वह पल जैसे थम सा गया था...वे दो जोड़ी आंखे एक बार फिर से चार हुई, उनके दिल कुछ अलग ही तरह से धड़क उठे…सांसे बेकाबू होने लगी थी। आसपास की बहती हवा मानो रूक सी गई...सबकुछ थम सा गया था...राघव को मीरा के अलावा और कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था और मीरा का भी यही हाल था। राघव और मीरा दोनों को कंपकंपी सी छूटने लगी थी। 

राघव के कान में सुमेधा की आवाज जैसे गूंज रही थी, ‘’अरे ये ब्‍लू कलर वाला लंहगा देखो रॉकी..आपको पता है मेरी एक कजिन ने भी अपनी शादी में ऐसा ही लंहगा पहना था, छी: कितना गंदा लग रहा था उनके ऊपर..जिसको देखो वही हंस रहा था, पता नहीं किसने उनसे ऐसे बेकार से कलर का लंहगा पहनने को कह दिया था, ब्‍लू कलर तो मुझे एकदम नहीं पसंद है, हां पर तुम्‍हें शायद बुरा लग रहा होगा क्‍योंकि ब्‍लू कलर तो तुम मर्दों का ही कलर होता है, जैसे पिंक, रेड, आरेंज और मैरून कलर हम लड़कियों का है। 

तभी बाहर एक ट्रक के तेज हार्न की आवाज आई...मीरा और राघव दोनों का ध्‍यान भंग हो गया। मीरा के पास खड़ा लड़का अपनी दुकान की स्‍पेशल ड्रेस के बारे में बातें कर रहा था, अंदर तो आइए मैडम हमारे दुकान में एक से बढ़कर एक एंटीक पीस मिलेंगी, यहां जैसा ड्रेस पूरे चांदनी चौक में आपको कहीं नहीं मिलेगा..’’

वह तो ड्रेस देखने आई ही नहीं थी, यह गली तो मारिया के घर की ओर जा रही थी इसलिए मजबूरन यहीं से जाना पड़ रहा था। अंदर जाने का मतलब था राघव के और करीब जाना...नहीं नहीं मीरा में अब इतनी हिम्‍मत नहीं रह गई थी...वैसे भी अब वह अपनी नई जिंदगी शुरू करने वाला है..वह अपनी होने वाली पत्‍नी के साथ खड़ा है, ऐसे में किसी का मन खराब करना ठीक नहीं रहेगा। 

उधर सुमेधा ने राघव का कंधा पकड़कर धीरे से हिलाया...राघव जैसे गहरी नींद से जाग उठा हो, वह सुमेधा से बोला, ‘हां क्‍या हुआ, तुम कुछ कह रही थी क्‍या.?’ 

‘’कुछ, अरे मैं तो बहुत देर से बहुत कुछ कह रही हूं, आपका ध्‍यान न जाने कहां पर है, कहां खोए हैं आप? शादी के बारे में सोचकर डर रहे हैं क्‍या.? डोंट वरी मैं आप से घर का काम नहीं करवाउंगी...वैसे भी झाड़ु पोंछा बरतन करते और खाना बनाते अच्‍छे नहीं लगते हैं, किसी और को लगते होंगे, मुझे तो नहीं लगते हैं। 

राघव ने एक उड़ती नजर मीरा पर डाली, मीरा भी चोर निगाहों से उसे ही देख रही थी। क्‍या अजीब से हालात पैदा हो चुके थे, कभी एक दूसरे को दिलो जान से चाहने वाले आज एक दूसरे को चोर नजरों से देख रहे थे। ये दोनों बेवफा नहीं थे...दोनों के बीच कोई झगड़ा और कोई गिला शिकवा भी नहीं हुआ था फिर भी अलग हो गए, हालात और समय ने दोनों को अलग कर दिया। 

मीरा अब वहां एक मिनट भी नहीं रूकना चाहती थी..उसने दुकानदार के उस सहयोगी से माफी मांगते हुए कहा, ‘’आई एम सॉरी, पर मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए..मैं फिर किसी दिन आउंगी’’ कहकर मीरा ने एक सेकेंड के लिए राघव को देखा और फिर तुंरत उस दुकान से बाहर निकल आई। 

राघव भी उसे देख रहा था, उसके अंदर इतनी हिम्‍मत नहीं हुई कि वह मीरा को रोक सके...हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे। अब उसे कोई हक नहीं बन रहा था कि वह मीरा को रोक सकता। 

उसे अपना वो लेटर याद आया जो उसने मीरा के लिए लिखा था, वह अभी तक राघव की जेब में ही पड़ा था...राघव को लगा था कि मीरा मुंबई के उसी घर में है, पर वो यहां दिल्‍ली में...मैंने तो यहां तक सुना था कि मीरा अब किसी आर्यन नाम के बिजनेस मैन को पसंद करने लगी है...कहीं सच में मीरा भी शादी कर रही है? अगर ऐसा है तो यह बहुत ही अच्‍छी बात है...पर क्‍या वह सबकुछ भूल गई है? अच्‍छा है भूल जाए...वह चीफ के लफड़े में न पड़े तो अच्‍छा है, अपनी अच्‍छी और सिम्‍पल लाइफ बिताए तो ज्‍यादा अच्‍छा है। काश मैं यह लेटर मीरा को दे सकता...पर अगर वह शादी कर रही है तो यह लेटर देने का कोई फायदा नहीं है।

सुमेधा की आवाज फिर राघव के कान में पड़ी...आप कोई एक ड्रेस फाइनल तो कीजिए.. वरना दोपहर से शाम हो जाएगी...अब तक तो हमें घर लौट जाना चाहिए था...’’ 

राघव को अभी भी आसपास सबकुछ जैसे सुन्‍न सा लग रहा था, दिमाग ने जैसे काम करना ही बंद कर दिया था। 

उसने अपना माथा रगड़ा..मीरा को अपने मन से निकालने की भरपूर कोशिश करी ‘’हां तुम तुम सेलेक्‍ट कर लो ना...मेरे लिए भी और अपने लिए भी...तुम जो भी मेरे लिए पसंद करोगी मैं वही पहन लूंगा।‘’

जतिन को बताना होगा कि मीरा दिल्‍ली में है....अगर वह नैना की नजरों में आ गई तो? कहीं वह मीरा को अपनी ढाल बनाकर मेरे आगे न कर दे.? वह मीरा को नुकसान पहुंचा सकती है, बहुत ज्‍यादा नुकसान...जतिन कम से कम मीरा को सिक्‍योरिटी तो दे देगा। पर क्‍या पता वह अपनी फैमिली से मिलने आई हो? तो भी जतिन को बताना ही होगा।

मीरा की सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी...वह हर तरह के हालात का सामना कर सकती थी पर अब राघव से सामना करना उसके बस की बात नहीं थी। वह तेज कदमों से मारिया के घर की ओर जा रही थी..उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह इतनी दुखी क्‍यों हो गई है.? राघव तो बहुत पहले ही उसे छोड़कर चला गया था..वह मेरा कभी था ही नहीं, पर अभी तक उसने शादी नहीं की थी और कबीर उसका बेटा होकर भी उसका नहीं था। राघव कुछ भी करे मुझे क्‍या पड़ी है? 

मीरा, मारिया के घर से बस थोड़ी ही दूरी पर रह गई थी, वह एक पार्क में बनी एक चेयर पर बैठ गई और सुसताने लगी। वह जितना अपने मन को शांत करने की कोशिश कर रही थी उसका मन उतना ही उलझ रहा था। 

इधर चीफ गुस्‍से में जबड़ा भींचे अपने शानदार ऑफिस में बैठा हुआ था...मारिया का पता अब तक नहीं चल पाया था, मारिया को कल आखिरी बार लोकल ट्रेन से उतरते देखा गया था, उतरकर वह कहां गई किसी को नहीं पता...पूरे मुंबई के सीसीटीवी कैमरे छान मारे गए थे, यह मीरा और मारिया का भाग्‍य था कि कब्रिस्‍तान के आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था..वहां लगवाने की किसी ने सोचा ही नहीं थी। 

‘’कहां जा सकती है वो...मुझे वह चाहिए..हर हाल में अपने सामने रोती चीखती चिल्‍लाती सिसकती अपने जान की भीख मांगती...’’ 

सर वह लोकल ट्रेन से उतरी है और जहां तक कैमरे में दिख रहा है कि वह एक गली की ओर मुड़ गई..उस गली की दूसरी ओर एक छोटा सा चर्च है, पुराना और खंडहर जैसा।‘ 

चीफ ने कहा, ‘हां तो हो सकता है कि वह उस चर्च में प्रेयर करने गई हो, इसमें नया क्‍या है? फिर उसके वापस लौटने की भी तो वीडियो होगी...उसे चेक करो, पता चल सकता है कि उसके बाद वह लौटकर आई तो कहां गई। 

‘’सर उसके बाद की तो कोई वीडियो नहीं है, एक्‍चुली वह लौटी ही नहीं। 

‘’लौटी ही नहीं का क्‍या मतलब है? क्‍या वह उसी चर्च में ठहरी हुई है.? ऐसा कर के क्‍या वह मुझसे बच पाएगी?‘’

एक बाउंसर ने कहा, ‘’नहीं सर वह तो चर्च से लौटी ही नहीं..’’ 

चीफ का पारा सातवें आसमान तक पहुंच गया, ‘’क्‍या बकवास कर रहे हो? वह चर्च से नहीं लौटी और वह चर्च में ठहरी भी नहीं है तो कहां गई.? उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया या फिर हवा में कहीं छूमंतर हो गई?‘’ 

‘’न न नहीं सर ऐसा तो कुछ नहीं हुआ है...तो फिर कहीं ऐसा तो नहीं है वह सीसीटीवी ही खराब हो और हम यहां बेवकूफों की तरह फुटेज खंगाल रहे हैं।‘

मकरंद ने कहा, ‘’नहीं चीफ, सीसीटीवी एकदम सही है, उस पुराने चर्च के बाहर एक बहुत बड़ा कब्रिस्‍तान है, मुझे लगता है कि वह कब्रिस्‍तान से होते हुए कहीं और निकल गई होगी...उसे यह आभास हो गया होगा कि हम उसके पीछे हैं।‘’

चीफ ने वाइन से भरा एक गिलास उठाया और तेजी से मकरंद के पास आकर उसके चेहरे पर वाइन की पूरी बोतल फेंक दी, ‘’तेरे जैसा नपुंसक इसके आगे और कुछ सोच भी नहीं सकता है।‘’ 

वहां खड़े सभी लोग हतप्रभ रह गए, पीछे खड़े युग ने मन ही मन कहा, ‘’चीफ तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है, अपना एक और दुश्‍मन पैदा कर लिया...’’ 

मकरंद चीफ की इस हरकत पर बहुत ही अपमानित महसूस कर रहा था...इधर कुछ समय से चीफ बहुत ही ज्‍यादा चिड़चिड़ा सा हो गया था जिसके कारण बार-बार अपने साथियों की इंसल्‍ट करता था। मकरंद का अपमान तो वह कई सालों से करता चला आया था इसकी वजह थी कि मकरंद की युग के जैसे कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी...और करन के जैसे वह नई-नई लड़कियों के पास नहीं जाता था और ना ही अभिजीत और चीफ के जैसा गे था। वह एक ब्रहमचारी के जैसा था लेकिन चीफ मजाक-मजाक में हमेशा उसे नपुसंक और नामर्द भी कह देता था, और मकरंद इसे यूं ही साधारण सी बात कहकर हंसी में उड़ा देता था। पर अब वाकई हद हो चुका था, आज चीफ ने उसे लगभग बीस से पच्‍चीस बाउंसरों के सामने नामर्द बोल दिया था। 

मकरंद के दिल को कितनी बुरी तरह चोट लगी है, यह परवाह किए बिना चीफ फिर से बोला, ‘’क्‍या उसे कब्रिस्‍तान ही लील गया है? या फिर वाकई में कब्रिस्‍तान से ही कहीं रास्‍ता बनाकर वह भाग गई है?‘’

अभिजीत ने कहा, ‘’चीफ आप परेशान मत होइए...हमारे पास इंटरनेशनल लेवल के डॉग हैं, जो सूंघकर बता देंगे कि मारिया कहां है, बस मुझे कुछ घंटे और दे दीजिए, मारिया आपके सामने होगी।‘

जो करना है जल्‍दी करो, जब तक मैं अपना दुबई ट्रिप कर के वापस लौटूं मुझे वह मारिया मेरे सामने मौत की भीख मांगते हुए नजर आनी चाहिए, वरना तुम सबकी मौत पक्‍की समझो।‘’ 

वहां खड़े सारे बाउंसर को मानों सांप सूंघ गया...मारिया के चक्‍क्‍र में चीफ चिड़चिड़े से हो गए थे। अब चीफ जब मारिया को अपने हाथों से मार नहीं लेते तब तक उन्‍हें चैन नहीं आने वाला था। अभिजीत ने रिस्‍टवाच पर टाइम देखकर कहा, ‘’सर आपके एयरपोर्ट निकलने का समय हो गया है।‘’ 

चीफ ने गुस्‍से से अपना हाथ कांच की टेबल पर दे मारा..चीफ के हाथ का वार इतना जोरदार था कि कांच के टूटने की बहुत तेज आवाज आई और पूरा टेबल कई टुकड़ों में बटकर नीचे गिर गया। चीफ का हाथ लहुलूहान हो गया। वहां खड़े सारे लोग सहमकर एक ओर हो गए। चीफ ने अपनी जेब से एक रूमाल निकाला और हाथ पर बांध लिया...अथाह गुस्‍से के कारण उसके माथे की नसें तन गई थी। अभिजीत तक की हिम्‍मत नहीं हो रही थी कि आगे बढ़कर चीफ के हाथ की मरहम पटटी कर दें। 

बहुत देर की मशक्‍कत के बाद आखिरकार मारिया का घर मिल ही गया…मारिया का घर धूल धसरित हो रखा था..किसी समय यह एक शानदार घर रहा होगा...मीरा ने मन ही मन कहा, मीरा ने जंग लगे हुए गेट को धीरे से खोला...उस गेट में इतना जंग लग चुका था कि मीरा उसे छूने से ही डर रही थी...की कहीं गेट उसके ऊपर ही न गिर जाए। 

लॉन में रखे गमले सूख कर ठंठर हो चुके थे, केवल एक रबर का पौधा ही था जो हरा भरा था जो शायद इसलिए कि वह जमीन से लगा था और उसे वहीं से पानी मिल रहा था। दरवाजे पर लगे ताले को खोलकर मीरा अंदर गई तो भयानक सीलन और कबूतर के बीट और मरे हुए चूहों के शरीर की बदबू ने उसका स्‍वागत किया। 

मीरा ने अपनी नाक पर हाथ रख लिया...आखिर इतने गंदे घर में मारिया ने उसे आने के लिए क्‍यों कहा? यह तो कतई रहने लायक नहीं है, फिलहाल तो नहीं, पूरा घर गंदा और भूतिया नजर आ रहा है। इसे साफ कर के रहने लायक बनाने में ही एक महीना लग जाएगा, तब तक मैं गेस्‍ट हाउस में ही रहूंगी। 

तभी अचानक मीरा को राघव का ध्‍यान आ गया..वह शादी कर रहा है अच्‍छी बात है। यह तो तय है कि मुझसे तो अब हो नहीं सकता, तो क्‍यों ना मैं भी अब अपने बारे में सोचूं? क्‍या मुझे सच में आर्यन के बारे में सीरियसली होकर सोचना चाहिए? बुराई ही क्‍या है उसमें.? यह बात तो मैं जानती हूं कि वह मुझसे प्‍यार करता है, मुझे पता है कि वह मुझसे मिलने जरूर आएगा...और इस बार मैं कोई नाज नखरा नहीं करूंगी...मैं उसे हां कह दूंगी।‘’ 

 

क्‍या मीरा का फैसला एकदम सही है?

क्‍या चीफ को मारिया के बारे में कुछ पता चल पाएगा?

क्‍या आर्यन सच में मीरा के पास लौटकर शादी का प्रस्‍ताव रखेगा? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्‍बत।

     

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