अजय के बेहोश होकर गिरने से कोर्ट अगली तारीख तक टाल दी जाती है। अजय को तुरंत अस्पताल ले जाने की तैयारी होती है  यह देखकर रूपल तुरंत अजय के पास जाने के लिए वहां भीड़ को हटाती हुई आगे बढ़ती है।भीड़ में बैठा हुआ वह काली हूडी वाला आदमी वहां से खड़ा होता है और जाने लगता है। भीड़ से गुजरती हुई रूपल अजय के पास जाने के लिए संघर्ष कर रही थी। जब तक भीड़ को हटती हुई रूपल वहां से अजय के पास पहुंचती है अजय को पुलिस अस्पताल के लिए रवाना कर देती है। रूपल भी वहां से तुरंत टैक्सी पड़कर पुलिस की गाड़ी के पीछे- पीछे हॉस्पिटल जाती है। पुलिस व्हेन जयपुर के बड़े सरकारी अस्पताल में अजय को लेकर जाती है।

अस्पताल में किसी को भी अजय से मिलने की इजाजत नहीं थी। उसे हाई सिक्योरिटी मे रखा गया था। जहां पर सिर्फ डॉक्टर और नर्स जा सकते थे। डॉक्टर के निकलने के थोड़ी देर के बाद।

रूपल (मन में) - "अब मैं क्या करूं, ये लोग तो मुझे मिलने नहीं देंगे, अगर मैं इस तरह यहां पर मिली तो यह बात सबको पता चल सकती है, मुझे यहां पर अपनी पहचान नहीं बतानी है और अजय से मिलना भी है। क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है?"

तभी रूपल के कानों में कांस्टेबल की आवाज आती है जो फोन पर किसी से बात कर रहा था और वह अजय के वार्ड के दरवाजे पर पहरा दे रहा था।

कांस्टेबल - "सर...अरे कुछ नहीं, बस थोड़ा सा चक्कर आया था उसे। डॉक्टर ने कहा है कि थोड़ी देर में होश आ जाएगा और हम उसे ले जा सकते हैं। जैसे ही उसे होश आएगा, हम उसे वापस जेल में शिफ्ट कर देंगे, ओके सर।" 

तभी वहां पर थोड़ी देर के बाद एक नर्स आती है।

नर्स - "रास्ता छोड़िए, मुझे अंदर जाना है।"

कांस्टेबल - "पर अभी तो एक डॉक्टर और एक नर्स चेकअप करके गई है।"

नर्स बनकर आई रूपल कांस्टेबल से कहती है।

रूपल - "तो आपसे पूछ कर चेकअप करेंगे क्या, एक इंपॉर्टेंट इंजेक्शन देना है।"

तब कांस्टेबल का थोड़ा शक होता है और वो रूपल को ऊपर से नीचे तक देखता है और रूपल भी घबरा कर पसीना छोड़ देती है।

कांस्टेबल - "आप नर्स है?"

रूपल (हड़बड़ा कर) - "हां तो, क्या मैं पुलिस वाली लगती हूं आपको?"

कांस्टेबल - "नहीं...नहीं..कुछ नहीं, आप जा सकती है।"

कांस्टेबल दरवाजा खोल देता है और रूपल कमरे में अंदर दाखिल हो जाती है। अंदर जाकर रूपल एक लंबी सांस लेती है।

किस्मत से जब रूपल अजय के कमरे में आती है तभी अजय को होश आता है। रूपल दौड़ का अजय के पास आती है ।

रूपल - "अजय...अजय आंखें खोलो।"

अजय आंख खोलता है, रूपल को अपने सामने देखकर हैरान रह जाता है।

अजय (हैरान)- "तुम यहां कैसे?"

रूपल अजय को गले लगा लेती है और फूट- फूट कर रोने लगती है।

रूपल (रोते हुए) - "क्या हो गया...ये क्या हो गया अजय?"

अजय - "सब ठीक हो जाएगा ।"

रूपल - "नहीं अजय, मैं तुम्हें जेल नहीं जाने दूंगी। मैं सच पता कर रहूंगी। तुम उसे दिन मेरे साथ।"

अजय - "तुम ये बात किसी को नहीं बताओगी।"

रूपल - "पर क्यों अजय? अगर मैंने गवाही नहीं दी तो तुम्हें जेल हो जाएगी। मेरी गवाही से तुम बच सकते हो।"

अजय - "मुझे अपनी जान से ज्यादा तुम्हारी इज्जत प्यारी है, मैंने तुमसे प्यार किया है रूपल, इतना खुदगर्ज नहीं हो सकता हूं मैं।"

रूपल - "तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं कर रहे हो, तुम पर कितने गंभीर आरोप है तुम सोच भी नहीं सकते हो।"

अजय - "कुछ नहीं होगा मुझे, मैंने हमेशा सच का साथ दिया है, और आगे भी सच का हि साथ दूंगा, पर तुम्हारी इज्जत पर आंच नहीं आने दूंगा, तुम्हें मेरी कसम है तुम कोर्ट में गवाही नहीं दोगी।"

रूपल - "अजय...क्या कह रहे हो तुम?"

अजय - "ऊपर अगर तुम कोर्ट में आई और तुमने मेरे लिए गवाही दी तो शायद तुम मुझे बचा लो, पर एक जिंदा लाश को बचाओगे। उसके बाद मेरे जीने का कोई मकसद नहीं रहेगा। मैं तुम्हारी इज्जत नीलाम करके अपनी रिहाई नहीं चाहता।"

अजय की बात सुनकर रूपल का दिल पिघल जाता है और वो अजय को गले लगा कर जोर से रोने लगती है।

रूपल - "अजय...क्या कर रहे हो तुम, क्यों कर रहे हो? तुम्हें अच्छे से पता है उस दिन हम दोनों।"

अजय रूपल के मुँह पर हाथ रखता है।

अजय - "भूल कर भी ये बात दुनिया के सामने नहीं आनी चाहिए, नहीं तो तुम्हारा सच दुनिया के सामने आ जाएगा। मैं यह कभी नहीं चाहता। रही बात मेरी तो मुझे कुछ नहीं होगा क्योंकि मैंने कुछ नहीं किया। अब तुम यहां से जाओ और मेरी कसम याद रखना।"

रूपल के लाख समझाने पर भी अजय नहीं मानता और उसे वहां से जाने के लिए बोल देता है। रूपल भी दिल पर पत्थर रखकर वहां से चली जाती है।

माया - "विवेक सर...आपने तो कहा था कि आज के आज केस को खत्म कर देंगे।"

विवेक - "आज केस खत्म हो जाता, अगर वो अजय बीमार होने का नाटक नहीं करता तो, मेरे पास पक्का सबूत था उसके खिलाफ।"

माया - "क्या सबूत था?"

विवेक - "आई एम सॉरी माया,बट मैं यह बात डिस्कस नहीं कर सकता। यह बात मैं सीधे कोर्ट में डिसकस करूंगा क्योंकि मुझे अपने केस से रिलेटेड कोई भी बात बाहर नहीं भेजनी है, और पूरे कॉन्फिडेंशियल तरीके से केस लड़ना चाहता हूं,और तुम्हें मेरा तरीका पता है कि मैं अपने दाएं हाथ को भी पता नहीं चलने देता हूं कि मेरा बाया हाथ क्या कर रहा है।"

माया - "पर मैं आपकी क्लाइंट हूं?"

विवेक - "क्लाइंट को केस जीतने के लिए कभी- कभी क्लाइंट से भी बातें छुपानी पड़ती है।"

माया - "क्या आपको मुझ पर यकीन नहीं है?"

विवेक - "माया...तुम पर तो यकीन है पर अर्जुन पर नहीं,इसलिए जो भी सबूत है वो सीधे अगली तारीख पर कोर्ट में पेश करूंगा,और मैं वादा करता हूं कि अगली तारीख इस केस की आखिरी तारीख होगी। इसके बाद कोई तारीख नहीं मिलेगी।"

माया - "ठीक है सर, मुझे बस मेरी बेटी को इंसाफ दिलाना है।"

विवेक - "इंसाफ जरूर मिलेगा।"

अगली तारीख पर फिर कोर्ट में अजय को हाजिर किया जाता है। अर्जुन माया वहां पर होते हैं और रूपल भी सबसे चुपके से वहां पर आ जाती है और वही ब्लैक हूडी वाला आदमी भी वहां पर भीड़ में कहीं बैठा रहता है।

विवेक - "योर ऑनर्स, पिछली तारीख में अजय कुमार की तबीयत खराब होने की वजह से आपने अगली तारीख दी, पर इसकी कोई खास जरूरत थी नहीं क्योंकि पिछली तारीख पर भी मैं वो सबूत पेश करना चाहता था जो अजय कुमार को सीधा मुजरिम साबित कर देता, पर कोई बात नहीं, वो सबूत मैं आज आपके सामने पेश करूंगा।"

जज - "ठीक है...पेश कीजिये।"

अर्जुन - "कौन से सबूत की बात कर रहा है ये?"

माया - "मुझे नहीं पता, उन्होंने मुझे बताया नहीं।"

अर्जुन (हैरान) - "क्या....तुम उसकी एम्प्लॉई नहीं हो, क्लाइंट हो और वो तुमसे ही बात छुपा रहा है।"

माया - "विवेक सर, अपने सबूतों के बारे में सबको नहीं बताते, चाहे वो खुद क्लाइंट ही क्यों ना हो। उनका काम केस जीतना है और उसके लिए पूरी मेहनत करते हैं। यही उनका तरीका है।"

अर्जुन - "बड़ा ही अजीब तरीका है ।"

विवेक - "योर ऑनर...अब मैं आपके सामने एक ऐसा सबूत पेश करूंगा जो सीधे अजय कुमार को मुजरिम साबित कर देगा।"

यह सुनकर सबकी आंखें चौड़ी हो जाती है। सबकी धड़कनें तेज हो जाती है और सब की नजर विवेक के सबूत पर टिकी रहती है।

जज - "बात गोल- गोल मत घुमाइए, जो सबूत है पेश कीजिए, अदालत का कीमती समय बर्बाद मत कीजिये।"

विवेक - "Yes My Lord।"

विवेक - "योर ओनर, अब मैं आपके सामने जो रिपोर्ट पेश करने जा रहा हूं वो है अजय कुमार की सीमन सैंपल रिपोर्ट। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो सीमन सैंपल बॉडी के प्राइवेट पार्ट में पाए गए हैं वो अजय कुमार के सीमन सैंपल से डायरेक्टली मैच करते हैं। ये रही उसकी रिपोर्ट।"

विवेक जैसे ही यह रिपोर्ट जज के सामने पेश करता है सबके होश उड़ जाते हैं। अजय चौक जाता है। उसे समझ में नहीं आता है कि उसके सीमन सैंपल सिमरन की बॉडी पर क्या कर रहे थे। यह देखकर माया हैरान रह जाती है और उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं। अर्जुन भी शॉक्ड रह जाता है और उधर रुपल के यह सुनते से ही आंसू निकल जाते हैं। 

जज - "मिस्टर अजय कुमार, आपको अपनी सफाई में कुछ कहना है?"

अजय - "सर...मुझे...मुझे नहीं मालूम, कि ये सब कैसे हो गया, यह मैंने नहीं किया। मेरी बात मानीये है जज साहब, मैं सच कह रहा हूं।"

जज - "आपके पास अपनी बेगुनाही साबित करने का कोई सबूत है?"

तब अजय भीड़ में बैठी रूपल की तरफ देखता है और रूपल की आंखों में आंसू के साथ- साथ गुस्सा भी है।

रूपल (मन में) - "अजय तुम सच में ऐसा करोगे, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी। तुमने मेरे विश्वास को तोड़ा है। तुमने मेरे प्यार के साथ विश्वास घात किया है। आज मुझे तुमसे घिन आ रही है।"

रूपल रोते- रोते कोर्ट रूम से बाहर निकल जाती है। 

जज - "मिस्टर अजय, क्या आपके पास अपनी बेगुनाही का कोई सबूत है?"

अजय (रोते हुए) - "नहीं...नहीं जज साहब, मेरे पास कोई सबूत नहीं है, पर मैंने कुछ नहीं किया है।"

विवेक - "योर ऑनर...मैंने यह साबित कर दिया है कि मुजरिम अजय कुमार ने ही सिमरन राठौर का रेप और मर्डर किया था, और मेरी गुजारिश है कि आप किडनैपिंग, रेप और मर्डर की धाराएं लगाकर आरोपी को सजा सुनाएं।"

जज - "सारे सबूत और गवाह अदालत के सामने पेश किया जा चुके हैं और आरोपी अजय कुमार अपनी तरफ से कोई सबूत, गवाह पेश नहीं कर पाए, पर सारे सबूतर गवाह उनके खिलाफ है। अदालत अपना फैसला अगली तारीख पर सुनाएगी।"

कोर्ट अगली तारीख दे देती है। रूपल अजय से गुस्सा होकर मुंबई चली जाती है। अर्जुन और माया भी अपनी बेटी की पुरानी यादों के साथ रोते- रोते जीते हैं।

 

1 महीने के बाद 

अगली तारीख आ जाती है और आज अदालत अपना फैसला सुना रही है। अर्जुन और माया कोर्ट रूम में मौजूद हैं।   ब्लैक हूडी वाला आदमी भी वहीं पर रहता है जिसके हाथ में एक डायरी रहती है।

जज - "अदालत ने सारी बातों पर और सबूत पर गौर किया है और अपना फैसला सुरक्षित रखा है, तो आज अदालत सारे सबूत पर नजर रखते हुए इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी अजय कुमार पर कुमारी सिमरन राठौर के किडनैपिंग, रेप और मर्डर के सारे चार्ज साबित हो चुके हैं और वह अपने आप को बेगुनाह साबित नहीं कर पाए इसलिए अदालत उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाती है।"

अदालत का फैसला आने पर मीडिया में चारों तरफ अजय कुमार की खबरें चलती रहती हैं और इधर कोर्ट रूम में वो संदिगध आदमी अपनी डायरी खोलता है और उसमें अजय कुमार के लगे फोटो पर क्रॉस का निशान लगा देता है और वहां से चला जाता है। 

अर्जुन - "क्या बोला था तुमने,क्या वादा किया था तुमने?"

विवेक - "अर्जुन फैसला क्या सुनाया जाएगा यह जज पर डिपेंड करता है,उनके पास चॉइस रहती है और फांसी की सजा बहुत रेयर तू रेयरेस्ट केस में मिलती है।"

अर्जुन - "माया... मैंने तो पहले ही कहा था कानून पर भरोसा नहीं है मुझे।"

विवेक - "तुम भी कानून के ही रखवाले हो?"

अर्जुन - "मैं कानून का रखवाला था, अब कानून पर भरोसा नहीं रहा मुझे। मैं मेरी बेटी का बदला में लेकर रहूंगा और इसके लिए कोई कानून मुझे रोक नहीं सकता।"

यह बोलकर अर्जुन गुस्से में वहां से चला जाता है।

माया - "सॉरी विवेक सर।"

विवेक - "इट्स ओके माया।"

माया भी अर्जुन के पीछे- पीछे चली जाती है। 

विवेक (मन में) - "माया...अगर ये अर्जुन नहीं होता ना तो आज बात ही कुछ और होती।"

उत्तर मुंबई में रूपल अपनी कंपनी के कैंटीन में अपना टिफिन खा रही थी अकेली बैठी बैठी। तभी कैंटीन में लगी हुई टीवी पर ब्रेकिंग न्यूज़ आती है। अजय की फैसले की न्यूज़ देखकर धीरे- धीरे रूपल की आंखें नम हो जाती और उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगती है। वो अपने पेट पर हाथ फेरती है।

रूपल (रोते हुए) - "तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया अजय, क्यों किया?"

उधर अजय को पुलिस कस्टडी में जेल में ले जाया जाता है। अजय पुलिस वैन में ही फुट फुटकर रोता है।

अजय - "मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, मैं बेगुनाह हूँ।"

 

आगे क्या होगा?

रूपल के साथ क्या किया अजय ने? क्या अजय सच में बेगुनाह है? आगे क्या होगा अजय के साथ?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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