भूषण ने रिनी की सगाई में खुद को एक बार फ़िर से मारने की कोशिश की थी, लेकिन अविनाश ने ऐन वक्त पर वहाँ पहुंचकर उसे बचा लिया। अविनाश ने भूषण की ओर से क्षितिज और रिनी से माफ़ी मांग ली थी, लेकिन क्षितिज भूषण को इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला था और इस बात का जीता-जागता सबूत इस वक्त भूषण और अविनाश के सामने खड़ा था। अविनाश और भूषण घर की तरफ़ बढ़ रहे थे कि तभी उन्हें एक अनजान कार ने ओवरटेक किया। कार के सामने रुकने के बाद, उससे उतरे शख्स को देखकर भूषण ने चौंकते हुए कहा, ‘’मलिक…''

भूषण के इतना कहते ही अविनाश ने उसकी तरफ देखकर हैरानी के साथ कहा “तुम जानते हो इस आदमी को?” भूषण एक नज़र अविनाश को देखकर हाँ में सिर हिलाया फ़िर गंभीर होकर बोला, ‘’योगी मलिक, गुंडा है, और क्षितिज का आदमी है...''

भूषण की बात सुनकर अविनाश ने हैरानी से उसे देखा और खुद को संभालते हुए कहा “उसका आदमी है, मतलब? वह गुंडों को भी जानता है?” अविनाश का सवाल सुनकर भूषण ने गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए कहा, ‘’एक गुंडा दूसरे को कैसे नहीं जानेगा, तुम यहीं रुको, मैं इसे देखता हूँ…''

अविनाश ने भूषण को रोकने के लिए कुछ बोलना चाहा लेकिन भूषण तेज़ी से उतरकर मलिक की तरफ़ चल दिया। मलिक के चेहरे पर तीखी मुस्कान थी। जैसे-जैसे भूषण आगे बढ़ा, वैसे-वैसे मलिक की कार में से कुछ और लोग भी निकलने लगे। भूषण उन्हें देखकर शांत था, लेकिन पीछे कार में बैठे अविनाश की आँखों में डर साफ़ झलक रहा था। मलिक ने भूषण को करीब आता देख मुस्कुराते हुए कहा “मिस्टर व्यास, मिस्टर व्यास...अहो भाग्य हमारे, जो हमें आपके दर्शन हुए। सच में मैं धन्य हो गया”। मलिक ने यह बात कहते हुए भूषण की तरफ़ हाथ बढ़ाया, लेकिन भूषण ने उससे हाथ नहीं मिलाया, और रूखेपन से बोला, ‘’सीधे मुद्दे पर आओ, इस तरह हमें यहाँ क्यों रोका? 
(तंज भरी मुस्कान के साथ)हम्म, मैं भी क्या फालतू सवाल पूछ रहा हूँ, तुम यहाँ अपने आप तो क्यों ही आओगे? मालिक ऑर्डर देता है, तब ही तो कुत्ता भागता हुआ पीछे आता है। वहाँ मेहमानों के बीच क्षितिज कुछ नहीं कर पाया, उसे अपने आप को एक सभ्य बिज़नेसमैन जो दिखाना था, लेकिन मैं जानता था कि इतना आसान नहीं है, उस कमीने से पीछा छुड़ाना...

भूषण की बात सुनकर मलिक ने हँसते हुए कहा “जब जानते थे, तो वहाँ वह सब क्यों किया? क्षितिज सर की मंगेतर के साथ बद्तमीज़ी , क्या मिल गया वह सब कर के.. वहाँ मरने से बच गए, लेकिन मुझसे कैसे बचोगे? कुत्तों के भेस में भूखे भेड़ियें हैं मेरे आदमी, जो बहुत दिन से शिकार की तलाश में हैं”। मलिक की धमकी सुनकर भूषण ने पहले उसकी आँखों में देखा, और उसके करीब जाकर कहा, ‘’मुझे तो यह दोनों ही तरह से कुत्ते नज़र आ रहे हैं...इन्हें भेड़िया मत बोल, भेड़ियों की बेइज्ज़ती है…''

उसे देखकर मलिक और उसके आदमी हैरान थे, लेकिन उनसे भी ज़्यादा हैरान था अविनाश। जिसने भूषण को ऐसा करते देख, तुरंत अपना फोन निकाला और जल्दी से एक नंबर पर कॉल किया। कॉल रिसीव होने के बाद अविनाश ने घबराई हुई आवाज़ में कहा “हैलो, हैलो..मैम, मुझे लगता है भूषण की जान को खतरा है। कुछ गुंडों ने हमें घेर लिया है, उनका लीडर अभी भूषण से बात कर रहा है, ऐसा लग रहा है भूषण उसे जानता है। उसका नाम मलिक है,  मैं क्या करूँ? क्या मैं पुलिस को फोन...”अविनाश ने इतना ही कहा था कि दूसरी ओर से एक औरत ने कड़क आवाज़  में कहा “सबसे पहले घबराना बंद करो, और भूषण के पास जाओ। बाकी सब अपने आप हो जाएगा...” इतना कहते हुए उस औरत ने फोन काट दिया। अविनाश ने फोन की तरफ़ देखा और फ़िर बड़बड़ाते हुए बोला “घबराऊँ नहीं तो क्या डांस करूँ..पता नहीं मैंने भूषण से दोस्ती ही क्यों की” अविनाश बड़बड़ाते हुए कार से नीचे उतरा और फ़िर भूषण के पास जाकर खड़ा हो गया। भूषण अब भी हंस ही रहा था, लेकिन अविनाश को अपने पास आता देख भूषण ने उसे घूरते हुए कहा, ‘’मैंने कहा था न तुम्हें अंदर रहने को, तुम यहाँ क्यों आए?''

भूषण के सवाल पर अविनाश ने हिचकिचाते हुए कहा “मुझे लगा मेरी ज़रूरत यहाँ ज़्यादा है, सोचा पूछ लूँ, इन भाईसाहब की प्रॉब्लम क्या है?” अविनाश की बात पर मलिक ने मज़ाकिया हंसी के साथ अपने आदमियों की तरफ़ देखा और फ़िर कहा “देखा तुम सब ने, एक सेर तो दूसरा सवा सेर…” फिर अविनाश से बोल, “देख बच्चे, बेहतर है, तू यहाँ से गाड़ी लेकर घर चला जा, तू तो बाल-बच्चों वाला लगता है, तू इस भूषण की तरह थोड़ी है, अनाथ, बेसहारा, जो पैदा होते ही अपनी माँ को खा गया, और होश संभालने के बाद अपने बाप को। इस बुज़दिल के लिए अपनी बहादुरी वेस्ट मत कर, जा मुन्ना...” मलिक की बातें सुनकर अविनाश ने चौंककर भूषण की तरफ़ देखा, जिसके चेहरे का रंग उड़ चुका था। उसे देखकर लग रहा था कि जैसे मलिक ने उसकी किसी दुखती रग पर हाथ रख दिया था। अविनाश को यूंँ हैरान-परेशान देख मलिक ने भूषण की तरफ़ देखा और फ़िर अविनाश से सवाल करते हुए कहा “क्या हुआ? तू इतना चौंक क्यों रहा है? क्या तू नहीं जानता...तेरे इस यार ने अपने बाप की जान ली थी, अपनी ज़िद की वजह से इसने उसे मरने के लिए छोड़ दिया, मैंने इसे मौका दिया था.. लेकिन इसने उस वक्त मेरी बात नहीं मानी, जैसे अब तू नहीं मान  रहा है” मलिक की बातों से अविनाश यह बात समझ गया था कि भूषण मलिक को बहुत पहले से जानता है, लेकिन कैसे? इस बात का जवाब सिर्फ भूषण के पास था। अविनाश ने हैरानी से भूषण की तरफ देखा, पर वह कुछ पूछा पाता उससे पहले ही मलिक के एक आदमी ने पीछे से आकर अविनाश के मुंह पर एक ज़ोरदार मुक्का मारा। भूषण ने आगे बढ़कर उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन तभी दो आदमी, भूषण को पीछे घसीटते हुए ले गए। भूषण ने चिल्लाते हुए कहा, ‘’मलिक उसे छोड़ दे, अपने लोगों को बोल, अविनाश को जाने दे... क्षितिज ने तुझे मुझसे निपटने के लिए भेजा है, अविनाश को जाने दे...''

भूषण को यूं लाचार देखकर मलिक ने हँसना शुरू कर दिया और फ़िर ज़बरदस्ती अपनी हंसी रोकते हुए बोला “क्या है तू भूषण, अपनी फ़िक्र कभी नहीं करता, पहले अपने बाप के लिए पिटा था, फ़िर अपनी उस मोहब्बत के लिए, और आज अपने इस पागल दोस्त के लिए पिटेगा। तुझे मुझसे डर नहीं लगता? मैं क्या कर सकता हूँ, जानता है न?” मलिक की बात पर भूषण ने घूरते हुए कहा, ‘’डर तो तुझे और तेरे उस बॉस को लगना चाहिए, जिनके काले-चिट्ठे खोलने में मुझे वक्त नहीं लगेगा... जिस आदमी का नाम तू अपनी गंदी ज़ुबान से बार-बार ले रहा है, उसी की वजह से मैं मजबूर हूँ, वरना अब तक तो तू नर्क में बैठा अपने पाप गिन रहा होता, अपनी बीवी और बेटी याद है न... जिन्हें तेरी वजह से मौत मिली…''

भूषण अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि उससे पहले ही मलिक के आदमियों ने उसे मारना शुरू कर दिया। मलिक भी भूषण को मारने ही जा रहा था कि तभी मलिक का फोन बज उठा। मलिक के कदम वहीं के वहीं रुक गए, उसने जैसे ही फोन निकालकर देखा तो उस स्क्रीन पर एक अनजान नंबर था। मलिक ने हैरानी के साथ फोन उठाया, लेकिन जैसे ही उसने सामने वाले की आवाज़ सुनी, उसके चेहरे से हवाईयां उड़ गई। उसकी आँखों में डर उमड़ आया, और उसने तुरंत फ़ोन रखकर अपने आदमियों को रुकने का इशारा करते हुए हड़बड़ाहट से कहा “बस करो सब... छोड़ दो इन्हें... तुम सब लोग गाड़ी में बैठो...” मलिक का ऑर्डर सुनते ही उसके आदमियों ने अविनाश और भूषण को छोड़ दिया। वहीं मलिक ने भूषण को देखकर कहा “जो कुछ हुआ उसके लिए सॉरी, मुझे नहीं पता था, तेरे ऊपर माफ़िया का हाथ है, चलता हूँ ।” भूषण और अविनाश दोनों ही मलिक की हरकत से हैरान थे। मलिक झेंपता हुआ अपनी गाड़ी में जाकर बैठ गया और फ़िर तेज़ी से वहाँ से निकल गया। उसे जाते हुए देख, भूषण ने चौंकते हुए कहा, ‘’इसे क्या हुआ? और माफ़िया का हाथ है, मतलब ???''

भूषण ने खुद से यह सवाल करते हुए अविनाश को देखा, जो अब भी अपना पेट पकड़े खड़ा था। भूषण ने उसे सहारा देते हुए पूछा, ‘’मैंने कहा था न, तुझे अंदर रहने को, तू बाहर क्यों आया? यह लोग गुंडे थे, सचमुच के..''

भूषण की बात सुनकर अविनाश ने दर्द से कराहते हुए कहा “हाँ मार पड़ने पर वह मैं समझ गया, लेकिन उसकी बातों से लग रहा था कि वह तुम्हें बहुत पहले से जानता है..” अविनाश ने सवालिया नज़रों से भूषण को देखा, लेकिन भूषण ने उसकी तरफ़ से नज़रें फ़ेरते हुए कहा, ‘’कार की चाबी मुझे दो, मैं चलाता हूँ।''

भूषण ने अविनाश से कार की चाबी ली और उसे बगल वाली सीट पर बैठाकर खुद ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ गया। भूषण ने कार स्टार्ट की और आगे बढ़ा ली। भूषण बिल्कुल चुप था, जिसे देखकर अविनाश ने एक बार फ़िर सवाल करते हुए कहा “मैं जानता हूँ, तुम अपने परिवार के बारे में कभी बात नहीं करते, लेकिन यह सब बातें जो मलिक ने बोली, क्या वह सच थी। क्या तुम्हारी वजह से तुम्हारे पापा...और वह माँ वाली बात... तुम्हारी मॉम तो...” अविनाश इतना ही बोल पाया था कि भूषण ने तीखी नज़रों से देखा, जिसे देखकर अविनाश ने अपनी आँखें वापस सामने गड़ा ली। तभी भूषण ने एक गहरी सांस लेकर कहा, ‘’मलिक, आज के वक्त में क्षितिज के लिए काम करता है, लेकिन कुछ साल पहले तक वह भण्डारी के लिए काम करता था। भण्डारी खुद मर गया, लेकिन मलिक ने उसके सारे बचे हुए कामों को निपटाने ज़िम्मा लिया था, और उसके शिकारों में से एक शिकार मेरे पापा थे।  मेरे पापा के पास एक ज़मीन थी, जिसके पीछे यह मलिक पड़ा था। यह ज़मीनों का सौदा कराता है, इसने पापा से वह ज़मीन लेने की बहुत कोशिश की, लेकिन पापा नहीं माने। मैं तब यूएस में था, फ़िर एक दिन जब पापा का एक्सीडेंट हुआ तब मैं वापस आया। पापा ने मुझे यह सब बताया और मुझसे वादा लिया कि मैं वह ज़मीन किसी भी कीमत पर मलिक के हाथों में न जाने दूँ, लेकिन मलिक ने पापा को मारने की धमकी दी और मैंने वह ज़मीन मलिक को दे दी... पर पापा को जब यह बात पता चली तो वह सह नहीं पाए और...''

यह बात कहते हुए भूषण की आँखें भर आई। अविनाश ने भूषण के कंधे पर हाथ रखकर उसे संभालने की कोशिश की। भूषण ने अपनी आँखें पोंछी और फ़िर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘’रही बात मेरी माँ की तो, मलिक ने सच कहा… मेरी असली माँ मेरे पैदा होते ही मर गई थी, उनके अलावा मेरी कोई माँ नहीं।''

भूषण की आँखों में गहरा दर्द छिपा था, जिसे देखकर अविनाश ने आगे कोई भी सवाल नहीं किया, लेकिन अविनाश के दिल में सवालों की आंधी उठी हुई थी। जिसे देखकर ये बात साफ़ थी कि अविनाश ऐसा कुछ जानता था, जो भूषण और उसके परिवार से जुड़ा हुआ था।  कुछ देर बाद, भूषण ने कार को अविनाश की बिल्डिंग के सामने रोक दिया। भूषण और अविनाश दोनों गाड़ी से उतरे, भूषण ने बाहर खड़े सिक्युरिटी गार्ड को चाबी देकर, गाड़ी को पार्किंग तक ले जाने को कहा, और फ़िर अविनाश से गले मिलते हुए बोला, ‘’शुक्रिया दोस्त, मैं गुस्से में तुझे बहुत कुछ कह गया, लेकिन तूने मेरे लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। माफ़ कर देना यार, सब बातों के लिए।''

अविनाश ने मुस्कुराते हुए भूषण को देखा और कहा “यह सब क्या कह रहा है, यह तो मेरा फ़र्ज़ था, पर तू यहीं क्यों रुक गया। चल घर चल, तुझे भी चोट लगी है और तुम्हारी गाड़ी भी वहीं रेस्टोरेंट में है..” अविनाश ने भूषण को साथ चलने के लिए कहा लेकिन भूषण ने उसे मना करते हुए कहा, ‘’नहीं, आज नहीं। मैं ठीक हूँ, ज़्यादा चोट नहीं है...तुम जाओ, मैं चला जाऊंगा। वैसे भी दो सोसाइटी छोड़कर ही है मेरा फ्लैट, याद है ना ?''

भूषण इतना कहते हुए अपनी सोसाइटी की तरफ़ चल दिया। उसे जाते हुए देख अविनाश ने एक गहरी सांस लेकर कहा “न जाने भगवान ने भूषण की ज़िंदगी में इतनी परेशानियाँ क्यों दी हैं, पता नहीं, मेरे दोस्त को कभी सच्चा प्यार मिलेगा या नहीं?” अविनाश खुद से यह सवाल कर ही रहा था कि तभी उसके पास एक कॉल आया, अविनाश ने नंबर देखकर तुरंत फोन उठाकर कहा “आपने आज हमें बचा लिया, वह लोग न जाने हमारा क्या हाल करते” अविनाश ने इतना ही कहा था कि दूसरी ओर मौजूद औरत ने पूछा “क्या उन्होंने भूषण पर हमला किया?” औरत के इस सवाल पर अविनाश पल भर के लिए चुप रहा और फ़िर हामी भरते हुए बोला “हाँ, उन्होंने हमारे साथ मारपीट की लेकिन, ज़्यादा नहीं... उससे पहले ही कॉल आ गया...” अविनाश ने इतना ही कहा था कि दूसरी ओर से आवाज आई, “कल सुबह न्यूज़ ज़रूर सुनना, और जल्द से जल्द भूषण को रिज़ॉर्ट जाने के लिए मनाओ”, औरत ने इतना कहते हुए फ़ोन रख दिया, अविनाश कुछ पूछने को हुआ, लेकिन कॉल कट चुका था। जहां एक तरफ़ अविनाश हैरान था, वहीं उसे इस हैरानी में डालने वाली वह औरत अपने घर के ड्रॉइंग रूम में बैठी हुई थी। औरत के ठीक सामने एक लड़की बैठी थी, जिसे देखकर उसने मुस्कुराते हुए कहा “तुम्हारे इंडिया जाने का वक्त आ गया है, मिस राठौड़...वहाँ जाकर तुम्हें क्या करना है, तुम जानती हो” औरत की बात सुनकर लड़की ने हाँ में गर्दन हिलाई और फ़िर वहाँ से उठकर बाहर चली गई।

 

आखिर कौन है यह औरत, क्या है इनका भूषण से रिश्ता? कौन है मिस राठौड़? क्या है भूषण के परिवार की सच्चाई?

 

जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।

 

 

 

 

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