मीरा की सांसे जैसे जम सी गई....चीफ का असली नाम पता चलने का मतलब था, बहुत कुछ सामने आ जाना। पड़ोसन अपने सिर का पिछले हिस्से पर उंगलियां फिराते हुए याद करने लगी। ‘’मैं भूल गई....पता नहीं क्या नाम था उसके बॉयफ्रेंड का...?‘
यह सुनते ही मीरा मानों आसमान से जमीन पर आ गिरी। एक पल की जागी उम्मीद पल भर में ही धाराशाई हो गई थी। फिर भी मीरा ने उस औरत को उत्साहित करते हुए कहा, ‘’हां हां याद करने की कोशिश तो कीजिए मैडम, आप यह कर सकती हैं। वैसे भी लोग किसी के पति भाई का नाम भूल सकते हैं लेकिन बॉयफ्रेंड का नहीं।‘’
उस औरत ने मुंह बनाते हुए कहा, ‘’नहीं शायद मैं नहीं जानती हूं, पर नेहा अपने बॉयफ्रेंड को किसी छोटे नाम से जैसे घर के नाम होते हैं ना चिंगु मिंटू, टिंकु कुछ ऐसा ही बुलाती थी।‘’
‘’वह दिखने में कैसा था?‘’ मीरा को तुरंत अपनी मूर्खता पर गुस्सा आया, वह तो पहले ही चीफ का फोटो देख चुकी है, अब तो उसका अपना चेहरा रहा ही नहीं, वह तो किसी दूसरे चेहरे के साथ बिजनेस वर्ल्ड का बेताज बादशाह बन चुका है।
वह औरत बोली,’’ ओह हां, वह बहुत ही हैंडसम था, उसके बाल एकदम संजय दत्त जैसे लम्बे-लम्बे...जब वो चलता तो क्या शानदार तरीके से उड़ते थे, उसकी भूरी आंखे, हाय मैं क्या बताउं किसी भी लड़की की जान ले ले, और मैं क्या बताऊं उसकी पर्सनालिटी के बारे में बॉलीवुड तो क्या हॉलीवुड के एक्टरों को भी मात दे दे इतना चर्मिंग और चाकलेटी फेस वाला था वह।।‘’
मीरा खीज उठी, यह सब तो उसे भी पता था कि वह एक हैडसम बंदा था पर अभी वह किस नाम से जाना जाता था यह पता करना टेढ़ी खीर साबित हो गया था। लेकिन शायद अब यह औरत भी उसे न पहचान पाए क्योंकि चीफ का चेहरा तो प्लास्टिक सर्जरी से बदल गया है, केवल उसकी भूरी आंखे ही नहीं बदली है, पर मीरा तो आलरेडी मुंबई में रहकर बहुत सारे बिजनेस मैन को देख चुकी है, आखिर वह बंदा है कौन?
फिर उस औरत ने कहा, ‘’सुना था उस बेचारे का एक्सीडेंट हो गया था, पूरा चेहरा ही खराब हो गया था, ओह इतना चाकलेटी फेस खराब हो गया, भगवान किसी से उसकी दौलत छीन ले, शोहरत छीन ले पर रूप न छीने...बेचारी नेहा तो मर गई और वह लड़का तो बदसूरत हो गया था।‘
मीरा ने कहा, आपसे किसने कहा की वह बदसूरत हो गया था?‘’
मैं नहीं लोग कह रहे थे, जो लोग उसे हास्पिटल ले गए थे वे लोग कह रहे थे की उसके पूरे चेहरे पर कांच धंस गए थे, कटफट गए थे, तो क्या चेहरा खराब नहीं हो गया होगा?‘’
मीरा ने कहा, ‘’प्लास्टिक सर्जरी का नाम नही सुना है आपने शायद....वह एक दौलत मंद आदमी था..अपने चेहरे को एक नया रूप दे दिया था उसने, अगर तुम उसका नाम बता सकती तो शायद नेहा के अनाम बॉयफ्रेंड के बारे में अब तक हम जान गए होते।‘’
‘ओह, इसका तो मुझे ध्यान ही नहीं रहा, हां करवा ही ली होगी प्लास्टिक सर्जरी, तभी उस औरत को अपने घर की किचन से कुकर की सीटी की आवाज सुनाई दी, वह मीरा से बोली, ‘’तुम नेहा के रूम से अपना सामान ढूंढो तब तक मैं किचन का थोड़ा सा काम निपटाकर दस मिनट में आती हूं, तब तक ढूंढ लेना, क्योंकि मुझे वापस आकर इस घर में ताला लगाकर अपने बेटे को स्कूल से लेने जाना है।
मीरा ने हां में गरदन हिलाई और उस औरत ने उंगली के इशारे से नेहा का रूम बता दिया। वह औरत चली गई और मीरा अपने काम में लग गई, उसने सरसरी नजर पूरे रूम में दौड़ाई....रूम के कार्नर पर कांच के शेल्फ बने थे, उसमें शायद नेहा और उसकी फैमिली फोटो थी, उस फोटो के बगल में ही एक और छोटी सी फोटो रखी थी....यह शायद इनके ही रिलेशन का कोई हो सकता है।
बेड के पास एक काले रंग की डायरी मिली, मीरा उसे उठाकर देखने लगी, वह नेहा की पर्सनल डायरी थी, कुछ शेरो-शायरी लिखी थी, कुछ एक पेज पर फूल पत्तियां बने थे। आगे के कुछ पेज पर प्यार भरी रोमांटिंक बातें थी, मीरा ने कुछ वाक्यों पर ध्यान दिया कि यह तो उसके अपने बॉयफ्रेंड के ऊपर लिखा था।
नेहा ने लिखा था, ‘’आज होली है, मैंने इरू को सबसे पहले हैप्पी होली कहा, और उसके चेहरे पर गुलाबी रंग लगा दिया, उसे होली का त्योहार एकदम नहीं पसंद है। पहले तो रंग लगाओ और फिर मल मल कर रंग छुड़ाओ, वह लोगों से जितना भागने की कोशिश करता है लोग उसे पकड़ पकड़कर उतना ही कलर लगाते हैं। मैं चिल्लाई कि इरू मत भागो, वरना लोग तुम्हें छोड़ेंगे नहीं। वह चिढ़ता है कि मैं उसे इरू क्यों बुलाती हूं?‘’ मीरा आगे कुछ और पढ़ती कि पड़ोसन के अंदर आने की आहट मिली, मीरा ने झट से वह डायरी अपने पर्स में डाल ली, एक दूसरी शेल्फ में कुछ एल्बम दिखे, मीरा ने वह भी उठाकर झट से पर्स में डाल लिए और उस औरत को दिखाने के लिए एक किताब अपने हाथ में उठाकर पढ़ने का नाटक करने लगी।
पड़ोसन अंदर आकर बोली, ‘’आपको आपके काम की चीज मिल गई क्या..?’’ मीरा को किताब पढ़ते देख उस औरत ने पूछा।
हां मिल गई, यही बुक चाहिए थी और कुछ नहीं, सॉरी आपको डिस्टर्ब किया और आपका टाइम भी बरबाद किया।
अरे नहीं इसमें परेशानी की क्या बात है? वैसे आपका नाम क्या है? अगर नेहा की मम्मी या भाई का फोन आया तो मैं उन्हें बता दूंगी आप आई थी।‘
मीरा इसकी तैयारी तो पहले से ही कर के आई थी, ‘’हां जी बिल्कुल, मेरा नाम निशा है, मैं और नेहा एक साथ ही पढ़ते थे, आंटी मुझे खूब अच्छे से जानती हैं, मैं नेहा के घर में हमेशा आती जाती रहती थी।‘’ मीरा एक सांस में ही झूठ बोल गई…
मीरा ने नेहा की डायरी के एक पेज में अपनी निशा नाम की किसी लड़की का जिक्र किया था, ‘निशा मेरी बहुत ही प्यारी दोस्त है, आज मेरी मां ने उसकी पसंद की आलू की सब्जी बनाई है, उसे मेरे घर का खाना बहुत पसंद है, वह अपनी मम्मी के लिए भी अक्सर खाना लेकर जाती है, उसकी मम्मी को कुकिंग करना बिल्कुल भी पसंद नहीं है।‘
यह लाइन मीरा ने पहले ही पढ़ ली था, पढ़कर इतना अंदाजा लगा लिया कि नेहा की कोई निशा नाम की फ्रेंड है, अगर मान लो इस औरत को नेहा की मम्मी का फोन आता भी है तो भी मुझ पर कोई शक नहीं करेगा, अब यहां रूकने का कोई मतलब नहीं है।
मीरा ने उस औरत से कहा, ‘ठीक है फिर मैं चलती हूं, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इतना समय मुझे देने के लिए।‘’ कहकर मीरा तेजी से घर के बाहर निकल गई।
वह औरत अवाक होकर मीरा को घर से निकलते देखते रही फिर उसके बाद कंधे उचकाकर एक भरपूर नजर नेहा के उस कमरे में डाली और बाहर निकलकर उस रूम का डोर बंद किया और बाकी पूरा घर चेक करके बाहर निकलकर मेन गेट पर ताला लगा दिया।
मीरा अपनी बुक कराई हुई टैक्सी में बैठ गई और नेहा की डायरी निकालकर पढ़ने लगी।
वहीं राघव की बात सुनकर नैना का चेहरा गुस्से के मारे लाल हो रहा था...उसकी पूरी तरह से नाकेबंदी हो गई थी। अपने परिवार के बीच में रहकर भी वो अकेली पड़ गई थी, अपने आदमियों से सम्पर्क करने का कोई तरीका भी उसे नहीं मिल रहा था। बाहर निकलने के दो गेट थे पर उसमें भी शेखर के अपने बाउंसर थे...वह अब शेखर की इज़ाज़त के बिना नहीं निकल सकती थी।
थक-हार कर वह एक चेयर पर आकर बैठ गई...सामने स्टेज पर रमन की जयमाला का कार्यक्रम चल रहा था रमन ने अपनी होने वाली पत्नी देविका को जयमाला पहना दी थी और अब देविका भी रमन के गले में माला डालने ही वाली थी कि रमन के दोस्तों ने उसे उठा लिया और देविका के सहेलियों को चैलेंज किया कि अब देविका से माला डलवा कर देखो, देविका की सहेलिया उसपर खीज रही थी कि तुमने इतनी आसानी से रमन से माला क्यों डलवा ली, थोड़ा पीछे होना चाहिए था, थोड़े नखरे करने चाहिए थे।
देविका चुपचाप खड़ी शर्माती हुई मंद-मंद मुस्कुरा रही थी। अचानक रमन ने देविका को कुछ इशारा किया, देविका जयमाला लेकर एकदम एलर्ट हो गई और रमन तुंरत देविका के सामने झुक गया, देविका ने भी तुरंत रमन के गले में जयमाला डाल दी। सब लोग तालियां बजाने लगे, फूल बरसाने लगे।
नैना खीजते हुए अपने बगल में बैठी राघव की मम्मी स्नेहा से बोली, ‘’कितनी देर चलेगी ये नौंटकी?‘’
स्नेहा ने नैना को गहरी नजरों से देखकर कहा, ‘’यह नौंटकी नहीं शादी है नैना, एक पवित्र बंधन सात जन्मों का साथ, पर तुम और तुम्हारी मां के खानदान में शायद शादी जैसी चीज है ही नहीं, तुम्हारी मां तो शादी के लिए बनी ही नहीं थी, और तुम तो खुद बिना शादी किए, शादी के सारे मजे ले रही हो, सुना है तुम्हारी नानी भी....''
स्नेहा आगे कुछ बोलती कि स्नेहा की बड़ी बहन आरती ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, ‘’नहीं स्नेहा, यह तुम्हारी भाषा नहीं है, तुम्हें ऐसा कुछ न सोचना चाहिए और ना ही करना चाहिए। कुछ भी कहो वह तुम्हारे पति की बेटी है तो तुम्हारी भी तो बेटी हुई।''
स्नेहा बोली ऐसी बेटी अगर मेरी होती तो शायद मैं गोली मार देती....इसने सारे रिश्तों की धज्जियां उड़ा दी, राघव की बहन होकर दुनिया के सामने खुद को उसकी पत्नी बता दिया। इसकी मां के खानदान के खून में ही...''
आरती ने फिर से स्नेहा को डांटा, बस करो स्नेहा, ऐसे शुभ मौके पर तुम्हारे मुंह से इतनी कड़वाहट शोभा नहीं देती। प्लीज अपने बेटे की शादी को इंजॉय करो, कितने समय बाद तो इस घर में खुशियां आई हैं।
यह खुशियां तो बहुत पहले ही इस घर में आ गई होती अगर इसने अपनी औकात न दिखाई होती तो।‘’ कहकर स्नेहा का चेहरा गुस्से से कांपने लगा...वही सामने बैठी नैना के चेहरे पर तिरछी स्माइल थी।
नैना ने स्नेहा से कहा, ‘’औकात तो आप सबने दिखाई है अपनी, एक तरह से देखा जाए तो आप लोगों ने मुझे पूरी तरह से बंदी बनाकर रखा हुआ है अगर वाकई में आप सभी में हिम्मत है तो मुझे यहां से जाने दीजिए या फिर मेरा मोबाइल की मुझे दे दीजिए फिर मैं आप लोगों को अपनी असली औकात दिखाती हूं।‘’
आरती ने नैना से कहा, ‘’नैना बेटा प्लीज...सच तो यह है कि तुम यह शादी अटेंड करने आई हो तो इंजॉय करो ना, देखो तो तुम्हें लेने के लिए तुम्हारे पापा खुद तुम्हारे घर तक गए थे, और यहां आए सारे मेहमानों में से किसी के साथ उन्होंने ऐसा नहीं किया, बहुत से मेहमान या रिश्तेदार तो खुद ही आए हैं या फिर तुम्हारे पापा ने अपने ड्राइवर भेजकर उन्हें यहां बुलाया है, तुम उनके लिए स्पेशल हो, बस वे कहकर नहीं बता पाते हैं।‘’
नैना बुरा सा मुंह बनाकर बोली, ‘’आंटी जी प्लीज, यह चिकनी चुपड़ी बातें आप प्लीज कहीं और जाकर किसी और बेवकूफ से करिए..मुझसे नहीं...मुझे पता है कि कौन मुझसे कितना प्यार करता है, और वैसे भी मुझे किसी के प्यार व्यार की जरूरत नहीं है...मैं खुद से ही बहुत प्यार करती हूं और वह मेरे लिए काफी है।‘’
स्नेहा, नैना को गुस्से से देखती हुई वहां से उठकर चली गई, अब वह नैना को और ज्यादा झेल नहीं सकती थी।
जयमाला की रस्म समाप्त हो चुकी थी और खाना पीना शुरू हो चुका था, राघव दो प्लेट में खाना लेकर आया और एक प्लेट नैना की ओर बढ़ा दी, नैना बुरा सा मुंह बनाकर दूसरी ओर देखने लगी।
राघव ने प्लेट को नैना के सामने टेबल पर रखते हुए कहा, ‘’खाना खा लो, ऐसे मुंह फेरकर बैठने से तुम्हारे पालतू कुत्ते यहां नहीं आ जाएंगे।‘’
नैना, राघव को तीखी नजरों से देखते हुए बोली, ‘’तुम्हें क्या लगता है कि यह सब करके तुम अपने आप को बचा लोगे? तुम कितना भी अपना हुलिया बदल लो, चाहे तो अमेरिका में जाकर प्लास्टिक सर्जरी भी करवा लो.. पर मेरी निगाह से कभी तुम बच नहीं सकते और अब तो मैने तुम्हें देख लिया है, कब तक और कहां तक तुम मुझसे छिपोगे मिस्टर राघव शर्मा?‘’
राघव, नैना के सामने वाली चेयर पर बैठते हुए बोला, ‘’ओह रियली नैना..चलो तब तो इस खेल में बहुत मजा आएगा, वैसे मैं तुम्हें एक और गुड न्यूज सुनाउं? पहली गुड न्यूज तो यह कि तुम्हारे सामने रमन की शादी हो रही है, अब इसे तुम तो क्या तुम्हारे खानदान वाले यानी की हम लोग भी नहीं रोक सकते और दूसरा यह कि कल मैं भी शादी करने वाला हूं।‘’
यह सुनते ही नैना के पूरे शरीर में चार सौ चालीस वॉट का करंट दौड़ गया।
‘’व्हाट तुम मीरा से शादी कर रहे हो.?’’
मीरा, राघव ने हैरानी से कहा, ‘’वह तो मेरे लिए हिस्ट्री बन चुकी है, मैंने अपने लिए एक दूसरी लड़की पसंद कर ली है मिस नैना।‘’
नैना अपलक होकर राघव को देख रही थी...ऐसा हो ही नहीं सकता है, राघव मीरा के अलावा किसी और दूसरी लड़की के बारे में सोच ही नहीं सकता है।
क्या सब सच जानने के बाद नैना फिर से राघव की शादी में टांग अड़ाएगी?
क्या नेहा की डायरी से मीरा को चीफ के बारे में कोई सच्चाई का पता चल पाएगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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