14 फरवरी 2022, रतनगढ़ महल, रतनगढ़ 

माया अपने कमरे में अपने कपड़े समेट रही थी और साथ में सिमरन का बैग भी जमा रही थी। सिमरन मुंह फुला कर बेड पर बैठी थी।

सिमरन- "मम्मी प्लीज...मुझे यहां पर बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज हम कुछ दिन और नहीं रुक सकते क्या?"

माया- "सिमी… नो बेबी,तुम्हारे एग्जाम्स सर पर है, वो तो बर्थडे था और तुम्हारी दादी ने अर्जेंट बुलाया था, वरना हम यहां नहीं आते। नेक्स्ट मंथ तुम्हारे एग्जाम हैं। एग्जाम के बाद आ जाना।"

सिमी- "मम्मा प्लीज। दो-तीन दिन नहीं रुक सकते क्या, मैं कवर कर लूंगी,आई प्रॉमिस।"

माया- "सिम्मी,एक बार कहा ना, नो मिंस नो। अब कोई डिस्कशन नहीं होगा इस बात पर।"

सेमी उदास होकर बैठ जाती है। तभी कमरे में अर्जुन आता है और माया को देखता है।

अर्जुन- "ये क्या कर रही हो तुम, कहां जाने की तैयारी हो रही है?"

माया- "मुंबई जाने की और कहां, वापस नहीं चलना है क्या?"

अर्जुन- "आई थिंक, हम कुछ दिन के लिए आए थे राइट?"

माया- "चार दिन हो गए अर्जुन,बमैं इतने दिन नहीं रूक पाऊंगी और तुम जानते हो ना विवेक सर को। कितने स्ट्रिकड है। वो तो मुझे छुट्टी भी नहीं दे रहे थे। बड़ी मुश्किल से छुट्टी लेकर आई हूं। एक अर्जेंट केस की हियरिंग है कल सुबह, तो मुझे आज रात तक एनीहाउ मुंबई पहुंचना ही होगा।"

अर्जुन- "ओह...आई सी।"

तभी अर्जुन की नजर सिमरन पर पड़ती है। सिमरन का चेहरा उदास और लटका हुआ रहता है। 

अर्जुन- "अरे बाप रे, मेरा शेर बच्चा ऐसा उदास क्यों बैठा है,क्या हुआ मेरी परी को?"

माया- "मैडम को यहां रुकना है और अगले मंथ एग्जाम हैं,उसकी तो कोई चिंता है ही नहीं।"

अर्जुन- "अरे मेरी बेटी बहुत इंटेलिजेंट है, ऐसे ही थोड़ी क्लास में टॉप करती है हर बार।"

माया- "देखो अर्जुन मैंने तुमसे पहले ही कहा था, पढ़ाई को लेकर मैं कंप्रोमाइज नहीं करूंगी।"

अर्जुन- "पर यहां आने का फैसला भी तो तुम्हारा ही था।"

माया- "यहां आना जरूरी था, पर यहां रहना जरूरी नहीं है ।"

अर्जुन (सिमरन के कान में)- "क्या हुआ ?"

सिमरन- "पापा...मुझे दो- तीन दिन के लिए रुकना है,पर मां रुकने नहीं दे रही है।"

अर्जुन- "ठीक है, मैं कुछ चक्कर चलाता हूं।"

सिमरन के चेहरे पर स्माइल आ जाती है।

सिमरन- "सच पापा?"

अर्जुन- "मेरी परी, बस देखती जा।"

अर्जुन- "अरे माया, ऐसा नहीं हो सकता कि तुम अकेली चली जाओ और मैं यहां सिमी को लेकर रुक जाऊं दो- तीन दिन।"

माया हाथ बंद करके दोनों को देखने लग जाती है। अर्जुन और सिमरन माया के सामने डरे से खड़े होते हैं।

माया- "मिस्टर अर्जुन सिंह राठौड़,सॉरी कुँवर अर्जुन सिंह राठौड़ आप राजकुमार हैं रतनगढ़ के,पर मेरे घर की मिनिस्टर में हूं,यहां फैसले मैं लूंगी और जहां तक सिमरन का केस है तो वो मैं ही हैंडल करूंगी।"

अर्जुन- "अरे मुझे मालूम है कि तुम घर की होम मिनिस्टर हो, पर मैं तो सिर्फ कह रहा हूं कि मैं और सिमरन 2 दिन बाद आ जाएंगे, इसमें क्या फर्क पड़ता है।"

माया- "तुमने अपनी बेटी को सर पर चढ़ा रखा है।"

अर्जुन (बड़बड़ाते हुए)- "बेटी होती ही है सर पर चढ़ाने के लिये।"

माया- "क्या बोला?"

अर्जुन- "नहीं...नहीं मैं तो बस ऐसे ही, मैं क्या कह रहा था कि मैं आ जाऊंगा ना,हम दोनों रह लेंगे। कोई बात नहीं और यहां सब है संभाल लेंगे सिम्मी को, और वैसे भी महल इतना बड़ा है कि उसे घूमने के लिए गाड़ी की जरूरत पड़ेगी।"

सिमरन- "मम्मा प्लीज, प्लीज दो दिन की तो बात है। मैं 2 दिन बाद पापा के साथ आ जाऊंगी....प्लीज....प्लीज... प्लीज।"

अर्जुन- "मान जाओ माया, मेरा यकीन करो मैं उसका ख्याल रखूंगा।"

माया (एक लंबी सांस लेकर)- "ठीक है,ओके,पर दो दिन मतलब दो दिन, उसके बाद और दिन आगे नहीं बढ़ेंगे।"

सिमरन खुशी के मारे उछल जाती है।

सिमरन- "थैंक यू मम्मी, आई लव यू,आई लव यू।"

अर्जुन- "थैंक यू माया, आई लव यू।"

अर्जुन उसके गले लगने लगता है तब माया उसे आंख दिखाती है।

माया- "थोड़ी तो शर्म करो सिमरन के आगे, कहीं भी शुरू हो जाते हो तुम।"

अर्जुन- "प्यार करने का कोई टाइम नहीं होता।"

माया धीरे से अर्जुन को हाथ से टल्ल मार देती है और तीनों हंसने लगते हैं।

कुछ देर बाद माया एयरपोर्ट के लिए निकलती है और गाड़ी में बैठने टाइम सिमरन को फिर इंस्ट्रक्शन देती है।

माया- "सिमरन नो मस्ती, और बाहर कहीं भी जाना है तो पापा के साथ ही जाना,यह जगह तुम्हारी देखी हुई नहीं है, यूं ही मत इधर- उधर टहलती रहना।"

अर्जुन- "अरे...तुम चिंता क्यों कर रही हो यार। राजा महाराजाओं के टाइम का महल नहीं है। Fully सिक्योर्ड जगह- जगह पर कैमरे लगे हुए हैं। कहीं नहीं जाएगी वो।"

माया- "ठीक है,ख्याल रखना अपना।"

माया गाड़ी में बैठती है और एयरपोर्ट के लिए निकल जाती है।

पूरा दिन सिमरन अर्जुन की आंखों के सामने ही महल घूमती रहती है और रात को अपने कमरे में चली जाती है।

सिमरन- "गुड नाइट पापा, लव यू पापा।"

अर्जुन (हैरान)- "आप इतनी जल्दी क्यों सो रही हैं, आप इतनी जल्दी क्यों सो रही हैं, अभी तो शाम की 7 बजे हैं? आपकी तबीयत तो ठीक है?"

सिमरन- "पापा, बर्थडे में बहुत थक गई हूं। मैं बिल्कुल ठीक हूं,सो जाऊंगी,आराम करूंगी तो ठीक हो जाऊंगी।"

अर्जुन- "ठीक है,आप आराम कीजिए। लव यू बेटा,कल सुबह हम आपको एक नई जगह घुमाने ले जाएंगे, जंगल सफारी करने।"

सिमरन- "सच में पापा।"

अर्जुन- "हां।"

 

रात को 11:00 बजे माया का फोन अर्जुन के पास आता है।

अर्जुन- "बोलिए मैडम,फुर्सत मिल गई पति से बात करने के लिए?"

माया- "बहुत काम था यार आज, बिल्कुल भी टाइम नहीं मिला। कल के केस की तैयारी कर रही हूं। सिमी कैसी है ?"

अर्जुन- "बढ़िया है, आज तो शाम को 7:00 बजे कमरे में चली गई, सो गई थी।"

माया को थोड़ा अजीब लगता है।

माया- "शाम को 7:00 बजे?"

अर्जुन- "हां, वो कह रही थी कि थोड़ी थक गई है, आराम करेगी नींद आ रही है उसको।"

माया- "उसके कमरे में जाने के बाद तुमने जाकर देखा उसे?"

अर्जुन- "अब वो सोई हुई तो क्या देखूँ जाकर, सो गई होगी।"

माया- "अर्जुन, पता नहीं मेरे मन में कुछ अजीब सी फीलिंग आ रही है, एक बार तुम उसके कमरे में जाकर देखो ना।"

अर्जुन- "कैसी बात कर रही हो माया, 4 घंटे हो गए उस कमरे में गए हुए।"

माया- "अर्जुन प्लीज,मेरी बात मान लो। एक बार जाकर देखो मेरे लिए प्लीज।"

अर्जुन- "ठीक है बाबा,ठीक है,जा रहा हूं।"

अर्जुन सिमरन के कमरे तक जाता है और धीरे से उसके कमरे का दरवाजा खोलता है। कमरे में मध्यम रोशनी चल रही थी और पलंग पर रजाई ओड़कर सिमरन लेटी हुई थी। अर्जुन ने सिमरन का चेहरा नहीं देखा सिर्फ रजाई में कोई लेटा है ये देखा था।

अर्जुन- "मैंने कहा था ना माया, वो सोई हुई है, अब तुम कहो तो उसे जगा दूँ?"

माया- "नहीं...नहीं ठीक है,मुझे तसल्ली हो गई।"

माया फोन रख देती है। अर्जुन भी अपने कमरे में सोने के लिए चला जाता है।

सुबह- सुबह 7:00 अर्जुन के कमरे का दरवाजा एक नौकर जोर- जोर से ठोक रहा था।

नौकर- "कुंवर सा...जल्दी दरवाजा खोलिये।"

अर्जुन नींद में उठता है और दरवाजा खोलता है।

अर्जुन (डांटते हुए)- "तुम्हें समझ नहीं आता क्या,हम इतनी गहरी नींद में सो रहे थे। हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी हमें जगाने की।"

नौकर- "कुँवर सा...वो सिमरन बेबी।"

अर्जुन (चोंककर)- "क्या हुआ...क्या हुआ सिमरन को ?"

नौकर- "आप जल्दी चलिए।"

अर्जुन दौड़कर सिमरन के कमरे में जाता है। वहां पर दो- तीन नौकर और खड़े रहते हैं। महारानी पद्मदेवी भी खड़ी रहती है।

पद्मदेवी (रोते हुए)- "अर्जुन...देखिए ये क्या हो गया और वह बेड की तरह इशारा करती है।"

अर्जुन धीरे धीरे आगे कदम बढ़ाता है और उसकी धड़कनें तेज़ होने लगती है। अर्जुन जाकर बेड को देखता है,तो जिस रजाई को देखकर वो रात को गया था। उसके नीचे सिर्फ तकिये रखे हुए थे। अर्जुन के होश उड़ गए।

अर्जुन (चिल्लाकर)- "कहां है सिमरन,कहां गई?"

नौकर (घबराकर)- "कुंवर सा,हम कुछ नहीं जानते। हमने शाम को 7:00 के बाद सिमरन बाईसा को नहीं देखा कमरे से बाहर आते हुए।"

अर्जुन- "तो आसमान निगल गया या जमीन खा गई उसे, वो कैसे जा सकती है बाहर,ढूंढो उसे। पूरे महल का चप्पा चप्पा छान मारो।"

पद्मदेवी- "अर्जुन, ये बात बाहर नहीं जानी चाहिए महल से।"

अर्जुन (चिल्लाते हुए)- "मां आप शांत हो जाइए प्लीज, आपको आपकी महल की इज्जत की पड़ी हुई है। मुझे मेरी बच्ची की चिंता है।"

अर्जुन उस दिन की यह सभी यादें सोच रहा था और सोचते सोचते एकदम रो पड़ता है। 

अर्जुन (रोते हुए)- "मैं लापरवाह नहीं हूं माया, मैंने बहुत कोशिश की अपनी बेटी को ढूंढने की, सारे सीसीटीवी कैमरे की रिकॉर्डिंग छान मारी,पर कहीं भी वो दिखाई नहीं दी। पता नहीं वो कैसे बाहर चली गई। मेरी वजह से नहीं गई है वो।"

माया (चिल्लाते हुए)- "तुम्हारी वजह से ही गई है, अगर तुम जिद नहीं करते उसे रोकने की तो आज वो जिंदा होती।"

माया भी रोते हुए वहां से चली जाती है।

 

22 फरवरी 2022,District Court,जयपुर

कोर्ट परिसर जनता की भारी भीड़ से खचाखच भरा हुआ था। मीडिया ने इस केस को इतना फेमस बना दिया था कि सबकी नजर सिमरन राठौर मर्डर केस पर थी। वहां पर भी रिपोर्टर का जमावड़ा था और सब अपनी-अपनी रिपोर्टिंग कर रहे थे।

एक रिपोर्टर -"आप देख सकते हैं कोर्ट परिसर में कितनी भीड़ है। जनता यह जानना चाहती है कि आरोपी अजय कुमार जिसने राजकुमारी सिमरन राठौर का कत्ल किया है कोर्ट उसे क्या सजा देती है। देखिए जनता में कितना आक्रोश है, यहां पर नारेबाजी हो रही है, "अजय कुमार को फांसी दो।"

जनता का एक झुंड अजय कुमार को फांसी दो की तख्ती लिए नारेबाजी कर रहा था। वहां पर राजघराने के लोग भी पहुंच चुके थे। फुल सिक्योरिटी के बीच अर्जुन राठौर और माया वहां पहुंचते हैं।

माया -"मेरी बेटी की मौत का इतना तमाशा होगा,ये नहीं सोचा था मैंने।"

अर्जुन -"तुम्हें क्या लगता है...विवेक मंगलानी ने खुद आगे होकर यह केस ऐसे ही ले लिया है? उसे पता है कि जहां मीडिया की नजर है, वो केस उसे चाहिए। पब्लिसिटी का भूखा है वो, तमाशा पसंद है उसको।"

माया -"अब अंदर चलें ? मेरी बेटी का केस है। बात हम बाद में भी कर सकते हैं।"

अर्जुन और माया कोर्ट में चले जाते है।

वहां पर विवेक मंगलानी अपनी टीम के साथ माया से मिलता है।

विवेक -"माया...विश्वास रखो, मैं अजय कुमार को फांसी दिलवा कर रहूंगा।"

अर्जुन -"उससे उसको इंसाफ नहीं मिलेगा, मेरी बेटी को इंसाफ तभी मिलेगा जब मैं उसका बदला लूंगा।"

विवेक -"अर्जुन...मैं तुम्हारी बात समझ सकता हूं। अभी तुम इमोशनली बात कर रहे हो, पर कानून को हाथ में लेने का हक किसी को नहीं है।"

अर्जुन -"बदला तो मैं लेकर रहूंगा, चाहे कुछ भी कर लो।"

इतना कहकर अर्जुन आगे निकल जाता है।

माया -"विवेक सर, अर्जुन की बातों का बुरा मत मानिए। वो अभी मेंटली थोड़ा सा डिस्टर्ब है। सिमरन से बहुत अटैच्ड था।"

विवेक -"मैं समझ सकता हूं, इसलिए मैंने उसे ज्यादा कुछ बोला नहीं, पर तुम तो कानून की अहमियत जानती हो?"

माया -"बेस्ट ऑफ लक सर।"

विवेक -"थैंक यू...थैंक यू वेरी मच माया। मैं तुम्हें कभी दुखी नहीं होने दूंगा।"

माया हैरान होकर विवेक को देखने लगती है।

विवेक -"मेरा मतलब है,मैं तुम दोनों को कभी निराश नहीं करूंगा और तुम तो जानती हो कि मैं अपना केस कभी नहीं हारता, चलो मैं चलता हूं मुझे देर हो रही है।"

विवेक वहां से चला जाता है।

रूपल भी वहां सबसे छुपते छुपाते कोर्ट पहुंच जाती है और भीड़ में खड़ी हुई रहती है। इंस्पैक्टर अविनाश पाटील वहां पहुंचता है तो उसकी नजर रूपल पर पड़ती है। वो रूपल के पास आता है।

अविनाश -"रूपल....तुम यहां ?"

रूपल अविनाश को देखकर एकदम हैरान रह जाती है।

अविनाश -"मुझे यकीन नहीं होता कि तुम उस खूनी के लिए यहां तक आ गई हो। अभी भी तुम्हें उस पर विश्वास है?"

रूपल (गुस्से में) -"मैं उससे प्यार करती हूं अविनाश और प्यार क्या होता है ये तुम कभी नहीं समझ पाओगे। मेरा दिल कहता है अजय ऐसा कभी नहीं कर सकता, और मैं ये साबित करके रहूंगी।"

अविनाश -"रूपल... तुम्हारे मानने से कुछ नहीं होता है। मैंने उसे जानबूझकर के नहीं फसाया है, मैंने investigation की है और मुझे उसके खिलाफ सबूत मिले हैं, और उसी के आधार पर उसे गिरफ्तार किया है। अब तुम इसे मेरा बदला समझ सकती हो समझने के लिए,पर सच्चाई ये नहीं है। मैं तो तुमसे आज भी…।"

रूपल -"आगे एक शब्द भी मत कहना, मुझे तुम्हारी कोई बकवास नहीं सुननी है। मैं सिर्फ अजय से प्यार करती हूं और उसी से करती रहूंगी।"

अविनाश -"क्या रखा है उस अजय में,मुझ में क्या कमी है?"

रूपल -"जरूरी नहीं की हमेशा परफेक्ट इंसान से प्यार किया जाए,प्यार तो बस हो जाता है। कमियाँ या खूबियां नहीं देखी जाती दिल देखा जाता है, और दिल तो तुम्हारे पास है नहीं।"

इतना कहकर रूपल वहां से चली जाती है।

अविनाश -"रूपल...एक दिन तुम मुझे याद करोगी।"

कोर्ट परिसर में भीड़ में एक आदमी अपने चेहरे पर रुमाल बांधकर, black huddy (जैकेट) डालकर पहुंच जाता है। वो सब पर नजर रखता है। इंस्पैक्टर अविनाश, रूपल,माया,अर्जुन उसकी नजर सब पर रहती है और वो सर की हरकतों को और बातों को सुनता रहता है।

 

आगे क्या होगा?

कौन है वो ब्लैक हुड्डी वाला? क्या है अविनाश और रूपल का रिश्ता? रूपल किससे छुप रही है?

जानने के लिए पढिये कहानी के अगले भाग।

 

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