चीफ दुबई के एक शानदार होटल में लेदर सोफे पर बैठा अपनी पसंदीदा वाइन को हाथ में लेकर गोल-गोल घुमा रहा था। यह पहली बार था जब चीफ अपने चारों मेन बॉडीगार्ड और दोस्‍तों के बिना किसी ट्रिप पर आया था। 

करन तो मर चुका था, मकरंद से तो चीफ नाराज था इसलिए उसे अपने साथ नहीं लेकर आया, मकरंद खुद भी नहीं आना चाहता था। युग को मीरा के पीछे जाने के लिए कह दिया था और अभिजीत को मारिया की तलाश करनी थी, चीफ ने कह दिया था कि जब मारिया मुझे मिल जाए तो ही मुझे फोन करना, उसके पहले चाहे तो तूफान आए या भूकंप मुझे फोन मत करना। 

सामने टेबल पर उसका टैब खुला हुआ था....टैब में वह कुछ ऐसा देख रहा था जिसके घटित हो जाने की उसने कल्‍पना भी नहीं की थी। अभिजीत के खोजी कुत्‍तों ने मारिया को तो नहीं, पर मारिया की डेडबॉडी को ढूंढ निकाला था। 

मारिया की गंध को लेते हुए कुत्‍ते कब्रिस्‍तान पहुंचे और एक कब्र को खोदना शुरू किया, पहले तो अभिजीत ने उन्‍हें ऐसा करने से रोका…क्‍योंकि अभिजीत को लगा कि शायद ये कुत्‍ते गुस्‍से से ऐसा कर रहे हैं, और अगर आसपास कोई बेवजह कब्र की खुदाई करते देखता तो बवाल भी मच सकता था। अभिजीत को डर भी लग रहा था कि कहीं यह दंगे फसाद का कारण न बन जाए, अगर किसी पादरी ने या यहां आस पास से गुजर रहे लोगों ने देख लिया तो। 

उसने फिर से अपने खोजी कुत्‍तों को पुचकार कर उन्‍हें अपनी ओर खींचने की कोशिश की, पर कुत्‍तों को तो जैसे कब्र को खोदने की धुन सवार हो चुकी थी। वे पांच डॉग थे, सभी लम्‍बे तगड़े हट्टे-कट्टे ताकतवर इतने की अभिजीत जैसे बलिष्‍ठ बाउंसर को खींचकर नीचे गिरा दें। अभिजीत और उसके साथ आए बाकी के बाउंसरों की सारी ताकत बेकार गई। 

तब तक सारे डॉग ने इतना खोद दिया था कि उसके अंदर मौजूद ताबूत दिखाई देने लगा था, ताबूत देखते ही कुत्‍ते जोर-जोर से भौंकते हुए उसपर नाखुन मारने लगे। अभिजीत ने उन्‍हें फिर से रोकने की कोशिश की और पुचकारते हुए अपनी ओर खींचने की कोशिश करने लगे। पर उनकी कोशिश फिर से नाकाम हो गई। 

एक बाउंसर ने कहा, ‘’सर एक बार ताबूत को खोलकर देख लेते हैं, ये जानवर यूं ही नहीं किसी पर ऐसा भौंकते हैं, जरूर इस ताबूत में कुछ तो ऐसा है जिसके बारे में ये लोग मुझे बताना चाहते है।‘’

अभिजीत को अभी भी डर लग रहा था कि कहीं यह कुछ और रंग न ले ले, अगर किसी क्रिश्‍चियन ने हमें ऐसा करते देख लिया तो, वैसे भी यह क्रिश्‍चियन इलाका था। अभिजीत ने चारो ओर देखा, कहीं कोई नहीं दिखाई दे रहा था, कब्रिस्‍तान के बाहर बना वह छोटा सा टूटा चर्च भी खाली पड़ा था। अभिजीत ने जल्‍दी से आगे बढ़कर वह ताबूत खोल दिया…ताबूत खोलते ही उसके होश फाख्‍ता हो गए, ताबूत में मारिया थी, चिरनिद्रा में विलीन । 

ओह माई गॉड, तो ये सारे डॉगी यही बताना चाह रहे थे, यह तो मर चुकी है और हमने इसे ढूंढने के लिए रात दिन एक कर दिया। पर यह मरी कैसे? एक्‍सीडेंट हो गया था या फिर कोई बिमारी से या फिर यूं ही हार्टअटैक तो नहीं आ गया था?

अभिजीत सिर पकड़कर कब्र के पास ही बैठ गया। सारे कुत्‍ते शांत होकर एक पेड़ की छाया में बैठ गए, उनका काम अब खत्‍म हो गया था। बॉस को इसके बारे में कैसे बताया जाए? सोचकर अभिजीत की रूह कांप उठी, उसे मकरंद और युग की याद आ रही थी, वे दोनों होते तो कुछ सोचते पर अभी तो मुझे अकेले ही सबकुछ करना होगा। 

लेकिन इसे कब्र में गाड़ा किसने? अकेले तो इसने किया नहीं होगा, सोचकर अभिजीत ने चीफ को फोन किया। 

चीफ ने अभिजीत से कहा था कि जब मारिया मिल जाए तो ही मुझे फोन करना। अभिजीत ने डरते हुए सारी बात बताई...चीफ की भौंह टेड़ी हो गई और वीडियो कॉल कर के मारिया की बॉडी दिखाने के लिए कहा। 

अभिजीत ने वैसा ही किया। 

चीफ गहरी निगाहों से मारिया की डेड बॉडी देख रहा था, उसके चेहरे पर विजय भरा सुकून था ऐसा लग रहा था मानो मारिया कह रही हो कि देखा चीफ मैंने तुम्‍हारे दोस्‍त को मार दिया और तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाए। मैं तुम्‍हारी पहुंच से बहुत दूर निकल गई, तुम हार गए चीफ मैं जीत गई। 

चीफ ने वह टैब उठाकर जमीन पर फेंक दिया। 

उसने तुरंत अभिजीत से कहा, इसकी बॉडी का पोस्‍टमार्टम करवाओ।

लेकिन सर अब क्‍या फायदा? यह तो मर चुकी है।‘’ 

‘’बहुत आसान मौत मरी है, इसके पूरे शरीर की चीड़फाड़ करवाकर पता करो कि कैसे मरी है? और यह भी पता लगाओ की इसके साथ कौन आया था आई मीन इसकी बॉडी को ताबूत और कब्र में किसने डाला था?‘ 

जी जी बॉस, अभिजीत ने अपने माथे का पसीना पोछते हुए कहा। 

मारिया की बॉडी आलमोस्‍ट सड़ने की हालत में आ गई थी, और असहनीय बदबू भी आ रही थी, पर अभिजीत को अपने चीफ के पागलपन भरे आदेश का पालन करना ही था। 

चीफ बुरी तरह हताश हो गया था...मारिया मर कर भी उसे गहराई से मात दे गई थी। 

उसने जरूर आत्‍महत्‍या की होगी, क्‍योंकि उसे पता था कि मैं उसके साथ क्‍या करूंगा। मारिया तुम्‍हें जिंदा रहना चाहिए था। 

मारिया का चैप्‍टर तो बंद हो चुका था, अब चीफ को आगे का सोचना था, मीरा को देखे उसे कई दिन हो गए थे...अब चीफ से नहीं रहा जा रहा था।

पता नहीं युग ने मीरा के बारे में क्‍या पता किया.? मुझे उसी दिन युग को मीरा के पीछे भेज देना चाहिए था, कम से कम युग अब तक तो मीरा के बारे में पता कर ही लेता। पता नहीं ऐसा क्‍या हो गया कि मीरा यूं अचानक सबकुछ छोड़कर चली गई? जॉब भी छोड़ दी, पर कोई बात नहीं जब वह हमेशा के लिए मेरी हो जाएगी तो मेरी कम्‍पनी की मालकिन बन जाएगी फिर वह मेरा सारा बिजनेस संभालेगी। 

युग समुद्र के किनारे मकरंद के साथ बैठा था...मकरंद अभी भी बहुत ही ज्‍यादा गहरे तनाव में था। 

इधर बीच इशिका का कई बार फोन आ चुका था पर युग बार-बार उसे काट देता था जब से मारिया ने अपनी जान दी तब से युग बहुत ही अपसेट था वह अपने आप को बहुत अकेला सा महसूस कर रहा था और मकरंद के साथ चीफ के ऐसे व्‍यवहार ने भी युग को आहत कर दिया था। मकरंद की मौन पीड़ा उसके चेहरे पर छाई हुई थी। 

‘’क्‍या हम किसी क्‍लब में चले? वहां कुछ टेंशन कम होगा।‘

मकरंद ने युग की इस बात का जवाब न देते हुए कहा, ‘’मेरी समझ में नहीं आता है कि मैं इतने सालों से चीफ के लिए इतना समर्पित रहा हूं और उसका मुझे यह सिला मिला है। मन में आता है कि सबकुछ छोड़कर कहीं दूर चला जाउं…अब चीफ बदल चुके हैं, ये वह चीफ नहीं रहा जो हमारा दोस्‍त था हमारा हमदर्द था…अब यह केवल हत्‍यारा है, इसका साथ देने के चक्‍कर में हम भी कितने ही पापों के भागीदार बन गए हैं, अगर गिनने बैठेंगे तो गिनती कम पड़ जाएगी पर हमारे पाप खत्‍म नहीं होंगे। 

युग का मन हुआ की वह मकरंद को अपने प्‍लान के बारे में बता दे कि वह चीफ की मौत चाहता है। इस समय मकरंद बहुत दुखी है…हो सकता है कि भावुकता में आकर वह मेरा साथ दे दे, अगर मकरंद का साथ मिल गया तो हम दोनों चीफ को मार सकते हैं…युग कुछ कहने ही वाला था कि उसके दिल के किसी कोने ने उसे ऐसा करने से रोक दिया।

तभी मकरंद बोला, ‘’पता नहीं क्‍या कमी रह गई थी मेरी वफादारी में जो चीफ ने ऐसे सबके सामने मुझे..? खैर वह गुस्‍से में हैं मारिया के कारण, करन की मौत के कारण...मैं भी गुस्‍से में क्‍या-क्‍या सोचने और कहने लगता हूं? मुझे लगता है कि हमें चीफ को कुछ समय के लिए अकेला छोड़ देना चाहिए, वे अपनी प्राब्‍लम से खुद ही निपटेंगे और शायद वापस वही वाले चीफ बन जाएं जो वह पहले थे।‘’ 

युग हैरानी से मकरंद को देखने लगा...कैसा अजीब इंसान है यह? अभी कुछ देर पहले तो कुछ और था और अब कुछ और.? अच्‍छा हुआ मैंने इससे अपने मन की बात नहीं कही, वरना शायद मारकर मुझे इसी समुद्र में गाड़ देता। 

फिर मकरंद ने युग से कहा, ‘’अरे हां, तुम्‍हें तो मीरा का पता लगाने के लिए चीफ ने दिल्‍ली जाने के लिए कहा है।‘’

हां मैं कल निकलूंगा और देखता हूं कि वह कहां है?

‘’क्‍या कहा तुमने कल...हमने चीफ का काम कभी कल पे टाला है? उन्‍होंने कहा है तो तुम्‍हें तुरंत निकल जाना चाहिए था।‘’ 

हां मैं भी यही सोच रहा था लेकिन सोचा कि तुम बहुत परेशान होगे इसलिए तुम्‍हारे पास चला आया।

मकरंद ने कहा, ‘’मैं एकदम परेशान नहीं हूं, तुम प्‍लीज इसी समय जाओ…अब तक तो तुम्‍हें मीरा के बारे में जानकारी जुटाकर चीफ को बता देनी चाहिए थी।‘’

युग ने खुद को कोसा कि इस कमीने के पास मैं आया ही क्‍यों? एक नंबर का बेशर्म इंसान है, चीफ के हाथों सबके सामने अपमानित होने पर भी उनके लिए इतना प्‍यार...वफादार कुत्‍ते से भी ज्‍यादा वफादारी है इसके अंदर, इसे चीफ के खिलाफ करना नामुमकिन है वे लोग जो मकरंद को नार्मद और नपुसंक कहते हैं एकदम ठीक कहते हैं, यह नपुंसक होने के साथ-साथ कायर भी है। मन ही मन सोचकर युग खड़ा हो गया और मकरंद से बिना कुछ कहे कार की ओर बढ़ गया। 

मकंदर उससे बोल रहा था, ‘’अरे रूको तो, मैं तुम्‍हें एयरपोर्ट छोड़ देता हूं।‘’ 

युग ने कुछ नहीं कहा, उसने कार का दरवाजा खोला और ड्राइविंग सीट पर बैठकर कार स्‍टार्ट की और मकरंद को बिना एक नजर देखे ही कार लेकर निकल गया। मकरंद भौंचक्‍का सा होकर युग की यह हरकत देख रहा था...ऐसा तो युग ने आजतक कभी नहीं किया था। 

आखिर अचानक से उसे क्‍या हो गया था? मकरंद ने कुछ न समझने की कोशिश करते हुए कंधे उचकाए और फिर से उठती गिरती समुद्र की लहरों को देखने लगा। 

युग ने चीफ को फोन कर के मीरा का पता बता दिया था, पर उसने यह नहीं बताया कि मीरा, मारिया के घर गई थी और उसके बाद चीफ की गर्लफ्रेंड नेहा के घर पर। युग ने चीफ को केवल इतना बताया कि मीरा मुंबई से ऊब गई थी...वह अब वापस दिल्‍ली में अपना खुद का कोई बिजनेस स्‍टार्ट करना चाहती है इसलिए मुंबई से चली गई।

ये सुनकर चीफ ने कहा, ‘’ओह यह बात है, मुझे तो लगा कि कोई सीरियस बात हो गई है, ओके युग तुम अब वापस लौट आओ….मैं भी कल इंडिया वापस आ रहा हूं तो मीरा से मिलने जाउंगा।‘’ 

‘’आप....आप मीरा से मिलने जाएंगे.?’’ 

‘’हां क्‍यों, तुम ऐसा क्‍यों पूछ रहे हो?‘’

‘’आपको देखकर वह घबरा न जाए।‘’ 

घबराएगी तो वह तब जब मैं उसे अपनी असलियत बताउंगा, मुझे लगता है कि मुझे मीरा की मदद करनी चाहिए…वह इतने समय से मुझे ढूंढ रही थी और सफल नहीं हो पाई, तो बेचारी लड़की पर तरस खाकर मैं उसे बता दूंगा कि मैं ही चीफ हूं और तुम्‍हारे सामने खड़ा हूं, आओ जो करना है कर लो।‘’

लेकिन चीफ वह आपकी जान के पीछे पड़ी है, आपको मकरंद और अभिजीत को अपने साथ लेकर जाना चाहिए।‘’ 

तुम्‍हें लगता है कि मुझे मीरा जैसी लड़की से डरना चाहिए.?’’ 

नहीं चीफ, पर उसका कोई भरोसा नहीं है, क्‍या पता उस पर नजर रखी जा रही हो?‘’ 

चाहे जो भी हो मैं कल उससे मिलने जाउंगा‘’ कहकर चीफ ने फोन रख दिया। 

 

नैना राघव को अच्‍छे से पहचान सकती थी, आश्‍चर्य की अधिकता से ऐसा लगा कि नैना की आंख की पुतलियां ही ना बाहर आ जाएं। 

क्‍या हुआ नैना? किसे फोन करना चाहती हो? शायद तुमने यहां टंगे बोर्ड को ध्‍यान से नहीं देखा, अगर देखती तो कभी अपने आदमियों को फोन करने की कोशिश नहीं करती। 

नैना की नजर वरवधु मैरिज हाल के बाहर लगे एक बोर्ड पर गई, जहां लिखा था कि इस शादी में मोबाइल फोन एलाउ नहीं है। नैना लगभग चीख पड़ी ‘यह क्‍या बकवास है? ऐसा कौन करता है?‘

‘’मैं करता हूं, कहकर राघव ने नैना का फोन बाक्‍स लेकर घूम रहे एक वेटर को दे दिया और नैना को लगभग अपने करीब खींचते हुए बोला, ‘’अब चलिए सिस्‍टर शादी इन्‍जॉय कीजिए, यह बीसवीं सदी की थीम पर शादी रखी गई है जिस समय स्‍मार्टफोन तो क्‍या मोबाइल फोन भी नहीं आया था।‘’ कहकर राघव, नैना को लगभग खींचते हुए अंदर ले जाने लगा।

 

अब नैना क्‍या करेगी? 

राघव को सामने पाकर क्‍या पलटवार करेगी?

क्‍या चीफ अपनी हकीकत मीरा को बता देगा?

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्‍बत।

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