अगर आप किसी रस्ते पर आगे बढ़ रहे हैं और कोई आपको टोक नहीं रहा तो समझ जाइए आप अकेले ही गलत दिशा में बढ़ रहे हैं. वो परिवार साथ रहते हुए भी कई टुकड़ों में बंटा होता है जहाँ लोग एक दूसरे से झगड़ते नहीं. ये सही है कि लड़ाई, झगडा और बहस कलेश पैदा करते हैं लेकिन अगर ये छोटी छोटी बहस और लड़ाइयां ना हों तो घर घर जैसा लगता भी नहीं. 

शर्मा परिवार की यही खासियत है कि यहाँ लोग एक दूसरे को टोकने से खुद को रोक नहीं पाते, यहाँ सबको एक दुसरे की चिंता है. टोकने से अंदर की भड़ास बाहर आती है, वहीं जहाँ लोग चुप रह जाते हैं वहां ये शिकायतें कैंसर बन कर रिश्तों को बीमार कर देती हैं. 

निशा राहुल से मिल कर लौट रही है. वो बहुत खुश है. ख़ुशी की कई वजहें भी है. आखिरकार 2 दिन में उसका सपना पूरा होने जा रहा है, उसकी आर्ट गैलरी की ओपनिंग है और सबसे बड़ी बात कि एक लगभग महीने की मुलाकातों के बाद आज राहुल और निशा ने एक दूसरे से प्यार का इजहार कर दिया है. दोनों जल्द ही शादी करना चाहते हैं. वो आज घर जा कर ये बात सबको बताने वाली है. हालांकि वो इस बात से अनजान है कि उसके पहुँचने से पहले राहुल और उसकी ख़बरें घर पहुंच चुकी हैं. ये उसकी सोच से बिलकुल अलग बातें हैं जो उसके और उसकी माँ के रिश्ते के लिए सही नहीं हैं. 

सबके दिमाग में किसी ना किसी बात को लेकर उथल पुथल चल रही है. दादा जी ये सोच कर परेशान हैं कि उन्होंने जो फैसला लिया वो सही है या नहीं. विक्रम बिजनेस को लेकर परेशान है कि आरव के नए तरीके कहीं बिजनेस को डुबो ना दें. आरव ये सोच कर टेंशन में है कि वो नए चलेंजेस को पूरा कर भी पाएगा कि नहीं. माया अनीता की कही बातों से परेशान है और अनीता निशा-राहुल के रिश्ते को लेकर परेशान है. इस समय मस्त हैं तो बस दो ही लोग, बॉस दादी और कबीर. दोनों की यही मस्तियां घर के इस बेचैन माहौल को थोड़ा शांत रखने में मदद कर रही हैं. 

शाम का वक्त है, सब लोग शाम की चाय के साथ कबीर की मासूम शैतानियों का मजा ले रहे हैं. इसी बीच निशा भी पहुंच जाती है. वो आज बहुत थकी हुई है लेकिन उसकी ख़ुशी उसे थकान का एहसास नहीं होने दे रही. उसके चेहरे पर बिना बात की मुस्कराहट छाई है. उसके आते ही कबीर सबको छोड़ कर उसी के पास पहुंच जाता है. उसे पता है बुईई बाहर से आई है तो उसके लिए कुछ ना कुछ लेकर ज़रूर आई होगी. निशा ने उसे अपने हैंड बैग से एक बड़ी सी चॉकलेट निकल कर पकड़ा दी और वो ख़ुशी से नाचने लगा. 

इस वक्त घर का माहौल बहुत अच्छा नहीं था तो बहुत बुरा भी नहीं था. सब शांत थे मगर कोई था जिसका गुस्सा फटने को तैयार था. निशा ने पहले ही सबको बता दिया था कि उसकी आर्ट गैलरी की ओपनिंग होने वाली हैं. अब उसने अनाउंस कर दिया कि ये ओपनिंग दो दिन में होगी और पूरी फैमिली वहां मौजूद होनी चाहिए. 

उसकी इस अनाउंसमेंट पर सभी ने तालियां बजायीं मगर अनीता जी के चेहरे पर सिर्फ गुस्सा दिख रहा था. जिसे निशा ने अच्छे से पढ़ लिया था. उसे इस बात का बुरा लगा कि दोनों की सुलह होने के बाद भी वो उसकी ख़ुशी का हिस्सा नहीं बन रही हैं.

निशा ने निराश हो कर अनिता से कहा

निशा: “माँ कभी खुश दिखा करो. जब से आई हूँ आप किसी ना किसी बात को लेकर मुंह ही बनायी रहती हो.”

निशा के बोलने के बाद अब अनीता कंट्रोल नहीं कर पायी, उसने भड़कते हुए कहा

अनीता: “तुम सब खुश रहने दो तब ना मैं खुश रहूं.”

अनीता की बात सुन सब हैरान नजरों से उसे देखने लगे. माया को लगा शायद वो उनके साथ हुई बहस को लेकर ऐसा बोल रही हैं. उसने सोच लिया था कि अगर अनीता ने उसकी बात शुरू की तो आज वो भी चुप नहीं बैठेगी. मगर उसे नहीं मालूम था कि उनके दिमाग में कुछ और ही पक रहा है. 

निशा: “अब मैंने ऐसा क्या कर दिया?”

निशा का अच्छा मूड पल भर में खराब हो चुका था. 

अनीता: “पूरे शहर को पता लग गया है कि तू क्या कर रही है. मैंने अपने असूलों को एक तरफ रख कर तेरी हर गलती को माफ कर दिया लेकिन तूने एक बार भी ना मेरे बारे में सोचा ना इस फैमिली के बारे में.”

अनीता अब खुद को रोक नहीं पा रही थी.

निशा: “... पर मम्मी बताओ तो सही ऐसा क्या किया है मैंने?”

निशा चिल्ला पड़ी.

अनीता: “हर बार चिल्लाने से इंसान सही साबित नहीं हो जाता. मैंने दिल पर पत्थर रख कर तेरी ख़ुशी को ऊपर रखते हुए सोच लिया था कि तू जहाँ चाहेगी तेरी शादी वहीं होगी लेकिन इसके बाद तेरा भी कोई फ़र्ज़ बनता था कि तू इस परिवार के सम्मान को बनाए रखे. आज सारा शहर तेरे और उस डॉक्टर के बारे में बातें बना रहा है. मुझे तो सोच कर ही घिन आ रही है कि लोग हमारे बारे में क्या क्या कह रहे होंगे. तुझे क्या ज़रुरत है उसके साथ इस तरह खुले आम घूमने की? जो भी होता हम पर्दे में कर लेते ना?”

अनीता की बातें सुन कर निशा समझ गयी थी कि हो ना हो ये बत्रा आंटी की ही लगायी आग है. उसे पता था कि वो अपने बेटे के यहाँ से लौट आई हैं और रास्ते में उन्होंने निशा को देखा भी था. 

निशा: “ये आपको उस मंथरा ने बताया है ना? आप उसकी सुनाई बातों पर यकीन कर रही हैं? इतने दिनों से कोई और आपको ये बताने आया कि आपकी बेटी क्या कर रही है? क्योंकि किसी को नहीं पड़ी और ना मैं ऐसा  कोई काम कर रही हूँ. और मम्मी डरना उसे चाहिए जो किसी कमरे में छुप छुप कर मिलते हैं ना कि उसे जो लोगों के बीच एक दोस्त की तरह मिल कर एक दूसरे के साथ हंस बोल रहे हों. मैं इतनी लायक तो ज़रूर हूँ कि सही गलत का फैसला कर सकूं और मुझे जो सही लगता है उसके आगे मैं किसी की सुनना पसंद नहीं करती.”

इतना कह कर निशा अपने रूम में चली गयी. अनीता पर उसकी बातों का मिलाजुला असर हुआ. उसे निशा की कुछ बातें सही लगीं मगर वो फिर भी उन दोनों के इस तरह बाहर घूमने को बुरा समझती है. 

इधर निशा को अनीता के सामने बोलता देख माया इस सोच में पड़ गयी कि यहाँ सबको अपनी बात कहने का हक है सिवाए उसके. वो आरव से ये सब नहीं बता सकती क्योंकि वो इन दिनों अपने बिज़नेस आईडिया पर काम कर रहा है और वो उसका ध्यान भटकाना नहीं चाहती. वो आज कल उससे दूर भी तो हो गया है. जब कल वो दोनों आईटी वाले अपने एक दोस्त से मिलने जा रहे थे तब आरव रास्ते भर कुछ नहीं बोला. वो बस लोगों से फोन पर बिजनेस की बातें करता रहा और सोचता रहा.  

अब उसे समझ नहीं आ रहा कि वो किससे अपनी बातें कहे. उसे उसकी मम्मी की कही बातें याद आ रही हैं. जब उसने अपने घर पर आरव के साथ शादी करने की बात बताई थी तब उसकी माँ ने उसे ये समझाया था कि उनका सिर्फ 4 लोगों का परिवार है लेकिन जहाँ वो शादी करने की सोच रही है वहां एक साथ 3 पीढियां रहती हैं. यहाँ हर कोई उसकी बात सुनता है लेकिन ससुराल में उसे वहां के लोगों की बातें सुननी होंगी. 

माया ने अपनी मम्मी को कहा था कि वो मैनेज कर लेगी और उन्हें कभी शिकायत नहीं करेगी. अब उसे कभी कभी लगता है कि मम्मी पूरी तरह गलत नहीं थीं. यही वजह है कि उसने कभी भी अपनी मम्मी से यहाँ चल रही बातों का जिक्र नहीं किया था. आज उसे कोई ऐसा चाहिए था जिसके सामने वो खुल कर रो सके, जहाँ उसे अपने आंसू ना छुपाने पड़ें.

उसकी इस मदद के लिए सामने आयीं बॉस दादी. जिनकी अभी अभी उस कमरे में एंट्री हुई है जहाँ माया रोना तो चाहती है मगर कोई देख ना ले इस डर से रो भी नहीं पा रही. बॉस दादी घर में बैठे बैठे सभी मेम्बर्स के चेहरे ही पढ़ती रहती हैं. उन्हें चेहरे पढने का इतना एक्सपीरियंस है कि वो किसी के हंसी के पीछे की उदासी भी झट से पकड़ लेती हैं. उन्हें पता था कि माया को इस वक्त रोने के लिए एक कंधे की ज़रुरत है. माया बैठी हुई है. छड़ी के सहारे चल रही दादी ने उसके पास जा कर उसके कंधे पर हाथ रखा ही था कि वो उनसे लिपट लिपट कर रोने लगी. 

दादी बस उसके सिर को सहला रही थीं, वो चाहती थीं कि माया खूब रोये और मन हल्का कर ले. काफी देर तक दादी से लिपट कर रोने के बाद माया के पास एक ही सवाल था

माया: “क्या उसने आरव का साथ देकर गलती की? क्या इससे वो परिवार के खिलाफ हो गयी है?”

दादी ने उसे समझाया कि इस तरह तो उसने भी आरव को वोट दिया तो क्या वो भी फॅमिली के अगेंस्ट है? और आरव भी तो इस फॅमिली का ही हिस्सा है. ऊन्होंने माया को कहा कि वोटिंग अपनी मर्जी से होती है उसके लिए कोई प्रेशर नहीं बना सकता. इसके बाद माया ने उन्हें आरव के बिज़ी रहने से उनके रिश्तों पर पड़ रहे फर्क और अनीता के उसके प्रति रवैये को लेकर उसकी चिंता…सबके बारे में बताया. 

दादी ने अनिता के नाम पर माया को समझाते हुए कहा कि अनीता के अंदर एक डर घर कर गया है कि जो औरत अपने परिवार से अलग होती है उसके साथ बुरा होने लगता है. वो इस डर में इतनी पागल हो चुकी है कि उसे अपने मन से चलने वाली कोई लड़की या औरत पसंद नहीं आती. उसका मन साफ़ है लेकिन उसके दिमाग में बहुत कुछ भरा हुआ है. दादी ने उसे अनीता की बातों को दिल पर ना लेने की सलाह दी. उनहोंने बताया कि आरव को वोट करने को लेकर उसने उन्हें भी कई बातें बोलीं. हालांकि दादी उनकी सास हैं इसलिए वो ज्यादा कुछ नहीं बोल पायी. दादी ने भी जवाब में उसे सुनाया कि जब घर के मर्द अपने फैसले खुद ले सकते हैं तो औरतें क्यों नहीं. 

दादी ने माया को आरव के साथ उसके रिश्ते को लेकर भी समझाया. उन्होंने बताया कि पति पत्नी के रिश्ते में ये उतार चढाव ज़रूरी होते हैं. इसी से पता चलता है कि दोनों को एक दूसरे की कितनी ज़रुरत है. हम जिसकी परवाह करते हैं हमारी शिकायतें भी उसी से होती हैं. बॉस दादी से बात करने के बाद निशा पहले से ज्यादा अच्छा महसूस कर रही थी. जाते जाते दादी ने उसे खूब ज़ोर से गले लगाया और कहा कि उसे जब भी बात करनी हो वो उनके पास कभी भी आ सकती है. 

इधर निशा अनीता की बातों से परेशान थी मगर कहीं ना कहीं उसे पता था कि यहाँ के लोगों की सोच विदेशी लोगों जितनी खुली नहीं है. उसने इसका एक ही हल निकाला कि वो अपनी आर्ट गैलरी की ओपनिंग के साथ ही सबको बता देगी कि वो राहुल के साथ शादी करने जा रही है. शादी के बाद कुछ दिनों तक शहर भर में बातें होंगी लेकिन फिर वो दोनों अपनी अपनी जिंदगी जीने के लिए आज़ाद हो जायेंगे. इसे ही आखिरी फैसला मान कर वो अपने काम में खुद को बिज़ी कर लेती है. 

क्या निशा और राहुल की शादी बिना किसी मुसीबत का सामना किए हो पाएगी? मिसेज बत्रा की बातों का अनीता पर हुआ असर क्या निशा के लिए नयी मुसीबत लाएगा? 

जानेंगे अगले चैप्टर में!

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