भूषण का ड्रीम प्रोजेक्ट उसकी जूनियर को दे दिया गया था। अविनाश ने ऐसा क्यों किया था, यह बात भविष्य के गर्भ में छुपी हुई थी, लेकिन आज, इस वक्त भूषण अपनी ज़िंदगी के उस मोड़ पर था, जहां उसके साथ तनहाई के सिवा कुछ नहीं था। ऑफिस से निकलने के बाद भूषण समंदर के किनारे खड़ा अपने जीवन की डूबती हुई नैया को देख रहा था। आसमान में बादल गरज रहे थे, जिनकी आवाज़ सुनकर भूषण को लग रहा था कि जैसे यह  आकाश भी उसके साथ चीख रहा हो। वह मन ही मन यह  बात सोचते हुए आसमान की तरफ देखा, जो काले बादलों से घिरा हुआ था। उसने ऊपर देखकर उदासी के साथ कहा, ‘’इन काले बादलों की ही तरह, मेरी ज़िंदगी में भी अंधेरा छा रहा है। न जाने, मुझे किस बात की सज़ा मिल रही है। पहले पापा, फ़िर रिनी और अब मेरी जॉब.... आखिर क्यों? मेरे साथ ही ऐसा क्यों?

 

भूषण अपने सवालों के जवाब जानने के लिए बेचैन था। उसकी आँखों में नमी थी, उसे देखकर ही लग रहा था कि अब भूषण के पास जीवन को जीने की कोई उम्मीद ही नहीं बची थी। दोपहर से शाम हुई और शाम से रात… भूषण उसी किनारे पर बैठा रहा। रात का स्याह अंधेरा, आसमान से गिरती हल्की बारिश और भूषण का अकेलापन उसे अंदर ही अंदर तोड़ रहा था, लेकिन तभी उसके इस अकेलेपन में एक फोन कॉल ने खलल  डाल दिया। यह  कॉल एक अनजान कॉलर का था।  भूषण ने चौंकते हुए स्क्रीन को देखा, पर उसके कॉल उठाने से पहले ही कॉल कट गया।

 

भूषण(अफ़सोस के साथ)- लगता है किसी ने गलती से कर दिया, वरना मुझसे बात करने वाला है ही कौन? एक अविनाश था, लेकिन आज उसने भी मुझे बीच मँझधार में छोड़ दिया....  

 

भूषण यह  सब सोच ही रहा था कि तभी उसके कानों में एक गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ आई, उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक काली बड़ी गाड़ी उसकी तरफ आ रही थी। वहाँ किसी गाड़ी के आने से भूषण को हैरानी हुई, क्योंकि समंदर के जिस किनारे पर वह था, वहाँ वह सिर्फ रिनी के साथ आया करता था और उस जगह ज़्यादा लोग नहीं आते थे। उसकी हैरानी तब और बढ़ गई जब वह गाड़ी उसके ठीक सामने आकर रुकी। उसकी हेड्लाइट की हाई बीम से भूषण की आँखें चुँधियाने लगी, उसने अपनी आँखों को हाथ से ढकने की कोशिश की, लेकिन तभी उसकी नज़र गाड़ी से उतरती हुई लड़की पर पड़ी, जिसे देख उसने चौंकते हुए कहा, ‘’रिनी…''

गाड़ी से उतरने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि रिनी थी। भूषण ने एक बार अपनी आँखें मलते हुए सामने देखा, लेकिन हालात जस के तस रहे… रिनी सच में वहाँ मौजूद थी। रिनी उसके नजदीक आ रही थी। भूषण के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थी, लेकिन उसके दिल के एक छोटे से कोने में अब भी कहीं एक उम्मीद का कण चमक रहा था, जिसकी वजह से भूषण ने मन ही मन सवाल करते हुए कहा, ‘’रिनी को क्या हुआ? कहीं वह  क्षितिज से रिश्ता तो नहीं तोड़ रही? क्या पता आज रिनी को अपनी गलती का एहसास हुआ हो, तभी वह यहाँ आई है।''

 

भूषण अपनी सोच में डूबा हुआ रिनी को देख रहा था। रिनी धीरे-धीरे चलकर भूषण के पास आई और अपने हाथ में पकड़ा छाते को भूषण के सिर पर करते हुए बोली, ‘’भूषण, यह  क्या है? तुम यहाँ बारिश में क्यों भीग रहे हो? ऐसे तो बीमार पड़ जाओगे…''

रिनी का ऐसा बर्ताव देखकर भूषण को हैरानी हुई, क्योंकि बीते कुछ महीनों में भूषण को रिनी से सिर्फ बेरुखी भरे जवाब मिले थे। रेगिस्तान में खोए किसी मुसाफिर को जैसे पानी की एक बूंद से ही खुशी मिल जाती है, उसी तरह की खुशी इस वक्त भूषण भी महसूस कर रहा थ, पर उसे अपनी आँखों पर अब भी यकीन नहीं हो रहा था। उसने रिनी की तरफ देखा और फ़िर सवाल करते हुए कहा, ‘’रिनी, इतनी रात को तुम यहाँ...''

 

भूषण ने इतना ही कहा था कि रिनी एकदम उसके गले लग गई और लिपटकर रोते हुए बोली, ‘’यहाँ नहीं आती तो और कहाँ जाती, एक यह  ही तो जगह है जो मुझे सुकून देती है। तुम्हारे बिना हर जगह बस काटने को दौड़ती है, लेकिन यहाँ आकर मुझे एहसास होता है कि तुम मेरे आसपास हो...''

 

रोते हुए रिनी की सिसकियाँ तेज़ हो गई। भूषण के चेहरे पर पहले हैरानी और फिर चिंता का भाव उभरा, लेकिन उसने अपने हाथों को थोड़ा पीछे रखा और रिनी की को बिना छूए खड़ा रहा, रिनी ने रोते हुए कहा, ‘’क्षितिज... उसने मुझे धोखा दिया! उसने अपनी ही एक दोस्त के साथ मुझपे चीट किया, भूषण! कल हमारी सगाई थी और उसने मेरे साथ…''

 

रिनी की बात सुनकर भूषण का चेहरा पहले गुस्से से लाल हो गया, फिर उसने रिनी को हल्के से पीछे हटाया और उसकी आंखों में देखा और झुंझलाहट के साथ कहा, ‘’मैंने तुमसे कहा था, रिनी। वह  आदमी तुम्हारे लायक नहीं है, पर तुमने मेरी एक नहीं सुनी। तुमने मुझे छोड़कर उसे चुना! आज देखो, वही आदमी तुम्हें धोखा देकर चला गया और इतना ही नहीं, कल उसने मुझे मारने की कोशिश की और जब वह  ऐसा नहीं कर पाया, तो अपने उस गुंडे को ही मरवा दिया....

 

यह  बात बोलते हुए भूषण एक पल के लिए रुका, उसकी आवाज थोड़ी धीमी हो गई।  उसने रिनी की ओर देखा फिर एक गहरी सांस लेकर बोला, ‘’लेकिन कोई बात नहीं। अब सब ठीक हो जाएगा। कम से कम तुम्हें अपनी गलती का अहसास....''

 

भूषण ने यह  बात कहते हुए रिनी की तरफ देखा और हैरान रह गया। रिनी की आँखों में अब आँसू नहीं बल्कि एक खतरनाक चमक थी, भूषण को कुछ अटपटा महसूस हुआ, वह  कुछ कहने ही वाला था कि तभी पीछे किसी ने उसके सिर पर ज़ोरदार वार किया। भूषण को असहनीय दर्द हुआ और वह  डगमगाता हुआ घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गया। उसने दर्द भरी आँखों से रिनी की तरफ़ देखा। रिनी अजीब तरह से हँसने लगी थी।

 

रिनी(हँसते हुए)- तुम कितने भोले हो, भूषण, और कितने बेवकूफ!

 

रिनी को हँसते हुए देख भूषण को बहुत तेज़ गुस्सा आया, उसने छटपटाते हुए रिनी को पकड़ने की कोशिश की लेकिन रिनी के साथ आए आदमियों ने भूषण को जकड़ लिया। रिनी ने तंज भरी हंसी के साथ अफ़सोस जताते हुए कहा, ‘’अरे! बेचारा भूषण, तुम कितने बड़े बेवकूफ हो। तुम सच में सोचते हो कि मैं यहां रोने और तुम्हारे कंधे पर सिर रखने आई हूं? तुम जैसे आदमी के पास??? अब पता चला क्यों मैंने तुमसे रिश्ता तोड़ा? तुम में कोई खास बात है ही नहीं, और सुना है कि आज तो तुमने अपनी जॉब भी खो दी..तो अब तो तुम्हारे पास वाकई कुछ नहीं है, तो फ़िर ऐसा जीवन जीना ही क्यों है? चलो मैं तुम पर एक आखिरी अहसान करती हूँ, तुम्हें मुक्ति दे देती हूँ..''


रिनी ने यह  बात कहते हुए अपने आदमियों को इशारा किया और दांत भींचते हुए कहा, ‘’इसका वह  हश्र करो कि एक इग्ज़ैम्पल सेट हो जाए कि रिनी के साथ पंगा लेने का अंजाम क्या होता है।''

 

रिनी का इशारा मिलते ही उन लोगों ने भूषण को लोहे की रॉड से मारना शुरू कर दिया। कभी पीठ तो कभी पैरों पर। भूषण दर्द से चीख रहा था, लेकिन रिनी वहां बिल्कुल शांत खड़ी थी, उसने अपने बालों को सेट करते हुए कहा, ‘’क्षितिज ने जो ऑफिस में किया, वह  सिर्फ उसका बदला था, लेकिन तुमने जो मेरे साथ किया, उसकी सजा इतनी आसान नहीं हो सकती।  तुम मेरे लिए और मेरे आने वाले कल के लिए खतरा हो, इसलिए तुम्हें रास्ते से हटना होगा।''  

रिनी ने अपनी जेब से एक पिस्तौल निकाली और भूषण की तरफ तानी। उसके चेहरे पर क्रूर मुस्कान थी, उसने आँखों में गुस्सा लिए कहा, ‘’याद है, तुमने मेरे माथे पर बंदूक रखी थी? मुझे धमकाया था? अब वही चीज तुम्हारे साथ होगी। फर्क बस इतना है, कि मैं तुम्हें मारने से हिचकूँगी नहीं।''

इसके बाद रिनी ने भूषण के माथे पर पिस्तौल रखी और भूषण की तरफ देखकर क्रूर मुस्कान के साथ बोली, ‘’गुड बाय! भूषण... हैव ए डीप स्लीप …''

 

रिनी के इतने कहते ही गोली चलने की आवाज़ आई। कुछ ही देर में भूषण का खून रेत पर फैल चुका था, वह ज़मीन पर ढेर पड़ा था। बारिश की बूंदों ने भूषण के चेहरे को भिगो रखा था, उसकी धुंधली होती आँखों के सामने रिनी के कदम धीरे-धीरे दूर होते जा रहे थे। उसने अपनी पूरी ताकत जुटाकर आवाज लगाने की कोशिश की, लेकिन उसके गले से बस एक धीमी कराह ही निकली। रिनी पलटी नहीं… अपनी गाड़ी में बैठी और तेज रफ्तार से वहाँ से चली गई। भूषण के शरीर में हलचल कम होती जा रही थी। उसने ऊपर आसमान की ओर देखा, जहाँ काले बादल अब भी गरज रहे थे। बूंदें उसकी आँखों पर पड़ रही थीं और उसकी पलकें धीरे-धीरे बंद हो रही थी, लेकिन तभी भूषण के कानों में एक आवाज़ आई, उसने हिम्मत करके आँखें खोली तो सामने एक लड़की थी, जिसने एक मुस्कान के साथ भूषण के चेहरे को छुआ और कहा, ‘’भूषण... मिस्टर भूषण....मेरे होते आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं....,मैं आपको कुछ नहीं होने दूँगी।''

 

अपना नाम सुनने के बाद भूषण ने एक गहरी सांस ली, जिसके बाद अचानक उसकी आँख खुली और उसके कान में एक बीप की आवाज़ आई। उसके सामने सब धुंधला था, लेकिन जल्दी ही भूषण को एहसास हुआ कि वह  अपने बेड पर ही मौजूद था। उसने देखा कि  सामने अविनाश को बैठा हुआ देखा। अविनाश एक कुर्सी पर आराम से बैठा अपनी घड़ी को सही कर रहा था। भूषण ने माथे पर हाथ रखा। वहाँ एक छोटी बैंडेज लगी थी, और सर में जोर का दर्द हो रहा था। उसने धीरे-धीरे कहा, ‘’तुम यहाँ क्या कर रहे हो? वह  लड़की....कहाँ है?''

 

अविनाश ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में हल्की चिढ़ और लापरवाही थी। उसने अपनी घड़ी को टटोलते हुए कहा, “क्या करूँ? मेरी किस्मत में तेरे जैसे दोस्त हैं। गलत समय पर, गलत जगह पर होने की आदत है मुझे। उसकी बात सुनकर भूषण ने हैरानी से पूछा, ‘’क्या मतलब?''

 

अविनाश कुर्सी पर आगे झुकते हुए बोला, “मतलब यह  कि आज मैंने और भावना ने मूवी डेट प्लान की थी, लेकिन डॉक्टर ने कहा कि आज तेरी हालत में इम्प्रूव्मन्ट हुआ है, और तुझे होश आ सकता है, इसलिए सुबह से यहाँ हूँ... और तू कौन सी लड़की की बात कर रहा है?” अविनाश की बात सुनकर भूषण ने हैरान होते हुए कहा, ‘’आज इम्प्रूव्मन्ट हुआ है, मतलब? मैं कब से इस हालत में हूँ.. (चारों तरफ़ देखकर)और मैं घर कब आया…''

 

अविनाश ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और फ़िर उसके पास आते हुए बोला “क्या? तुझे कुछ याद नहीं है? तू यहाँ 3 हफ़्तों से है...तेरी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ था और तेरे सिर में गहरी चोट आई थी”। अविनाश की बात सुनकर भूषण ने चौंकते हुए कहा, ‘’क्या? मेरा एक्सीडेंट हुआ था? नहीं... मेरा एक्सीडेंट नहीं हुआ था, मुझे तो रिनी के आदमियों ने मारा.. वह  बीच पर मुझसे मिलने आई, और… फिर उसने गोली…''

भूषण के चेहरे पर उलझन साफ़ थी, दर्द की वजह से वह  दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर नहीं डाल पा रहा था। उसे यूं परेशान देख अविनाश ने कहा “तू यह  सब क्या बोल रहा है, तुझे किसी ने किसी से नहीं मरवाया, तू अगर आज यहाँ है तो वह  रिनी की वजह से है...उसने ही मुझे मैसेज किया था, तेरे एक्सीडेंट के बारे में” अविनाश ने इतना कहते हुए एक लंबी साँस ली और अपनी जेब से फोन निकाला। उसने स्क्रीन भूषण के सामने करते हुए कहा, “यह  देख”। भूषण ने फोन पर मैसेज देखा और उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसने हैरानी से पूछा, ‘’यह ... रिनी ने तुम्हें मैसेज किया? मैं सच कह रहा हूँ, रिनी मुझसे मिलने आई थी, और उसने ही अपने आदमियों से मुझे मारने के लिए कहा। फ़िर जब मैं बेहोश था तब वहाँ एक लड़की आई और उसने मेरा नाम पुकारा.... पर तू कह रहा है कि रिनी ने तुझे मैसेज किया? क्या सब मेरा सपना था…''

 

अविनाश ने सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ,शायद हो सकता है कोई बुरा सपना हो... पर हाँ यह  बात सच है कि रिनी ने तुम्हारी लोकेशन भेजी। वह  भी ऐसा इसलिए कर पाई क्योंकि उसकी सिस्टर-इन-लॉ, वहाँ से गुजर रही थी। उसने तुझे बीच पर पड़ा देखा और रिनी को बताया। तब रिनी ने मुझे मैसेज किया और… रेस्ट इज़ हिस्ट्री..” अविनाश की बात सुनकर भूषण के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आई। भूषण को खुश होते देख अविनाश ने हाथ उठाकर उसे रोकते हुए कहा, रुको-रुको। अपने दिमाग के घोड़े मत दौड़ाओ। रिनी ने ऐसा बस इत्तेफाक से किया, उससे ज़्यादा कुछ नहीं” भूषण ने अविनाश की बात सुनी और फ़िर कुछ सोचते हुए बोला, ‘’अगर यह  सब सपना था तो इसका मतलब मेरा प्रोजेक्ट अभी भी मैं ही हैन्डल कर रहा हूँ... सच में बहुत बुरा सपना था…''

 

भूषण ने मुस्कुराते हुए अविनाश को देखा, लेकिन अविनाश के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। उसे देखकर भूषण के चेहरे की मुस्कान भी गायब हो गई। अविनाश ने धीरे से भूषण के पास जाते हुए कहा “तेरा प्रोजेक्ट काव्या संभाल रही है, पहले तुझे निकाल रहे थे, लेकिन एक्सीडेंट की न्यूज सुनने के बाद यह  डिसाइड हुआ कि तुम्हें एक लॉंग ब्रेक लेना होगा, जब तक तुम मेंटली और फिजिकली ठीक न हो जाओ” अविनाश की बात सुनकर भूषण हैरान रह गया। उसने अफ़सोस के साथ एक गहरी सांस भरी और कहा, ‘’अगर यह  सब सच है, तो वह  सब झूठ कैसे हुआ?''

 

भूषण ने यह  बात कहकर अपना सिर ऊपर उठाया कि तभी उसकी नज़र साइड टेबल पर रखे एक ब्रेसलेट पर पड़ी, जिसे देखकर भूषण ने कुछ याद करने की कोशिश की और फ़िर हैरानी के साथ मन ही मन में कहा, ‘’यह  ब्रेसलेट .. यह  तो उस लड़की के हाथ में था, जो मेरे सपने में आई...''


भूषण को हैरान परेशान देख अविनाश ने उस ब्रेसलेट को उठाया और भूषण की तरफ करते हुए बोला “क्या हुआ? इसे घूर-घूरकर क्यों देख रहे हो? यह  तुम्हारा ही है, रिज़ॉर्ट में इसे लेकर जाना जरूरी है..और इसे ब्रेसलेट नहीं कहते, यह आई कार्ड जैसा होता है” अविनाश की बात सुनकर भूषण ने चौंकते हुए कहा, ‘’रिज़ॉर्ट? कौन सा रिज़ॉर्ट?

 

भूषण के सवाल पर अविनाश ने उसकी तरफ देखा और नाराजगी के साथ बोला “अब यह  मत कहना तुम्हें याद नहीं... तुमने ब्रेक अप रिज़ॉर्ट में अपनी सीट बुक कर ली है, चार दिन बाद प्रोग्राम शुरू होने वाला है” अविनाश की बात सुनकर भूषण के पाँव तले से ज़मीन खिसक गई, क्योंकि भूषण को कुछ भी याद नही था, जो कुछ हुआ वह उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं था।

 

आखिर क्या हुआ है भूषण के साथ? क्या उसने देखा था महज़ एक सपना या सपने के पीछे है कोई रहस्य? कौन थी वह लड़की? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।

 

 

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