आर्यन के बॉस : “तुम्हे याद है न आज की मीटिंग में तुम प्रेजेंटेशन दे रहे हो?”

 आर्यन के बॉस ओम सिन्हा ने आर्यन को अपने केबिन में बुला कर मीटिंग के बारे में रिमाइंड कराया।

काफी दिनों से आर्यन छुट्टी पर था। घर की शिफ्टिंग को ले कर उसने ऑफिस से छुट्टी  ले रखी थी। इतने दिन ऑफिस आने के बाद आर्यन का मन नहीं लग रहा था ऊपर से वो आज की मीटिंग की तैयारी करना तो भूल गया था।

आर्यन को अपने काम का इतना एक्सपिरीयंस हो चुका था कि उसे पता था कि मीटिंग की तैयारी करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। उसने प्रेजेंटेशन की तैयारी करनी जैसे ही शुरू की। तभी प्रज्ञा का टेक्स्ट आया।

उसमें लिखा था। “प्लीज़! ब्रिंग सम फ्लावर्स फॉर माय मॉम! डॉन्ट बी लेट!”

 आर्यन ने गहरी सांस ले कर प्रज्ञा का मैसेज इग्नोर किया। पर उसके दिमाग में प्रज्ञा और काव्या को ले कर उधेढ़बुन चालू हो गई। और अब वो चाहकर भी प्रेजेंटेशन बनाने में दिमाग नही लगा पा रहा था।

उधर काव्या भी अपने काम में फोकस करने की कोशिश कर रही थी। ऑफिस में उसकी टेबल पर कई मैगज़ीन पड़ी थीं जिसमें फर्नीचर्स की अलग अलग तरह की डिजाइन बनी थीं। उन सब को देखने के बाद भी काव्या को समझ नहीं आ रहा था कि उसके नए क्लाइंट के लिए कौन सी डिजाइंस परफेक्ट होंगी। उसके सामने चैलेंज भी बड़ा था।

दिल्ली के फेमस पॉलिटिशियन के घर को डिजाइन करने का प्रोजेक्ट मिला था। और वो लोग 80s के जमाने का स्टाइल चाहते थे। हर दीवाल ऐसी डिजाइन हो कि एक कहानी लगे।

ये प्रोजेक्ट काव्या की जिंदगी बदल सकता था। अपने ऑफिस में उसे एक नई पहचान दिला सकता था। और अब जब वो अपनी एक नई अलग पहचान बनाना भी चाहती थी, ये उसके लिए सुनहरा मौका था।

पर काव्या के दिमाग में जैसे एक ब्लैंक सा आ गया हो। उसने कई डिजाइंस देखे। ऑनलाइन सर्च किए। पर काव्या को कुछ भी समझ नहीं आया।

उसके बगल में बैठा उसका को वर्कर, आशीष काफी देर से काव्या को देखे जा रहा था। फिर उसने धीरे से काव्या से पूछा,

आशीष: “क्या सच में तुम अपने घरवालों को छोड़कर अकेले रह रही हो?”

काव्या तिरछी नज़र से उसकी तरफ देखकर बोली,

काव्या: “कितनी बार एक ही बात सुनेगा। तुझे दिख नहीं रहा मेरे सामने अभी सबसे बड़ी प्रोब्लम क्या चल रही है, मुझे कुछ भी करके ये प्रोजेक्ट चाहिए।

आशीष ने आंख फाड़ते हुए कहा,

आशीष: “तो तुझे रात में डर नहीं लगता क्या? मैं तो आज तक अपनी मम्मी से चिपक कर सोता हूं। तू तो बड़ी डेयरिंग निकली!”

काव्या जान गई थी कि आशीष के साथ बैठ कर वो नई डिजाइन क्रिएट नहीं कर सकती। उसने वहां से उठते हुए आशीष को बोला,

काव्या: “मुझे तेरा पता नहीं कि तुझे जॉब कितनी प्यारी है। तू अपना चिल्ल कर। मैं जाती हूं कहीं और बैठ कर काम करने!”

 इतना कहकर काव्या अपना सामान उठा कर अपने केबिन से निकल गई।

वहां आर्यन की ऑफिस में प्रेजेंटेशन शुरू हो चुकी थी। प्रेजेंटेशन दिखाते वक्त आर्यन का एक अलग ही चार्म देखने को मिलता था। उनकी टीम हाइजीन के प्रोडक्ट्स के बारे में स्टडी कर रही थी।

आर्यन ने अपने चार्मिंग अंदाज में सबको बताया कि कैसे उनका आने वाला हैंडवाश का प्रोडक्ट मार्केट में एक नया जलजला ला सकता था।

मीटिंग खत्म होने पर सबने वाहवाही की। पर बॉस ने पास आ कर कहा,

आर्यन के बॉस: “जो बड़े बड़े वादे तुम कर रहे हो। कहीं ऐसा न हो सिर्फ कहानी बन कर रह जाएं। हमें प्रोडक्ट की क्वालिटी भी उतनी चाहिए होगी, और हां इस प्रोग्राम के किए अच्छी सी टैग लाइन भी सर्च करो।”

आर्यन ने आश्वासन देते हुए कहा,

आर्यन: “आप चिंता मत करो सर । मैं सब देख लूंगा। मैं हूं न!”

आर्यन ने बड़े बड़े ख्वाब अपनी टीम को दिखा तो दिए थे पर उनको पूरा करने के लिए उसे अभी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। तभी उसे याद आया कि उसे प्रज्ञा की मॉम की बर्थडे पार्टी में जाना था।

कुछ देर काम करने के बाद आर्यन वापस अपने फ्लैट पर आया। तो काव्या अभी तक वापिस घर नहीं आई थी। देर शाम हो चुकी थी और उसे लगा काव्या को अब तक वापिस आ जाना चाहिए था। उसने पहले सोचा क्या उसको काव्या को कॉल करके पूछ लेना चाहिए कि वो कब तक वापिस आयेगी। पर उसका यूं पूछना शायद काव्या को पसंद नही आयेगा।

आर्यन वहां से निकल कर सीधे प्रज्ञा के घर पहुंचा तो वहां काफी लोग आ रखे थे। तभी उसे याद आया कि वो प्रज्ञा की मॉम के लिए फ्लावर्स लाना तो भूल ही गया था।

तभी सामने से उसे प्रज्ञा आती दिखी। प्रज्ञा ने आते ही आर्यन को गंदा सा लुक देते हुए कहा,

प्रज्ञा: “ये क्या पहन कर आए हो? वो शर्ट क्यों नहीं पहनी जो मैने लास्ट बर्थडे गिफ्ट की थी।  फ्लावर्स कहां हैं?”

आर्यन जानता था कि वो ज्यादा समय तक प्रज्ञा की फीलिंग्स को प्रोटेक्ट नहीं कर सकता था। आगे बढ़ने के लिए उसे प्रज्ञा को अपना सच ईमानदारी से बताना होगा।

उसने प्रज्ञा से कहा,

आर्यन: “नहीं मैं भूल गया। और मैं ज्यादा समय तक नहीं रुकूंगा। मुझे घर वापिस जल्दी जाना होगा।”

प्रज्ञा चिड़चिड़ाते हुए बोली,

प्रज्ञा: “प्लीज तुम ये घर जाने की नौटंकी मत चालू करना। डॉन्ट स्पॉइल द फन!”

तभी दूर से प्रज्ञा की मॉम हाथ में वाइन का ग्लास लाते हुए नजर आईं।

उनको देखते ही आर्यन ने बोला,

आर्यन: “हेलो आंटी! विश यू ए वेरी हैप्पी बर्थडे!”

उन्होंने आर्यन को देख कर कहा,

शैलजा: “थैंक यू बेटा!”

आर्यन: “सॉरी आंटी मैं आपके लिए फ्लावर्स लाना भूल गया।”

आर्यन ने बिना झिझके ये बात बता दी जिसे सुनकर प्रज्ञा काफी निराश  हुई।

पर आंटी ने कहा,

शैलजा: “वैसे भी मुझे फ्लावर्स पसंद नहीं हैं! हैव फन!”

फिर आंटी ने प्रज्ञा की तरफ मुड़कर कहा,

शैलजा : “प्रज्ञा! आर्यन का ध्यान रखना कि वो पार्टी में बोर न हो।”

प्रज्ञा: “नो मॉम, मेरे रहते कोई बोर कैसे हो सकता है!”

ऐसा कहते हुए प्रज्ञा आर्यन को ले कर स्विमिंग पूल के पास ले गई। जहां पर सब लोग ड्रंक हो कर डांस कर रहे थे। आर्यन मौका देख कर प्रज्ञा से ब्रेक अप के बारे में बात करना चाहता था। पर प्रज्ञा एक के बाद एक शॉट्स मारे जा रही थी। उसके सारे फ्रेंड्स आर्यन को टीज़  करते हुए बॉलीवुड गानों में ठुमके लगा रहे थे।

सबको नाचते देख कर प्रज्ञा ने आर्यन का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए बोला,

प्रज्ञा: “आर्यन तो बहुत अच्छा डांस करता है! बेबी प्लीज कम ऑन!”

 आर्यन ने आस पास सबके चेहरे देखे। हर कोई नशे करके डांस में ऐसे झूम रहा था जैसे वो किसी हॉरर मूवी का सीन देख रहा हो। आर्यन ने पहले भी कई पार्टी की थी। सबके बीच अपने डांस से, अपनी बातों से इंप्रेशन बनाया था। पर पहली बार उसे ये माहौल अंदर से कचोट रहा था। उसके अंदर बस एक ही इच्छा थी, घर जा कर काव्या से मिलने की।

घर पर काव्या कान में इयरप्लग्स लगा कर, गाने सुनते हुए अपने डिजाइंस बनाने की कोशिश कर रही थी। पर उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। धीरे धीरे उसका कॉन्फिडेंस कम होता चला गया और वो खुद पर डाउट  करने लगी कि शायद उसे कुछ आता नहीं है। अपने आपको डाउट  करते हुए उसके अंदर ख्यालों का जमावड़ा सा लग गया था। शायद उसके पास कोई भी एक्स फैक्टर नहीं था जिससे वो सबसे अलग दिख पाए।

अपने आपको कोसते हुए काव्या से रहा नहीं गया। और उसने लैपटॉप बंद किया और तैयार हो कर घर से बाहर निकल गई।

घर से बाहर निकलते ही उसने आर्यन को कॉल करने को सोचा। पर ये ख्याल आते ही उसने खुद को रोक लिया। आर्यन अभी वैसे भी प्रज्ञा के साथ होगा। और यही आर्यन का सच है कि वो अभी प्रज्ञा के साथ रिलेशनशिप में है। अब वो प्रज्ञा के साथ अपने रिश्ते को कोई भी नाम दे। काव्या ने सोचा कि वो कभी भी उन दोनों के बीच नहीं आना चाहेगी।

सड़क पर ख्यालों में खोए हुए काव्या बढ़े जा रही थी। तभी उसके पास एक गाड़ी रुकी। और पीछे से किसी ने उसका नाम पुकारा,

चंचल: “काव्या दी!”

काव्या ने पीछे देखा तो उसकी बहन चंचल अपने ब्वॉयफ्रेंड ऋषि के साथ गाड़ी से बाहर निकल कर उसके पास आ रही थी। चंचल को देखते ही काव्या का मुंह उतर गया। इस वक्त जबकि वो इतने सेल्फ डाउट में थी, अपनी बहन का सामना नहीं करना चाहती थी।

चंचल ने आते ही काव्या को ताना मारा।

चंचल:  काव्या दी! आप तो काफी ऐश कर रही हो बाहर निकल कर!”

चंचल के बगल में उसका बॉयफ्रेंड ऋषि, लेदर जैकेट में बस दांत दिखाए खड़ा हुआ था। उसकी तरफ देख कर काव्या ने कहा,

काव्या: “तू इतनी रात को बाहर क्या कर रही है? मम्मी ने रोका नहीं? या पापा ने तुझे लेक्चर नही दिया?”

चंचल मुंह बना कर बोली,

चंचल: “ओहो! आपको बुरा लग रहा है। मेरे को एंजॉय करते देख कर। वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मम्मी – पापा ट्रिप पर मनाली गए हैं। और घर पर कोई नहीं है।”

ये सुनकर काव्या ने ऋषि की तरफ फिर से देखा और पूछा,

काव्या: “और ये कौन है? तेरा बॉयफ्रेंड?”

बॉयफ्रेंड सुनते ही चंचल ने जवाब दिया,

चंचल: “ओह प्लीज दी! मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है। और न ही मुझे बनाना है। इट्स ओल्ड स्कूल थिंग! ये ऋषि है, माय फ्लिंग।”

ऋषि ने चंचल की तरफ देखते हुते काव्या से कहा,

ऋषि: “येस मैम! मैं और आपकी बहन बस टाइम पास कर रहे हैं।”

काव्या ने आंखों को सिकोड़ते हुए कहा,

काव्या: “टाइम पास? सही है तुम्हारी जेनरेशन बस यही करना जानती है, वो कभी समझ नहीं पाएगी प्यार क्या होता है।”

काव्या की बात सुनकर चंचल झल्ला कर बोली,

चंचल: “और आप तो जैसे काफी अच्छे से जानती हैं कि प्यार करना क्या होता है। कम से कम आपके जैसे प्यार में बेवकूफ बनने से अच्छा है कि हम टाइम पास करके शैलो  ही रहें!”

 काव्या को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी छोटी बहन जो अभी बीस साल की भी नहीं हुई थी प्यार, रिलेशनशिप के बारे में ऐसी बातें करती होगी। बचपन से दोनो बहने काफी अलग रही थीं। दोनो का रहने, कपड़े का पहनने का तरीका काफी अलग था। पर स्कूल में दोनो एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन कर जाते थे। काव्या के रहते स्कूल में किसी की हिम्मत नहीं थी जो चंचल का मजाक उड़ा दे। जो भी मजाक उड़ता, काव्या या तो उससे भीड़ जाती थी या प्रिंसिपल से कंप्लेन कर देती थी। पर उमर बढ़ने के साथ साथ, दोनों के बीच एक दूरी आती गई थी।

चंचल को अपनी बहन की कम्पनी पसंद नहीं आने लगी। उसके लिए काव्या बोरिंग हो गई थी। इसलिए चंचल अपने बाकी भाई बहनों  के साथ काव्या से ज्यादा रहने लगी।

काव्या को बहुत बुरा लगता था पर उसने टाइम के साथ अपने बीच की बढ़ने वाली दूरी को भी एक्सेप्ट  कर लिया था।

मम्मी पापा, के साथ साथ चंचल भी काव्या को ताने मारने लग जाती थी। आज भी उसके मुंह से ये सब सुन कर काव्या को बुरा जरूर लगा पर उसे चंचल से ज्यादा अच्छा सुनने की उम्मीद भी नहीं थी।

चंचल काव्या से ये कहकर चली गई कि,

चंचल: “अगर आपने बगावत करने का डिसाइड कर लिया ही है तो कम से कम कुछ इंटरेस्टिंग बन कर ही वापस घर आना। खास तौर पे किसी लड़के के प्यार में पागल होकर स्टूपिड गर्ल बनने की कोई जरूरत नही है। ”

चंचल के जाने के बाद काव्या कुछ देर सड़क की चकाचौंध के बीच ही खड़ी रही। उसे लगा, चंचल की बात सही ही थी। वो अब किसी भी लड़के के चक्कर में अपने करियर के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करेगी।

उधर पार्टी में आर्यन के मुंह से ब्रेक अप की बात सुनकर प्रज्ञा ने हंगामा खड़ा कर दिया था। उसने नशे में ग्लास तोड़ना शुरू कर दिया। वो चीखने लगी,

प्रज्ञा: “मुझे पता था! तुम भी मुझे छोड़ दोगे! जैसे मेरे डैड मुझे छोड़ कर चले गए। मेरा फर्स्ट बॉयफ्रेंड चला गया। तुम भी चले जाओगे।”

आस पास सबकी भीड़ जमा हो गई थी। चाह कर भी आर्यन प्रज्ञा को शांत कराने पास नहीं आ रहा था। प्रज्ञा की मॉम ने वहां कर प्रज्ञा की हालत देखी तो उन्होंने पार्टी में सारे मेहमानों को वापस घर जाने को बोला, और आर्यन के साथ इस मामले को डिस्कस करने के लिए अंदर आने का इशारा किया।

धीरे धीरे सब लोग पार्टी से तरह तरह की बातें बनाते हुए चले गए। घर में सिर्फ आर्यन था जो प्रज्ञा और उसकी मॉम के सामने कमरे में ऐसे खड़ा था जैसे उसका इम्तिहान होने वाला हो। प्रज्ञा बिल्कुल होश में नहीं थी वो अपनी मॉम की गोदी में लेटे हुए बस बड़बड़ा रही थी।

प्रज्ञा: “डॉन्ट लीव मे…”

प्रज्ञा की मॉम ने हाथ में वाइन का ग्लास ले कर आर्यन की तरफ देखकर कहा,

शैलजा: “मैं जानती हूं तुम मेरी बेटी के साथ ब्रेकअप करना चाहते हो। और ये बात तुम पहले भी उससे बोल चुके हो। तुम्हारी जगह रहकर मैं तुम्हारी बात समझती भी हूं। पर तुमसे उमर और जिंदगी में ज़्यादा  तजुर्बेकार इंसान  होने के नाते मैं तुमसे बस यही कहना चाहती हूं। ये फैसला तुम इमोशनल हो कर ले रहे हो। और लाइफ  में सिर्फ भावनाओं  के साथ काम नहीं चलता, थोड़ा दिमाग भी इस्तेमाल  करना पड़ता है। थोड़े प्रैक्टिकल डिसीजन भी लेने पड़ते हैं।”

आर्यन ने भौंह उठाते हुए पूछा,

आर्यन: “मैं आपकी बात समझा नही!”

हाथ में वाइन का ग्लास टेबल पर रखते हुए प्रज्ञा की मॉम बोलीं,

शैलजा: “हमारी कंपनी मल्होत्रा इंटरप्राइजेज जल्दी ही तुम्हारी कंपनी वुड केयर कंपनी के साथ एक डील साइन करने वाली है। और जहां तक मुझे अंदाजा है, आर्यन तुम एक होनहार इंसान  हो। तो मेरा बस इतना कहना है कि मैं तुम्हें तुम्हारी कंपनी से डील पूरी होने के बाद तुम्हे कंपनी का वाइस प्रेसिडेंट बना सकती हूं। इतनी पावर मेरे हाथ में है। बस शर्त यही है कि तुम प्रज्ञा को छोड़कर नहीं जाओगे। और आने वाले सालों में जब तुम्हारी प्रज्ञा से शादी होगी तो मैं तुमसे प्रोमिस करती हूं कि हमारी कंपनी के शेयर में तुम्हारा 51% शेयर होगा। तो फैसला अब तुम्हारे ऊपर है! और हां मैं दोबारा कहूंगी, दिल से सोचने के बजाय दिमाग से फैसला लेना!”

चारो तरफ अचानक सन्नाटा सा छा गया था।

ये सुनने के बाद आर्यन हक्का बक्का रह गया। उसके कान में सिर्फ घड़ी की सुई की आवाज़ आ रही थी। “टिक टिक टिक”।

क्या होगा आर्यन का फैसला? क्या आर्यन अपने सपने की उड़ान भरेगा या प्यार की मंजिल की तरफ बढ़ेगा? क्या काव्या फिर से प्यार पर भरोसा कर पाएगी? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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