वीरेंद्र की बातों ने उसे बुरी तरह झकझोर दिया था। उसने डरते हुए पूछा,

Aniket (scared) - भाई, ऐसी कौन सी बेड न्यूज़ देने वाला है तू? जिसे सुनकर मेरी जान तक जा सकती है?

वीरेंद्र ने अपना suspense ख़त्म करते हुए कहा, “आज 3 मार्च है। पाकिस्तान ने 3 मार्च के दिन विंग कमांडर को छोड़ने का बोला था। मीडिया के अकॉर्डिंग पाकिस्तान, उनको शाम के 5 बजे छोड़ने वाला था। अभी 6 से भी ऊपर हो गए हैं, मगर अभी तक उनको छोड़ा नहीं है। मुझे लगता नहीं कि वो ग़द्दार अपना वादा निभाएगा। तू देख लेना जंग होनी तय है। बिना पिटे सुधरेगा नहीं वो।”

पाकिस्तान का नाम आते ही वीरेंद्र की आवाज़ अपने आप लाउड हो जाती थी। उसकी कुछ पर्सनल दुश्मनी ज़रूर थी शायद। अनिकेत ने घड़ी में देखा, शाम के 7 बजने वाले थे। उसने जल्दी से न्यूज़ लगाई। वीरेंद्र सच बोल रहा था। आधा देश अटारी बॉर्डर पर खड़ा था और आधा देश TV के सामने बैठकर अपने जाँबाज विंग कमांडर की रिहाई का इंतज़ार कर रहा था। न्यूज़ एंकर बार-बार एक ही बात दोहरा रही थी, “पाकिस्तान अपने ही वादे से पाकिस्तान का नाम आते ही वीरेंद्र की आवाज़ अपने आप लाउड हो जाती थी। उसकी कुछ पर्सनल दुश्मनी ज़रूर थी शायद। अनिकेत ने घड़ी में देखा, शाम के 7 बजने वाले थे। उसने जल्दी से न्यूज़ लगाई। वीरेंद्र सच बोल रहा था। आधा देश अटारी बॉर्डर पर खड़ा था और आधा देश TV के सामने बैठकर अपने जाँबाज विंग कमांडर की रिहाई का इंतज़ार कर रहा था। न्यूज़ एंकर बार-बार एक ही बात दोहरा रही थी, “पाकिस्तान अपने ही वादे se मुकरा। उसने अपना वादा नहीं निभाया। हालांकि अभी रात बाकी है, लेकिन उसने हमारे कमांडर को अगर आज रात तक भी रिहा नहीं किया, फिर क्या कदम उठाएगी भारत सरकार? पूरा देश पूछ रहा है, तुम सुधर क्यों नहीं रहे पाकिस्तान?”

एंकर भी वीरेंद्र की तरह ही खींज रही थी। उसकी आवाज़ से अनिकेत इरिटेट भी हो रहा था और उसको एक अनजाना डर भी परेशान कर रहा था। कभी-कभी इंसान बिना किसी कारण के भी घबराने लगता है, फिर अनिकेत की घबराहट के तो एक नहीं, बल्कि अनेक कारण थे। इतनी ज़्यादा टेंशन वो सहन नहीं कर पा रहा था। उसको खुली हवा की ज़रूरत महसूस होने लगी थी। उसने झुँझलाकर न्यूज़ बंद की और वीरेंद्र से कहा,

Aniket (panic)  - वीरेंद्र  का  ये न्यूज़ देखकर और ज़्यादा दिमाग़ ख़राब होने लगता है। मीडिया के हिसाब से चलने लगे, तो ये लोग हर रोज़ किन्हीं दो देशों में वॉर करा सकते हैं। मुझे चाय पीना है, चल पंडित के कैफ़े पर चलते हैं।

“वहां भी भीड़ लगी है अनिकेत बाबू। हमारे कमांडर साहब को देखने के लिए लड़के TV के सामने से हट नहीं रहे हैं। आज पंडित की ख़ूब चाय बिक रही है, बहुत पानी मिलाएगा आज वो चाय में। आज चाय पीना skip कर देते है।” उसने अनिकेत का stress कम करने के लिए हल्का सा मज़ाक किया।

अनिकेत जाने के लिए रेडी हो गया था, मगर उसका दोस्त अभी भी बेड पर ही लेटा हुआ था। उसने दरवाज़े पर लगाने के लिए लॉक उठाया और चिढ़कर पूछा,

Aniket (annoy) - तू चल रहा मेरे साथ? या फिर मैं डोर बाहर से लॉक कर दूँ?

“गज़ब आदमी हो यार तुम? जब मैं कमरे में बैठा हूँ, फिर तुम्हें बाहर से लॉक करने की क्या ज़रूरत? कुछ तो कॉमन सेंस रखो यार।” वीरेंद्र ने उसकी गलती पकड़कर उस पर हँसतें हुए कहा। अनिकेत को भी अपनी गलती पर हँसी आ रही थी। उसने fake ग़ुस्सा दिखाते हुए कहा,

Aniket (fake angry) - रुक मैं बताता हूँ तुझे, कॉमन सेंस।

इतना बोलकर वो अपने दोस्त को मारने के लिए उसकी ओर बढ़ा। उसको अपनी ओर आता देखकर वीरेंद्र जल्दी से उठा और स्लीपर पहनकर हँसते हुए कमरे से बाहर भाग गया। दोनों पंडित के कैफे की ओर बढ़ गए थे।

अपनी गली से बाहर निकलकर दोनों पंडित के कैफे के पास पहुँचें, तो दूर से लड़कों की भीड़ देखकर दंग रह गए थे। दंग इसलिए, क्योंकि उस कैफे पर इससे पहले इतने लड़के उन्होंने कभी नहीं देखे थे। कैफे अक्सर ख़ाली ही रहता था। इसी का फ़ायदा उठाते हुए कुछ लड़के उस कैफे में अपनी प्रेमिकाओं का हाथ पकड़कर बैठे रहते और कोल्ड काफ़ी की चुस्कियों के साथ, उनको ज़िंदगी भर साथ निभाने के कसमें-वादें देते हुए ज़रूर दिख जाते थे।

आज नज़ारा बदला हुआ था। पूरा कैफे हाउसफुल था। कुछ लड़के बाहर आकर खड़े हो गए थे। इतनी भीड़ में पंडित का चेहरा देखना मुश्किल था। वीरेंद्र ने हैरानी से पूछा, “ये सब खड़े क्यों हैं? आज टेबल-कुर्सी कहां गए?

Aniket (funny) - बहुत चालू खोपड़ी है पंडित। पहले ही कंडीशन देख ली होगी और समझ गया होगा कि भारत-पाकिस्तान के चक्कर में कही मेरी कुर्सियां कुर्बान न हो जाये, इसलिए हटा ली होगी।

उसकी बात सच थी। वे लोग कैफे पर पहुँचें, तो देखा, वहां आज चेयर ही नहीं थी। अनिकेत ने चाय का आर्डर दिया और दोनों बाहर आकर खड़े हो गए। उसके दोस्त ने एक बार फिर से टाइम देखा और सहमकर कहा, “अनु, 8. 45 हो गए यार। मुझे नहीं लगता। पाकिस्तान अब उनको छोड़ेगा। देख लेना, कल सुबह होते ही आर्मी, पाकिस्तान पर अटैक कर देगी।”

वॉर के बारे में सोचकर ही अनिकेत का शरीर ठंडा हो गया था। उसने न्यूज़ में देखा था कि जिन देशों में वॉर चल रही थी, वहां के लोगों को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। उसने एक गहरी साँस ली और वीरेंद्र से कहा,

Aniket (upset & explained) - इसीलिए तो कहा जाता है कि पड़ोसी ऐसा होना चाहिए, जो हमारे लिए प्रॉब्लम न बने, बल्कि हमारी प्रॉब्लम में हमारा साथ दे। हम लाइफ में सब-कुछ बदल सकते हैं, बस पड़ोसी नहीं बदल सकते।

वीरेंद्र ने चाय का आख़िरी घूँट लिया और फरवरी की ठंड में गर्म तेवर दिखाते हुए बोला, “सही बोल रहा है भाई तू। पाकिस्तान की economy तो पहले से ही बर्बाद है। युद्ध हो गया तो हमारी economy पर ही इफ़ेक्ट पड़ेगा। अभी हमारी GDP, पूरी दुनिया में सबसे तेज़ स्पीड से बढ़ रही है, इसलिए वो जानबूझकर ऐसी हरकतें कर रहा है। उसकी वजह से इंडिया को 3 बार युद्ध लड़ने पड़े है। जो पैसा देश के development में ख़र्च होता है, वो फिर गोली-बारूद में ख़र्च होगा।

(angry) पर पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सेना को उस पर हमला कर देना चाहिए।” अनिकेत ने उसको घूरकर देखा और कहा,

Aniket (angry) - तुझे बहुत जल्दी है जंग लड़ने की? Media में जॉब करते-करते आग लगाने की आदत पड़ गयी है तेरी भी। युद्ध ख़ुद ही अपने आप में एक प्रॉब्लम होता है, फिर उससे किसी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन कैसे निकल सकता है?

वो अपने दोस्त की thinking से थोड़ा disappointed हो गया था, तभी उसके मोबाइल पर एक नोटिफ़िकेशन आया। वो नोटिफ़िकेशन, PCL ग्रुप में आया था। इंडिया-पाक टेंशन के बीच PCL ग्रुप में मैसेज आना कोई नॉर्मल बात नहीं थी। उसने जल्दी से मैसेज चैक किया। उस मैसेज में कंमाडर का ही चाय पीते हुए एक वीडियो था, जिसे उसी DP वाली लड़की ने सेंड किया था। उस मैसेज़ के साथ उस लड़की ने हैंडशेक का इमोजी भी सेंड किया था। हालाँकि कमांडर का वो VIRAL वीडियो उसने पहले भी देखा था, लेकिंन क्यूरॉसिटी के चलते वो अपने दोस्त से थोड़ा दूर गया और वीडियों प्ले करके देखने लगा।

वीडियो देखने के बाद वो लड़की की थिंकिंग पर मन ही मन मुस्कुराया दिया था। वो समझ गया था कि इधर के लोग भी इंडिया के साथ अच्छें रिलेशन चाहते हैं। वो सोच ही रहा था कि तभी, कैफे में चल यही TV पर एंकर की आवाज़ उनके कानों में पड़ी, जो एक्साइटेड होकर लैटेस्ट न्यूज़ बता रही थी, “अभी-अभी एक बड़ी ख़बर निकलकर सामने आ रही है। विंग कमांडर बस कुछ ही देर में अटारी बॉर्डर पर पहुँचने वाले है।” इस न्यूज़ को सुनने के लिए ही तो, पूरा देश बेक़रार था। न्यूज़ सुनते ही कैफे पर बैठे लड़के ख़ुशी से झूम उठे थे। वीरेंद्र दौड़कर गया और भीड़ में घुसकर नारे लगाने लगा। अनिकेत की आँखों में ख़ुशी के आँसू आ गए थे।

पूरा देश का मीडिया अटारी बॉर्डर पर जमा था। कमांडर किसी भी वक़्त वहां पहुँच सकते थे। लोग “भारत माता की जय” के नारे लगा रहे थे। अनिकेत की बॉडी का रोम-रोम उसका एक्साइटमेंट बयां कर रहा था। उस रात अपने जवान के वेलकम के लिए पूरा इंडिया एक साथ आ गया था। बॉर्डर पर पाकिस्तान का गेट खुला। अपने कमांडर को TV पर देखते ही लड़के ख़ुशी से नाचने लगे। उनके नारों की आवाज़ और तेज़ हो गयी थी। कमांडर वही अपनी रौबदार फोर्स स्टाइल में चलते हुए आ रहे थे। उनके बढ़ते पैरों के साथ लोगों का एक्साइटमेंट और ज़्यादा बढ़ता जा रहा था।

अटारी बॉर्डर पर इंडिया का दरवाज़ा खुला, कमांडर ने आगे बढ़कर अपने देश को सेल्यूट किया और अपने वतन की मिट्टी चूमने के लिए झुक गए। अनिकेत खुशी के आँसू पोंछते हुए अपने कमरे पर जाने के लिए आगे बढ़ गया था।

“काफ़ी ख़ुश लग रहे हो अनिकेत बाबू, बात क्या है आख़िर?” उसको अपने कमरे में जाते देख उसके मालिक, सुनील शुक्ला ने पूछा। वे ग्राउंड फ़्लोर पर रहते थे और अनिकेत फर्स्ट फ्लोर पर। वो जब से नोएडा शिफ्ट हुआ था, उन्हीं के घर में रहता था। उनका कमरा भी अच्छा और रेंट भी रीज़नेबल, इसलिए वो कही और गया ही नहीं।

ख़ुश-मिज़ाज इंसान थे उसके शुक्ला अंकल, पर थोड़े mysterious भी है। एक-एक महीना घर से लापता रहते थे। उसके काम धंधे के बारें में न तो उसने कभी पूछा और न ही उन्होंने कभी बताया था। उनकी आवाज़ से वो रुका और उनको देखकर आधी सीढ़ियां चढ़ चुका अनिकेत, पलट कर वापस आया।

Aniket (excited) - अंकल आप अचानक कैसे?

 उन्होंने इधर-उधर देखा और हँसते हुए कहा, “क्यों? किसी और के घर में आ गया हूँ क्या?” उनका ज़वाब सुनकर अनिकेत अपने ही सवाल पर झेंप गया था. उसने जल्दी से बात बदलते हुए कहा,

Aniket (hesitate)-  अंकल, आज हमारे कमांडर साहब वापस, वापस आये हैं न? आज तो पूरा देश ख़ुश है, फिर मैं ख़ुश क्यों नहीं रहूँगा? आख़िर दोनों देशों के बीच वॉर होने से भी बच गयी।

उसका मकान मालिक ज़ोर से हँस पड़ा। अनिकेत उसकी हँसी का कारण समझ नहीं पाया और कन्फ्यूज़ होकर पूछा,

Aniket (confuse) - कुछ गलत बोला क्या मैंने?

“कौन सी वॉर भाई? क्या तुझे लगता है कि पाकिस्तान वॉर करने की हालत में है? वॉर की सुनते ही हाथ-पैर काँप गए थे उनके प्रधानमंत्री के। वो हमारी गवर्नमेंट से इस मेटर को लेकर नेगोशिएट करना चाहते थे, लेकिन हमारी गवर्नमेंट ने भी साफ़-साफ़ कह दिया था कि या तो हमारे कमांडर को वापस करो या फिर कुछ भी हो सकता है।” अपने मकान मालिक की बात सुनकर अनिकेत ने शॉक्ड होकर पूछा,  

Aniket (shocked)  - क्या बात कर रहे हो अंकल? लेकिन उनके prime-minister ने पार्लियामेंट में तो कुछ और ही बोला था। उसने कहा था कि हम डरते नहीं, पर हम शांति ज़रूर चाहते हैं, इसलिए हम उनके कमांडर को छोड़ रहें हैं।

(loud laugh) “तो क्या वो ये बोलता कि हम इंडिया से डरकर छोड़ रहे हैं? कैसी बात करता है यार तू भी। उनको जब पता लगा कि इंडिया ने अपनी 9 मिसाइलों को तैनात कर रखा है उन पर हमला करने के लिए और इंडिया किसी भी वक़्त हमला कर सकता है, तो ख़ुद उनके प्रधानमंत्री को पार्लियामेंट में आकर हमारे कमांडर को रिहा करने को लेकर स्टेटमेंट देना पड़ा था। पर्दे के पीछे का खेल अभी तुम जानते नहीं हो अनिकेत बाबू।”

पर्दे के पीछे की रियल स्टोरी जानकर अनिकेत शॉक्ड था। वो ये बात अच्छी तरह जानता था की उसके मकान मालिक को बहुत अंदर की ख़बर पता रहती है, लेकिन इतनी अंदर की बात भी वे जानते थे, ये उसको नहीं पता था। उसने फिर पूछा,

Aniket (confused) - अंकल ये तो बहुत अंदर की बातें है? आप ये सब कैसे जानते हैं? हो सकता है किसी ने आपसे झूठ बोल दिया हो? आज तो आपको रिवील करना ही पड़ेगा कि आप क्या करते हैं? Please अंकल जी, आज तो बता ही दीजिये आप।

अंकल एक बार फिर मुस्कुरा दिए। उनकी मुस्कराहट में भी राज़ छुपा था। उन्होंने अनिकेत की आँखों में देखते हुए कहा, “मैं तो बहुत कुछ जानता हूँ बच्चें, मगर तू जानकर करेगा क्या? और मेरे बारे में न जाने, वो ही अच्छा हैं तेरे लिए। जान लेगा तो मुसीबत में आ जायेगा। कई रातों तक ठीक से सो भी नहीं पायेगा तू। इतने सालों तक मेरे बारे में बिना जाने रहा, आगे भी रह ले, क्या बिगड़ जायेगा तेरा।”

अनिकेत सहम गया था। उसको देखकर उसके मकान मालिक की ऑंखें मुस्कुरा रही थी। वो समझ गया था, अंकल ज़रूर किसी सीक्रेट जगह पर काम करते हैं। ऐसा कुछ काम, जिसमें बारे में वो किसी को बता भी नहीं सकते। उसका अधूरा राज़ जानकर अब उसको डर लगने लगा था।

 

आख़िर क्या था उसके मकान मालिक सुनील शुक्ला का राज़? क्या वो सच में किसी सीक्रेट सर्विस का पार्ट था? क्या उससे डरकर अनिकेत कर देगा अपना कमरा ख़ाली? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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