क्या कह रहे हो तुम.? मीरा दिल्ली में है, तुमने खुद उसे अपनी आंखो से देखा है और उसने भी तुम्हें देखा, मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा है। राघव की बात पर जतिन ऐसे उछला जैसे उसे किसी ने गरम तवे पर बैठा दिया हो। राघव चुपचाप सोफे के एक कोने में बैठा था, हाथ में काफी का कप था, सामने टेबल पर शेरवानी रखी हुई थी जो सुमेधा ने उसके लिए पसंद की थी।
जतिन ने फिर से पूछा, ‘’क्या सच में...तुम दोनों की मुलाकात हुई थी.?’’
राघव ने हां में सिर हिलाया।
‘तुम दोनों ने कुछ बात भी की क्या?‘
‘’हम वहां ऐसी सिचुएशन में थे कि कोई बात हो ही नहीं सकती थी...क्या कहकर मैं एक दूसरे का परिचय करवाता कि सुमेधा इनसे मिलो ये हैं मीरा मल्होत्रा मेरी एक्स गर्लफ्रेंड, एक्स मंगेतर जिनसे आलमोस्ट मेरी शादी होने ही वाली थी, जिससे मैं आज भी बेहद प्यार करता हूं, और मीरा को क्या कहता कि मीरा इनसे मिलो ये हैं मेरी होने वाली बीवी।‘’
जतिन हंसने लगा।
यह हंसने वाली बात है, मैं उस समय कैसा फील कर रहा था यह मैं ही जानता हूं, पता नहीं मुझे क्या हो गया था? समझ में नहीं आ रहा है कि मीरा उसी शॉप पर क्यों आई जहां मैं सुमेधा के साथ शापिंग कर रहा था? वह पता नहीं क्या सोच रही होगी?
जतिन ने कहा, चिल्ल यार, अगर कुछ सोचना ही होता तो कुछ महीने पहले मुंबई में भी तो तुम दोनों मिले थे उसने वहां तो कुछ नहीं कहा था।‘’
वहां भी जब भी मीरा मुझे मिली थी बहुत गुस्से में थी, कहीं उसे यह तो नहीं लग रहा होगा कि मैं उसका पीछा कर रहा हूं।‘
जतिन ने कहा, ‘’ओ हैलौ, कहां की बात कहां ले जा रहे हो, वह ऐसा क्यों सोचेगी और वैसे भी उस शॉप के अंदर पहले तुम गए थे वह तो बहुत बाद में आई थी, ये माना जाएगा कि वह तुम्हारा पीछा कर रही है। खैर छोड़ो मुझे लगता है कि यह सब इत्तेफाक है। जैसे मुंबई में हुआ था, उसे अंदाजा हो गया है तुम शादी कर रहे हो अब मेरे ख्याल से वह तुम्हारे रास्ते में नहीं आएगी।‘’
राघव ने कुछ सोचते हुए कहा, ’उसे यहां नहीं आना चाहिए था, नैना और उसके भाड़े के गुंडो को मैं चकमा तो दे सकता हूं पर मीरा नहीं, अगर वह नैना की नजरों में आ गई तो?‘
जतिन ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘’मैं ऐसा नहीं होने दूंगा..मैं पता लगाता हूं कि मीरा कहां है और उसकी सिक्योरिटी का इंतजाम कर देता हूं, अगर वह दो चार दिनों के लिए दिल्ली आई है तो कोई डरने वाली बात नहीं, पर अगर परमानेंट रहने के लिए आई है तो टेंशन वाली बात तो है…खैर तुम इस बारे में ज्यादा मत सोचो, अपना यह मोमेंट इन्जॉय करो।‘’
इसमें इन्जॉय करने जैसा कुछ भी नहीं है, तुम्हें पता है और मुझे भी पता है कि यह शादी समझौता से ज्यादा कुछ नहीं है…जतिन प्लीज मेरा एक काम कर दो, मेरा यह लेटर किसी तरह मीरा तक पहुंचा दो।‘’ कहकर राघव ने एक सफेद रंग का फोल्ड किया हुआ कागज जतिन की ओर बढ़ा दिया।
जतिन ने वह लेटर देखकर कुछ सोचते हुए राघव से कहा, ‘’मेरी मानों तो यह लेटर उसे मत दो, उससे मीरा की तकलीफें और बढ़ जाएगी...बहुत सी पुरानी बातें याद आ जाएंगी और अब जब तुम भी सबकुछ भूलकर आगे बढ़ने की सोच रहे हो तो इन बातों का और ऐसे लेटर का क्या मतलब है?‘’
राघव ने कहा, ‘’मैं कुछ नहीं भूला हूं, बस उसे एक बार यह बता देना चाहता हूं कि यह शादी एक समझौता है...मैं आज भी उससे बहुत प्यार करता हूं।‘’
‘’ऐसा करने से वह तुम्हारे पास वापस आ जाएगी...तुम्हें क्या लगता है कि तुम ऐसी कोशिश कर के पांच साल पहले वाली लाइफ में चले जाओगे..? क्या तुम दोनों एक हो पाओगे..? एकदम नहीं राघव...बंद करो यह सब।‘’
‘’तुम बस एक बार यह लेटर उसके हाथ पहुंचा दो...वह दिल्ली में ही है कहां है यह नहीं पता, पर वह अपने पैरेंट्स के घर पर नहीं है। क्योंकि मैंने पता लगाया है कि उसकी मां अपने मायके गई हैं और पिता तो मसूरी, पर मैं जानता हूं कि वे मसूरी नहीं गए होंगे वे पक्का उसी लैब में होंगे उस नैना के साथ।‘’
जतिन ने कुछ सोचते हुए कहा, ‘’ठीक है जैसा तुम कहो, मैं पता लगाकर मीरा तक यह लेटर पहुंचा देता हूं...जब तक उसे यह लेटर मिलेगा तब तक तो तुम्हारी शादी सुमेधा से हो चुकी होगी।‘’
दो दिन बीत गए थे, एक दिन तो मीरा का बेचैनी में ही बीता था...वह राघव को चाहकर भी अपने दिल से नहीं निकाल पा रही थी और आर्यन को वहां बसा नहीं पा रही थी, अब जब सबकुछ आइने की तरह साफ हो गया था कि आर्यन ही मीरा का आने वाला कल है तो फिर भी मन बार-बार राघव के लिए छटपटा रहा था।
दोनों एक दूसरे से अलग थे पर दोनों ने ही मीरा का दिल जीत लिया था...पर यह आर्यन तो जैसे उसके लिए गुमनाम सा हो गया था। तीन-चार दिनों से उसकी कोई खबर ही नहीं मिली थी..उसका वो बॉडीगार्ड कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया.? शायद इसी गम में वह मुझे फोन करना ही भूल गया हो, पर उसने तो मुझे कभी फोन किया ही नहीं था, हमेशा तो सड़क से ही उठाया था। मुझे अभी अपने काम पर ध्यान देना है...मारिया ने अपनी जान देती और मैं इतनी स्वार्थी हूं कि केवल आर्यन, राघव, अपना फ्युचर और शादी के बारे में सोच रही हूं….मुझे नेहा का घर ढूंढना चाहिए।
अगले दिन बहुत कोशिश करने पर मीरा ने नेहा का घर ढूंढ लिया।
यह भी घर बंद था लेकिन मारिया के घर के जैसा गंदा नहीं था...पड़ोस में पता करने पर पता चला कि नेहा की मौत के एक साल बाद उसके पिता की भी मौत हो गई थी और फिर उसकी मां और भाई कनाडा शिफ्ट हो गए। पड़ोसी के मुंह से यह सब बातें सुनकर मीरा अपना माथा सहलाने लगी, ‘’ओह गॉड क्या मारिया ने यह सब पता नहीं किया था कि उसकी फैमिली में कौन-कौन बचा है और कहां रहते हैं? नेहा के इस घर से तो कुछ मिल ही नहीं सकता है।
मीरा ने हताश भाव से पूछा, ‘क्या आप बता सकते हैं कि यहां अब कौन रहता है?‘’
जी यहां तो कोई नहीं रहता है, उन लोगों ने न तो यह घर बेचा और ना ही किराए पर चढ़ाया है, पता नहीं क्यों हफ्ते दस दिन में एक आदमी आता है इस घर की साफसफाई कर के चला जाता है, और इस घर के पौधो में पानी तो हम लोग ही देते हैं।‘
तो घर किराए पर क्यों नहीं दिया..?’’ मीरा ने नेहा की पड़ोसन से पूछा।
‘’इस घर में नेहा की यादें हैं, उसके पापा की यादें हैं…वे यादे उसकी मां और भाई मिटाना नहीं चाहते हैं शायद इसलिए।‘’
‘’ओह बड़े ही इमोशनल लोग हैं, फिर यह घर छोड़कर चले क्यों गए?‘’
‘’क्योंकि नेहा के भाई की जॉब कनाडा में ही लग गई थी, अब मां यहां अकेली रहकर क्या करती तो वह भी अपने बेटे के साथ चली गई।‘’
क्या वह आदमी जो इस घर की साफ सफाई करता है, उसी के पास इस घर की चाबी है?‘’
वह पड़ोसन बोली, ‘नहीं तो चाबी तो मेरे पास है, वह आदमी जब आता है तो मैं इस घर का ताला खोल देती हूं और वह एक-दो घंटे में घर साफ कर के चला जाता है। आप नेहा की दोस्त हैं क्या?‘’
‘’जी, कहकर मीरा चौंकी...फिर मुंह से निकल गया ‘’हां जी, मैं नेहा की कॉलेज की दोस्त हूं, एक्चुली कॉलेज के बाद फिर हम कभी नहीं मिले, कॉलेज से ही नेहा के घर का एड्रेस मिला और मैं यहां आ गई और यह सब सुनने को मिला।‘
‘’हां, यह तो बहुत बुरा हुआ‘’ उस पड़ोसन ने कहा।
अब क्या करूं.? अब घर में क्या कहकर जाऊं, नेहा की मां होती तो अपने आप को नेहा की सहेली कहकर उनके घर में आ जाती पर पड़ोसन मेरे लिए ताला क्यों खोलेगी? मीरा सोचने लगी कि अब ऐसा क्या किया जाए ताकि पड़ोसन नेहा के घर का ताला खोल दे और वो उसके घर की तलाशी ले सके।
‘’आपको नेहा से कुछ काम था क्या.?’
मीरा ने कहा, ‘’हां वो कुछ साल पहले जब हम कॉलेज में थे तब मेरे कुछ इम्पॉटेंट नोट्स और कुछ जरूरी सामान उसके पास रह गए थे। आठ साल पहले मेरी उससे आखिरी बार बात हुई थी और उसने मुझे अपने घर आकर वह सारे सामान ले जाने को कहा, पर मैं आगे की पढ़ाई में बिजी हो गई और फिर जॉब...अब ध्यान आया तो सोचा चलो नेहा से मिल भी लूंगी और अपना सामान भी ले लूंगी...पर यहां आकर तो पता चल रहा है कि वह इस दुनिया में ही नहीं है….तो अब कह ही क्या सकते हैं?‘’
वह पड़ोसन मीरा की बात सुनकर बोली, ‘’हां हां, आप एकदम सही कह रही हैं, नेहा को मरे हुए करीब आठ साल हो गए हैं...उसके बाद उसका रूम ऐसे ही छोड़ दिया गया था। मेरे ख्याल से उसके रूम में आपका सामान हो सकता है, अगर उसने कहा है तो आप ले जा सकती हैं...हम घर की साफ सफाई करवाते हैं पर वहां के किसी सामान से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। सबकुछ वैसा ही है जैसा नेहा और उसकी फैमिली छोड़कर गई थी।
ये सुनकर मीरा को बहुत ही राहत महसूस हुई, ओह रियली थैक्यू सो मच…मैं बता नहीं सकती हूं कि मुझे इस समय कितना अच्छा लग रहा है।
आप एक मिनट रूकिए, मैं नेहा के घर की चाबी लेकर आती हूं, और उसका रूम भी दिखा देती हूं…जो आपका हो वह आप ले लीजिए।‘’
मीरा ने हां में गरदन हिलाई और सुकून भरी सांस लेकर नेहा के घर के सामने आ गई।
थैंक गॉड, इसकी पड़ोसन अच्छी है, पर मैं नेहा के रूम में क्या ढूंढूगी? मारिया ने बताया था कि चीफ की कोई फोटो हो सकती है या फिर कोई डायरी या कोई ऐसी दूसरी चीज जिससे चीफ के बारे में कुछ पता चल सके।
वह औरत नेहा के घर की चाबी लेकर आ गई और गेट पर लगे ताले को खोला और फिर अंदर मीरा के साथ एंट्री कर के दरवाजे का लॉक भी खोल दिया।
एक सोंधी सी खुशबू मीरा की नाक में तैर गई..यह एक मिडिल क्लास फैमिली वाला घर था।
कभी यह घर बहुत ही गुलजार था, मैं और नेहा की मां लॉन में साथ-साथ चाय पीते थे, हमारे किचन तो आमने सामने थे, यह देखिए इनका किचन, किचन की इस खिड़की को खोलेंगी तो सामने मेरा किचन दिखाई देगा। हाथ भर की दूरी भी नहीं है, कई बार तो हम लोग किचन से ही सामान का लेन देन कर लिया करते थे...मेरे घर चाय खत्म हो गई तो अंजु जी से मांग लेती थी, अंजु नेहा की मम्मी का नाम था, अंजु के यहां नमक खत्म हो गया तो वे मुझ से मांग लेती थी। कभी मैं कुछ स्पेशल बनाती थी तो इसी किचन से अंजु जी को पकड़ा देती थी...कभी अंजु जी बनाती तो वे मुझे दे देती थी। हमारा तो ज्यादातर समय किचन में ही बीतता था, तो बातें भी बहुत कुछ होती थी...कई बार तो हम बातें करते-करते इतना खो जाते थे कि घर वालों को नाश्ता पानी देना है यह भी भूल जाते थे।‘’
मीरा सुन रही थी और मुस्कुरा रही थी, वह तो केवल नेहा के कमरे में जाकर अपने काम की चीज ढूंढना चाहती थी।
फिर उस औरत ने गहरी सांस लेकर कहा, ‘’वह सब अब यादें बन कर रह गई हैं, कभी नहीं लौंटेगे वे दिन।‘’
मीरा भी गंभीर हो गई....यह औरत सच कह रही है। कुछ बहुत मीठी यादें बाद में जाकर कसक ही बन जाती हैं और हम चाहकर भी उसे वापस नहीं ला सकते।
फिर पड़ोसन ने मीरा से कहा, ‘’आओ मैं तुम्हें नेहा का रूम दिखा देती हूं, तुम अपना सामान ढूंढ लो।‘’
नेहा के रूम की तरफ जाते हुए पड़ोसन मीरा से बोली, ‘नेहा की शादी तय हो गई थी, एक बिजनेस मैन के साथ...उसी के साथ शापिंग करने गई थी..क्या नाम था उसका...’ कहकर वह पड़ोसन कुछ याद करने लगी।
मीरा के पूरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई....अगर यह औरत मुझे उस बिजनेस मैन का नाम बता दे तो सारी प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी। एक झटके में ही उस आदमी की असली पहचान सामने आ जाएगी जिसे सब लोग केवल चीफ के नाम से ही जानते हैं और जिसका चेहरा अभी तक बहुत से लोगों के लिए अनजान है, उस आदमी का केवल चेहरा बदला है उसकी फितरत नहीं उसका नाम नहीं। अब वह बहुत समय तक लोगों की निगाह से बच नहीं पाएगा।
क्या पड़ोसन उस बिजनेस मैन का नाम बता पायेगी?
राघव और मीरा ज़िंदगी में आगे बढ़ पाएंगे?
क्या सुमेधा से शादी कर के राघव चीफ तक पहुँच पायेगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
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