“क्लाइंट ने डील कैंसिल करने की बात कह दी है” अविनाश के मुँह से यह बात सुनकर भूषण चौंक गया। थोड़ी देर पहले रिज़ॉर्ट से निकलने का फैसला लेकर भूषण यह सोच कर रिज़ॉर्ट के एडमिन ऑफिस में गया था, कि उसे उसका फ़ोन मिल जायह गा, लेकिन उसकी यह उम्मीद पल भर में चकनाचूर हो गयी। भूषण का फोन तो मिला, लेकिन फोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी। वह थोड़ा परेशान हो गया क्योंकि अविनाश को फोन करना जरूरी था, अगर वह उसे लेने नहीं आता तो उसे रेसपर्ट छोड़कर जाने की इजाज़त नहीं मिलती। अचानक मंदिरा वहाँ आई और उसने अपना फोन भूषण के सामने कर दिया। भूषण को मंदिरा पर अब भी भरोसा नहीं था, लेकिन उसने इस सोच को एक तरफ़ रखते हुए तुरंत फ़ोन लेकर अविनाश को फ़ोन मिलाया। जितनी हड़बड़ाहट के साथ उसने अविनाश का फ़ोन मिलाया था, उससे भी कई गुना ज्यादा खलबली अविनाश की बातों ने भूषण के दिल में पैदा कर दी थी। अविनाश घबराई सी आवाज़ में बोला, “ भूषण, तू अभी मत आ, यहाँ काण्ड हो गया है। तेरा जो गेम प्रोजेक्ट था, उसकी प्रजेंटेशन कावेरी ने दी और उसने पूरी तरह से गड़बड़ कर दी। क्लाइंट ने डील कैंसिल तक करने की बात कह दी है” अविनाश की बात सुनकर भूषण ने चौंकते हुए कहा, ‘’क्या? लेकिन क्यों? मुझे पता था कावेरी अभी इतनी बड़ी जिम्मेदारी हैंडल नहीं कर सकती थी, लेकिन संजीव को तो बस मुझे ऑफिस आने से रोकना था, वह भी उस क्षितिज की धमकी की वजह से। अविनाश, तू जानता है न मैंने इस प्रोजेक्ट को तीन साल दिए हैं, ऐसे एक झटके में हम इसे खत्म होने नहीं दे सकते। मुझे नाम नहीं चाहिए, लेकिन मैं सच में इस प्रोजेक्ट को सफ़ल होता देखना चाहता हूँ।''
अविनाश ने भूषण की बात पर हामी भरी और फिर परेशान होते हुए कहा “यार, मैं सब जानता हूँ, मेरी खुद की हालत खराब है, क्लाइंट ने हमें आज रात तक का वक्त दिया था, लेकिन कावेरी न जाने कहाँ गायब है।” अविनाश की यह बात सुनकर भूषण की आँखें चौड़ी हो गईं, वह अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाया।
भूषण(गुस्से में)- क्या? यह क्या पागलपन है, इस तरह की गड़बड़ करके वह गायब कैसे हो सकती है?
अविनाश ने भी frustrate होते हुए कहा, “यार पता नहीं क्या करती है, यह लड़की, इन genZ लोगों की यही दिक्कत है। इन्हें chill रहना पसंद है, दूसरों को परेशान करके। करें यह भरें हम, अब क्लाइंट ने मुझे कहा है कि अगर हम कल तक सब सुधार नहीं सकते, तो वह डील तोड़ देंगे” भूषण ने अविनाश की बात सुन गुस्से में कहा, ‘’यह नहीं हो सकता, यह नहीं हो सकता. तू एक काम कर, मेरी फ्लाइट की टिकट दिल्ली से बुक कर। मैं तुरंत वहाँ पहुँचता हूँ, मेरी तीन साल की मेहनत को मैं यूँ बर्बाद होते नहीं देख सकता।''
अविनाश ने धीरे से कहा, “नहीं, भूषण मुझे नहीं लगता तुझे इस तरह अपना हीलिंग प्रोग्राम बीच में छोड़ना चाहिए. तू वहीँ रह, यहाँ मैं और टीम हैं संभालने के लिए।” भूषण ने अपनी बात पर ज़ोर देकर कहा, ‘’नहीं अविनाश, तुम नहीं समझ रहे हो, मेरी पूरी मेहनत दांव पर लगी है। मैं यहाँ पर क्यों रुकूं?''
भूषण घबराया हुआ था, पूरी तरह से आपा खो चुका था। अविनाश ने फिर से समझाते हुए कहा, “मैंने कहा न भूषण मैं संभाल लूँगा”, लेकिन भूषण के मन में बेचैनी बढ़ती जा रही थी। वह फोन पर कुछ कहने ही वाला था कि तभी अविनाश ने बात काट दी और कहा, “ठीक है, मैं बाद में फ़ोन करूंगा और तू स्ट्रेस मत ले. मुझे अभी जाना है” अविनाश के फोन काटने पर भूषण ने झुँझलाकर फोन की ओर देखा और ग़ुस्से में उसे फेंकने को हुआ, तभी मंदिरा ने उसे रोकते हुए कहा, ‘’अरे! अरे! यह मेरा फोन है, इसे मत फेंको!''
मंदिरा की आवाज ने भूषण को झकझोर दिया। भूषण ने उसके हाथ में फोन दिया और गुस्से को संभालते हुए कहा, I am really sorry.. मुझे माफ कर दो, मैं पता नहीं क्या सोच रहा था।
भूषण की बात सुनकर मंदिरा ने उसे देखा। इस वक्त भूषण ने महसूस किया कि मंदिरा की आँखों में कुछ ऐसा था, जो भूषण को शांत करने की कोशिश कर रहा था। भूषण उसे देखकर एकदम शांत हो गया, मंदिरा भी उसे देखती रही, फिर मुस्कुराते हुए बोली, ‘’देखो, तुम शांत हो जाओ, एक गहरी सांस लो।''
भूषण की घबराहट बढ़ गई थी, लेकिन मंदिरा ने उसके हाथों को अपनी हथेली में लिया और कहा, ‘’मुझे भरोसा है, तुम यह कर सकते हो। अभी के लिए थोड़ा रुक जाओ, देखो सब ठीक हो जाएगा।''
भूषण(बेचैन होकर)- लेकिन मंदिरा, अगर मैं दिल्ली नहीं गया, तो सब खत्म हो जाएगा, और...
मंदिरा ने उसकी बातों को काटते हुए कहा, ‘’तुम यही सोच रहे हो न कि अगर तुम दिल्ली नहीं गए तो सब कुछ खत्म हो जाएगा? यह सच नहीं है, तुम बस overthink कर रहे हो, कई बार हालात उतने खराब होते नहीं जितना हम उन्हें समझ लेते हैं। 100 में से 97 बार, जो हम सोच रहे हैं, वह होता ही नहीं।''
मंदिरा भूषण को समझाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन भूषण को उसकी बातें बस ज्ञान लग रही थी। भूषण ने मंदिरा की तरफ़ देखकर नाराज़गी से आह भरी, मंदिरा समझ गयी कि भूषण इस वक्त कुछ भी सुनने की हालत में नहीं है, और वह चुप हो गयी। भूषण ने उसकी आँखों में गहरी नज़र डाली और बेचैनी के साथ कहा
मैं समझ रहा हूँ तुम्हारी बात, लेकिन इस वक्त मुझे बातों की नहीं, बल्कि तुम्हारी मदद की ज़रूरत है। क्या तुम मेरी मदद कर सकती हो?
मंदिरा ने भूषण की बेचैनी को देखा और फिर कुछ सोचते हुए बोली, ‘’वैसे तुम यहाँ से जाने का फैसला कर चुके हो, तो मैं ऐसा करना नहीं चाहती लेकिन मैं तुम्हारी मदद करूंगी। उसके लिए तुम्हें रात तक का इंतज़ार करना होगा और तुम्हें भी मेरी मदद करनी होगी, मंज़ूर है?''
भूषण(हैरान)- क्या?
मंदिरा की बात पर भूषण हैरान हुआ, क्योंकि उसके सामने अब सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर मंदिरा उससे क्या कराना चाहती है? भूषण को यूं हैरान-परेशान देख आखिरकार मंदिरा ने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा, ‘’देखो यहाँ से दिल्ली एअरपोर्ट जाना है, तो कोई VEHICLE होना चाहिए, फिलहाल वह मौजूद नहीं, दूसरी बात मौसम खराब होने की वजह से हम चॉपर भी नहीं भेज सकते, और ऐसे में तुम्हें वह मिलेगा भी नहीं, लेकिन अगर तुम मेरी मदद के लिए तैयार हो जाओ, और मेरा एक काम करोगे तो मैं शायद कुछ कर पाऊं...''
भूषण(झुँझलाते हुए)- क्या?
मंदिरा(बिना रुके बोलते हुए तेज़ी से)- तुम्हें आज रात की पार्टी में DJ का काम करना होगा। मैं वादा करती हूँ, मैं तुम्हारी मदद करूंगी और तुम्हें फ़ोन भी फुल चार्ज मिलेगा.
भूषण ने एक पल सोचा और फिर मंद मुस्कान के साथ हाथ बढ़ाया और कहा, ‘’डील।''
इस पर मंदिरा ने भी मुस्कुराकर हाथ मिलाया और उसके बाद भूषण ऑफिस से निकल गया। भूषण को बाहर जाते देख मंदिरा ने धीमी आवाज़ में कहा, ‘’शायद आज भूषण को अंदाज़ा हो कि लाइफ में स्लो-डाउन करने की ज़रूरत है''
मंदिरा की बात सुनकर उस बूढ़े आदमी ने पीछे से कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह ज्यादा दिन यहाँ रहेगा, बहुत ज़िद्दी है” मंदिरा ने उसे मुस्कराते हुए देखा और फिर कहा, ‘’मुझे नहीं लगता कि गुप्ता अंकल यह वैसा है। i think, यह बस एक मुखौटा है, जो वह दुनिया से बचने के लिए लगाता है। उम्मीद है यह हट जायेगा। वह कहते हैं न, उम्मीद पर दुनिया कायम है।''
गुप्ता जी ने मंदिरा की बात पर हँसते हुए हामी भरी, मंदिरा ने भूषण का फोन उनसे लिया और बाहर निकल गई। बाहर जाते ही मंदिरा ने अपनी पॉकेट से एक दूसरा फोन निकाला और किसी को फोन करते हुए कहा, ‘’फोन मेरे पास आ गया है, अब तुम जानते हो आगे क्या करना है, और हाँ, भूषण बहुत ज़्यादा स्मार्ट है, काम सफ़ाई से करना।''
मंदिरा सोच रही थी कि शायद भूषण उसकी बात मानकर थोड़ा रिलैक्स हो जाएगा, लेकिन भूषण का हाल उसका बिल्कुल उल्टा था। वह मंदिरा की बात मानकर वापस अपने कमरे की तरफ तो बढ़ गया था, लेकिन उसके मन की बेचैनी कम नहीं और बढ़ गई थी। उसे लग रहा था जैसे परेशानी ने उसे चारों तरफ़ से घेर लिया था। भूषण अपने कमरे में घुसने ही वाला था कि तभी उसने सोचा कि वह एक बार राघव के कमरे में देख ले, भूषण ने राघव के कमरे में झाँका तो देखा कि राघव अपने बेड पर एक तरफ मुंह कर लेटा हुआ था। भूषण ने अंदर जाकर राघव से मिलने की सोची, लेकिन फिर रुक गया। उसने अपने मन में सोचते हुए कहा, ‘’नहीं, इससे मिलने के लिए यह सही वक्त नहीं है,''
भूषण अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। अंदर जाते ही उसने अपने आप को एक पल के लिए अकेला महसूस किया। वहां का सन्नाटा, चारों ओर फैली हुई चुप्पी, उसे एक पल के लिए सुकून देने वाली लगी, लेकिन फिर उसके दिमाग में अविनाश की बातों की बाढ़ आ गई। उन बातों को सोचते हुए भूषण अपने सिर पर हाथ रखकर बैठ गया, देखते ही देखते दिन ढल गया। शाम के ढलते सूरज के साथ ही पार्टी शुरू हो गई। शर्त के मुताबिक भूषण पार्टी में जा रहा था, लेकिन उसका लोगों से मिलने-जुलने का डर उसके दिल में बरकरार था। वहाँ पहुंचकर उसे मालूम चला कि यह पार्टी एक Farewell Party थी, उन लोगों के लिए जो वहां से आज जाने वाले थे। भूषण को कुछ अजीब लगा उसने मन ही मन सोचते हुए कहा, ‘’यह तो farewell पार्टी है, फिर मुझे और राघव को invitation क्यों आया? कहीं किसी ने जान-बूझकर राघव को उकसाने के लिए यह तो नहीं किया, नहीं, नहीं, मंदिरा ने बताया तो था कि राघव यह सब क्यों कर रहा था। यह मंदिरा लेकिन है कहाँ?''
भूषण ने यह सवाल खुद से करते हुए पार्टी में इधर-उधर देखा, कुछ देर तक वह मंदिरा को तलाशता रहा, लेकिन उसे वह कहीं नहीं नज़र आई। भूषण ने अपने वादे के मुताबिक dj का काम संभालना शुरू कर दिया, लेकिन मंदिरा नहीं आई। भूषण ने सोचते हुए खुद से कहा, ‘’कहाँ है मंदिरा, इसने मुझे बेवकूफ तो नहीं बना दिया…''
भूषण थोड़ा परेशान हुआ लेकिन फिर उसने देखा कि लोग उसके पस अपने गानों की रिक्वेस्ट लेकर आने लगे। भूषण को पहले यह सब थोड़ा अजीब लगा, फिर उसे यह काम करने में मज़ा आने लगा। लोगों की आवाजें, उनका हंसी-मज़ाक, और संगीत की धुनें अब उसके मन में एक अजीब सा आकर्षण पैदा कर रही थीं। हर गाने के साथ उसकी घबराहट कम होती जा रही थी, और वह खुद को एक नई दुनिया में महसूस करने लगा। भूषण अपने काम में मगन था कि कुछ देर बाद भूषण के कानों में एक औरत की आवाज़ पड़ी, जिसने इस रिज़ॉर्ट में खुद के अनुभव को बताते हुए कहा “मेरे जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब मैं खुद को खो चुकी थी। मैंने अपनी जिंदगी में घरेलू हिंसा का सामना किया, और मुझे लगा कि अब मैं कुछ नहीं कर सकती। मेरे पति ने मुझे मानसिक रूप से तोड़ दिया था, और मैं किसी से कुछ नहीं कह सकती थी। फिर मैंने खुद को संभाला और उस घाव को भरने के लिए इस जगह को चुना। इस रिज़ॉर्ट ने मुझे नया जीवन दिया, यहाँ आकर मैंने एक नई शुरुआत की” उस औरत की बात सुनकर भूषण ने गहरी सांस ली, उसके दिल में उस औरत की कहानी ने कुछ गहरा असर डाला। उसे लगा जैसे वह उस औरत के दर्द को समझ सकता था, उसने खुद से पूछा, ‘’क्या मुझे भी यहाँ रहकर कुछ नया शुरू नहीं करना चाहिए? अगर इस जगह पर इतने लोग अपनी नई जिंदगी शुरू कर सकते हैं, तो क्या मैं भी ऐसा नहीं कर सकता?''
उसके दिमाग में सवालों की बाढ़ आने लगी। क्या वह अपने जीवन में कुछ नया शुरू करने की हिम्मत जुटा सकता है? क्या वह अपनी घबराहट, तनाव और दबाव को छोड़कर एक नई राह पर चल सकता था? इन सवालों ने उसे थोड़ा बेचैन भी किया लेकिन जैसे-जैसे गाने बजते गए, भूषण का मन धीरे-धीरे शांत होने लगा। उसकी बेचैनी कम होती जा रही थी, और अब वह उस माहौल का हिस्सा बन चुका था। डीजे console पर काम करते हुए वह पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस कर रहा था लेकिन बीच-बीच में उसका मन किसी और दिशा में भी भाग रहा था। अचानक एक आदमी भूषण के पास आया, हाथ में एक पैकेट लिए। भूषण ने उस आदमी की ओर देखा, तो उस आदमी ने उसे इशारा करके पैकेट लेने और अंदर जाने के लिए बोला। भूषण थोड़ा चौंका, लेकिन फिर भी पैकेट को हाथ में लिया और अंदर अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। कमरे में जाकर उसने पैकेट खोला, और अंदर जो चीज़ें निकलीं, उन्हें देख भूषण चौंक गया. उसके सामने एक ट्रेन का टिकट था और उसका फोन, जो अब पूरी तरह से चार्ज हो चुका था। भूषण ने फोन को उठाया, और आँखों में एक चमक के साथ कहा, ‘’वाह! क्या बात है, उसने अपना वादा निभाया....चलो कम से कम कोई तो अपनी बातों का पक्का है''
भूषण अभी अपने आप में यह सब बातें कर ही रहा था कि इससे पहले कि वह किसी नंबर को डायल कर पाता, उसका फोन बजने लगा। भूषण ने देखा, अविनाश का कॉल था। भूषण ने कॉल उठाते ही कहा, ‘’हाँ अविनाश, देख तू फ़िक्र मत करना....मैं आ रहा हूँ, arrangement होगया…''
अविनाश ने भूषण की बात को बीच में ही काटते हुए कहा भूषण “सब ठीक हो गया है। कावेरी बस ब्रेक ले रही थी, और मुझे लगता है उसने सही किया क्योंकि उसने जो solution दिया वह बहुत अच्छा था, मैंने खुद प्रजेंटेशन चेक किया है, और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि क्लाइंट को भी यह बहुत अच्छा लगेगा” अविनाश की आवाज में सुकून था, और उसकी बात से भूषण के चेहरे पर राहत की लहर दौड़ गई । वह मंद मुस्कान के साथ अपनी कुर्सी पर बैठा, अविनाश की बात सुनकर उसकी सारी चिंता गायब हो गई। एक पल के लिए भूषण ने अपनी आँखें बंद की और धीरे से कहा, ‘’कभी-कभी हमें ब्रेक लेना चाहिए, हम लगातार दौड़ते रहते हैं, लेकिन कुछ समय के लिए रुकना, धीरे-धीरे चलना भी जरूरी है, आज सुबह ही किसी ने मुझसे कहा था यह .. और सही ही कहा था…''
भूषण की बात सुनकर अविनाश ने उससे पूछा “तो अब, तो अब तू क्या करेगा? वहां से वापस आएगा? अविनाश के सवाल पर भूषण की आँखों में एक चमक आ गयी और उसने एक गहरी सांस लेकर कहा, ‘’मैं ब्रेक लूँगा....''
क्या भूषण का यह कदम दिलाएगा उसे उसके दर्द से राहत? क्या रिनी को भूलने में मंदिरा करेगी उसकी मदद? क्या होगी मंदिरा और भूषण के बीच एक दोस्ती की शुरुआत? क्या कर रही है मंदिरा भूषण के पीठ पीछे? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग.
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