रमन और देविका की शादी सम्‍पन्‍न हो गई थी...उसके बाद हंसी मजाक का दौर चलने लगा। नैना इन सबसे बुरी तरह खीज उठी थी...वह क्‍या सोचकर आई थी और क्‍या हो गया था, एक ओर तो नैना यहां फंसी हुई थी और दूसरी और हाल में उसके आदमियों का न जाने क्‍या हाल हुआ होगा? वे तो नैना को ढूंढ रहे होंगे और उसके अगले आर्डर का इंतजार कर रहे होंगे। पता नहीं उसके नाजायज पिता शेखर सही कह भी रहे हैं या नहीं?

कार को यहां रोकने के बाद मुझे सच बताया...अगर वाकई में वहां पर पुलिस वालों की कोई पार्टी चल रही है तो मेरे सारे गुंडे खतरे में हैं, मुझे उन्‍हें सावधान करने जाना ही होगा, और वैसे भी मैं यह सब और नहीं झेल सकती...जैसा सास बहू वाले सीरियल में दिखाते हैं सेम नौंटकी यहां भी चल रही है। 

नैना शेखर को ढूंढने लगी....एक तो यहां के एंट्री और एक्‍जिट गेट पर बाउंसरों का पहरा था, नैना ने एक दो बार बाहर निकलने की कोशिश की तो बाउंसरों ने रोक दिया...मैडम आप ऐसे नहीं जा सकती हैं...जब तक इस शादी के मेन आर्गेनाइजर परमिशन नहीं देते।‘’ 

नैना उन बाउंसरो पर लगभग चिल्‍ला उठी...’’यह क्‍या बेहुदा नियम है, कौन सी शादी में ऐसा होता है? मेहमानों की जब मरजी होती है तब वे आते हैं और जब मरजी होती है तब वे जाते हैं, हटिए मेरे सामने से और मुझे मेरा फोन भी दिलवाइए।‘’

एक बाउंसर बोला, ‘’मैडम आप नाहक जिद कर रही हैं, कहा ना कि सर ने कहा है इस शादी से कोई भी मेहमान स्‍पेशल गिफ्ट लिए बगैर नहीं जाना चाहिए।‘’ 

नैना ने फिर से दांत पीसते हुए कहा, ‘’कौन सा स्‍पेशल गिफ्ट और कौन से सर?‘’ 

‘’शेखर सर, जिनके बेटे की शादी है...जिन्‍होंने यह हाल बुक कराया है और जिन्‍होंने हमें भी हायर किया है, हम आज रात बारह बजे तक उनके हुक्‍म के गुलाम है। जो उन्‍होंने कहा है हम वही करेंगे, उनकी मरजी के बिना कोई भी मेहमान यहां से नहीं जा सकता है, इसलिए प्‍लीज अब आप शेखर सर के पास जाकर उनसे कहिए कि आप वापस अपने घर जाना चाहती है तो मुझे मेरा गिफ्ट दे दीजिए।‘’ 

नैना उस बाउंसर को एक उंगली दिखाते हुए बोली, ‘ओ हैलो, मुझे यहां से कोई गिफ्ट विफ्ट नहीं चाहिए, मेरी ही मति मारी गई थी जो मैं इस शादी में आई और जो तुम मुझसे इस तरह बात कर रहे हो कि मैं कमांडो हूं, हमें शेखर सर ने हायर किया है, तुम्‍हारे जैसे सैकड़ो कमांडो को अपने जूती तले रखती हूं, अपनी उंगली पर नचाती हूं, तुम्‍हारी किस्‍मत अच्‍छी है बेटा कि मेरे पास मेरा फोन नहीं है, वरना कमांडो किसे कहते हैं यह मैं तुम्‍हे दिखा देती, जिस ताकत पर तुम इतना ऐंठ दिखा रहे हो ना मेरे कमांडो तुम्‍हें एक ही पटखनी में चारों खाने चित कर सकते हैं।‘’ 

दूसरे बाउंसर ने कहा, ‘’मैंडम यह फिजूल की बातें आप शेखर सर से जाकर कहिए, इतना तमाशा क्‍यों खड़ा कर रही हैं? हम तो केवल अपना काम खत्‍म कर रहे हैं, आज रात बारह बजे के बाद न हम शेखर सर को जानते हैं और ना ही आपको वैसे भी कल हमें बलवंत सर की बेटी की शादी में जाना है‘ उस बाउंसर ने नैना पर अपना धौंस जमाते हुए कहा। 

‘’भाड़ में जाओ तुम सब… कहकर नैना पैर पटकती हुई वापस चली गई और शेखर को ढूंढने लगी। 

तभी नैना ने देखा, स्‍नेह अपनी नई बहू का परिचय अपने रिश्‍तेदारों से करवा रही थी, चेहरे पर सास बन जाने की चमक आ गई थी। 

रमन के बगल में राघव खड़ा था उसकी नजरें नैना पर ही थी, वह नैना को देखकर मंद-मंद मुस्‍कुरा रहा था, मानों कोई बहुत बड़ी जीत हासिल कर ली हो...

नैना ने मन ही मन कहा, ‘’इसने अचानक शादी करने का मन कैसे बना लिया.? अगर यह मीरा से शादी नहीं कर रहा है तो किससे कर रहा है? बड़ी अजीब बात है, इसके परिवार वालों के बिना तो सबकुछ तय नहीं हुआ होगा...शादी करे या भाड़ में जाए मुझे इससे क्‍या? और वे बाउंसर क्‍या कह रहे थे बलवंत सिंह जी की बेटी? उनकी कौन सी बेटी उनके तो दो बेटे ही हैं, नैना ने अपने दिमाग में जोर लगाया तो याद आया कि बलवंत ने कई सारी लड़कियों को गोद लिया है...उनमें से ही कोई एक होगी। 

नैना ने बलवंत को मन ही मन शाबासी देते हुए कहा, ‘तेरे जैसा नीच और घाघ इंसान मैंने नहीं देखा है बलवंत, जितनी लड़कियों की जिंदगी तूने आबाद की है उससे ज्‍यादा लड़कियों की जिंदगी तो तूने बरबाद की है, एक गोद ली हुई लड़की की शादी करवाकर कितने ही लोगों के दिलों में तू देवता बन जाएगा...’’ 

तभी नैना को शेखर दिख गए वह किसी औरत से बातें कर रहे थे....नैना शेखर की ओर बढ़ी, वह औरत जिससे शेखर बातें कर रहे थे उसकी पीठ नैना की ओर थी, पर उसकी शारीरिक बनावट और उस औरत ने जो साड़ी पहन रखी थी वह नैना को जानी पहचानी सी लगी। 

‘’ऐसी ही एक साड़ी तो मेरी भी मां के पास थी‘ नैना ने सिर झटका...एक जैसी कई साड़िया, कई औरतों के पास होती हैं, इसमें नया क्‍या है?

सोचते-सोचते नैना शेखर के पास पहुंची और उस औरत का चेहरा देखे बिना शेखर से उखड़े हुए स्‍वर में बोली, ‘’मुझसे यह सब नौंटकी सहन नहीं हो रही है, मुझे मेरा फोन दिलवाइए और अपने किराए के टटुओं से कहिए मुझे यहां से जाने दें, ऐसा लग रहा है कि मैं शादी अटेंड करने नहीं बल्‍कि किसी जेलखाने में आई हूं।‘’

कहते-कहते यूं ही अनायास नैना की नजर उस औरत पर चली गई....उसे देखते ही नैना की आंखे बड़ी हो गई...यह तो उसकी मां थी, नैना की मां लता, यह यहां क्‍या कर रही हैं?

‘’मां, मां आप यहां...इस शादी में।‘’ 

लता के चेहरे पर एक भीनी मुस्‍कान तैर गई...क्‍यों बेटा मैं यहां नहीं आ सकती हूं क्‍या? तुम्‍हारे पापा ने मुझे बहुत ही प्‍यार से इनवाइट किया था, मेरे लिए कार भी भेजी थी तो क्‍यों ना आती? आखिर रमन मेरा भी तो बेटा है।‘ 

नैना चिढ़ उठी...वह लता से बोली, ‘’समझ में नहीं आता है मां कि आप किस मिट्टी की बनी हैं, जिस आदमी ने आपको कहीं का नहीं छोड़ा, जिसने आप से शादी नहीं की, समाज में मान सम्‍मान नहीं दिलवाया जिसे गोली मार देनी चाहिए, यह सब करने के बजाय आप उसके बेटे की शादी को अटेंड कर रही हैं।

लता ने नैना को डांटते हुए कहा, ‘अपनी हद में रहो नैना, तुम्‍हें पता है कि तुम अपने पापा के बारे में अनाप-शनाप बोल रही हो, तुम्‍हें पैदा करना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी, अच्‍छा होता कि मैं तुम्‍हें गिरवा देती, भले ही मेरी जान को खतरा ही क्‍यों न होता?‘’

नैना सन्‍न रह गई…मां यह बात कितनी बार कह चुकी थी? यानी कि नैना को लता ने केवल अपने आप को बचाने के लिए पैदा किया था, अगर उनकी जान को खतरा न होता तो जैसा लता पहले भी चार-पांच एबार्शन करवा चुकी थी उसे भी मार देती।

नैना को इस समय कितनी घुटन और कितना अपमान महसूस हो रहा था वह बता नहीं सकती थी, उसने शेखर को देखा, उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। इन सबकी नजरों में वह एक बेकार सी चीज से ज्‍यादा कुछ नहीं थी। 

दिल की गहराई से वह बेइज्‍जती महसूस कर रही थी, वह तुरंत वहां से पलटी और तेज कदमों से चलकर उस हाल के एक कोने में बैठ गई...गुस्‍से के मारे उसकी सांसे तेज चलने लगी थी। वह मन ही मन कई सारे फैसले करती जा रही थी...मैं किसी को नहीं छोड़ूंगी...एक-एक को तड़पा तड़पाकर मारूंगी..अब तक तो मेरे मन में मेरी मां के लिए थोड़ी सी इज्‍जत थी प्‍यार था पर आज उनकी कहीं बातें सुनकर वह सबकुछ खत्‍म हो गया है। मैं उनकी नजरों में एक बेकार की चीज हूं ना, तो ठीक है यह बेकार की लड़की सबसे पहले तो उन्हें ही गोली मारेगी...उन्‍हें जब पछतावा होता है ना कि मुझे पैदा कर के बहुत बड़ी गलती की है वे सच में एक दिन बहुत ही गहराई से पछताएंगी।

तभी एक वेटर मीरा की चेयर के सामने रखे एक कांच की टेबल पर एक ट्रे रखकर अपने शूज के लेस ठीक करने लगा, ट्रे में वाइन से भरे आठ दस गिलास रखे हुए थे। वे सभी गहरे नशे वाली वाइन थी। नैना इस समय गुस्‍से से सुलग रही थी, उसने कुछ न देखा, न समझा जब तक वह वेटर अपने शू लेस ठीक करता तब तक नैना चार पांच गिलास वाइन एक के बाद एक उठाकर पी गई थी। 

वेटर उठा और नैना की इस हरकत को देखकर ठिठक गया, ‘अरे…अरे मैडम यह आप क्‍या कर रही हैं? इतना मत पीजिए, आपको अगले बारह घंटे तक होश नहीं आएगा।‘

नैना ने उस वेटर को जलती हुई नजरो से देखकर कहा, ‘’अपने काम से काम कर यू ब्‍लडी फूल, मुझे मत बताओ की मुझे क्‍या करना है। अगर तुम मेरे हाथ लग गए ना तो तुम्‍हारे शरीर में एक भी अंग नहीं बचेगा, मैं तुम्‍हारी किडनी, दिल, आंखे, खून, लीवर और पूरी स्‍किन निकाल लूंगी‘ कहते-कहते नैना के सिर पर वाइन का नशा चढ़ने लगा। 

वेटर नैना की बात का मतलब नहीं समझ पाया, शरीर में एक अंग नहीं बच पाएगा इसका क्‍या मतलब हुआ? अधिकतर लोग तो वेटर की गलती पर कहते हैं कि तुम्हारी नौकरी चली जाएगी पर इन मैडम की धमकी ही कुछ अलग थी। नैना ने अपनी धमकी में चीफ के काले कारनामें को उजागर कर दिया था। 

नैना अपनी चेयर पर लगभग लुढ़क गई, वहीं दूसरी ओर एक क्रिसमस ट्री के ओट से राघव नैना की ये हरकतें देख रहा था, नैना के नशे में धुत्‍त होकर गिरते ही वह दौड़कर आया, पास खड़ा वह वेटर घबराया हुआ था, उसने राघव से कहा, ‘’सर मैंने मैडम को मना किया था कि इतना न पिए पर ये मानी नहीं।‘’

‘’इट्स ओके कोई बात नहीं, तुम तो केवल अपना काम कर रहे थे, अब किसी को जबरदस्‍ती अपनी बात तो नहीं मनवा सकते हों ना, जाओ और मेहमानों को वाइन सर्व करो।‘’ 

वह वेटर फिर से बोला, ‘सर मेरी नौकरी तो नहीं जाएगी ना?

‘’नहीं बिल्‍कुल नहीं, इतनी जरा सी बात पर किसी की जॉब थोड़ी जाती है, तुम अच्‍छा काम कर रहे हो जाओ, वैसे यह मेरी बहन है मैं इन्‍हें संभाल लूंगा।‘’  

अब अगले दिन सुबह से पहले नैना को होश नहीं आने वाला था..राघव को इस एक दिन में बहुत कुछ करना था, शादी करनी थी और सबसे बड़ी बात चीफ तक पहुंचने के लिए राघव के पास अब एक दिन के लिए नैना का फोन भी था। 

प्रतापगढ़ शहर…दोपहर का समय हो रखा था। कहने को तो यह शहर था पर दिखने में गांव जैसा ही था। नीता एक पक्‍के मकान के सामने खड़ी थी...मकान के सामने एक जोड़ी गाय बंधी थी। उससे थोड़ी ही दूर एक काले रंग का कुत्‍ता बंधा था जो नीता को देखकर भौंक रहा था।

आसपास के घरों में सन्‍नाटा पसरा था..नीता कई सालों बाद इस घर में वापस आई थी, उसे आना ही पड़ा एक जरूरी बात इस घर की मालकिन कुंती को बताना था, कुंती जो एक समय बलवंत की सेक्रेट्री थी और उसके बच्‍ची की मां, वह बच्‍ची जो बलवंत की पापी छाया से दूर पली बढ़ी थी, बलवंत के पास एक दूसरी बच्‍ची थी, सुमेधा उनकी अपनी नहीं थी लेकिन कुंती और नीता के धोखे से बलवंत ने सुमेधा को अपनी ही बच्‍ची समझ लिया था।  

नीता ने दो बार दरवाजे की कुंडी खटखटाई, दरवाजा कुंती ने ही खोला था, इतने सालों बाद नीता को सामने देखकर कुंती की आंखे फैल गई। उन्‍होंने झट से दांए-बांए देखा कि कोई हमें देख तो नहीं रहा है, फिर कुंती ने नीता का हाथ पकड़कर उसे अंदर खींचते हुए लेकर आई। 

कुछ पल नीता को देखने के बाद कुंती बोली, ‘’आप यहां, ऐसे अचानक सब ठीक तो है ना? मेरी बेटी ठीक है? बलवंत को पता तो नही चला ना मेरी बेटी के बारे में?‘’

नीता ने कुंती का चेहरा अपने हाथ में लेकर कहा, ‘’हां बहन सब एकदम ठीक है, आपकी बेटी एकदम ठीक है, मैं तो यह बताने आई हूं कि आपके दोस्‍त वीरेंद्र की इकलौती बेटी सुमेधा जिसे बलवंत अपनी बेटी समझता है उसकी कल शादी है, पर यह शादी एक दिखावा है, कल से बलवंत को अपने पापों का हिसाब देना होगा।‘’

कुंती के चेहरे पर दहशत फैल गई, ‘क्‍या बलवंत को सच में नहीं पता चला कि सुमेधा उसकी बेटी नहीं है बल्‍कि उसके उस पत्रकार की बेटी है जिसे बलवंत ने सच लिखने के जुर्म में उसे और उसकी बीवी माया को मरवा दिया था।‘’

‘’नहीं एकदम नहीं, वीरेंद्र और माया के कत्‍ल के समय सुमेधा स्‍कूल में तुम्‍हारी बेटी के साथ ही तो थी, और तुम ही तो अपनी बेटी और सुमेधा को लेने जाती थी, रास्‍ते में तुम्‍हें पता चला कि सुमेधा के माता पिता को मार दिया गया है, बलवंत ने मरवाया था।‘’ 

कुंती बोली, ‘’हां नीता...मैं बहुत डर गई थी, मैं अपनी बेटी मीरा के लिए डर गई थी। नीता मैं तुम्‍हारी शुक्रगुजार हूं कि तुमने मेरी मीरा को अपना लिया था और उस बलवंत की छाया से बचा लिया।‘ 

नीता बोली, ‘हां कुंती, किसी को भी नहीं पता कि मीरा मेरी नहीं तुम्‍हारी और बलवंत की बेटी है।‘’

 

मीरा का यह सच क्या भूचाल लाएगा?

क्‍या बलवंत को पता चल पाएगा कि उसके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ था?

क्‍या मीरा को अपना अतीत पता चल पाएगा?

जानने के लिए पढ़ते रहिए बहरूपिया मोहब्‍बत। 

Continue to next

No reviews available for this chapter.