ना जाने शर्मा परिवार ने ऐसी कौन सी गलती की है जिसके बदले उन्हें ये सज़ा मिली कि उनका कोई भी काम सही ढंग से पूरा नहीं हो सकता. अब इस वोटिंग को ही देख लीजिए, वोट डालने थे, जिसको ज्यादा मिलते वो जीत जाता, सो सिंपल ना? मगर यहाँ भी मैंच फंस गया.
जैसे ही बॉस दादी की चिट सामने आई और सबने उस पर यस लिखा देखा ठीक उसी वक्त सबकी नज़रें उन्हें घूरने लगीं. सबको यही लग रहा था कि जिस तरफ दादा जी का वोट होगा बॉस दादी भी वहीं वोट देंगी मगर उनके इस अलग से फैसले ने सबको हैरान कर दिया, यहाँ तक की खुद आरव को भी.
सबको अपनी तरफ घूरते देख बॉस दादी अपने स्टाइल में दहाड़ उठीं
सुमित्रा: “ऐसे क्यों घूर रहे हो सब मुझे, मैंने कौन सा बम्ब मार दिया है. अब सब फैमिली को सपोर्ट करने में लगे थे. मेरा आरव फैमिली से बाहर है क्या? इसलिए मैंने उसे सपोर्ट कर दिया. भई मुझे बिजनस की समझ तो है नहीं मगर अपने पोते पर भरोसा पूरा है.”
उनकी इस बात पर आरव इतना खुश हो गया कि उसने उठ कर दादी को ज़ोर से गले गला लिया.
वहीं अनीता लगातार माया को घूरे जा रही है. उसे लगा था शायद माया सबसे ऊपर फैमिली को मानती है लेकिन उसने आज फैमिली के बड़ों के खिलाफ जा कर आरव को वोट कर दिया था. अनीता से ये बात बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
हालांकि अब एक दूसरे को घूरने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि वोटिंग पूरी हो चुकी थी. आरव कुछ देर के लिए खुश हुआ लेकिन उसे फिर अहसास हुआ कि ये वोटिंग टाई हुई है, इससे ये फैसला नहीं हो पाएगा कि वो अपनी शर्तों पर बिजनेस चलाएगा या नहीं.
वहीं, कबीर लगातार वोट वाली पर्चियां गिन रहा है. कुछ देर बाद उसे समझ आई कि वोट के लिए 6 पर्चियां ही काउंट हुई हैं. उसे लगा ये गलती से हुआ. वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा.
कबीर: “मेरा वोट तो भूल ही गए. इसे भी काउंट करो. येईईईईईई…दादू जीत गए, पापा हार गए.”
दरअसल उसने विक्रम के चॉकलेट देने पर उनकी बात मानी थी और चिट पर नो लिखा था.
निशा: “चुप, चॉकलेट लेकर वोट देने वाले चीटर का वोट काउंट नहीं होता.”
निशा ने उसे चिढाया, जिसके बाद वो हाथ पैर पटकता हुआ वहां से चला गया. इधर विक्रम सोच रहे थे के कि काश कबीर का भी वोट काउंट होता तो वो जीत जाते.
आरव चिढ़ गया, उसका मन हुआ कि वो सबको खरी खरी सुना दे लेकिन उसने खुद को शांत रखा. अब सबके पास यही सवाल था कि टाई होने के बाद फैसला क्या होगा? आरव अपने हिसाब से बिजनेस हेंडल करेगा या नहीं? टाई के बाद सबने मिलकर तय किया कि ये फैसला घर के सबसे बड़े यानी राघव जी के हाथ में जायेगा. उन्हें सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सही फैसला करना था. आरव को भी इसमें कोई दिक्कत नहीं थी. वो जानता था कि भले ही दादा जी को उसके आइडिया ने इम्प्रेस ना किया हो लेकिन वो इस बेस पर फैसला कभी नहीं लेंगे. वही कहेंगे जो सही होगा.
दादा जी ने भी ऐसा ही किया. उनका फैसला ये है कि हम फिलहाल डिजाइनर क्लोथ्स के बिजनेस में नहीं जायेंगे. क्योंकि उसमें बड़ी इन्वेस्टमेंट लगेगी और ऐसे बिजनेस पर बड़ी इन्वेस्टमेंट करना समझदारी नहीं, जिस पर सबको भरोसा ना हो. इन सबके लिए आरव पहले खुद को साबित करेगा, उसे 6 महीने का टाइम दिया जाएगा जिसमें वो अपने फैमिली बिजनेस पर ऑनलाइन वाला एक्सपेरिमेंट कर सकता है. दादा जी ने ये बात साफ़ कर दी कि उन्हें भी पता है प्लेन कपडे की ऑनलाइन मार्केट उतनी बड़ी नहीं जितनी डिजाइनर क्लोथ्स की है, और हम अपने बिजनेस का ऑनलाइन प्रॉफिट इन सभी बातों को देख कर तय करेंगे.
आरव के लिए फिलहाल इतना काफी था उसे बस यकीन दिलाना था कि अगर पुराना बिजनेस ऑनलाइन जा कर प्रॉफिट दे सकता है तो डिजाइनर क्लोथ्स का बिजनेस तो तहलका मचा देगा. वैसे भी उसके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था. वो अब दिल से अपनी फैमिली के लिए कुछ करना चाहता था. उसने इस फैसले को मंज़ूर कर लिया. विक्रम इस फैसले से थोड़े नाखुश दिखे लेकिन अंत में उन्हें भी हामी भरनी पड़ी. आरव को सब सेट करने के लिए कुछ दिनों का टाइम दिया गया. वोटिंग हो गयी रिजल्ट आ गया अब टाइम था सबके रिएक्शन का. अनीता के अंदर माया को लेकर भरपूर गुस्सा भरा पड़ा था. किसी को नहीं पता था कि वो कब माया पर फट पड़ेंगी.
निशा राहुल को कल के रिजल्ट के बारे में बताने के लिए बेचैन थी. वैसे तो उसने रात ही मैसेज कर रिजल्ट बता दिया था मगर अब वो उसे मिल कर सारी बात बताना चाहती है. ये बिलकुल टीनेज लव जैसा है जब दोनों एक दूसरे को मम्मी पापा की लड़ाई से लेकर आज उनके डॉगी ने खाना क्यों नहीं खाया सब बताते हैं. सुबह होते ही वो तैयार हुई. उसे कुछ काम थे जिन्हें निपटा कर दोपहर तक उसे राहुल से मिलना था.
दोस्तों, आपको क्या लगता है मंथरा, रावण, कंस ये सब सिर्फ इंडियन मायथोलॉजी के कैरेक्टर्स हैं? जी नहीं समय के साथ ये कैरेक्टर दुनिया भर के कई इंसानों के स्वभाव में घर कर चुके हैं. हमारी सोसाइटी में ही आपको इसके कई इग्ज़ैम्पल मिल जायेंगे. मंथरा का इग्ज़ैम्पल तो शर्मा परिवार के पड़ोस में ही रहता है. ये कॉलोनी उन्हें मिसेज बत्रा के नाम से जानती है. बत्रा आंटी के पास पूरे शहर की खबर रहती है लेकिन वो फोकस सिर्फ उन्हीं ख़बरों पर करती हैं जिनसे किसी के घर में आग लगायी जा सके. पोजिटिव और ख़ुशी देने वाली ख़बरों से उनका कोई लेना देना नहीं है.
लंच टाइम हो चुका है और निशा ने राहुल के साथ लंच करने का प्रोग्राम बनाया है. वो उसके क्लिनिक से उसे पिक करने गयी. वहां से निकलते हुए वो राहुल को आज की वोटिंग के बारे में बताती है. वो बॉस दादी के वोट के बाद सबके रिएक्शन के बारे में बताते हुए खूब हँसी, राहुल भी उसका साथ दे रहा है. दोनों एक दूसरे से बातें करते हुए बहुत खुश हैं मगर उन्हें नहीं पता कोई दूर से उनकी ख़ुशी पर नजर लगाने की कोशिश कर रहा है/सॉरी कर रही है..
जी हां बत्रा आंटी, पिछले महीने भर से कॉलोनी में शांति थी क्योंकि बत्रा आंटी अपने बड़े बेटे के पास गयी हुई थीं. आज ही लौटी हैं और अपने काम पर लग गयी हैं. उन्हें अपना पहला शिकार मिल गया है, निशा..
इधर घर में एक तूफ़ान माया की ओर बढ़ रहा है. अनीता ने बड़ी मुश्किल से खुद को कंट्रोल किया था लेकिन उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. आज माया ने ऑफ लिया था क्योंकि उसे आरव के साथ कुछ आईटी के दोस्तों से मिलने जाना था. कबीर स्कूल से आ चुका था. अनीता ने उसके कपडे चेंज किए और उसे खाना दिया. इसके बाद वो माया से बात करने उसके रूम में चली गयी. उसने जब देखा कि माया लैपटॉप पर काम कर रही है तो और भड़क गयी.
अनीता: “जब घर रहती हो, कम से कम तब तो कबीर के साथ टाइम बिता सकती हो ना, माना तुम्हारे लिए अपना काम परिवार से ज्यादा ज़रूरी है मगर एक माँ के भी कुछ फ़र्ज़ होते हैं.”
अनीता की अचानक आवाज़ से माया चौंक गयी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्यों उस पर भड़क रही हैं? अनिता उसे सुनाने लगी कि कबीर काफी देर पहले लौट आया है लेकिन उसने उसकी खबर तक ना ली. माया समझ रही थी कि अनीता इतनी सी बात के लिए उस पर नहीं भड़केगी, हो ना हो बात कुछ और है.
आखिरकार अनीता अपना असली गुस्सा माया पर उतारने लगती है. वो गुस्से में कहती है
अनीता: “मुझे हमेशा से पता था कि तुम जैसी ज़िद्दी लड़की कभी भी परिवार की वैल्यू नहीं समझ पायेगी, तुम्हारे लिए अपना काम और जॉब ही सब कुछ है. अगर तुम परिवार को इम्पोर्टेंस देती तो आज तुम आरव के फेवर में वोट ना करती.”
माया अनीता की इस बात से हैरान रह जाती है. उसे लगा था कि वोटिंग अपने अपने हिसाब से करनी है, वो नहीं जानती थी कि इस बात के लिए उसे सुनना पड़ेगा.
अनीता अभी भी शांत नहीं हुई. उसने अपनी बात जारी रखते हुए कहा
अनीता: “आरव तुम्हारा पति होने से पहले मेरा बेटा है. मैं उसे जितना प्यार करती हूँ कोई सोच भी नहीं सकता लेकिन मैंने परिवार को हमेशा उससे भी ऊपर रखा है. आज मैं भी उसे वोट कर के एक अच्छी माँ कहला सकती थी लेकिन मेरा मानना है कि घर के बड़े जो फैसला लेते हैं वही सबसे सही फैसला होता है परिवार के लिए. इस घर की बहू होने के नाते तुम्हें भी यही करना चाहिए था लेकिन तुम्हें सिर्फ खुद से मतलब है. तुम्हें पता है कि आरव अगर बिजनेस को अपने हिसाब से सम्भालेगा तो तुम भी उस बिजनेस का हिस्सा बनोगी. जान लो माया एक औरत के लिए सबसे पहले उसका परिवार होता है, जो लड़की इस बात को भूलती है वो सिर्फ पछताती है.”
माया भले ही ये जान चुकी है कि अनीता का ऐसा बिहेवियर क्यों है लेकिन उसके बावजूद वो उनकी बातें अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. वो उन्हें जवाब देना चाहती थी. अगर अनीता इसके आगे और कुछ बोलती तो आज माया का अपने पुराने रंग में आना पक्का था. अनीता भी रुकने वाली नहीं थी लेकिन इससे पहले कि वो और कुछ कहती, कबीर ने आकर बताया कि बत्रा आंटी आई हैं.
बत्रा आंटी का किसी भी घर में जाना शुभ संकेत नहीं होता. वो कहीं जाए और वहां से आग की लपटें ना उठें ये हो ही नहीं सकता. उसका नाम सुनते ही अनीता बाकी सब भूल गयी. उनका मन ये सोच कर घबराने लगा कि हो ना हो वो जरूर कोई धमाका करेगी. जो भी हो उससे मिलना उसकी मजबूरी रही. अनीता जब हॉल में पहुंची तो देखा वो सुमित्रा जी के पास बैठी अपने बेटे की तारीफें सुना रही है.
अनिता ने मिसेज बत्रा का हाल चाल पूछा और उससे बातें करने लगीं. थोड़ी बहुत इधर उधर की बातें करने के बाद वो असल बात पर आई. उसने अनीता से बताया कि शहर भर में ये बात हो रही है कि निशा एक ऐसे मर्द के साथ घूम रही है जिसकी बीवी मर चुकी है. हालांकि उसने ये नहीं बताया कि सारे शहर में ये बात उसी ने घुमाई है और वो भी सिर्फ 2 घंटे में. अनीता को तो पहले ही इस बात का डर था.
जाते जाते बत्रा ने ये भी कहा कि “हमारे घर की बेटी है, बदनामी होती है. इसीलिए बताने चली आई नहीं तो आप जानती ही हो मुझे बातें इधर उधर करने की ज़रा भी आदत नहीं है.”
भले ही बॉस दादी के कहने पर अनीता और निशा के रिश्तों में सुधार आया था लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि अनीता उसके लिए अपना बिहेवियर बदल दे. वो इस बात को परिवार के सम्मान से जोड़ कर देख रही थी. अनीता का जो गुस्सा माया पर था, उसका सामना अब निशा करने वाली थी.
उधर माया अनिता की बातों से इतना डिस्टर्ब महसूस कर रही थी कि उसे खुद के डिसीजन पर डाउट होने लगा. वो सोच रही थी कि क्या उसने आरव का सपोर्ट करके फैमिली के साथ धोखा किया है? क्या वो सच में एक अच्छी माँ साबित नहीं हो पा रही है? ऐसे कई सवाल उसे परेशान कर रहे थे.
निशा अपनी माँ के गुस्से का सामना कैसे करेगी?
क्या माया का आरव को फेवर करना गलत साबित होगा?
जानेंगे अगले चैप्टर में!
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