घड़ी की सुई की आवाज़ बढ़ती जा रही थी। प्रज्ञा की मॉम के सामने खड़ा आर्यन उनके घर की छत पर लगे झूमर को देख रहा था।
आर्यन को यूं झूमर को घूरता देख कर प्रज्ञा की मॉम ने कहा,
शैलजा: "मैं जानती हूँ तुम्हे पैसा, फेम ये सब पसंद है! लेकिन तुम चिंता मत करो, तुम्हे ये सब कुछ मिलेगा अगर तुम प्रज्ञा की लाइफ में हमेशा के लिए आते हो!"
प्रज्ञा जो अपनी मॉम की गोद में बड़बड़ाते हुए सो चुकी थी। उसे बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि उसकी मॉम उसकी लाइफ में एक बंदे को रखने के लिए सौदेबाजी करने के लिए तैयार थीं। आर्यन झूमर को देखते हुए हल्का-सा मुस्कुराया और उसने धीरे से बोला,
आर्यन: "शांतिप्रिया...!"
उसके मुंह से शांतिप्रिता शब्द सुनकर प्रज्ञा की मॉम को समझ नहीं आया कि आर्यन क्या कहना चाह रहा था।
हंसते हुए आर्यन ने प्रज्ञा की मॉम की आंखों में आंखे डालकर जवाब दिया।
आर्यन: "आई डॉन्ट थिंक कि आपके इस ऑफर को सुनने के बाद भी मैं अपने फैसले को बदल पाऊंगा। मेरा दिल और दिमाग़ एक ही चीज कह रहा है कि मैं आपकी बेटी प्रज्ञा के साथ आगे किसी भी तरह का रिश्ता नहीं रख सकता। मैं उससे ब्रेक अप करना चाहता हूँ और हाँ किसी भी तरस खा कर, उसको जबरदस्ती अपने पास रख कर हम प्यार नहीं कर सकते। अच्छा होगा आप अपनी बेटी की काउंसलिंग कराए और हो सके तो अपनी भी!"
ये सुनते ही प्रज्ञा की मॉम का चेहरा बिगड़ गया। उनकी आंखें तिलमिला गईं और उन्होंने गुस्से में धीरे से कहा,
शैलजा: "गेट आउट!"
बिना देर किए आर्यन मुस्कुराता हुआ वहाँ से निकल गया। आर्यन को यक़ीन था कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए वह अपने दिल का सौदा नहीं करेगा।
वहाँ से निकल कर आर्यन अपने फ़्लैट पर पहुँचा तो रात के 2 बज चुके थे। अपनी जेब से चाभी निकालकर उसने फ़्लैट का दरवाज़ा खोला तो देखा, काव्या हॉल में खिड़की के पास अकेले जगी हुई बैठी थी।
दरवाजे खुलने की आहट सुनकर वह अचानक डर गई।
काव्या को अचानक डरते देख कर आर्यन ने उस को रिलैक्स होने को बोला।
फिर उसके पास आ कर पूछा,
आर्यन: "क्या हुआ तुम सोई नहीं? अभी तक नींद नहीं आई? कहीं मेरा इंतज़ार तो नहीं कर रही थी।"
काव्या ने अपने बालों को ठीक करते हुते बोला,
काव्या: "गलतफहमी में रहने के चलते ही कई लोग ज़िन्दगी में सबसे ज़्यादा धोखा खाते हैं। वैसे मुझे नींद नहीं आ रही थी।"
आर्यन भी खिड़की के पास पीठ टिकाकर बैठ गया। उसने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा,
आर्यन: "तो फिर कैसा रहा तुम्हारा दिन?"
काव्या ये सुनकर चौंक-सी गई। इतने समय में आजतक उसके घरवालों ने कभी इस तरह का सवाल नहीं किया था।
वो ऑफिस से सीधे घर आती थी और घर से सीधे ऑफिस। उसके घरवालों ने आजतक कभी उसका दिन कैसा बीता ये जानने में इंटरेस्ट नहीं दिखाया। पहली बार किसी से ये सवाल सुनकर वह ठिठक-सी गई।
फिर उसने आर्यन की तरफ़ देखते हुए कहा,
काव्या: "बस ठीक ठाक था! अब मुझे अपनी जॉब में कुछ करके दिखाना है। एक प्रोजेक्ट मिला है, अगर मैने उसमें क्लाइंट का दिल जीत लिया तो मुझे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।"
आर्यन उसकी बातों को ध्यान से मुस्कुराते हुए सुन रहा था। तभी उसे एक आइडिया आया और उसने काव्या को चाय पीने के लिए चलने के लिए पूछा।
इस पर काव्या ने हैरान हो कर पूछा,
काव्या: "चाय? वह भी इतनी रात को? पर मिलेगी कहाँ?"
आर्यन ने कहा,
आर्यन: "मैं जानता हूँ न, यहाँ पास में ही बदनाम चाय वाला है। जिसकी चाय का स्टाल रात भर लगा रहता है। कमाल है, दिल्ली में रहने के बावजूद भी तुमने बदनाम चाय नहीं पी?"
काव्या ने न में सिर हिलाया। वह दिल्ली में बचपन से ही रह रही थी। पर दिल्ली की सड़कों और जगहों को उसने ज़्यादा एक्सप्लोर नहीं किया था। ख़ास तौर पर रात के वक़्त दिल्ली कैसी होती है, इस बात का काव्या को ज़्यादा अंदाजा नहीं था।
अब काव्या ने बाहर रह कर अपनी शर्तों पर जीने का डिसिशन ले लिया था तो वह हर चीज एक्सप्लोर करेगी।
वो आर्यन के साथ ऑटो में बैठकर बदनाम चाय स्टॉल के पास आ गई।
वहाँ पर कुछ चुनिंदा लोग भी चाय पीने के लिए खड़े हुए थे। गर्म-गर्म चाय को कुल्हड़ में ले कर पीने का आनंद ही अलग था। चाय की एक चुस्की लेते ही काव्या का सारा स्ट्रेस गायब-सा हो गया था। आर्यन ने काव्या के चेहरे को खिलते हुए देखकर पूछा,
आर्यन: "कैसी लगी आपको हमारी बदनाम चाय?"
काव्या ने चाय का आनंद लेते हुए कहा,
काव्या: "आपकी? हर बात में आप अपना क्रेडिट ले लेते हैं। पर वैसे, थैंक यू। अगर तुम मुझे यहाँ नहीं लाते तो मैं काम के स्ट्रेस में घर पर ही पड़ी रहती।"
आर्यन ने मुस्कुराते हुए काव्या के थैंक यू का वेलकम किया। फिर उसके बाद आर्यन ने काव्या के काम के बारे में सारा हाल चाल जाना। काव्या ख़ुद किसी से इतना कुछ डिस्कस करना चाहती थी, पर जब आर्यन ने उससे पूछा तो उसने एक बच्चे की तरह ऑफिस में घटी सारी कहानी को बता डाला।
आर्यन काव्या की हर बात को बड़े इंटरेस्ट से सुन रहा था।
फिर जब अचानक काव्या को लगा कि जैसे वह आर्यन के बहुत क्लोज़ आ रही थी। उसने ख़ुद को कंट्रोल करते हुए कहा,
काव्या: "अब हमें वापिस घर चलना चाहिए। वैसे भी काफ़ी वक़्त हो चुका है!"
आर्यन का मन तो था कि इतनी सुहानी रात में काव्या और उसकी बातें और लगातार चलती रहें। कर काव्या के कहने पर आर्यन वापिस अपने फ़्लैट पर आ गया।
हॉल में घुसते ही, काव्या आर्यन को गुड नाईट बोल कर अपने रूम में जाने लगी तभी आर्यन ने उसे पीछे से रोक कर कहा,
आर्यन: "वैसे मैं तुमको बता देना चाहता हूँ कि मैं और प्रज्ञा साथ में नहीं हैं।"
इतना कहने के बाद आर्यन कुछ देर काव्या के रिस्पॉन्स का इंतज़ार करते हुए उसके चेहरे की तरफ़ देखता रहा।
पर काव्या ने सिर्फ़ इतना कहा,
काव्या: "गुड नाईट!"
ऐसा कहकर काव्या अपने कमरे में आ गई पर उस के पेट में फिर से तितलियों ने घूमना शुरू कर दिया था।
कमरे में आते ही काव्या के मन में एक तरफ़ तितलियाँ मंडराने लगी थीं और दूसरी तरफ़ उसकी बहन चंचल की आवाज़ गूंज रही थी। कि क्या उसे आर्यन को डेट करने के लिए हाँ बोल देना चाहिए?
या उसे अपने करियर पर ही फोकस करना चाहिए।
दोनो अपने-अपने कमरे में बिस्तर पर पड़े एक दूसरे के बारे में ही सोचते-सोचते सो गए।
सुबह होते ही काव्या अपने कमरे से बाहर निकल कर हॉल की तरफ़ आई तो उसके गुस्से का पारा हाई हो गया।
पूरा घर बिखरा हुआ पड़ा था। जगह-जगह कपड़े और जूते ऐसे फैले थे। जिससे बदबू भी आ रही थी। किचन तक में बर्तन बाहर निकले पड़े हुए थे। ऐसा लग रहा था जैसे रातों रात में घर में चोरी हुई हो।
पर ये सब किया धरा था आर्यन का। वह सुबह-सुबह ऑफिस से निकल चुका था पर उठते ही उसने घर में कबाड़ा फैला कर रख दिया था। इस बात से गुस्सा हो कर, काव्या ने तुरंत आर्यन को फ़ोन घुमाया।
आर्यन ऑफिस में अपनी मीटिंग की तैयारी में लगा हुआ प्रैक्टिस कर रहा था। काव्या को फ़ोन आते ही उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी। उसे लगा शायद काव्या ने उसके प्रपोजल को एक्सेप्ट करने के लिए फ़ोन किया था।
पर जैसे ही फ़ोन उठाने के बाद उसने गुर्राते हुए काव्या की आवाज़ सुनी, आर्यन का मुंह लटक गया। उधर से काव्या ने चिल्लाते हुए कहा,
काव्या: "ये क्या हाल बना कर गए हो, घर का? पूरा घर कबाड़ खाना बना रखा है! तुम्हें क्या लगता है कि आप साहबजादे हैं और मैं घर की नौकरानी।"
आर्यन को याद आ गया था कि कैसे सुबह जल्दी में ऑफिस निकलने के लिए उसने जगह-जगह से प्रेस को ढूँढा था पर उसे नज़र नहीं आई।
उसने ये बात काव्या को बताई। पर काव्या ने आखिरी बार धमकी देते हुए कहा,
काव्या: "नहीं! ये सारी चीजें मैं नेक्स्ट टाइम नहीं सुनूंगी! डायरेक्ट तुम्हारा सामान पैक करके तुम्हे घर से निकाल दूंगी!"
ऐसा बोलते ही काव्या ने फ़ोन काट दिया। दरअसल काव्या जान गई थी कि उसने थोड़ा ओवर रिएक्ट कर दिया था। पर उसे ऐसा करने में बड़ा मज़ा आया।
काव्या के पास कई सारे काम थे। उसने पूरे घर को समेटा और फिर अपनी डिजाइंस बनाने में बैठ गई।
वहीं दूसरी तरफ़ आर्यन जो मीटिंग की तैयारी कर रहा था, काव्या की बात सुनकर थोड़ा सदमे में आ गया।
कुछ देर बाद जैसे ही मीटिंग के लिए आर्यन कांफ्रेंस रूम में घुसा। पीछे से उसके बॉस ने आ कर कहा,
आर्यन के बॉस: "आर्यन! मुझे तुमसे पर्सनल बात करनी है, मेरे केबिन में चलकर डिस्कस करते हैं।"
आर्यन अपने बॉस के केबिन में पहुँचा तो बॉस ने उसे बताया कि वह जिस प्रोडक्ट की मार्केटिंग में काम कर रहा था। उसे बंद कर दिया गया था।
ये सुनकर आर्यन के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई। जिस प्रोजेक्ट के लिए वह इतनी मेहनत कर रहा था। उस पर अचानक से पानी फेर दिया गया।
आर्यन से अपने बॉस से पूछा,
आर्यन: "सर ये आप कैसे कर सकते हैं? आपको पता है ना मैं इस प्रोजेक्ट पर ऑलरेडी काफ़ी काम कर चुका था।"
बॉस ने बिना कुछ एक्सप्लेन किए बस इतना कहा,
आर्यन के बॉस: "प्रोजेक्ट तो बनते बिगड़ते रहते है। उनसे दिल नहीं लगाया करते! तुम्हें जल्द ही नया प्रोजेक्ट असाइन किया जाएगा। तब तक तुम थोड़ा रेस्ट करो!"
ये सुन कर आर्यन को शक हुआ कि दाल में ज़रूर कुछ काला था। बिना किसी रीज़न के उससे उसका प्रोजेक्ट छीन लिया गया।
हालांकि आर्यन रीज़न जान नहीं पाया पर उसका मुंह बुरी तरह लटक गया था। सुबह काव्या का कॉल और उसके बाद ऑफिस में ये तमाशा। आर्यन को लगा जैसे उसका दिन ही अच्छा नहीं था।
निराश मन से जब आर्यन घर वापस आया। तो अंदर घुसते ही उसने देखा पूरा घर अच्छे से चमक रहा था।
ये देख कर आर्यन का मन खुश हुआ तभी काव्या अपने कमरे से बाहर आई।
काव्या को देखते ही आर्यन को लगा वह उसके ऊपर बिजली बन कर बरसेगी। पर तभी काव्या आर्यन के पास आ कर बोली,
काव्या: "सॉरी!"
ये सुनकर आर्यन के तो होश ही उड़ गए। उसे समझ नहीं आया कि जो उसने सुना वह सही सुना था। उसने दोबारा काव्या की तरफ़ देख कर पूछा,
आर्यन: "हाँ?"
काव्या ने फिर से कहा,
काव्या: "सॉरी...! सॉरी मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नहीं चाहिए था। वह अचानक घर को बिखरा देख कर मेरा दिमाग़ खराब हो गया था। पर मैं नहीं चाहती हूँ कि हम निकिता और विवेक जैसे लड़ें। आओ बैठो! मैने तुम्हारे लिए एक ख़ास डिनर भी बनाया है।"
काव्या के इस बदले अंदाज़ को देख कर आर्यन का मन में ज़ोर से लड्डू फूट रहे थे। वह डिनर टेबल के पास आया तो देखा, टेबल पर ढेर सारे पकवान बने थे।
उसके मन में आया कि इतना सब कुछ काव्या ने अकेले बनाया?
तभी काव्या ने आर्यन के पास आ कर कहा,
काव्या: "वैसे मैंने बनाया सिर्फ़ ये मटर पनीर की सब्जी है! बाक़ी सब कुछ बाहर से ऑर्डर किया है।"
ये सुनकर आर्यन हंसा और उसने कहा,
आर्यन: "फिर भी हम दो लोगों के लिए तो ये काफ़ी सारा खाना है!"
इस पर काव्या ने तुरंत जवाब दिया।
काव्या: "किसने कहा सिर्फ़ दो लोगों के लिए ही है। मैने विवेक और निकिता को भी बुलाया है। उन्होंने मेरी इतनी मदद की थी तो मैंने सोचा ट्रीट तो उनको भी बनती है। इसलिए मैने उन्हें भी डिनर पर बुलाया है। वह आने वाले ही होंगे।"
काव्या किचन की तरफ़ गई ही थी कि तभी डोरबेल बजी। काव्या ने आर्यन कहा,
काव्या: "निकिता और विवेक ही होंगे! प्लीज दरवाज़ा खोल देना।"
आर्यन दरवाज़ा खोलने के लिए आगे बढ़ा तो उसने देखा सामने निकिता और विवेक नहीं बल्कि एक डिलीवरी मैन खड़ा था जिसके हाथ में एक बड़ा-सा गिफ्टबॉक्स था।
जिसे देख कर आर्यन दंग रह गया। उसने डिलीवरी वाले भैया से कहा,
आर्यन: "जी ये किसके लिए है? किसने भेजा है?"
डीलीवरी मैन बिना कुछ बोले आर्यन के हाथ में वह गिफ्ट बॉक्स थमा कर चला गया।
आर्यन को कुछ समझ नहीं आया उसने चिल्ला कर उस आदमी को पुकारते हुए कहा,
आर्यन: "ओह! हेलो! भैय्या!"
तभी अंदर से काव्या बाहर निकल कर आई। उसने पूछा,
काव्या: "क्या हुआ? कौन था?"
आर्यन ने देखा वो डिलीवरी मैन लिफ्ट में तुरंत नीचे की तरफ चला गया था। उसने गिफ्ट के ऊपर देखा तो उसके ऊपर लिखा था। “फॉर लव , काव्या ”
और आगे दो दिल बने हुए थे।
ये देख कर आर्यन को हल्का सा झटका लगा फिर उसने गिफ्ट बॉक्स को उलट पलट करके देखा पर उसे कहीं भी भेजने वाले का नाम नजर नहीं आया।
कहीं पर भी नाम न मिलने के बाद आर्यन ने वो बॉक्स काव्या के हाथ में थमा दिया। काव्या भी हैरान थी कि आखिर ये गिफ्ट बॉक्स किस ने भेजा था। कहीं पर भी गिफ्ट भेजने वाले का नाम नहीं था। तभी काव्या को बॉक्स के नीचे एक लेटर “पी” लिखा हुआ दिखाई दिया। वो देखते ही काव्या का दिमाग सन्न हो कर रह गया। उसके चेहरे के उड़े हुए रंग को देख कर आर्यन भी हैरान वही खड़ा रहा।
आखिर किसने भेजा था काव्या को वो गिफ्ट बॉक्स? क्या आर्यन का प्रोजेक्ट कैंसल होना एक एक्सीडेंट है या किसी की चाल? क्या काव्या आर्यन के साथ अपना रिश्ता फ्लैटमेट से आगे ले जाने के लिए मान जायेगी? जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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