंने अगर किसी को बुलाने की कोशिश की तो यह खुद को नुकसान पहुंचाएगा। मुझे इसका ध्यान भटकाना होगा, किसी भी तरह इसके हाथ से यह कांच का टुकड़ा लेना होगा...''

भूषण ने यह बात सोचकर राघव का ध्यान भटकाने के लिए राघव से चिल्लाकर कहा, ‘’राघव तुम यह क्यों कर रहे हो यह गलत है?''

राघव(गुस्से में)- चुप कर! मैं अच्छी तरह जानता हूँ, तू यहाँ किसके कहने पर आया है, मैं जानता हूँ यह सब एक साजिश है, एक गहरी साजिश। पहले तूने मुझे यह चिट्ठी लिखी और अब भोला बनने का नाटक कर रहा है। मेरी अवन्तिका को भी तूने ही गायब कराया न?

राघव की सारी बातें भूषण के सिर के ऊपर से जा रही थी, लेकिन वह जान चुका था, कि राघव से इस हाल में कुछ कहना या पूछना खतरे से खाली नहीं। उसने कुछ देर तक राघव पर नज़रें गड़ाएं रखी, और फिर अचानक उसकी तरफ से नजर हटाकर हल्का सा पीछे देखकर कहा, ‘’अरे! डॉक्टर मंदिरा आप यहाँ?''

भूषण के कहने पर राघव ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, ठीक उसी पल में भूषण ने राघव के ऊपर झपट्टा मारा और उसके हाथ को पीछे मोड़ दिया। राघव के हाथ में मौजूद कांच का टुकडा नीचे गिर गया और उसके बाद भूषण ने राघव को डांटते हुए कहा, ‘’यह क्या कर रहे हो तुम, क्यों इस तरह जानवरों की तरह हरकतें कर रहे हो, मुझे कोई कातिल समझा है तुमने? कौन है, जो तुम्हें मरवाना चाहता है? क्यों आए हो यहाँ वापस? क्या करने...''

भूषण अभी आगे कुछ बोलने ही वाला था कि तभी दो नौजवान लड़के और उनके साथ एक फीमेल डॉक्टर भागते हुए आये।  उन्होंने आकर भूषण को राघव से दूर हटाते हुए कहा “हटिये, हटिये, छोड़िए उन्हें..” भूषण ने राघव को छोड़ दिया उसके बाद जैसे ही उसने दरवाज़े की तरफ़ देखा तो उसकी नज़र सामने खड़ी डॉक्टर पर पड़ी, जिन्हें देखकर भूषण के मुंह से निकला, ‘’डॉक्टर मंदिरा ‘’

मंदिरा ने भूषण की तरफ देखा लेकिन उसे कोई जवाब दिए बिना सामने खड़े लड़कों को आर्डर देते हुए कहा, ‘’मिस्टर जावेरी को तुरंत थेरेपी रूम में ले जाओ...(भूषण की तरफ देखकर) और मिस्टर भूषण आप प्लीज मेरे साथ आईये''

भूषण ने नाराज़गी के साथ मंदिरा  को देखा, क्योंकि भूषण बहुत देर से राघव को संभालने की कोशिश कर रहा था, पर उसे मदद नहीं मिली। भूषण मंदिरा के पीछे-पीछे चला ही था कि तभी राघव ने भूषण का पैर पकड़ लिया और गिड़गिड़ाते हुए बोला

 

राघव(गिड़गिड़ाकर)-

प्लीज मुझे मार डालो भूषण, मैं जीना नहीं चाहता, मैं जीना नहीं चाहता....

 

राघव को किसी तरह भूषण के पैर से अलग किया गया, भूषण से राघव की ये हालत देखी नहीं जा रही थी, लेकिन राघव को उन लोगों के हवाले कर वह मंदिरा के पीछे उसके ऑफिस में चला गया। ऑफिस में पहुँचते ही भूषण ने मंदिरा पर चिल्लाते हुए कहा, ‘’यह कैसा सेंटर है आपका? किस तरह काम कर रहे हैं आप? आप जानती है, अगर मैं राघव को न पकड़ता तो वह या तो मुझे या फिर खुद को मार देता....और सबसे बड़ी बात, राघव की हालत देखकर किसी एंगल से यह नहीं लग रहा कि उसे इस वैलनेस सेंटर की हीलिंग वाली बातों की ज़रूरत है। उसे देखकर लग रहा था, कि उसे सीरियस मेडिकल केयर की ज़रूरत है, जो शायद यहाँ उसे नहीं मिलेगी क्योंकि आप यहाँ सिर्फ बातें करते हैं.. मैंने सही कहा न? ‘’

 

मंदिरा भूषण की बात को बिना कुछ बोले सुनती रही, उसके बाद उसने एक गहरी सांस ली और अपने टेबल की ड्रावर से एक मेडिकल किट निकालकर टेबल पर रखते हुए बोली, ‘’प्लीज बैठ जाओ....तुम्हारे हाथ में चोट लगी है.. प्लीज...''

मंदिरा की बात पर भूषण ने उसे घूरकर देखा लेकिन फिर न चाहते हुए भी कुर्सी पर बैठ गया।  एक गहरी सांस ली और नाराज़गी के साथ बोला, ‘’मुझे यहाँ से वापस जाना है, मैं यहाँ पागलों के बीच नहीं रह सकता, खासकर ऐसी जगह जहाँ नार्मल लोगों में और पागलों में कोई फर्क नहीं किया जाता, और उन्हें एक ही फ्लोर पर एक ही साथ कमरे दिए जाते हैं''

भूषण लगातार बोले जा रहा था, लेकिन मंदिरा  बिलकुल चुपचाप उसके हाथों पर दवा लगा रही थी। मंदिरा को यूँ चुप देखकर भूषण ने अपना हाथ पीछे खींचते हुए गुस्से में कहा, ‘’मैं कोई पागल नज़र आ रहा हूँ क्या, जो तुम मेरी बात का जवाब नहीं दे रही हो। मेरी बात सुनी न तुमने कि मुझे यहाँ से वापस जाना है.. मैं यहाँ पागलों के साथ नहीं रह सकता.''

मंदिरा ने भूषण का हाथ वापस अपनी और खींच लिया और फिर हल्की मुस्कान के साथ बोली, ‘’तुम यह बात इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हो कि राघव एक पागल है, और उसे सीरियस मेडिकल केयर की जरुरत है?''

भूषण(भोहें सिकोड़कर)- क्या आपने जो कुछ अभी वहां देखा वह काफी नहीं था, यह बात प्रूव करने के लिए कि वह एक पागल है...

मंदिरा (गम्भीर होकर)- वह सब एक नाटक था, एक नाटक जो राघव अक्सर करता है, कभी घर पर तो कभी यहाँ… या यूँ कहो कि यह नाटक अब उसकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन चुका है। यह हमारे लिए एक नाटक हो सकता है, लेकिन उसके लिए एक असलियत है, एक भ्रम..

भूषण(हैरान होकर)- क्या? क्या कहा आपने? आप अपनी बातों को खुद सुन पा रही हैं, या बस मुझे कोई भी कहानी सुना रही हैं। मैंने उस अच्छे-खासे आदमी के दिमाग के तार हिलते हुए देखें हैं, अचानक से।  मात्र 15 मिनट का अंतर था… मैं उसके पास गया, लेकिन वह राघव वह वाला राघव नहीं था, जिसे मैंने डाइनिंग हॉल में देखा था, जिसके साथ मैं टहल रहा था, वहाँ भी वह अजीब बातें कर रहा था...लेकिन अभी जो उसने किया वो भयानक था...

 

मंदिरा (शांत कराते हुए)- वह यह सब लालच में करता है, एक ऐसी चीज के लिए, जो उसे यहीं मिल सकती है, ताकि उसे इस बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग में जाने का मौका मिले..

मंदिरा ने भूषण के सामने एक नया खुलासा किया था, लेकिन भूषण इन बातों से अब तंग आ चुका था। उसने मंदिरा की तरफ़ देखकर अपने सिर पर हाथ रखा और झुँझलाते हुए बोला, ‘’प्लीज डॉक्टर, प्लीज... मुझे आम भाषा में सीधी- सीधी बात समझाइए। राघव के लिए आप यह सब कैसे कह सकती हैं? उसे आपके इलाज पर भरोसा है, लेकिन उसका यह हाल क्यों है?''

मंदिरा ने भूषण के सवाल पर उसकी तरफ देखा, और फिर टेबल से एक मार्कर उठाकर अपने दरवाजे में पास लगे वाइट बोर्ड के पास जाकर खड़ी हो गयी, मंदिरा ने बोर्ड पर कुछ बनाना शुरू किया और फिर बोर्ड पर एक चेन जैसी आकृति बनाकर भूषण से कहा, ‘’यह क्या है भूषण…''

 

भूषण(मुंह बनाकर)- यह एक चेन है, एक ज़ंजीर... पर इसका राघव से क्या लेना देना है?

मंदिरा भूषण का सवाल सुनकर थोड़ा सा मुस्कुराई और बोली, ‘’यह एक ऐसी  ज़ंजीर है, जिसमें राघव कैद है। इसके यह सेगमेंट्स, उसकी ज़िंदगी का वह हिस्सा है, जिसने राघव को ऐसा बनने पर मजबूर कर दिया। राघव इस ज़ंजीर को तोड़ने के लिए ही यहाँ आया है… तुमने ठीक कहा, वह शायद तुम्हारे जैसा नहीं है, तुम एक नार्मल इंसान हो और शायद वह अभी तुम्हारे हिसाब से उस केटेगरी में नहीं आता, लेकिन हमारे पास उस जैसे बहुत से लोग हैं , जिन्हें हम इस थेरेपी के जरिए ठीक करने का वादा कर चुके हैं। जिनके परिवार हम पर भरोसा कर रहे हैं। राघव को पागलखाने भेजा जा सकता था, लेकिन वहां उसका क्या हाल होता यह तुम नहीं जानते....उनके लिए वह बस एक पेशेंट होता लेकिन हमारे लिए वह एक ऐसा इंसान है जिसकी ज़िन्दगी को हमें खुशियों से भरना है, जिसे हमें एक और बार जीने की आस देनी है...''.

भूषण(सवालिया आँखों से)- आखिर राघव के साथ हुआ क्या है? उसकी यह हालत क्यूँ  है, और उसे दवा क्यों चाहिए?

भूषण के सवाल पर मंदिरा  ने एक गहरी सांस ली, लेकिन फिर उसने उसे सब बताने का फैसला करते हुए कहा, ‘’ राघव एक automobile इंजिनियर है, और उसके डैड गुजरात पुलिस की काफी अच्छी पोस्ट पर है, एक नई गाडी की test-drive के दौरान राघव ने अपने ही एक दोस्त की जान ले ली.... वह उसका बॉयफ्रेंड था...''

 

मंदिरा  ने जो खुलासा भूषण के सामने किया, उसे जानकर भूषण के होश उड़ गये. उसने मंदिरा से एक बार और पूछा

 

 

भूषण(हैरान होकर)- क्या कहा आपने? बॉयफ्रेंड? क्या वो....लेकिन फिर वह आज सुबह ऐसा क्यों कह रहा था कि उसे एक लेडीज डॉक्टर चाहिए?

 

 

मंदिरा (मुस्कान के साथ)- अपने आपको नार्मल दिखाने के लिए, यह जताने के लिए कि  वह भी ज़्यादातर लड़कों जैसा है, जो लड़कियों के साथ रहना पसंद करता है. अगर सीधी बात बोलूं तो राघव अपनी सच्चाई से भाग रहा है, वह इस रिज़ॉर्ट की एक ब्रांच में पहले भी जा चुका है.. लेकिन पहले वह इसी वजह से आया था कि उसके डैड को पता चल गया था कि वह gay है..उन्होंने राघव को उस एक्सीडेंट केस से बचा लिया लेकिन उसके बाद उन्होंने उसे अपने घर में ही नजरबंद कर दिया..

भूषण(हैरान)- क्या? वह ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह कोई शर्मिंदगी की बात नहीं....

 

मंदिरा (संजीदगी से)- हाँ, पर उनके लिए थी। खैर मुद्दा यह नहीं, मुद्दा है कि आखिर राघव ने ऐसा क्यों किया, है ना?

मंदिरा आगे कुछ कहने ही वाली थी कि भूषण ने उसे बीच में टोकते हुए कहा, ‘’एक सेकंड… पहले राघव रिज़ॉर्ट में अपने डैड की वजह से गया, लेकिन अब यहाँ क्यों है? उसकी बातें सुनकर लगा था कि वह किसी को ढूँढने या मिलने आया है…''

भूषण के सवाल पर मंदिरा ने उसे गौर से देखा और कहा, ‘’क्या राघव ने तुम्हें अवन्तिका के बारे में कुछ बताया है?''

मंदिरा के मुंह से अवन्तिका का नाम सुनकर भूषण हैरान रह गया, उसने मन ही मन में परेशान होते हुए कहा, ‘’आखिर इन्हें कैसे पता कि राघव ने मुझे क्या बताया?''

 

 

नरेटर- क्या मंदिरा ने भूषण को राघव के बारे में बताया वह सच था? क्या भूषण कर पायेगा मंदिरा  पर यकीन? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग.

 

 

 

 

 

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