भूषण (हैरान, परेशान) -“तुम लोग मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते अविनाश।  यह एक तरह का धोखा है, जो मुझे मेरे दोस्तों से ही मिल रहा है। ”

भूषण ने यह  शब्द अपने सामने खड़े अविनाश और अपने बॉस संजीव से कहे थे। लेकिन भूषण ने ऐसा क्यों कहा? यह  बात जानने के लिए आधी रात के उन लम्हों में जाना होगा, जब भूषण अविनाश को उसके घर छोड़कर वापस अपने फ्लैट पर आ चुका था। भूषण का फ्लैट मुंबई की एक पॉश सोसाइटी में था, लेकिन जब भूषण ने अपने घर का दरवाज़ा खोला, तो सारी सुविधाओं से लैस यह  घर भी उसकी आँखों में चुभने लगा था। नज़र घर के जिस भी कोने में जाती, वहाँ उसे दूर-दूर तक बस तनहाई ही नज़र आती। उसके कपड़े ड्रॉइंग रूम में पड़े सोफ़े पर बिखरे हुए थे। उसने एक गहरी सांस लेते हुए अपने कदम सोफ़े की तरफ बढ़ाए, उस पर से एक एक करके कपड़े उठाए और उन्हें लेकर अपने कमरे में चला गया। कमरे में पहुंचा तो वहाँ का हाल भी बाहर जैसा ही था, जिसे देखकर भूषण ने खुद पर झल्लाते हुए कहा, ‘’क्या हाल बना दिया है मैंने अपने घर का...हो क्या गया है मुझे। हर तरफ बस कूड़ा भरा हुआ है...कल मेड को बुलाना ही पड़ेगा।''

भूषण की फ्रस्ट्रेशन उसके चेहरे से साफ़ झलक रही थी। उसने एक बार पूरे घर की तरफ़ नज़रें घुमाई और फिर  अपने कमरे की बालकनी पर जाकर खड़ा हो गया जहाँ से सामने समंदर की लहरें दिखती थीं। वहाँ से आती ठंडी हवा भूषण को थोड़ी राहत दे रही थी, लेकिन तभी भूषण को एहसास हुआ कि उसके होंठ के पास से कुछ बह रहा था। भूषण ने अपने हाथ से अपने होंठों को छुआ तो देखा खून था। रुमाल निकालने के लिए अपनी ब्लेज़र की जेब में हाथ डाला तो अहसास हुआ कि रुमाल के साथ-साथ उसकी जेब में एक और चीज़ भी थी… भूषण ने जब उसे जेब से निकाला तो चौंकते हुए बोला, ‘’यह  अविनाश भी न, ना जाने कहाँ-कहाँ से ऐसी जगहों का पता निकालता है। ब्रेकअप रिज़ॉर्ट… (नाराजगी से)यह  कैसा नाम हुआ, ब्रेकअप रिज़ॉर्ट... पैसे बनाने के क्या-क्या नए तरीके निकाल रहे हैं लोग। मैं ऐसी किसी जगह पर नहीं जाने वाला। मुझे ठीक होने के लिए किसी की ज़रूरत नहीं..''

भूषण ने इतना कहते हुए उस कार्ड को फाड़कर अपनी बालकनी से नीचे फेंक दिया और फिर तेज़ कदमों के साथ चलकर अंदर आ गया, अपने कमरे को ठीक करना शुरू किया और फिर  बड़बड़ाते हुए बोला, ‘’मेरे साथ ऐसा भी कुछ नहीं हुआ है, जो मैं ठीक न कर सकूँ। बस थोड़ा बिज़ी होने की ज़रूरत है.. कल से ऑफिस में सिर्फ प्रोजेक्ट पर ध्यान देना है…''

कुछ देर बाद भूषण ने अपना सारा कमरा समेटा और सोने चला गया। भूषण ने सोने की बहुत कोशिश की लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। यूं ही जागते-जागते भूषण ने रात बिताई, लेकिन वह यह  नहीं जानता था कि जितनी बेचैनी से उसकी रात कटी है, उससे दोगुनी बेचैनी के साथ उसका दिन बीतने वाला था। अगले दिन भूषण ऑफिस के लिए तैयार हो ही रहा था कि अचानक उसके कानों में टीवी पर चल रही न्यूज की आवाज़ आई। भूषण ने सामने देखा तो, सामने चल रहे विज़ुअल देखकर वह  हैरान रह गया। उसने चौंकते हुए कहा, ‘’यह  कैसे हो सकता है, वह  भी अचानक?''

भूषण ने रीमोट उठाकर टीवी की आवाज़ बढ़ाई और ध्यान से न्यूज एंकर की बात सुनने लगा।  न्यूज एंकर ने चौंका देने वाली आवाज़ में कहा “जी हाँ, आपने सही सुना। ज़मीनों के सबसे बड़े सौदागर जोगी मलिक, आज सुबह अपने घर में मृत पाया गया । पुलिस के हिसाब से यह  मामला सुसाइड का बताया जा रहा है। आपको बता दें कि जोगी मलिक, जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट क्षितिज कपूर का करीबी था , और कल रात वह  उनकी सगाई में भी गया था, लेकिन हमारे सूत्रों ने बताया है कि क्षितिज कपूर से कुछ बातचीत करने के बाद जोगी मलिक अपने आदमियों के साथ वहाँ से निकल गया था। अचानक ऐसा क्या हुआ कि जोगी मलिक ने यह  कदम उठाया, इस बात से सभी हैरान हैं” अपने सामने चल रही ख़बर को सुनकर भूषण हक्का-बक्का रह गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, भूषण ने अविनाश को फोन भी मिलाया लेकिन अविनाश ने कॉल नहीं उठाया। भूषण ने अपना बैग और गाड़ी की चाबियाँ उठाई और तेज़ी से निकल गया। गोली की रफ़्तार से गाड़ी चलाते हुए ऑफिस पहुंचा। जैसे ही उसने ऑफिस की पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी की और लिफ्ट की ओर बढ़ा, उसके फोन पर अविनाश का कॉल आया।  उसने कॉल उठाते हुए उलझन भरी आवाज़ में कहा, ‘’हैलो अविनाश, मैं बस पहुंच गया हूं, तूने न्यूज देखी क्या? मलिक ने आत्महत्या कर ली...मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, कहीं ऐसा न हो कि क्षितिज...हमें इन सब में...''

भूषण ने तेज़ आवाज़ में यह  बात कही थी, लेकिन दूसरी तरफ से कोई आवाज नहीं आई। लिफ्ट के अंदर नेटवर्क नहीं था। भूषण ने झल्लाते हुए अपना फोन झटकते हुए कहा, ‘’अरे यार…!''

कुछ मिनटों में भूषण ऑफिस फ्लोर पर पहुँच गया, लेकिन उसने देखा कि लोग उसे घूर रहे थे। जो चेहरे हमेशा मुस्कुराते हुए उसका स्वागत करते थे, आज उन पर हैरानी के  भाव थे। भूषण ने इसे नजरअंदाज किया और मन ही मन उलझन के साथ बोला, ‘’सबको क्या हो गया है?''

भूषण सबके बीच से गुजरता हुआ अपने केबिन की तरफ जा ही रहा था कि पीछे से अविनाश की आवाज आई। उसने भूषण के पास आकर कहा, “तुझे ऑफिस नहीं आना चाहिए था...जो कल रात हुआ उसके बाद..” भूषण ने अविनाश की बात पूरी भी नहीं होने दी और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला, ‘’यह  कैसी बात कर रहा है तू? जो हुआ, उसमें हमारी कोई गलती नहीं है...''

भूषण की बात सुनकर अविनाश ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा “नहीं, पर मैंने तुझे मैसेज भी किया था..”। अविनाश ने इधर-उधर देखा और भूषण के नजदीक जाकर उसके कान में कहा “तूने रिनी के सिर पर गन लगाई थी, उसका किसी ने विडिओ बनाया और वाइरल कर दिया। ऑफिस में सबको लग रहा है तू एक स्टॉकर है...जो लड़कियों के साथ यह  सब…”

 

भूषण(हैरान)- क्या? यह  सब उसकी वजह से ऐसा कर रहे हैं? खैर, इन सब को छोड़… क्या तुझे मलिक के बारे में पता चला, मलिक ने सुसाइड कर लिया.. 

भूषण की बात सुनकर अविनाश के चेहरे का रंग बदल गया। उसने चौंकते हुए पूछा “क्या? मलिक... (हकलाते हुए) मलिक...”अविनाश आगे कुछ कहने ही वाला था कि तभी उनके बॉस संजीव अपने केबिन से बाहर आए। उन्होंने गंभीर आवाज़ में कहा अविनाश, भूषण... अंदर आओ। भूषण ने संजीव को देखकर चिढ़ते हुए कहा, ‘’संजीव को अभी भी मीटिंग करनी है..चल...''

भूषण इतना कहकर अंदर जाने लगा, अविनाश ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन भूषण नहीं रुका। जैसे ही भूषण संजीव के केबिन में घुसा, वहां बैठे शख्स को देखकर वह  सन्न रह गया। भूषण ने क्षितिज को देखा, फिर संजीव की तरफ बेबसी के साथ देखकर कहा, ‘’यह  यहाँ क्या कर रहा है संजीव?''

क्षितिज ने गुस्से के साथ भूषण को देखा और फिर  संजीव की तरफ सिर घुमाकर कहा “मैं यहाँ अपने दोस्त और नए बिजनस पार्टनर को यह  बताने आया हूँ कि तुम जैसा पागल आदमी हमारी कंपनी के लिए ठीक नहीं है। संजीव, जो शख्स रात को एक जानवर की तरह हरकत करता है, वह  इस ऑफिस का हिस्सा कैसे हो सकता है? यह  एक घटिया साइको है, जो लड़कियों को स्टॉक करता है”। क्षितिज की बात सुनकर भूषण ने गुस्से में संजीव की तरफ़ देखा और कहा, ‘’संजीव यह  सब क्या कह रहा है? यह  कंपनी का पार्टनर कबसे बन गया? यह  सब क्या बकवास है?''

क्षितिज ने उसकी बात काटते हुए कहा, “बकवास? तुमने जो कल रात किया, वह  बकवास नहीं था? एक होटल में जाकर तमाशा किया, लोगों को धमकाया, और खुद को खत्म करने की कोशिश की। क्या तुम इसे सही कहोगे?” क्षितिज की बातें सुनकर भूषण का पार चढ़ गया और उसकी साँसे तेज़ हो गई, उसने गुस्से से संजीव की तरफ देखा, लेकिन संजीव के कुछ बोलने से पहले ही क्षितिज ने कह, “संजीव, मुझे नहीं पता तुम्हारी कंपनी पॉलिसी ऐसे केसेस में क्या कहती हैं, लेकिन मैं अपना बता देता हूँ, अगर तुम्हें यह  आने वाला प्रोजेक्ट मेरी कंपनी के साथ करना है तो मुझे यह  इंसान यहाँ नहीं चाहिए, इसी वक्त से”। क्षितिज की बात सुनकर भूषण की आँखों में गुस्सा उतर आया, वहीं संजीव ने बात संभालने की कोशिश करते हुए कहा “क्षितिज प्लीज...मैं मानता हूँ भूषण ने गलती की है, पर यह  सही..” संजीव अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि भूषण एक झटके के साथ अपनी कुर्सी से उठा और बाहर निकलकर तेज़ कदमों के साथ अपने कैबिन में गया। वहाँ उसने  महसूस किया कि उसके चारों ओर एक अजीब सी घुटन पसरी हुई थी, लेकिन उसके भीतर का तूफान कहीं ज़्यादा भयंकर था। भूषण ने अपनी कुर्सी पर बैठने की कोशिश की, लेकिन बेचैनी उसे टिकने नहीं दे रही थी। तभी, भूषण की आँखों के सामने वह  रात उभर आई जब वह  रिनी का इंतज़ार कर रहा था।  

फ्लैशबैक
रात का वक्त था, डाइनिंग टेबल पर रखा खाना ठंडा हो चुका था। घड़ी में 12 बज रहे थे, भूषण वैसे तो अपने लैपटॉप में काम कर रहा था, लेकिन उसका ध्यान घड़ी पर ज़्यादा और काम पर कम था। आखिरकार, दरवाज़ा खुलने की आवाज आई। रिनी अंदर आई, उसकी आँखों में थकान थी, लेकिन होंठों पर मुस्कान भी खिली हुई थी। भूषण ने लैपटॉप बंद किया और मुस्कुराते हुए बोला, ‘’तुमने बहुत देर कर दी आज, दो बार खाना गर्म कर चुका हूँ...''

भूषण की बात सुनकर रिनी ने अपनी हील्स उतारते हुए कहा, ‘’ओह, डार्लिंग! काम ही ऐसा था। आज मेरा दिन बहुत अच्छा गया''

भूषण(शक के साथ)– ऐसा कौन सा काम था जो इतनी देर तक.. और तुमने मेरा फोन क्यों नहीं उठाया?

भूषण के सवाल पर रिनी ने लापरवाही से कंधे उचका दिए।

रिनी (उत्तेजित)-शो खत्म होने के बाद मैं पार्टी में थी और वहां मुझे क्षितिज कपूर मिला.. यंग बिजनस टाइकून, 40 अन्डर 40 इंफ्लुएंसर्स में उसका नाम था। तुम्हें पता है, उसके बहुत अच्छे कॉन्टैक्ट्स हैं। वह  मुझे एड्स दिलाने की बात कर रहा था। किस्मत अच्छी रही तो शायद किसी फिल्म में भी मौका मिल जाए।

आज भूषण ने रिनी की आँखों में वह  चमक देखी जो कभी सिर्फ उसके लिए थी लेकिन आज उसमें क्षितिज  का अक्स दिख रहा था। रिनी के मुंह से क्षितिज का यह  गुणगान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था, उसे यह  बात ध्यान भी नहीं रही कि आज भूषण का जन्मदिन था। रिनी क्षितिज की बातें करते-करते ही अपने कमरे में चली गई और ज़ोर से कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। उस आवाज़ को सुनकर भूषण ने एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं। जब उसने उन्हें खोला, तो वह  वापस अपने कैबिन में था। भूषण की सांसें तेज़ हो रही थीं। उसने अपने सिर को सहलाया, जैसे कि अपने दिमाग को शांत करने की कोशिश कर रहा हो। उसकी नजरें मेज पर रखे कॉफ़ी मग पर टिक गईं, तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। भूषण ने एक सख्त आवाज़ में कहा, ‘’अंदर आ जाओ.…''

भूषण ने मुड़कर देखा तो सामने संजीव और अविनाश थे। भूषण ने उन्हें देखकर एक गहरी सांस ली और फिर  कुर्सी से उठकर उनके पास जाते हुए बोला

भूषण  (समझाते) - देखो संजीव मुझे पता है, मैंने कल जो किया, ठीक नहीं था, लेकिन वह  सब बस इमोशनल टर्मॉइल था। तुम समझते हो न ? मैं जानता हूँ, तुम उस क्षितिज की बातों में नहीं...

भूषण की बात अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि संजीव ने बीच में ही उसकी बात काटते हुए कहा “पैक योर स्टफ, भूषण...” संजीव की बात सुनकर भूषण एकदम चुप हो गया, एक पल के लिए उसे लगा उसने कुछ गलत सुन लिया। भूषण ने हिचकिचाहट भरी मुस्कान के साथ कहा, ‘’सॉरी...क्या कहा?''

संजीव ने एक गहरी सांस लेकर अविनाश की तरफ देखकर कुछ इशारा किया। जिसके बाद अविनाश ने भूषण के पास आकर कहा “सबको लगता है कि कंपनी की इमेज तुम्हारी वजह से हैम्पर हो रही है, इसलिए यह  डिसिशन लिया गया है। हमें क्षितिज के साथ की ज़रूरत है, फ़िलहाल तुमसे ज़्यादा। तुम्हारे लास्ट प्रोजेक्ट को काव्या हैंडल करेगी, और तुम्हें एक एनओसी साइन करनी होगी कि तुम्हारा उस प्रोजेक्ट में कोई रोल नहीं”। अविनाश की बात सुनकर भूषण को धक्का लगा। उसने एक पल के लिए अपनी नज़रें झुकाई और फिर  वापस उसकी तरफ़ देखकर कहा, ‘’मैंने बहुत धोखे खाए हैं, लेकिन यह  बेस्ट है,... मेरी सालों की मेहनत का फ़ल तुम किसी और को दे रहे हो। तुम लोग मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते अविनाश, यह  एक तरह का धोखा है, जो मुझे मेरे दोस्तों से ही मिल रहा है।''

ऐज़ यू सेड, मेरा यहाँ कुछ नहीं है, मुझे यहाँ की किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं, जस्ट डम्प एव्रीथिंग।।

यह  बात कहते हुए भूषण की आँखें नम हो गई, लेकिन भूषण ने अपने आंसुओं को बहने नहीं दिया। वह  बिना पीछे देखे,  तेज कदमों से केबिन से बाहर निकल गया। उसे बाहर जाते हुए देख संजीव, अविनाश के पास आया और बोला “मैंने क्षितिज को मना तो लिया था कि भूषण उससे माफ़ी मांग लेगा और वह  उसे कंपनी से नहीं निकलवाएगा, फिर  तुमने मुझे ऐसा करने पर मजबूर क्यों किया? भूषण इज़ ऑउर लॉस..” अविनाश ने संजीव की बात सुनी और एक गहरी सांस लेकर कहा “यहाँ रहने से जो लॉस भूषण का होता, उससे बहुत छोटा लॉस है हमारा”। अविनाश की बात संजीव की समझ नहीं आई, वह  अपना सिर हिलाते हुए कैबिन से बाहर आ गया। वहीं संजीव के बाहर जाते ही अविनाश ने एक अनजान नंबर पर वॉयस मैसेज करते हुए कहा “भूषण को निकाल दिया है, अब मेरा काम खत्म और आपका शुरू। आपके कहने पर मैंने आज अपनी दोस्ती का सबसे बड़ा इम्तिहान दिया है”

 

आखिर क्या कर रहा है अविनाश? क्या अविनाश कर रहा है भूषण के खिलाफ़ साजिश? क्या मलिक की मौत है बस एक आत्महत्या या उसका है भूषण से कोई कनेक्शन? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।

 

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