समय का पहिया इतना क्रूर होता है कि बड़े से बड़े योद्धा के घमंड को कुचल देता है. एक वक्त था जब विक्रम शर्मा ने अकेले ही पूरे शर्मा परिवार को कंगाल होने से बचाया था. अपने बीवी बच्चों को भुला कर वो दिन रात काम में लगे रहते थे. सामने आने वाली बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना करते हुए वो कभी नहीं घबराए मगर आज वही विक्रम एक फैसले से इतना डर गए हैं कि कुछ बोल नहीं पा रहे. पूरे परिवार से दूरी बना ली है उन्होंने.
वो सबके साथ बैठते हैं लेकिन बात नहीं करते. उनकी तबियत भी अभी पूरी तरह से सही नहीं हुई है. पहले वो किसी भी हालत में घर पर बैठना पसंद नहीं करते थे मगर पिछले कुछ दिनों से वो सारा सारा दिन अपने कमरे में बंद रहते हैं. वो इतने चिढ़े रहने लगे हैं कि आज उन्होंने दूध वाले भगत को भी ज्यादा बात करने पर डांट लगा दी. उनकी इस हालत ने दो लोगों को बहुत गहरी चिंता में डाल दिया है, एक अनीता और दूसरे उनके पिता.
राघव आज फिर से रघुपति शर्मा वाले मोड में हैं आज उन्हें गहरी चिंता खाए जा रही है. वो अपने बेटे के साथ साथ पूरे परिवार पर अपने फैसले का असर साफ़ साफ़ देख पा रहे हैं. उन्हें अब इस बात ने सोच में डाल दिया है कि क्या पुराने तरीकों छोड़ नयी टेक्नोलॉजी के सहारे बिजनेस चलाने और आरव के हाथ में इसकी कमान देने का उनका फैसला सही था? आरव 6 महीने में खुद को साबित नहीं कर पाया और उसने बिजनेस को और घाटे में डाल दिया तो वो भला अपने बेटे से कैसे नजरें मिला पायेगा. अपनी इन्हीं टेंशन्स की वजह से आज बहुत सालों बाद वो बॉस दादी से भी चिढ़े हैं. दादी ने कई बार उनसे बात करने की कोशिश की आज मगर हर बार उन्होंने उन्हें वहां से चले जाने को कहा.
उधर अनीता विक्रम की हेल्थ को लेकर टेंशन में है. एक तरफ जहाँ डॉक्टर ने विक्रम स्ट्रेस से दूर रहने को कहा है वहीं घर में एक के बाद एक हो रही घटनाओं ने उनके स्ट्रेस काफी ज्यादा बढ़ा दिया है. अनीता को चिंता है कि विक्रम की तबियत और ज्यादा ना बिगड़ जाए. उसे लगता है विक्रम को अभी अपने बिजनेस से पैर पीछे नहीं खिंचने चाहिए थे. जब वो काम पर जाते थे तो काफी अच्छा महसूस करते थे लेकिन जब से उन्होंने घर रहना शुरू किया है उनकी चिंताएं और ज्यादा बढ़ गयी हैं. अनीता को अब विक्रम को सम्भालने के साथ साथ परिवार को भी सम्भालना पड़ रहा है. एक साथ ये दोनों काम उसे बहुत उलझन में फंसा दिया है. उसे पता है कि उसका बोलने का तरीका नहीं सही लेकिन वो सबकी भलाई ही चाहती है.
विक्रम भी आजकल उनसे अच्छे से बात नहीं कर रहे. पहले वो अनीता की हर बात को सुनते थे. उन्हें सलाह देते थे मगर अब वो झुंझला जाते हैं. कल ही जब अनीता ने उनसे निशा और राहुल के बारे में बात करनी चाही तो वो खीज कर बोले, जब इस घर में सबको अपनी ही मर्जी करनी है तो हम भला निशा को किसी बात के लिए कैसे रोक सकते हैं. उसे जो भी सही लग रहा है वो कर रही है. उनहोंने ये भी सलाह दी की अनीता को अब सबके मामलों से दूर रहना चाहिए. इससे अनीता को लगने लगा है कि उसके और विक्रम के बिच रिश्ते कमज़ोर हो रहे हैं. अनीता इतनी चिढ़ी हुई है कि उसने अपनी मेड सरला को मामूली सी गलती पर खूब डांट दिया.
हर परिवार में कोई ऐसा जरूर होता है जो बहुत बोलता है, वो भी बिना सोचे समझे. उसकी ऐसी बे सिर-पैर की बातें ही घर के माकी मेम्बर्स के चेहरे पर मुस्कराहट लाती हैं. कई बार उसके बिना मतलब बोलने पर सभी चिढ़ते भी हैं मगर जब वो अचानक से चुप हो जाए तो पूरा घर शांत हो जाता है. कबीर भी आज इसी तरह अचानक से चुप हो गया है. अब वो इतना भी बच्चा नहीं रहा कि बातों की गहराई को ना समझे. उसे सबका गुस्सा, चिढ़, एक दूसरे से बहस करना, चिल्ला के बात करना ये सब दिख रहा है. बचपने की वजह से वो इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता मगर जब इतने बड़े परिवार में वो हर रोज़ किसी ना किसी को रोते चिल्लाते और झगड़ते देख रहा है तो इसका इसका असर उस पर पढ़ना तय है.
विक्रम का भगत को डांटना हो, मम्मी का बॉस दादी के आगे रोना, अनीता जी का मेड पर चिल्लाना, पापा का आधी रात तक घर आना, ये सब कुछ उसे डिस्टर्ब कर रहा था. पहले वो जब घर में कुछ गड़बड़ देखता था तो बड़े दादू के पास जा कर धीरे से पूछता था क्या हुआ? दादू उसे कोई कहानी सूना कर बहला देते और वो खेलने में लग जाता था. आज भी वो गया था मगर उन्होंन जिस तरह से बॉस दादी को डांट कर बहार जाने के लिए कहा, उसे देख उसकी हिम्मत ही नहीं हुई उनके पास जाने की.
शायद ये पहली बार था जब कबीर आज स्कूल से आने के बाद अपने कमरे से बाहर ही नहीं गया. खाने के मामले में कबीर से कभी किसी को शिकायत नहीं थी. वो अपनी डोज़ के हिसाब से पूरी प्लेट साफ़ कर देता था मगर आज उसने सिर्फ आधी रोटी खायी थी. वो अपने फेवरेट रूम यानी दादी वाले कमरे में भी नहीं गया था. वो लेटा भी रहता तो उसके हाथ पैर चलते रहते, हाथ में मोबाइल लिए वो गेम खेलता रहता मगर आज वो बस चुपचाप लेटा रहा. अपनी अपनी टेंशन में सब इतना खो गए कि किसी को कबीर का ख्याल ही नहीं आया. आज तो बड़े दादा दादी ने भी उसे आवाज़ नहीं दी.
विक्रम अपने कमरे में बंद थे, निशा आरव अपने अपने काम से बहार थे. माया जॉब पर थी और अनीता जी विक्रम की चिंता में डूबी हुई थीं. कबीर अकेला अपने कमरे में तब तक लेटा रहा जबतक शाम को ऑफिस से लौट कर माया ने कमरे की लाईट नहीं जगाई. उसने ये सोचा भी नहीं था की इस अँधेरे कमरे में कबीर अकेला ऐसे लेटा होगा. उसे देखते ही वो चौंक गयी.
उसने उसके पास जा कर उसका सिर सहलाते हुए उससे पूछा
माया: “क्या हुआ बच्चे? तबियत ठीक नहीं लग रही क्या?”
कहते हुए उसका माथा छू कर देखने लगी कि कहीं उसे फीवर तो नहीं. मगर वो ठीक लग रहा था.
कबीर: “मम्मा, सब एक दूसरे पर इतना गुस्सा क्यों कर रहे हैं? पहले की तरह कोई भी हंस के बात नहीं करता, सब लड़ते रहते हैं. मेरे साथ भी कोई नहीं खेलता, मम्मा मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा.”
बच्चे जब दिल से उदास होते हैं तो उनकी मासूम सी आवाज़ इतनी नुकीली हो जाती है कि उनके लफ्ज़ एक के बाद दिल में चुभते जाते हैं. आज कबीर की आवाज़ में भी वैसी ही उदासी थी. वो तो इतना मस्तमौला बच्चा है कि बीमार होने पर भी सबके पास जा कर कहता है मैं बीमार हूँ चलो मेरे हाथ पैर दबाओ, मेरे लिए जूस लेकर आओ. ऐसे बच्चे के चेहरे पर ऐसी भयानक उदासी एक माँ को कितनी चिंता में डालसकती है ये बात कोई माँ ही समझ पाएगी.
माया इस वक्त हर टेंशन को भूल गयी थी. उसके कानों में बस यही गूँज रहा था,
कबीर: “मम्मा मुझे अच्छा नहीं लग रहा.”
उसे अब समझ आ रहा था कि जो कुछ भी इस परिवार में होता है वो किस तरह से कबीर पर असर करता है. वो खुद एक माँ होकर अब तक नहीं समझ पायी थी इस बात को तो कोई दूसरा क्या ही समझता. सबके लिए कबीर सिर्फ बच्चा है जो स्कूल जाता है, घर आने पर मस्ती करता है और सबका मन लगाए रहता. किसी ने ये समझने की कोशिश ही नहीं की कि वो सिर्फ बच्चा नहीं बल्कि एक बढता हुआ बच्चा है और एक बढ़ता हुआ बच्चा पानी की तरह होता है, जिसे जिस भी सांचे में ढालो वो वैसा ही आकार ले लेता है.
माया फिलहाल कबीर को उठाती है और उसका मूड लाईट करने के लिए उसके साथ थोड़ी मस्ती शुरू कर देती है लेकिन कबीर आज बहुत सुस्त लग रहा है वो किसी भी तरह से हंसने को तैयार नहीं है. माया समझ जाती है कि ये बात बहुत सीरियस है अगर ऐसा ही रहा तो कबीर पर इसका और भी ज्यादा असर पड़ सकता है.
इधर निशा और राहुल एक साथ एक रेस्टोरेंट में बैठे बातें कर रहे हैं. निशा, राहुल को बता रही है कि उन्हें जल्दी ही शादी का फैसला करना होगा. शादी की बात पर हामी भरने से पहले राहुल निशा को अपने पास्ट की हर बात बताना चाहता है. वो उसे कहता है कि वो उसके शादी के प्रपोज़ल से बहुत खुश है. वो उन दिनों से उसे पसंद करता है जब वो दोनों दोस्त थे. उसने उससे शादी के बारे में भी बहुत बार सोचा लेकिन ये सोच कर कभी कह नहीं पाया कि कहीं उनकी दोस्ती भी ना टूट जाए. बाद में उसे फॅमिली प्रेशर में अंजलि से शादी करनी पड़ी. उसने बताया कि अंजलि अच्छी थी मगर वो उससे अच्छे से खुल नहीं पाया था.
उसे शादी के दौरान हमेशा ये अफ़सोस रहा कि काश उसने निशा को अपने दिल की बात बता दी होती. उसने कभी अंजलि को ये सब महसूस नहीं होने दिया. वैसे भी अमेरिका में इतना वक्त कभी मिला ही नहीं कि एक साथ देर तक बैठ कर बातें कर सकें. वो दोनों डॉक्टर थे, अंजलि दिन की शिफ्ट करती और राहुल नाईट शिफ्ट, दोनों का मिलना भी वीकेंड पर ही हो पाटा था, वो भी तब जब कोई इमरजेंसी ना आ जाये.
कोरोना पीरियड की शुरुआत में ही वो पेशेंट्स का इलाज करते हुए कोविड वायरस से इन्फेक्टेड हो गयी. उसे बचाया ना जा सका. जिसके बाद राहुल ने अमेरिका छोड़ दिया. उसके पास इंडिया के बड़े बड़े हॉस्पिटल्स के ऑफर थे लेकिन उसने हर जगह मना कर दिया. उसने अपने ही छोटे से शहर में अंजलि की याद में एक क्लिनिक शुरू किया, जिसका मकसद यही है कि पैसे की कमी की वजह से किसी मरीज की जान ना जाए. राहुल का कहना है कि उसकी जगह कोई और लड़की हो तो वो शादी के लिए कभी हां नहीं कर सकता लेकिन वो उससे शादी करने के लिए तैयार है. मगर वो निशा को एक बार सोच लेने के लिए कहता है. उसका मानना है कि उसने अपना पास्ट बता दिया है, अगर उसे लगता है कि इससे उसकी फैमिली की रिस्पेक्ट पर असर पड़ेगा तो वो कदम पीछे खींच सकती है. वो कभी नहीं चाहेगा कि निशा किसी अफ़सोस या डाउट के साथ इस रिश्ते की शुरुआत करे. निशा उसकी बातें सुन कर भीगी आँखों के साथ मुस्कुरा रही है.
घर में सन्नाटा पसरा हुआ था. किसी को भी कबीर की सेहत के बारे में नहीं पता था. शाम तक पूरे घर की लाइट्स ऑफ देख अनीता जी फिर से भड़क उठीं और बड़बड़ाते हुए लाइट्स ऑन करने लगीं. माया लाइट्स बंद किए कबीर को गले लगाए सुला रही थी.
अनीता ने उसके कमरे की लाईट ऑन करते हुए कहा
अनीता: “क्या सब काम मेरे ही जिम्मे है, तू अपने कमरे की…”
उनकी बात पूरी हो पाती इससे पहले ही माया ने उन्हें गुस्से में घूरते हुए होठों पर उंगली रख चुप रहने का इशारा किया. अनीता को माया की आँखों में गुस्सा साफ़ दिख रहा था. उसकी नजर कबीर पर पड़ी जो अभी सो रहा था. अनीता कुछ देर माया और कबीर को देखती रही फिर वहां से चली गयी.
अब माया ऐसा क्या करेगी जिससे घर के झगड़ों का असर कबीर पर ना पड़े?
क्या कबीर की इस हालत से शर्मा फैमिली को अपनी गलती का अहसास होगा?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
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