22 फरवरी 2022,District Court,जयपुर

कोर्ट परिसर जनता की भारी भीड़ से खचाखच भरा हुआ था। मीडिया ने इस केस को इतना फेमस बना दिया था कि सबकी नजर सिमरन राठौर मर्डर केस पर थी। वहां पर भी रिपोर्टर का जमावड़ा था और सब अपनी- अपनी रिपोर्टिंग कर रहे थे।

एक रिपोर्टर - "आप देख सकते हैं कोर्ट परिसर में कितनी भीड़ है। जनता यह जानना चाहती है कि आरोपी अजय कुमार जिसने राजकुमारी सिमरन राठौर का कत्ल किया है कोर्ट उसे क्या सजा देती है। देखिए जनता में कितना आक्रोश है, यहां पर नारेबाजी हो रही है, "अजय कुमार को फांसी दो।"

जनता का एक झुंड अजय कुमार को फांसी दो की तख्ती लिए नारेबाजी कर रहा था। वहां पर राजघराने के लोग भी पहुंच चुके थे। फुल सिक्योरिटी के बीच अर्जुन राठौर और माया वहां पहुंचते हैं।

माया - "मेरी बेटी की मौत का इतना तमाशा होगा,ये नहीं सोचा था मैंने।"

अर्जुन - "तुम्हें क्या लगता है...विवेक मंगलानी ने खुद आगे होकर यह केस ऐसे ही ले लिया है? उसे पता है कि जहां मीडिया की नजर है, वो केस उसे चाहिए। पब्लिसिटी का भूखा है वो, तमाशा पसंद है उसको।"

माया - "अब अंदर चलें ? मेरी बेटी का केस है। बात हम बाद में भी कर सकते हैं।"

अर्जुन और माया कोर्ट में चले जाते है।

वहां पर विवेक मंगलानी अपनी टीम के साथ माया से मिलता है।

विवेक - "माया...विश्वास रखो, मैं अजय कुमार को फांसी दिलवा कर रहूंगा।"

अर्जुन - "उससे उसको इंसाफ नहीं मिलेगा, मेरी बेटी को इंसाफ तभी मिलेगा जब मैं उसका बदला लूंगा।"

विवेक - "अर्जुन...मैं तुम्हारी बात समझ सकता हूं। अभी तुम इमोशनली बात कर रहे हो, पर कानून को हाथ में लेने का हक किसी को नहीं है।"

अर्जुन - "बदला तो मैं लेकर रहूंगा, चाहे कुछ भी कर लो।"

इतना कहकर अर्जुन आगे निकल जाता है।

माया - "विवेक सर, अर्जुन की बातों का बुरा मत मानिए। वो अभी मेंटली थोड़ा सा डिस्टर्ब है। सिमरन से बहुत अटैच्ड था।"

विवेक - "मैं समझ सकता हूं, इसलिए मैंने उसे ज्यादा कुछ बोला नहीं, पर तुम तो कानून की अहमियत जानती हो?"

माया - "बेस्ट ऑफ लक सर।"

विवेक - "थैंक यू...थैंक यू वेरी मच माया। मैं तुम्हें कभी दुखी नहीं होने दूंगा।"

माया हैरान होकर विवेक को देखने लगती है।

विवेक - "मेरा मतलब है,मैं तुम दोनों को कभी निराश नहीं करूंगा और तुम तो जानती हो कि मैं अपना केस कभी नहीं हारता, चलो मैं चलता हूं मुझे देर हो रही है।"

विवेक वहां से चला जाता है।

रूपल भी वहां सबसे छुपते छुपाते कोर्ट पहुंच जाती है और भीड़ में खड़ी हुई रहती है। इंस्पैक्टर अविनाश पाटील वहां पहुंचता है तो उसकी नजर रूपल पर पड़ती है। वो रूपल के पास आता है।

अविनाश - "रूपल....तुम यहां ?"

रूपल अविनाश को देखकर एकदम हैरान रह जाती है।

अविनाश - "मुझे यकीन नहीं होता कि तुम उस खूनी के लिए यहां तक आ गई हो। अभी भी तुम्हें उस पर विश्वास है?"

रूपल (गुस्से में) - "मैं उससे प्यार करती हूं अविनाश और प्यार क्या होता है ये तुम कभी नहीं समझ पाओगे। मेरा दिल कहता है अजय ऐसा कभी नहीं कर सकता, और मैं ये साबित करके रहूंगी।"

अविनाश - "रूपल... तुम्हारे मानने से कुछ नहीं होता है। मैंने उसे जानबूझकर के नहीं फसाया है, मैंने investigation की है और मुझे उसके खिलाफ सबूत मिले हैं, और उसी के आधार पर उसे गिरफ्तार किया है। अब तुम इसे मेरा बदला समझ सकती हो समझने के लिए,पर सच्चाई ये नहीं है। मैं तो तुमसे आज भी…।"

रूपल - "आगे एक शब्द भी मत कहना, मुझे तुम्हारी कोई बकवास नहीं सुननी है। मैं सिर्फ अजय से प्यार करती हूं और उसी से करती रहूंगी।"

अविनाश - "क्या रखा है उस अजय में,मुझ में क्या कमी है?"

रूपल - "जरूरी नहीं की हमेशा परफेक्ट इंसान से प्यार किया जाए,प्यार तो बस हो जाता है। कमियाँ या खूबियां नहीं देखी जाती दिल देखा जाता है, और दिल तो तुम्हारे पास है नहीं।"

इतना कहकर रूपल वहां से चली जाती है।

अविनाश - "रूपल...एक दिन तुम मुझे याद करोगी।"

कोर्ट परिसर में भीड़ में एक आदमी अपने चेहरे पर रुमाल बांधकर, black huddy (जैकेट) डालकर पहुंच जाता है। वो सब पर नजर रखता है। इंस्पैक्टर अविनाश, रूपल,माया,अर्जुन उसकी नजर सब पर रहती है और वो सर की हरकतों को और बातों को सुनता रहता है।

तभी कोर्ट परिसर में पुलिस वैन इंटर होती है और भीड़ बेकाबू होती है। पुलिस जवान भीड़ को खदेड़ते हुए वैन के लिए रास्ता बना रहे थे और वैन धीरे- धीरे कोर्ट के अंदर पहुंच रही थी। भीड़ इतनी बेकाबू हो रही थी कि भीड़ ऊपर से ही जूते और चप्पल फेंक रही थी क्योंकि वैन की जालियों में से अंदर बैठा हुआ अजय कुमार जनता को दिखाई दे रहा था। अंदर बैठा अजय डर के मारे बैठा रहता है।

पुलिस वैन कोर्ट के गेट के सामने तक आकर खड़ी हो जाती है और पुलिस जवान अजय के निकलने के लिए रास्ता बनाते हैं। दो कांस्टेबल अजय को हथकड़ी पहनाकर वैन का दरवाजा खोलते हैं।

अजय डरते हुए भीड़ को देखता है। भीड़ में हर एक इंसान के चेहरे पर गुस्सा था। अगर इस भीड़ के हवाले अजय को कर दिया जाता तो अजय की जान ले लेते। अजय के खिलाफ नारेबाजी हो रही थी। कांस्टेबल अजय को धक्का देकर बाहर निकाल देता है और अजय को पुलिस के घेरे में कोर्ट के अंदर तक लाया जाता है। रास्ते में भीड़ बेकाबू होती है और दो- चार थप्पड़ और चप्पल अजय के मुंह पर पड़ जाते है। अजय रोता हुआ पुलिस से बचता हुआ कोर्ट के अंदर तक लाया जाता है।

सभी लोग कोर्ट रूम में पहुंच जाते हैं और विवेक ओपनिंग नोट देता है।

विवेक - "योर ऑनर कटघरे में जो इंसान खड़ा है,आप उसकी भोली सूरत और सीधे- साधे कद काठी पर मत जाइए। इस भोले भाले से दिखने वाले इंसान ने ऐसा जघन्य अपराध किया है कि इंसानियत भी शर्मसार हो जाए। मैं आपके सामने कुछ सबूत पेश करूंगा जिससे यह साबित हो जाएगा कि आरोपी अजय कुमार ने एक 13 साल की मासूम सिमरन राठौर का कत्ल किया है और उससे पहले उसका बलात्कार।"

यह सुनकर अर्जुन का खून ख़ोल उठता है।

कुछ दलीलों के बाद जज उसे सबूत पेश करने के लिए कहते हैं और विवेक मंगलानी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहता है।

विवेक - "योर ऑनर, ये रही पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जिसमें साफ लिखा हुआ है कि कत्ल से पहले सिमरन को कई घंटे तक टॉर्चर किया गया और उसके साथ कई बार बलात्कार हुआ है।"

अर्जुन (हैरान होकर) - "माया...क्या कह रहा है ये,ये गलत है?"

माया - "तुम पागल हो गए हो क्या अर्जुन, वो तुम्हारी बेटी का केस लड़ रहा है।"

अर्जुन - "तो ये वाली बात अदालत में उछलने की क्या जरूरत है।"

माया - "तुम सच में पागल हो गए।"

अर्जुन - "ये पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदली गई है,पीएम रिपोर्ट मेरे पास जो डॉक्टर ने बताई थी वह अलग थी।"

माया - "क्या क्या कह रहे हो तुम?"

अजय - "मुझे पता है की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी अदला बदली हो सकती है, इसलिए मैं जानता था और मैंने अपने आदमी लगा दिए थे। डॉक्टर से सीधे बात की है मैंने।"

माया - "क्या...क्या कहा डॉक्टर ने ?"

अर्जुन - "डॉक्टर ने कहा था सिमरन के साथ सेक्सुअल एक्टिविटी हुई है पर कोई जोर जबरजस्ती नहीं हुई। म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग से हुआ है।"

यह सुनकर माया हैरान रह जाती हो।

माया - "तुम्हें पता भी है कि तुम क्या बोल रहे हो?"

अर्जुन - "मैं नहीं बोल रहा हूं, यह सच है।"

माया - "यह सच मुझे भी पता था अर्जुन।"

अर्जुन (हैरान) - "क्या?"

माया - "हां... सच मुझे भी पता था,पर इस सच को दबाना होगा।"

अर्जुन - "पर क्यों?"

माया - "तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारे इस सच के बाहर आने से तुम्हारी इज्जत बच जाएगी। 13 साल की लड़की,जो खुद अपनी मर्जी से बाहर गई, अपनी मर्जी से उसने सम्भन्ध बनाये,  तुम क्या उस पर कोई चार्ज लगा सकते हो?"

अर्जुन - "माइनर थी वो, अगर नाबालिग अपनी मर्जी से भी सब कुछ करें, तो भी रेप चार्जेस ही लगेंगे माया, ये मुझसे बेहतर तुम जानती हो।"

माया - "पर तुम्हारी सिमरन की इज्जत नहीं बचेगी, बदनाम हो जाती वो, इसलिए मुझे यह करना पड़ा, और इस बारे में विवेक सर ने मुझे पहले ही बता दिया था कि वो उस पर किडनैपिंग, रेप और मर्डर के चार्ज लगवाएंगे।वो साबित कर लेंगे। मुझे उन पर भरोसा है।"

अर्जुन - "इसका नाम विवेक मंगलानी है, ऐसे ही नहीं केस जीतता है ये।"

माया - "मुझे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाना है,कैसे भी करके।"

अजय माया से नाराज हो जाता है।

विवेक - "योर ओनर, अजय कुमार ने सिमरन को घर से बाहर अकेला पाया तो उसे बहला फुसला कर अपने साथ ले गया और उसके साथ जबरदस्ती करने लगा। जब सिमरन ने विरोध किया तो अजय कुमार ने उसे टॉर्चर किया उसके साथ रेप किया, एक बार नहीं,कई बार। वो चीखती रही, चिल्लाती रही, पर अजय कुमार रुका नहीं और वो टॉर्चर सहन नहीं कर पाई और दुनिया को अलविदा कह गई। अजय कुमार उसे वहीं छोड़कर भाग निकला।"

यह दलीलें सुनने के बाद माया और अर्जुन की आंखों में आंसू थे।

अजय (चिल्लाता हुआ) - "ये झूठ है,सब झूठ है। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, यकीन मानिए जज साहब, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया,ये मेरे खिलाफ साजिश है।"

जज - "ऑर्डर...ऑर्डर...ऑर्डर...देखिए आपके खिलाफ सबूत पेश किए गए हैं। अगर आपको इन सबूतो के खिलाफ कुछ सबूत पेश करना है, कोई गवाह पेश करना है तो आप कर सकते हैं। आपको आपकी बेगुनाही साबित करनी होगी कोर्ट में। क्या आपके पास कोई गवाह है, जो ये साबित कर सके की ये सब आपने नहीं किया?"

अजय सुनकर हैरान रह जाता है। उसकी आंखों में आंसू थे और तभी उसकी नजर कोर्ट की भीड़ में बैठी हुई रूपल पर पड़ती है। रूपल का चेहरा ढका हुआ था पर अजय उसे पहचान गया था। रूपल की आंखें भी नम थी। 

जज - "मिस्टर अजय कुमार, क्या आप अपनी बेगुनाही साबित कर सकते हैं?"

रूपल बेचैन हो रही थी और इधर अजय भी रूपल को सबकी नजर से छुपा कर देख रहा था। 

अजय (मन ही मन) - "रुपल...तुम यहां क्यों आई? अगर तुम ये सोचकर आई हो कि मुझे बचा लोगी, तो तुम गलत हो। मैं तुम पर कोई आंच नहीं आने दूंगा। प्लीज...चली जाओ।"

रूपल (मन ही मन) - "अजय...मैं तुम्हें कहीं नहीं जाने दूंगी।"

विवेक मंगलानी अजय पर सवालों के बाण चला रहा था। 

विवेक - "मिस्टर अजय कुमार, आप कह रहे हैं कि आपने यह खून नहीं किया?"

अजय - "हाँ...मैंने ये खून नहीं किया।"

विवेक - "आपके पास कोई सबूत है?"

अजय - "खूनी को खूनी साबित करने के लिए सबूत चाहिए होता है, बेगुनाह को नहीं।"

विवेक - "शायद आप किसी और दुनिया में रहते हैं, और आपको पता नहीं कि आप अभी कहां खड़े हैं। आप अदालत में खड़े हैं और यहां आपको आपकी बेगुनाही साबित करनी होगी, क्योंकि मैं तो आपको खूनी साबित कर ही दूंगा। मेरे पास आपके खिलाफ सबूत है।"

अजय हैरान रह जाता है।

विवेक - "आप 14 फरवरी को कहां थे?"

अजय - "मैं अपने घर पर था,मुंबई में।"

विवेक (चिल्लाता हुआ) - "योर ऑनर, ये आदमी सरासर झूठ बोल रहा है। मेरे पास सबूत है कि 14 और 15 फरवरी को अजय ने अपने ऑफिस से छुट्टी ली थी और यह रिकॉर्ड है।"

अजय - "मैंने कब कहा कि मैं ऑफिस गया था, मैंने आपसे यह कहा है कि मैं घर पर था मुंबई में।"

विवेक - "अच्छा तो आपके पास कोई सबूत है कि आप घर पर थे? कोई गवाह है आपके पास?"

अजय - "कैसी बात कर रहे हैं आप, अगर कोई इंसान अपने घर पर रहता है तो उसके लिए भी उसे सबूत इकट्ठे करने होंगे क्या?"

विवेक - "बातों को घुमाने की कोशिश मत करो, मैं साबित कर दूंगा कि तुम उस दिन जयपुर में थे और तुमने ही खून किया है। तुम्हारे पास क्या सबूत है कि तुम उस दिन मुंबई में थे। कोई गवाह है आपके पास?"

अजय घबरा जाता है और वो भीड़ में बैठी रूपल की तरफ देखने लगता है। रूपल भी घबरा जाती है।

रूपल (मन मे) - "आज मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगी। मैं हूं तुम्हारी गवाह।"

रूपल गवाही देने के लिए अपनी जगह से उठती है।

अजय - "मेरे पास कोई गवाह नहीं है, कोई सबूत नहीं है कि मैं उस दिन मुंबई में था।"

यह सुनकर रूपल के कदम वहीं रुक जाते हैं और वह हैरान हो जाती है।

रूपल (मन में) - "क्या कर रहे हो तुम,तुम उस दिन मेरे साथ थे।"

अजय - "योर ऑनर...मेरे पास कोई सबूत नहीं है।"

विवेक - "योर ऑनर...अजय कुमार के पास कोई सबूत नहीं है पर मेरे पास अजय के जयपुर में होने के और घटनास्थल पर होने के भी सबूत है, और वो मैं आपके सामने पेश कर रहा हूं।"

यह सुनते ही अजय का दिमाग घूमने लगता है। उसके सामने सारी दुनिया घूमने लगती है। उसको चक्कर आने लगते हैं और वो वहीं बेहोश होकर गिर पड़ता है।

 

 आगे क्या हुआ जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग। 

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