दोपहर का समय...आज रमन की शादी थी, सौम्य बैंक्वेट हॉल में सारे अरेजमेंट हो रहे थे। नैना हैरान थी कि यह कैसी फैमिली है अपने बड़े बेटे के बिना ही सारी रस्में किए जा रहे हैं, अभी तक नैना को यह पता नहीं चल पाया था कि हल्दी वाली रस्म के दिन ही राघव उसे और उसके आदमियों को चकमा देकर अपने परिवार से न केवल मिला था बल्कि हल्दी की रस्म निभाने के तौर पर रमन को हल्दी भी लगाई थी।
पर राघव ने किसी को यह नहीं बताया था कि वह भी बलवंत की बेटी से शादी करने जा रहा है...ऐसा करने के लिए जतिन ने ही कहा था। वह इस बात को जहां तक हो सकता था गोपनीय ही रखना चाहता था। राघव के परिवार को बताने का मतलब…यह बात तुरंत नैना के कानो में भी पड़ जाती और वह बलवंत से मिलकर राघव की सच्चाई बता सकती थी, राघव के प्लान की धज्जियां उड़ जाती। सब चीजें फिर से वापस शुरू करना मुश्किल हो जाती क्योंकि बलवंत की नजर में राघव यानी रॉकी एक अनाथ लड़का था...जो सरकार की मेहरबानी से पढ़ा लिखा और अंडरकवर ऑफिसर बना था। ऐसा जतिन ने बलवंत को बताया था, तो बलवंत के लिए राघव एकदम अकेला था केवल जतिन ही उसका एकमात्र दोस्त था। इस कारण सब लोग बहुत फूंक-फूंककर कदम रख रहे थे।
नैना को यह सब बहुत ही अजीब लग रहा था....कहीं ना कहीं उसे शक हो रहा था कि राघव शादी में तो जरूर आएगा क्या पता वह भेष बदलकर ही आए? पर जतिन ने नैना को इस बार भी मात देने की पूरी तैयारी कर रखी थी...शादी इस बैंक्वेट हॉल में न होकर एक फाइवस्टार होटल में हो रही थी।सौम्य बैंक्वेट हॉल को रमन की शादी के लिए बुक जरूर करवाया गया था पर जतिन ने वहां अपने पूरे पुलिस फोर्स को एक छोटी सी पार्टी दे दी थी, लेकिन हॉल का डेकोरेशन और बोर्ड चेंज नहीं किया गया था।
पार्टी में आने वाले पुलिस वालों को बता दिया गया था कि इस हॉल में एक शादी भी है, पर वह दूसरी ओर होगी…हम सब पार्टी इंजॉय करेंगे और नैना के आदमियों को दिखाने के लिए रमन का पूरा परिवार रेडी होकर बैंक्वेट हॉल में पहुंच गया था, वहां पुलिस वाले और उनकी फैमिली भी मौजूद थी। मौका देखकर रमन की फैमिली पहले तो उन सभी में घुलमिल गई और गुंडो का ध्यान इधर-उधर होते ही चुपके से शेखर अपने बेटे रमन और बाकी पूरी फैमिली के साथ एक दूसरे रास्ते से जो बहुत ही कम युज होता था या नहीं के बराबर ही यूज होता था वहां से निकल गए।
उसके बाद जतिन के दूसरे प्लान को अंजाम दिया गया...जानबूझकर नैना के गुंडो के लिए नशे वाली ड्रिंक बनाई गई और कोशिश की गई कि वे लोग इसे पी ले, पिछली बार की तरह इस बार भी जूली की सुंदर लड़कियों का सहारा लिया गया, उन सभी को दस पंद्रह मिनट के लिए हॉयर कर लिया गया था। इतनी देर में लड़कियों ने अपने काम को अंजाम दे दिया था।
नैना के गुंडे अपनी-अपनी जगह बेसुध हो गए थे, जतिन के कुछ लोगों ने उन्हें उठाकर बैंक्वेट हॉल के एक कमरे में लेटा दिया था, अब छ: सात घंटे से पहले वे उठने वाले नहीं थी। रमन की शादी में नैना को भी बुलाया गया था…आखिर वह शेखर की बेटी और रमन की सौतेली बहन जो थी, पर उसने ऐसे ही जाने से मना कर दिया था, नैना की जिद थी कि जब तक शेखर के घर से कोई लेने नहीं आएगा मैं नहीं जाउंगी।
शेखर ही नैना को लाने के लिए तैयार हो गए थे, नैना एकदम रेडी होकर अपने घर में बैठी थी..उसकी मां लता अपने प्रोफेसर प्रेमी के साथ मालदीव घूमने गई थी। नैना को अपनी अय्याश मां से दिन-ब-दिन ज्यादा ही चिढ़ होने लगी थी, यहां वह अपना मान सम्मान पाने के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर बैठी है और उसकी मां इन सबको एक फालतू चीज मानकर अपनी लाइफ को फुल इंजॉय करने मे लगी है...कभी-कभी नैना सोचती थी कि आखिर मैं यह सब क्यों कर रही हूं? किसके लिए कर रही हूं? मां को तो दुनिया समाज की कोई परवाह ही नहीं है, वे तो जैसे मर्दों की भूखी ही हैं...एक मर्द ने उन्हें छोड़ा तो वे दूसरा पकड़ लेती हैं। उनके पास जिंदगी जीने के जैसे यही मायने हैं, एक तो पैसे वाला मर्द...दूसरा उनका पर्स हमेशा नोटों और क्रेडिट कार्ड से भरा रहे।
मुझसे अक्सर कहती रहती हैं कि छोड़ो यह बदला लेना...लाइफ इंजॉय करो....तुम्हारे पास तो भरपूर नई जवानी है, किसी जवान लड़के से दोस्ती करो..क्यों उस बूढ़े अमरीश के पीछे पड़ी हो? वह तुम्हें कुछ नहीं दे सकता है।
कई बार नैना लता पर चीख पड़ती थी कि आपने मुझे पैदा ही क्यों किया.? समाज की नजरों में नाजायज औलाद हूं, मुझे कोई सुख कोई सुकुन नहीं मिल पाया है केवल आपके कारण...इतने मर्द आपकी लाइफ में आए और गए किसी से तो शादी कर ही सकती थी, कम से कम मुझे बाप का नाम तो मिल जाता और मैं लोगों के लिए नाजायज पैदाइश तो नहीं कहलाती।
तो मेरी इस बात पर उल्टा मां ही मुझ पर चिल्लाने लगती है....तुम मेरी लाइफ की सबसे बड़ी गलती हो, तुम्हें पैदा करने के बाद मेरी मुश्किलें केवल बढ़ी हैं, एक तो मेरा अच्छा खासा फिगर खराब हो गया…तुम्हें क्या पता मेरा मॉडलों वाला फिगर था, उन्हीं दिनों शेखर मेरे करीब आया था, और तुम मेरे पेट में आ गई। यह कोई पहली बार नहीं था कि मैं प्रेग्नेंट हुई थी....पर इस बार मैं एबार्शन नहीं करवा पाई, मेरी जान को खतरा था...मजबूरन तुम्हें पैदा करना पड़ा। मेरे आधे शरीर पर स्ट्रेच मार्क आ गए, मेरा शरीर बेडौल हो गया और मेरा मॉडल बनने का सपना चूर-चूर हुआ तो केवल तुम्हारे कारण, अगर मुझे जिंदा रहना था तो तुम्हें पैदा करना जरूरी हो गया था वरना एक समय मैं देश की टॉप माडल या फिर सुपर मॉडल होती। कितने सपने थे मेरे जो तुम्हारे कारण मैंने मार दिए...पर कब तक मैं अपने सपनों को मारूं?
मैं दूसरी मम्मियों की तरह नहीं बनना चाहती थी जो दिन भर तुम्हारे पीछे लगी ही रहूं....मैंने तुम्हें पाला पोसा अच्छे स्कूल में पढ़ाया पर मेरी भी तो अपनी लाइफ थी, उस समय नहीं जी सकी पर अब तो मैं भरपूरी आनंद लूंगी...मैंने तुम्हें तो कभी किसी चीज के लिए नहीं रोका-टोका तो तुम क्यों एक मिडिल क्लास वाली सोच मेरे ऊपर थोप रही हो? देखो नैना तुम अपनी लाइफ अपने तरीके से जीने के लिए पूरी तरह से आजाद हो...मेरे मामले में टांग मत अड़ाओ...उस बूढ़े अमरीश के साथ तुम खुश हो तो रहो, मुझे मेरे हिसाब से जीने दो।
नैना अपनी मां की इस बात से कितना उखड़ गई थी...लता ने केवल अपनी लाइफ बचाने के लिए उसे पैदा किया था, अगर ऐसा नहीं होता तो वह एक बार फिर से अबार्शन करवा लेती जैसा पहले भी तीन-चार बार करवाया था। मतलब उसके पहले नैना के चार अजन्में भाई बहनों की मौत हो चुकी थी....कितनी क्रुर और स्वार्थी औरत है यह। अगर मुझे किसी दिन इसकी जान लेनी पड़े तो शायद मेरा हाथ भी न कांपे...भगवान करे मेरी इस कलियुगी मां को दुनिया की बुरी से बुरी मौत मिले। यह औरत तड़प-तड़पकर मरे, इसके पूरे शरीर में कीड़े रेंगे...’’ नैना अपने ड्राइंग रूम में बैठे-बैठे अपनी मां को कोस ही रही थी कि उसे बाहर से कार के हार्न की आवाज सुनाई दी।
शेखर उसे लेने आ गए थे, नैना ने अपनी ड्रेस को ठीक किया पर्स उठाया और घर से बाहर निकली, कार में बैठे शेखर को घृणा भरी दृष्टि से देखा और पीछे वाली सीट पर जहां शेखर बैठे थे, वहीं आकर बैठ गई। शेखर ने नैना के मन में अपने प्रति बढ़ते घृणा और नफरत को अच्छे से महसूस कर लिया था।
नैना ने उनसे कहा, ‘’आप शायद मुझसे कुछ कहना चाहते हैं पर कह नहीं पा रहे हैं?
शेखर बोले, ‘’पता नहीं तुम्हारे मन की यह कड़वाहट कब दूर होगी? अपने ही परिवार से बदला लेने के चक्कर में तुमने खुद को ही बरबाद कर दिया...एक दिन ऐसा समय जरूर आएगा जब तुम्हारे पास पछतावे के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा, पर अफसोस कि उस समय सबकुछ खत्म हो चुका होगा। अभी भी समय है अगर तुम लाइन पर आ जाओ तो सबकुछ सही हो जाएगा..तुम्हारे लिए एक अच्छा लड़का ढूंढकर मैं तुम्हारी उससे शादी करवा दूंगा, तुम्हारी अपनी एक फैमिली होगी, एक अच्छी और सम्मानित जिंदगी जिओगी।‘’
नैना ने सपाट स्वर में कहा, ‘ओके तो आपकी बकवास अगर बंद हो चुकी हो तो अपने ड्राइवर से बोलिए कि कुछ म्युजिक लगा दे...मैं बोर हो रही हूं, आपकी वो बकवास जो मेरे किसी काम की नहीं है वह सुनने से अच्छा है कि मैं कुछ गाने ही सुन लूं।‘’
शेखर ने अफसोस से सिर झटका और ड्राइवर को इशारा किया। ड्राइवर ने म्युजिक का बटन ऑन कर दिया। आधे घंटे बाद नैना को सौम्य बैंक्वेट हॉल दिखाई दिया, नैना ने अपना ड्रेस ठीक किया, पर्स में से छोटा सा मिरर निकालकर अपना मेकअप चेक किया और एकदम सेट होकर कार से उतरने के लिए रेडी हो गई...बगल में बैठे शेखर मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।
उन्होंने ड्राइवर को पहले ही कह रखा था की बैंक्वेट हॉल के सामने तो एकदम नहीं रूकना है…जैसे ही बैंक्वेट हॉल के सामने कार आए वहीं से स्पीड तेज कर लेना। ड्राइवर ने ऐसा ही किया, नैना हक्की-बक्की रह गई....यह क्या किया इस आदमी ने.? हमें तो यही उतरना था। फिर उसने शेखर की ओर देखा जो एकदम निश्चिंत होकर अपने सीने पर हाथ बांधे सामने की ओर देख रहे थे।
आप ड्राइवर से बोलिए कि कार बैक करे, हॉल तो पीछे रह गया।
कौन सा हॉल..?’ शेखर ने अनजान बनने की कोशिश करते हुए पूछा।
‘ओह गॉड, आपको भूलने की बीमारी हो गई है क्या.? जहां रमन की शादी है वह पीछे रह गया...हम बहुत आगे निकल आए हैं।‘’
शेखर ने कहा, ‘’अरे हां मैं तो तुम्हें बताना ही भूल गया था...आज सुबह पुलिस कमिश्नर जी का फोन आया था कि उन्हें एक पार्टी रखनी है इसलिए यह हॉल उन्हें चाहिए और उन्होंने हमारे लिए एक दूसरा बैंक्वेट हॉल बुक करा दिया था।
व्हाट..? नैना के चेहरे का रंग उड़ गया, उसके सारे गुंडे तो इसी हॉल में उसका इंतजार कर रहे थे और यहां तो कुछ और ही कहानी हो गई।
मतलब मेरी समझ में नहीं आ रहा है, और आप ऐसा करने के लिए मान भी गए..? पुलिस कमिश्नर ने किसी और हॉल में पार्टी क्यों नहीं कर ली..?’’
शेखर ने कहा, ‘क्योंकि वह हॉल छोटा था और सौम्य हॉल तो बहुत बड़ा है, और पुलिस कमिश्नर जी को ना कहने की औकात नहीं है मेरी, यह तो तुम भी जानती हो।‘’
फिर आपने मुझे बताया क्यों नहीं?
अब तो बता रहा हूं ना वैसे भी इसमें बताने और न बताने जैसी कोई बात ही नहीं है...तुम्हें तो रमन की शादी अटेंड करने से मतलब है, वह कहां से हो रही है इससे क्या फर्क पड़ता है?’
फर्क पड़ता है….नैना लगभग चीख पड़ी, फिर उसने खुद पर कंट्रोल करते हुए कहा, ‘’नहीं मेरा मतलब है कि मैने अपनी फ्रेंडस को बता रखा है कि मैं सौम्य बैंक्वेट हॉल में शादी अटेंड करने जा रही हूं, वहां मेरे भाई की शादी है।‘’
शेखर ने कहा, ‘’चलो शुक्र है कि तुमने रमन को अपना भाई तो माना, ये लो आ गया वरवधु मैरिज हॉल, देखो तो यह किसी मायने में उस सौम्य बैंक्वेट हॉल से कम नहीं लग रहा है, और नाम भी इसका कितना अच्छा है वरवधु मैरिज हॉल।‘
नैना खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही थी...उसके सारे आदमी तो सौम्य बैंक्वेट हॉल में उसका इंतजार कर रहे होंगे। पर वहां पुलिस वाले होंगे....हे भगवान, अब मैं क्या करूं? मैं किसी एक को फोन कर देती हूं जिससे वे सभी आधे घंटे के अंदर-अंदर यहां आ जाएं, मैं इनमें से किसी को नहीं छोड़ूंगी, मेरे साथ खेल खेलने की कोशिश कर रहे हैं, उस नैना के साथ जो इस फील्ड की मंझी हुई खिलाड़ी है, अब तुम लोगों को बताउंगी कि नैना के साथ छल कपट करने का क्या नतीजा होता है?
नैना अपने आदमियों को फोन करती कि तभी झट से किसी ने उसका फोन छीन लिया। नैना ने सकपका कर सामने देखा.....वह राघव था।
नैना अपने साथ हुए इस धोखे का बदला कैसे लेगी?
वह राघव जिसे वह इतने सालों से ढूंढ रही थी अब सामने पाकर नैना क्या करेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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