मंदिरा ने राघव के अतीत के रहस्यों को खोलने की कोशिश में भूषण के सामने अपनी बात रखी, हालांकि, भूषण के लिए उन बातों पर यकीन करना मुश्किल था। यह सिर्फ इसलिए नहीं था कि जो कुछ वह सुन रहा था, वह mind boggling था, बल्कि इसलिए भी कि मंदिरा उसके लिए अब तक लगभग अनजान थी। मंदिरा की मौजूदगी में वह लगातार एक आंतरिक संघर्ष का सामना कर रहा था, और यही कारण था कि वह उससे दूरी बनाने की कोशिश कर रहा था। मंदिरा के मुंह से अवन्तिका नाम सुनकर भूषण के मन में सवालों का तूफान खड़ा हो गया। आखिर अवंतिका थी कौन? राघव की जिंदगी में उसकी क्या अहमियत थी? भूषण के मन में इन्हीं सवालों की बाढ़ आई हुई थी। उसे यूँ खोया हुआ देख मंदिरा ने एक बार फिर सवाल किया, ‘’बताओ, भूषण, क्या राघव ने तुम्हें अवन्तिका के बारे में कुछ बताया है?''

भूषण ने दो पल के लिए सोचा,  फिर अपनी गर्दन हाँ में हिलाते हुए कहा, ‘’हाँ, उसने बातचीत में किसी अवन्तिका नाम की लड़की का ज़िक्र किया था.

विराज अवन्तिका शेट्टी, लड़की नहीं लड़का…  राघव उसी के लिए यहाँ आया है।  

मंदिरा की बात सुनकर भूषण की आँखें हैरानी से बड़ी हो गयी, लेकिन उसने अगले ही पल खुद को संभालते हुए गंभीर आवाज़ में कहा, ‘’देखो, सच कहूँ तो मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है कि मैं किसी की पर्सनल लाइफ में ताक-झाँक करूं। बस राघव की वैसी हालत देखकर थोड़ी हैरानी और परेशानी हुई क्योंकि यह सब मेरे लिए थोड़ा अजीब था..दिल का लगाना, उसका टूटना, अब यह सब झेला नहीं जाता। शायद आपको इसकी आदत हो..''

भूषण की बात सुनकर मंदिरा के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, मानो भूषण की बातों ने उसके भीतर किसी गहरे विचार छू लिया हो। उसने एक गहरी सांस ली और हँसते हुए कहा, ‘’आदत....हम्म सच कहा, मुझे आदत है ऐसे लोगों से डील करने की जिनका दिल टूटा हो..... लेकिन राघव के दिल का ख्याल रखने का ज़िम्मा शेट्टी का है, और तुम्हारे दिल का ख्याल रखने का ज़िम्मा मेरा..लेकिन तुम मुझे अभी उस लायक नहीं समझते''

मंदिरा की बातें भूषण को बेहद अजीब लग रही थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मंदिरा ऐसा बर्ताव क्यों कर रही थी। क्या वह सचमुच फ्रेंडली होने की कोशिश कर रही थी, या फिर यह सब सिर्फ उसके काम का हिस्सा था? भूषण के लिए किसी लड़की पर भरोसा करना इस वक्त बहुत मुश्किल था, खासकर ऐसी लड़की पर जिसकी शक्ल रिनी से मिलती थी। उसने मंदिरा की तरफ देखा, जो बड़ी सहजता के साथ उसकी ओर देख रही थी, उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था जो भूषण को उलझन में डाल रहा था, उसे ऐसा महसूस हुआ मानो वह किसी अनकहे सवालों के घेरे में फंस रहा हो, वह तुरंत ही उन हालातों से निकलने का तरीका सोचने लगा। बात का रुख मोड़ने के इरादे से उसने जल्दबाजी में एक नया सवाल पूछते हुए कहा, ‘’वैसे, यह राघव अवन्तिका, मतलब विराज के बारे में जो बोल रहा था, वह सच है? क्या वह यहाँ पर डॉक्टर है?''

 

मंदिरा(हामी भरते हुए)- हाँ, वह यहाँ के स्पेशल मेडिकल केयर डिपार्टमेंट में है, अभी कुछ दिनों पहले ही वह यहाँ आया है, और राघव को यह बात पता चली होगी तो शायद वह यहाँ पर उसे ढूंढते हुए चला आया। मैंने पहले वह लालच की बात इसलिए ही कही थी। कई बार राघव जैसी कन्डिशन से जूझ रहे लोग ऐसा करते हैं… जिस इंसान से भी उन्हें थोड़ा सा support मिलता है, वह उस के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं..... विराज ने शायद पिछली बार रिज़ॉर्ट में राघव की बातों को समझा होगा, उसे समझाया होगा। विराज से मिला अपनापन फिर से खोजने राघव यहाँ आ गया। वह कहते हैं न ज़िन्दगी में हमें बस सपोर्ट की जरूरत होती है, खासकर तब जब दुनिया आपकी तरफ उंगली उठाकर खड़ी हो, तब आप किसी ऐसे चेहरे की तलाश करते हैं जो उस भीड़ से अलग हो, जिसकी आँखों में हमदर्दी हो, जो आपका हाथ पकड़ कर आपका साथ देना चाहता हो....सबको ऐसे सपोर्ट की ज़रूरत होती है...  

 

मंदिरा राघव का उदहारण देकर, भूषण के दिल में उमड़ रही सारी भावनाओं को एक तार में पिरोने और भूषण को उन्हें समझने में मदद करना चाहती थी, ताकि भूषण ये सब चीजें एक्सेप्ट कर सके और मंदिरा पर भरोसा कर सके, और ऐसा हो भी रहा था। भूषण के ज़ेहन में मंदिरा की बातें उतर तो रही थी लेकिन उसके लिए अपना सबकुछ किसी अनजान को बताना मुश्किल था।  भूषण मंदिरा की बातों को लेकर सोच में पड़ा हुआ  था  कि तभी मंदिरा ने अचानक उसके चेहरे के सामने चुटकी बजाकर कहा, ‘’अरे! कहाँ खो गये? यह सब मैं राघव के लिए बता रही हूँ, उसे सच में किसी के साथ की ज़रूरत है। यह मत समझना कि यह सब मैंने तुम्हारे लिए कहा क्योंकि जहाँ तक मैं जानती हूँ, तुम मेरी बातों से इत्तेफाक नहीं रखते। मैंने सही कहा न, भूषण?''

 

भूषण(हामी भरकर)- हाँ, बिलकुल ठीक कहा, और आप यह  सब मुझे क्यों बता रही हैं, यह  सब बातें आपको राघव से करनी चाहिए या फिर उसके दोस्त विराज से..

 

मंदिरा(मुस्कुराकर)- मुझे तो तुम्हारा ख्याल रखना है न, तो मैं राघव से यह  सब क्यों कहूँ?

भूषण ने मंदिरा की बात सुनकर उसकी तरफ देखा, फिर एक झटके से कुर्सी से उठा और पट्टी लगे अपने हाथ की तरफ देखकर बोला, ‘’इसके लिए शुक्रिया, मैं अब चलता हूँ।''

(ठिठककर) वैसे डॉक्टर, गोल-गोल घुमाकर बात कहना मुझे नहीं आता, आप जो सपोर्ट, समझना-समझाना की बात कर रही थी न, यह सब हर किसी की ज़िंदगी में नहीं होता। कुछ लोग बने नहीं होते इन चीजों के लिए, तो आपको अपना वक्त नहीं खराब नहीं करना चाहिए...  

मंदिरा(मुस्कुराते हुए)- चलो ऐसा मान लेते हैं, लेकिन एक मौका तो देना ही चाहिए न उस हाथ को... जो तुम्हारी तरफ़ बढ़ रहा हो। ...

मंदिरा ने इतना कहते हुए अपना हाथ भूषण की तरफ बढ़ाया लेकिन भूषण ने उससे हाथ नहीं मिलाया। मंदिरा अपना सा मुंह लेकर रह गई लेकिन फिर भी उसने मुसकुराते हुए भूषण से कहा, ‘’कोई बात नहीं, हाथ न मिलाओ... पर यह बताओ... शाम को पार्टी में आ रहे हो न?''

मंदिरा के सवाल पर भूषण ने उसकी तरफ देखा और फिर कुछ सोचते हुए बोला, ‘’नहीं, मैं नहीं आऊंगा, मैं यहाँ से जा रहा हूँ, मैंने आपके नियमों को पढ़ा और उसमें लिखा है कि मैं जब चाहूँ प्रोग्राम को छोड़ सकता हूँ, तो मुझे लगता है यह ही the end है... मुझे नहीं लगता मुझे ऐसे किसी प्रोग्राम की ज़रूरत है।

 

भूषण ने यह बात कहकर मंदिरा की तरफ देखा, मंदिरा की आँखों में हल्की  disappointment की भावना थी। भूषण के सामने उसने अपनी मुस्कान बरक़रार रखी… भूषण ने भी उसे एक हल्की सी मुस्कान के साथ देखा और उसके कमरे से निकल गया। वहां से निकलते हुए भूषण के मन में तरह-तरह के ख्याल चल रहे थे, वह अभी तक उलझन में था, जिसे समझते हुए भूषण ने मन ही मन में कहा, ‘’यह लड़की न जाने मुझसे इतना फ्रेंडली होकर क्यों बात कर रही थी, शायद यह  ही इनका ट्रीटमेंट होगा इस तरह लोगों को अपनी बातों में उलझाना,  ताकि वह इनकी बातों में आ जाएँ, लेकिन कैसे कोई इनकी बातों पर भरोसा कर सकता है।  क्या पता यह सबके साथ ऐसी ही बातें करती हो और फिर घर जाकर हम जैसे लोगों की बातों पर अपने दोस्तों के साथ हंसती हो.

भूषण यह  बात सोचते हुए अपनी धुन में जा आहा था, उसने वहां से गुज़र रहे एक आदमी से पूछा, ‘’क्या आप मुझे यहाँ के एडमिनिस्ट्रेशन का ऑफिस का रास्ता बता सकते हैं?''

आदमी ने मुस्कुराते हुए भूषण के सवाल पर अपना सिर हिलाया और उसे अपने साथ चलने का इशारा किया। इसके बाद वह आदमी भूषण को एक ऐसे कॉरिडोर से लेकर जाने लगा जहाँ बहुत सारे लोगों की हंसती हुई तस्वीरें लगी थी। भूषण एक के बाद एक सबकी तस्वीरें देख रहा था, उसके मन में कई सवाल उभर रहे थे। जब उसके साथ चल रहे आदमी ने भूषण की आँखों में हैरानी देखी तो उसने हंसते हुए कहा, “यह सब लोग आप ही की तरह यहाँ पर आये थे, बिलकुल उदास… लेकिन जाने से पहले यह  तस्वीर खिंचवाई” भूषण ने उस आदमी की बात पर ध्यान दिया, फिर एक तंज भरी मुस्कान के साथ बोला, ‘’आप लोग अच्छी मार्केटिंग करते हैं, अपने इस रिज़ॉर्ट की. जब से आया हूँ, यह ही सुन रहा हूँ, कि यहाँ आकर ट्रांसफॉर्मेशन होगा,यह होगा, वह होगा, पर सच कहूँ, तो अब तक मुझे ऐसा कुछ भी नहीं लगा। मुझे बस अब तक यह लगा है कि यह सब आपकी सर्विसेज का हिस्सा हैं, जिन्हें हमने एक बड़ा अमाउंट देकर करके खरीदा है, और हम आपके लिए एक प्रोजेक्ट हैं, इंसान नहीं...''

भूषण की बात सुनकर उस आदमी ने मुस्कुराकर भूषण को देखा, फिर वह वापस चलने लगा। कुछ देर बाद उसके कदम एक कमरे के बाहर जाकर रुक गये, जहाँ पहुंचकर आदमी ने भूषण को देखकर कहा “यह रहा एडमिनिस्ट्रेशन रूम, लेकिन ध्यान रहे आप यहाँ 10 मिनट से ज्यादा नहीं रह सकते., क्योंकि 10 मिनट बाद आपके आराम का वक्त शुरू हो जाएगा” भूषण ने आदमी की बात सुनकर उसे घूरते हुए देखा, फिर नाराज़गी के साथ अंदर कदम बढाते हुए मन ही मन बोला, ‘’क्या मतलब है आराम का वक्त शुरू हो जायेगा, अब आराम भी इनकी मर्ज़ी से करें? वाह! क्या बात है?''

 

भूषण यूँ ही बड़बड़ाते हुए एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस की टेबल के पास पहुंचा, जहाँ जाकर उसने देखा कि एक बूढा आदमी वहां कुर्सी पर कमर टिकाये सो रहा था, भूषण ने उसे देखकर कुछ याद करने की कोशिश की और कुछ सोचते हुए खुद में बोला, ‘’इन्हें कहाँ देखा है? (अचानक से) हाँ, इनकी तस्वीर भी उन्हीं लोगों में थी.''

भूषण के चेहरे पर हँसी आ गयी, फिर उसने अपनी हँसी को कंट्रोल करते हुए टेबल पर रखी bell बजाई, तो कुर्सी पर बैठा हुआ बूढा आदमी उछल कर जगा। उसने हड़बड़ाते हुए कहा “कौन है? कौन है? बूढ़े आदमी ने जैसे ही सामने खड़े भूषण को देखा तो नाराज़गी से बोला  “क्या हुआ? यहाँ क्या कर रहे हो? पहले ही बता देता हूँ, कोई भी रिफंड से जुडी हुई बात का जवाब मैं नहीं दे सकता, मैं बस बता सकता हूँ कि”...बूढा आदमी इससे पहले आगे कुछ कहता, भूषण ने बहुत तेज़ी से अपना हाथ उस bell  पर रखा, जिसकी आवाज़ सुनकर बूढा आदमी रुक गया। भूषण ने अब गुस्से से उसकी तरफ देखा और कहा, ‘’मैं यहाँ रिफंड के लिए नहीं आया, मैं जानता हूँ वह आप लोग वापस करेंगे नहीं, लेकिन मुझे यहाँ से जाना है, उसका प्रोसेस क्या है?

भूषण के सवाल पर बूढ़े ने आँखें सिकोड़कर अपने चश्में के पीछे से उसे देखा और फिर टेबल की drawer से एक पेपर निकाल कर उसके सामने रखते हुए बोला “यह  देखो, पढ लो, वैसे गलती कर रहे हो, पर मुझे क्या? तुम जाओगे कोई और आएगा, संसार का नियम है” बूढ़े की बात सुनकर भूषण ने तेज़ आवाज़ में frustrate होकर कहा, ‘’ओह्हो, प्लीज, मुझे पकाईये मत, ऑलरेडी मैं बहुत कुछ सुन चुका हूँ. मैं जान गया हूँ कि आपको यह  जगह इतनी क्यों पसदं आई होगी, इस उम्र में भी आपको कोई हॉट therapist मिल गयी होगी, और अब आप यहाँ यह जॉब कर रहे हैं तो उससे आपको एक मोटी सैलरी मिलती होगी, जो हमारे पैसों से आती है, तो प्लीज यह  ड्रामा बंद कीजिये। आप लोगों को क्या ही मतलब है किसी से?''

भूषण को यूँ तेज़ आवाज़ में बोलता देख वह बूढा आदमी थोड़ा सहम गया, उसके चेहरे पर अब तक जो नाराज़गी के भाव थे, वह अचानक शर्मिंदगी में बदल गए। भूषण को यह  देखकर थोड़ा बुरा लगा, इसलिए उसने उस कागज़ को एक तरफ रख, अपना सिर झुकाकर माफ़ी भरे लहज़े में कहा, ‘’मुझे माफ़ कर दीजिये, मैं बहुत ज्यादा बोल गया, मैं दिल से माफ़ी माँगता हूँ. अंकल क्या आप प्लीज मुझे मेरा फ़ोन दे सकते हैं? इस पेपर में लिखा है कि यहाँ से जाने के लिए हमारे पास अपना VEHICLE और कोई रिलेटिव होना चाहिए। प्लीज...मैं कॉल करूंगा तो ही ऐसा कुछ हो पायेगा.''

भूषण की बात सुनकर उस बूढ़े आदमी ने हामी भरते हुए सिर हिलाया और बिना कुछ बोले अपनी कुर्सी से उठकर कमरे के अंदर बने एक कैबिनेट के पास गया, जहाँ से उसने सिरेवार तरीके से कुछ बॉक्सेस को देखा और फिर एक बॉक्स में से भूषण का फ़ोन निकालकर उसे दे दिया। भूषण ने जैसे ही फ़ोन अपने हाथ में लिया उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, लेकिन फिर अगले ही पल यह  मुस्कान गायब हो गयी, क्योंकि फ़ोन में बिलकुल बैटरी नहीं थी। भूषण कुछ कहने ही वाला हुआ कि तभी अचानक उसके सामने एक फ़ोन आया…  भूषण ने देखा तो उसके बराबर में मंदिरा खड़ी थी। मंदिरा ने भूषण को देखकर एक मुस्कान के साथ कहा, ‘’फ़ोन में बैटरी भी नहीं है और यहाँ नेटवर्क भी नहीं आएगा, चार्ज होने में वक्त लगेगा, तो क्यों न तुम यह फ़ोन इस्तेमाल कर लो। नम्बर तो याद होगा ही..''

 

भूषण ने मंदिरा की तरफ देखा लेकिन मंदिरा से उलट उसके चेहरे पर अजीब नाराज़गी थी। उसने एक गहरी सांस लेकर मंदिरा के हाथ से फ़ोन लिया और कहा, ‘’हाँ, याद है। थैंक्यू फ़ोन देने के लिए। क्या मैं थोड़ी दूरी पर जाकर बात कर सकता हूँ, या आप वहां भी मेरे पीछे-पीछे आएँगी? ‘’

मंदिरा ने हैरानी के साथ भूषण की तरफ देखा, लेकिन फिर वह भूषण के सामने से हट गयी। भूषण ने उस मेज़ से थोड़ा दूर हटकर याद करते हुए अविनाश का फ़ोन नम्बर डायल किया। पहले कुछ कॉल्स को तो अविनाश ने काट दिया, लेकिन आख़िरकार उसने कॉल उठाया और झिड़ककर बोला “हैलो, कौन है? अगर फ़ोन काट रहा हूँ बार बार तो समझ जाना चाहिए कि busy हूँ…”अविनाश की आवाज़ सुनकर भूषण के चेहरे पर एक मुस्कान आई, उसने अविनाश को शांत करते हुए कहा, ‘’अबे साले गुस्सा क्यों हो रहा है? मैं बोल रहा हूँ भूषण..''

 

भूषण की बात सुनकर अविनाश थोड़ा चौंका और उसने फिर झट से भूषण से कहा “भाई, तू यह किसके नंबर से फ़ोन कर रहा है, और तेरा फ़ोन कहाँ है? मैं परसों से मिला रहा था, फिर लगा कि तुझे वहां इन्जॉय करने देता हूँ..वैसे भी अब तू ऑफिस का पार्ट नहीं है” अविनाश की बात सुनकर भूषण की भौंहें चढ़ गयी और उसने गुस्से से कहा, ‘’हाँ, जानता हूँ मैं, बार-बार मत बोल। और क्या कहा तूने मैं यहाँ मजा कर रहा हूँ?  अगर तूने यहाँ मेरी हालत देख ली न, तू बौखला जाएगा। खैर... मैं वापस आ रहा हूँ, उसके लिए तुझे यहाँ आना होगा. यह किसी रिलेटिव के साथ ही वापस भेजते हैं.... ‘’

भूषण की बात सुनकर अविनाश एक पल के लिए चुप हो गया और फिर भूषण की बात को बीच में काटते हुए बोला “नहीं भूषण, तू अभी मत आ, यहाँ बहुत बड़ा काण्ड हो गया है, वह दरअसल हुआ यूँ... अविनाश की बात और उसकी आवाज़ में अनजाना सा खौफ महसूस कर भूषण के हाथ पैर फूल गये.

किस बात को लेकर अविनाश था इतना परेशान? आखिर वह क्यों नहीं आने देना चाहता भूषण को वापस? क्या यह  सब है रिनी और भूषण से जुड़ा हुआ? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग.  

Continue to next

No reviews available for this chapter.