मीरा जल्दी-जल्दी अपने गेस्ट हाउस पहुंची...उसकी सांसे तेज चल रही थी उसे अंदर ही अंदर ऐसा फील हो रहा था मानों वह किसी का मर्डर कर के आई हो, एक अजीब से अपराधबोध से ग्रस्त लग रही थी। एक मरे हुए इंसान के घर में घुसकर उसकी चीजें चुराना किसी बहुत बड़े अपराध से कम नहीं था।
यह सब मैं केवल मारिया के लिए कर रही हूं, वह नहीं होती तो शायद मैं अपने कदम पीछे कर चुकी होती, पर चीफ का पर्दाफाश करने के चक्कर में उसने अपनी जान दे दी और मैं अपनी लाइफ इंजॉय करूं, यह पासिबल नहीं है।
मीरा ने तीन चार एलबम उठा तो लिए थे पर अगर उसमें चीफ की फोटो नहीं हुई तो क्या होगा..? उसकी फैमिली एल्बम हुई तो, वह तो उसके किसी भी काम की नहीं है।
मीरा अपने रूम में पहुंचकर बेड पर बैठ गई, अपने लिए कॉफी आर्डर की और फोन चेक करने लगी…फोन में ऐसा कुछ खास नहीं था।
तभी उसके रूम की बेल बजी..कॉफी आई होगी सोचकर मीरा ने डोर खोला, गेस्ट हाउस के स्टाफ के एक आदमी के साथ कोई एक बाहरी आदमी भी था। जो आदमी कॉफी लेकर आया था उसने मीरा को कॉफी की ट्रे पकड़ाते हुए कहा, ‘’मैंडम ये आपसे मिलने आए हैं‘’ कहकर गेस्ट हाउस वाला आदमी चला गया।
मीरा ने कॉफी की ट्रे लेकर उस आदमी को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा।
उसने मीरा को देखकर नमस्ते किया और बोला, ‘’क्या आप मीरा मैडम हैं?’’
जी हां, मीरा ने जवाब दिया।
आप यही रहती हैं?
नहीं मैं वो….मीरा की समझ में नहीं आ रहा था कि अभी वह क्या बताए क्योंकि वह तो यही की रहने वाली थी पर अपने मम्मी पापा या किसी दोस्त के यहां न जाकर इस जगह आकर रह रही थी, मुंबई से तो अब नाता टूट ही गया था।
कुछ सोचते हुए मीरा ने कहा, ‘’नहीं मैं यहां किसी काम से आई थी....पर आप कौन हैं और मुझसे क्या काम है?‘’
जी कुछ नहीं...बस हम लोग इस गेस्ट हाउस में आने वाले लोगों की वैरिफिकेशन करते रहते हैं...एक्चुली यह सेंसेटिव इलाका है, आए दिन पुलिस वालों को दिल्ली में जगह-जगह बम रखने या दिल्ली की कोई खास जगह बम से उड़ाने की धमकी मिलती रहती है तो यह हमारा रेगुलर चेकअप था और कुछ नहीं...क्या आप अपना आधार कार्ड हमें दिखाएंगी?‘’
‘’हां जी, बिल्कुल तो क्या आप पुलिस आफिसर हैं?‘’
नहीं मैं पुलिस आफिसर तो नहीं पर पुलिस के लिए काम करता हूं।‘’
‘’ओह, वो जो मुखबिर कहलाते हैं।‘
‘’हां जी मैडम कुछ ऐसा ही समझ लीजिए।‘’
ओके आप यहीं रूकिए मैं आधार कार्ड लेकर आती हूं...कहकर मीरा मुड़ी और रूम के अंदर आलमारी से अपना पर्स निकाला और अपना आधार कार्ड खोजने लगी। आधार कार्ड लेकर लौटी तो दरवाजे पर खड़ा वह शख्स गायब था।
‘’हैं, कहां गया वह आदमी? अभी तो यहीं था।
मीरा रूम से बाहर आकर दांए बांए देखने लगी कि कहीं किसी दूसरे रूम के सामने तो नहीं चला गया। सारे गेस्ट रूम के दरवाजे बंद थे, मीरा थोड़ा और आगे निकलकर उस अनजान आदमी को आवाज लगाते हुए हैलो…हैलो कहने लगी।
कहां चला गया इतनी जल्दी, अभी तो यहीं था।‘’ मीरा बहुत आगे तक नहीं गई, उसकी जरूरत है मैं क्यों और जाउं? उसे मेरा आधार कार्ड देखकर कन्फर्म ही तो करना था कि मैं सच में कोई ऐसी वैसी इंसान तो नहीं हूं, उसकी गरज होगी तो वह दोबारा फिर से आएगा, मुझे क्या?
ये सोचकर मीरा अपने रूम में वापस आ गई और आधार कार्ड को एक स्टूल पर रख दिया ताकी अगर वह इंसान दोबारा चेकिंग के लिए आए तो तुरंत उठाकर दिखा दे।
मीरा अपनी कॉफी उठाकर पीने लगी, ‘’वह आदमी चला क्यों गया..? कहीं ऐसा तो नहीं कि जब मैं आधार कार्ड लेने गई तो वह समझ गया होगा कि मैं एक साधारण नागरिक हूं तभी तो मेरे पास आधार कार्ड है, हां बहुत से लोग ऐसे भी पता कर लेते हैं, यानी उसका काम खत्म हो गया था।
तभी मीरा की नज़र दरवाजे के पास रखे एक छोटे से शोकेस पर गई, शोकेस पर एक कागज का फोल्ड किया हुआ टुकड़ा रखा था, अभी जब मैं लौटी थी तो यह कागज नहीं था, कहीं यह उस आदमी ने तो नहीं…?
सोचकर मीरा ने कॉफी का कप ट्रे पर रखा और तेजी से चलकर आई, उस कागज को उठा लिया।
कागज खोलकर वह पढ़ने लगी.…उसमें लिखा था...’’कैसी हो मीरा..तुम चौंक गई होगी कि यह लेटर किसने लिखा, मैने अपना नाम नहीं लिखा है क्योंकि मुझे पता है कि यह लेटर पूरा पढ़ने के बाद तुम बड़ी ही आसानी से गेस कर लोगी मैं कौन हूं?
प्यारी मीरा..शायद तुम्हें पता नहीं है कि मुझे बारिश का मौसम पसंद नहीं, पर तुम्हें उस दिन बारिश में भीगते देखा था तो तुमसे प्यार हो गया था...अब तुम सोचोगी यह क्या बेवकूफी भरी बात है, एक लड़की को बारिश में भीगते देखा और प्यार हो गया...हां मीरा मुझे सच में प्यार हो गया था।
एक बात और बताना चाहूंगा कि मैंने अपनी लाइफ में तुमसे भी बहुत ज्यादा खूबसूरत लड़कियां देखी थी, पर वे मेरे दिल की गहराई तक नहीं पहुंच सकी जैसा तुमने मेरे दिल को मीठा दर्द दिया था, वैसा किसी और लड़की से नहीं मिला…तुम्हारे अंदर कुछ बहुत खास है जो तुम्हें दूसरी लड़कियों से अलग बनाता है।
तुम उस बारिश में किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी और मैं तुमसे बहुत कुछ कहना चाहता था....पर कह नहीं पा रहा था, तुम्हारे सामने आते ही मेरे दिल में एक अलग सी बेचैनी एक अलग सी घबराहट होने लगती थी।
मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ था, शायद मुझे तुमसे प्यार हो गया था।
मैं बस तुमसे प्यार का इज़हार करने ही वाला था लेकिन तुम मुझे छोड़कर चली गई, ये बारिश मुझे हमेशा तुम्हारी याद दिलाती हैं। मैं जल्दी ही तुमसे मिलने आउंगा...
‘’तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा'...आगे नाम तुम गेस कर लो।‘’
इसके बाद उस लेटर में कुछ नहीं लिखा था।
मीरा के चेहरे पर एक भीनी मुस्कुराहट तैर गई, पर अगले ही पल जैसे उसकी नसों में बिजली सी दौड़ गई..किसने लिखा है यह लेटर.?
बारिश में मैं उससे कब मिली.? मीरा का दिमाग कौंध गया..क्या राघव.? नहीं नहीं यह कैसे हो सकता है? राघव मुझे ऐसा लव लेटर क्यों लिखेगा वह तो शादी करने वाला है अपने लिए उसने लाइफ पार्टनर चुन ली। चांदनी चौक के उस दृश्य को याद कर के मीरा का मन अजीब सा हो गया...अंदर कुछ गहराई तक चुभ गया, उसने अपनी किस्मत को कोसा कि राघव जो उसका पहला प्यार था कभी उसका हो ही नहीं सका।
ऐसी सिचुएशन में राघव ऐसा लेटर क्यों लिखेगा? मेरी और राघव की पहली मुलाकात तो ठंड के मौसम में यानी न्यू इयर पार्टी में हुई थी…भरी ठंड में हम मिले थे। यह राघव का नहीं लिखा था, फिर कौन.? और तो मेरी लाइफ में ऐसा कोई नहीं, फिर अगला नाम जो ध्यान में आया मीरा की टांगे कांपने लगी, ‘’ओह माई गॉड तो क्या यह लेटर आर्यन ने लिखा है? वह लव लेटर भी लिख सकता है, हां हां वही तो होगा, और उसके अलावा कौन हो सकता है?‘
मीरा ने अपने माथे पर एक हल्की सी चपत लगाई..ओह हां यह तो वही होगा, पर बारिश में हम कब मिले थे.? हां याद आया मेरी और आर्यन की आखिरी मुलाकात तो बारिश के समय ही हुई थी जब वह मुझे अपने समुद्र के किनारे वाले बंगले में ले गया था।
ओह तो जनाब ने उस घटना को याद कर के यह लव लेटर लिखने की कोशिश की है, एक वही मुलाकात तो हमारी अच्छी थी, वरना पहली मुलाकात तो तब हुई थी जब निहारिका मैडम बीच रोड पर बेहोश हुई थी और दूसरी मुलाकात भी कुछ खास नहीं थी, उसमें तो ऐसा लगा थी कि वह मुझे बंधक बनाकर पार्टी में ले जा रहा है, नॉट बैड, कोशिश तो अच्छी की है, आज के जमाने में लव लेटर कौन लिखता है, वह भी हाथ से कागज पेन पर।
उसे कैसे पता चला कि मैं यहां पर हूं..? तभी मीरा को याद आया, अभी कुछ देर पहले आया वह आदमी जो मुझसे आधार कार्ड मांग रहा था कहीं आर्यन ने उसे ही तो मेरा पता लगाने के लिए नहीं भेजा था...दिखने में भी हट्टा-कट्टा और उसके सारे बाउंसर जैसा लग रहा था।
तो जनाब ने मेरा पता इस तरह से लगा लिया, अपने बॉडीगार्ड के ठीक होने के बाद आर्यन को मेरा ध्यान आया होगा तो मेरे ऑफिस में और मेरे मुंबई वाले घर से पता चल गया होगा कि मैं वहां से जा चुकी हूं, जॉब भी छोड़ दी है। पर आर्यन मुझे कहां छोड़ने वाले हैं? वे तो वैसे ही तेज दिमाग वाले इंसान हैं, अरे हां याद आया आर्यन का एक मेन बॉडीगार्ड तो मुंबई एयरपोर्ट पर भी तो दिखा था...हो सकता है उसने मेरे बारे में पता लगा लिया हो कि मैं कहां जा रही हूं, और फिर आर्यन ने मुझे ढूंढने के लिए इस आदमी को यहां भेज दिया, जैसे ही उस आदमी को कन्फर्म हुआ कि मैं मीरा हूं उसने आर्यन का लिखा हुआ यह लेटर चुपचाप यहां छोड़कर चला गया।
दो दिन के गहरे तनाव के बाद मीरा को अब सबकुछ अच्छा लग रहा था...आर्यन ने यह क्यों नहीं लिखा कि मैं तुमसे मिलने या तुम्हें लेने आ रहा हूं?तभी डोर पर फिर से नॉक हुआ...
‘’कौन हो सकता है? ओह हां शायद गेस्ट रूम का वो आदमी कॉफी की ट्रे लेने आया होगा।‘’
मीरा ने डोर खोला और सामने खड़े व्यक्ति को देखकर दिल की धड़कने तेज हो गई..यह तो आर्यन था..उसकी आंखे गुस्से से जल रही थी...जबड़े भींचे हुए थे अथाह तनाव के मारे माथे की तनी हुई नसें भी दिखाई दे रही थी।
हर बार की तरह इस बार भी आर्यन के सामने आते ही मीरा सहम उठी, आर्यन मीरा को घूरता हुआ उसकी ओर बढ़ा, आर्यन की इस हरकत से मीरा के कदम अपने आप पीछे होते गए। मीरा आर्यन की आंखों मे देखते हुए पीछे हटती जा रही थी, और आर्यन उसे घूरता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, अचानक मीरा दीवार से टकरा गई...एक हल्की सी आह मीरा के मुंह से निकल गया।
मीरा की पीठ दीवार से एकदम चिपकी हुई थी, आर्यन ने अपने दोनों हाथ मीरा के इर्द-गिर्द दीवार पर रख दिए, अब मीरा आर्यन की बाहों के घेरे में थी। घबराई हुई मीरा यह सोचने लगी कि इतना रोमांटिक लव लेटर लिखने वाला इंसान इतना खड़ूस कैसे हो सकता है? जब भी मेरे सामने आता है तभी ऐसे घटिया मूड में रहता है।
आर्यन मीरा के और करीब आकर बोला, ‘’तुम ऐसे मुझे छोड़कर क्यों चली गई थी...? मुझे बता नहीं सकती थी।‘’
आर्यन की यह बात सुनकर मीरा को थोड़ी सी हैरानी हुई और गुस्सा भी आया उसने आर्यन को धीरे से पीछे धकेलते हुए कहा, ‘’बताकर जाती, कैसे बताकर जाती? आप कहां गए थे मुझे नहीं पता, आपका फोन नंबर भी मेरे पास नहीं था और आपके बॉडीगार्ड तक को नहीं पता था कि आप कहां पर हैं तो कैसे बताती किससे बताती? बस चुपचाप चले गए और अपने बॉडीगार्ड को बोल दिया था कि मैं सोकर उठ जाउं तो मुझे नाश्ता करवाकर मेरे घर पहुंचा दें, ऐसे में क्या मुझे गुस्सा नहीं आएगा?‘’
आर्यन ने अपना माथा सहलाते हुए कहा, ‘’ओह हां, आइ एम सॉरी, तुम्हें तो पता ही होगा कि मेरे एक मेन बॉडीगार्ड का एक्सीडेंट हो गया था, तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया और मैं भी कुछ नहीं बता पाया।‘’
मीरा का गुस्सा थोड़ा कम हुआ, उसने आर्यन से कहा, ‘इट्स ओके...अब आपका वो बॉडीगार्ड कैसा है.?‘’
आर्यन ने कहा,’’उसकी डेथ हो गई।‘
मीरा अवाक रह गई, ‘’व्हाट..’’ उसे खुद पर गुस्सा भी आने लगा कि आर्यन सच में बहुत परेशान था और मैं बेवजह इस पर इतना गुस्सा कर रही हूं।
‘’ओह आई एम सो सॉरी।‘
‘’कोई बात नहीं, तुम यह बताओ की ऐसा क्या हो गया कि जॉब छोड़ दी और तो और मुंबई भी छोड़ दिया?‘’
मीरा आर्यन को बताना नहीं चाह रही थी कि वह अपनी मारिया नामक एक दोस्त के लिए यहां आई है, वह बहुत कुछ ऐसा जानती है और कर रही है जो शायद आर्यन सुनेगा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
वह आर्यन से बोली, ‘’एक्चुली मैं अब चेंज चाहती थी, मैं कुछ और करना चाहती थी इसलिए दिल्ली आ गई..मैं अपना ही कोई काम शुरू करना चाहती हूं, लेकिन ब्रेक लेकर।‘’
‘’हां वह तो तुम मुंबई में भी कर सकती थी, वहां तो न जाने कितने मौके हैं, इस दिल्ली से भी ज्यादा…तुम अपना सामान पैक करो और वापस मुंबई चलने की तैयारी करो, अब तुम्हें वहीं रहना है।‘’
‘’पर क्यों? मुझे सच में मुंबई नहीं जाना है।‘’
‘’और मैंने कहा कि तुम्हें मुंबई जाना ही है।‘’
‘’लेकिन क्यों?‘’
‘’क्योंकि मैं तुम्हें आई लव यू बोलकर शादी के लिए प्रपोज करने वाला हूं।‘’
मीरा का चेहरा लाल हो उठा...वह बुत हो गई.....शाक्ड होकर आर्यन को देखने लगी।
क्या मीरा आर्यन के शादी के प्रस्ताव को मान जाएगी?
क्या मीरा नेहा और चीफ का सच जानने के इरादे को त्याग देगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्बत।
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