रात का घना अँधेरा था, शहर से दूर एक वीरान जगह पर।
सिंडिकेट के 'बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स' की इमरजेंसी मीटिंग चल रही थी। ये लोग सिंडिकेट के सबसे ऊपर के लोग थे, जिनकी बातें ही कानून थीं। कमरा एकदम अँधेरा था, बस बीच में एक मोमबत्ती टिमटिमा रही थी, जिसकी लौ हवा के हर झोंके से ऐसे काँप रही थी जैसे उसे भी डर लग रहा हो। सबने काले लबादे पहन रखे थे, चेहरे ढके हुए थे। उनकी आवाज़ें इतनी धीमी थीं कि मुश्किल से सुनाई दे रही थीं, पर उनमें एक अजीब सी दहशत थी। हवा में खून और डर की अजीब सी गंध फैली हुई थी।
सबसे पहले, एक मोटा-तगड़ा आदमी, जिसकी आवाज़ में अजीब सी खड़खड़ाहट थी, चुप्पी तोड़ते हुए बोला। “हमें खबर मिली है। उस 'प्रोडक्ट' को लेकर हाल ही के कुछ दिनों में काफी गड़बड़ियां हुई हैं?”
मोमबत्ती की लौ पर एक परछाई काँपी। एक और आदमी, जिसकी आवाज़ में निराशा थी, बोला, “ये हमारे प्लान का हिस्सा नहीं था। हमें अभी-अभी पता चला है कि वो 'प्रोडक्ट' कितना इंपॉर्टेंट है। वो कोई सड़क से उठाया गया आवारा नहीं था, बल्कि वह किसी अहम फैमिली का सदस्य था।”
तभी, कमरे के सबसे छोर पर बैठा आदमी, जो सिंडिकेट का चीफ था, बोला। उसकी आवाज़ उतनी गहरी नहीं थी, जितनी पावरफुल, पर उसमें एक अजीब सी झुंझलाहट साफ दिख रही थी। “मुझे पता है। मैंने सिचुएशन को अंडरएस्टीमेट किया।”
"सिचुएशन को अंडरएस्टीमेट किया?" एक और आदमी ने पूछा, उसकी आवाज़ में गुस्सा भरा था। “ये तो हमारी अब तक की सबसे बड़ी गलती है! हमें पता चला है कि माया इवानोवना रूस के सबसे ताकतवर परिवारों में से एक की बेटी है! उनका इंटरनेशनल इन्फ्लुएंस (अंतरराष्ट्रीय प्रभाव) हमारी सोच से भी परे है!”
कमरे में फुसफुसाहट फैल गई, जैसे जंगल में आग लग गई हो। एक पुरानी, खुरदुरी आवाज़ ने बात संभाली, “हमें अपनी लिमिट्स पता हैं। हम उनके परिवार की विरासत का सम्मान करते हैं। हमारी फैमिली ने जनरेशन से इस आर्गेनाइजेशन को संभाला है, और हमने हमेशा एक बैलेंस बनाकर रखा है। हमने कभी किसी ऐसी फैमिली से सीधा पंगा नहीं लिया, जो हम से ऊपर हो।”
"और अब तुमने ये करके, हमारी पीढ़ियों की मेहनत पर पानी फेर दिया," एक और मेंबर ने आरोप लगाया। “ये तुम्हारी बहुत बड़ी चूक है, मुखिया! ये कोई छोटी-मोटी गलती नहीं है, ये एक डिजास्टर है!”
चीफ, जो अभी तक शांत था, उसने अब अपनी गर्दन झुका दी। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी घुटन थी, जैसे वो दर्द में हो, या शर्मिंदा हो।
“मैं जानता हूँ। मैंने सिचुएशन को कम आँका। मुझे लगा कि ये एक आसान टारगेट है, एक और नॉर्मल 'प्रोडक्ट'। मैंने इस परिवार की पावर का अंदाज़ा नहीं लगाया।”
"अंदाज़ा नहीं लगाया?" पतली आवाज़ वाला आदमी फिर से बोला। “तुम्हारा ये अंदाज़ा हमें बहुत भारी पड़ सकता है! उनके पिता अगर इस मैटर में इन्वॉल्व हुए, तो हमारी नींव हिल जाएगी। हमारी सारी सीक्रेट प्रोजेक्ट्स, हमारे नेटवर्क... सब कुछ दांव पर लग जाएगा।”
"हमेशा से हमारा प्रिंसिपल रहा है कि हमें किसी ऐसे पेड़ को नहीं छूना चाहिए जिसकी जड़ें बहुत गहरी हों।" खुरदुरी आवाज़ ने दोहराया। “तुम्हारे पिता ने भी इस रूल को फॉलो किया था। इस काम में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई? और वो मेल्विन कौन है? वो हमारे काम में क्यों अड़ंगा डाल रहा है?”
चीफ ने सिर उठाया, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे दर्द और गुस्से का मिक्सचर हो। “मेल्विन एक प्यादा था, जिसे नितिन ने यूज किया। मुझे लगा कि वो हमारे लिए फायदेमंद साबित होगा, पर वो अनकंट्रोलेबल हो गया।”
"अनकंट्रोलेबल?" एक और मेंबर ने तंज कसा। “तुमने अपने ही मोहरों पर कंट्रोल खो दिया, और अब एक ऐसे परिवार से पंगा ले लिया है जिससे हम कभी पंगा नहीं लेना चाहते थे। ये तुम्हारी लीडरशिप पर सवाल उठाता है, मुखिया।”
कमरे में इतना तनाव बढ़ गया था कि मोमबत्ती की लौ भी काँप रही थी, जैसे किसी अनहोनी का संकेत दे रही हो। मुखिया की आवाज़ में अब पहली बार माफी का भाव था, पर उसमें एक अजीब सी मजबूरी भी थी। “मैं माफ़ी चाहता हूँ। ये मेरी गलती है। मैं इस सिचुएशन को सुधारने का हर पॉसिबल एफर्ट करूँगा।”
एक गहरी आवाज़ ने कहा, “ये माफ़ी इनफ नहीं है। इस गलती का खामियाजा हमें उठाना पड़ेगा। हमें इमीडिएट स्टेप्स लेने होंगे। सबसे पहले, मेल्विन को कंट्रोल करना होगा। वो बहुत कुछ जानता है।”
"और नितिन का क्या?" पतली आवाज़ ने पूछा। “उसे क्यों छूट दी गई थी?”
मुखिया ने एक लंबी साँस ली, जैसे कोई बड़ा फैसला सुनाने वाला हो। "नितिन... उसकी ज़रूरत थी। लेकिन अब उसकी ज़रूरत नहीं रही। उसे भी शांत करना होगा।" उसकी आवाज़ में अब कोई पछतावा नहीं था, सिर्फ़ एक ठंडी क्रूरता थी, जो किसी भी कीमत पर अपनी गलती सुधारने को तैयार थी।
अँधेरे में, सब एक-दूसरे को देख रहे थे। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, बस एक अजीब सी भयानक चुप्पी थी। मोमबत्ती की लौ धीमी पड़ गई, जैसे वो भी इस भयावह साज़िश का हिस्सा हो। सिंडिकेट के भीतर ही अब एक नई दरार पड़ चुकी थी, और इस दरार का खामियाजा कई बेगुनाहों को भुगतना पड़ सकता था। मेल्विन, जिसे लगा था कि वो एक छोटे-मोटे क्रिमिनल से लड़ रहा है, अब उसे एहसास हो रहा था कि वो एक ऐसे आर्गेनाइजेशन से टकरा गया है जिसकी जड़ें बहुत गहरी हैं, और जिसके भीतर भी अलग-अलग पावर्स काम कर रही हैं। उसका सामना सिर्फ एक दुश्मन से नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम से था।
वहीं मुंबई में।
2 दिन हो चुके थे। 'मी' तो उसके नजरों से जा चुकी थी लेकिन उसकी माँ इस दुनिया से। अब वो घर पहले जैसा नहीं रह था बल्कि अब वो सुना हो चुका था। वो घर रह रहकर मेल्विन को परेशान किये जा रही थी। वो तो अब किसी का फोन तक नहिज उठा रहा था। पीटर, रेबेका, लक्ष्मण किसी का नहीं। ऊपर से मेलविन से अब उस घर में होना मुश्किल हो चला था। मेल्विन जानता था कि उसे बदला लेना है, पर कैसे? कलिज़नेव का प्रस्ताव एक रास्ता था, लेकिन उसे पता था कि वह एक धूर्त आदमी है। उसे सिंडिकेट के बारे में जानकारी चाहिए थी, और सबसे पहले डिकोस्टा का पता। उसके दिमाग में एक नाम कौंधा – शकील, डिकोस्टा का वकील। वही शकील जिसने नितिन के मामलों में डिकोस्टा का बचाव किया था।
रात गहरा चुकी थी, पर मेल्विन को नींद कहाँ आनी थी। वह टैक्सी लेकर शकील के दफ्तर पहुँचा। दफ्तर एक सुनसान व्यावसायिक इमारत की तीसरी मंजिल पर था। मेल्विन ने दरवाज़े पर कई बार खटखटाया, उसकी मुट्ठी में कलिज़नेव का कार्ड था, जो अब एक बेकार कागज़ का टुकड़ा लग रहा था। कुछ देर बाद, दरवाज़ा खुला और एक अधेड़ उम्र का चौकीदार, ऊँघती आँखों से बाहर आया।
"क्या चाहिए?" चौकीदार ने उखड़ी हुई आवाज़ में पूछा।
"शकील वकील से मिलना है," मेल्विन ने कहा, उसकी आवाज़ में एक बेताबी थी।
"अरे भाई, अभी तो रात के दो बज रहे हैं। वकील साहब तो छुट्टी पर हैं।" चौकीदार ने उबासी ली।
"मुझे पता है वो यहीं कहीं होंगे। मुझे उनसे अभी बात करनी है, ये बहुत ज़रूरी है!" मेल्विन ने दरवाज़े को धक्का दिया।
चौकीदार ने उसे रोकने की कोशिश की, “अरे-अरे! अंदर नहीं! वकील साहब अभी नहीं हैं!”
मेल्विन ने उसे एक तरफ धकेला और अंदर घुस गया। दफ्तर अँधेरा था, पर कोने में एक छोटे से कमरे से हल्की रोशनी आ रही थी। मेल्विन बिना सोचे-समझे उस कमरे की ओर बढ़ा और दरवाज़ा खोल दिया।
अंदर शकील बैठा था, एक पुरानी मेज़ पर सिर झुकाए, कुछ कागज़ात देख रहा था। उसके चेहरे पर थकान साफ दिख रही थी, और उसके बाल अस्त-व्यस्त थे। मेल्विन को देखते ही वह चौंक गया, उसकी आँखें हैरानी से फैल गईं।
"तुम... तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" शकील ने हड़बड़ी में कागज़ात छुपाने की कोशिश की।
"मुझे डिकोस्टा का पता चाहिए!" मेल्विन ने गरजकर कहा, उसके चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था, उसकी आँखें लाल थीं। “और सिंडिकेट के बारे में जो कुछ भी तुम जानते हो, सब बताओ!”
शकील ने घबराकर कुर्सी पीछे खींची। "अरे, क्या बात कर रहे हो तुम? डिकोस्टा? सिंडिकेट? मुझे कुछ नहीं पता! मैं तो बस एक सीधा-सादा वकील हूँ।" उसकी आवाज़ में डर साफ झलक रहा था, वह इतना डर गया था कि उसकी आँखें भीग गईं।
मेल्विन शकील के पास आया, उसकी कॉलर पकड़ी। "झूठ मत बोलो! तुम डिकोस्टा के वकील हो! तुम सब जानते हो! मेरी माँ को उन्होंने मार दिया है! मुझे बताओ, वो कहाँ हैं!" उसकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि शकील का गला घुटने लगा।
"मैं... मैं सच कह रहा हूँ!" शकील हाँफने लगा। "मुझे कुछ नहीं पता! मैं सिर्फ उसके लीगल कागज़ात देखता हूँ। मैं कभी उससे सीधे मिला भी नहीं हूँ! सिर्फ फोन पर बात होती है! और रही बात बात डिकोस्टा की तो वो कुछ काम के सिलसिले में दिल्ली गया हुआ है।" वह काँप रहा था, उसकी आँखों में एक अजीब सी बेबसी थी। वह सच में डरा हुआ लग रहा था, और मेल्विन को धीरे-धीरे एहसास हुआ कि उसकी आँखों में कोई झूठ नहीं है।
मेल्विन ने शकील को धक्का दिया, वह कुर्सी से लुढ़क कर नीचे गिर गया। “तुम झूठ बोल रहे हो! कोई न कोई तो जानता होगा! तुम उसके आदमी हो!”
"नहीं... नहीं! मैं... मैं सच में कुछ नहीं जानता! अगर मुझे पता होता तो मैं खुद कब का मर चुका होता!" शकील घबराया हुआ था। “सिंडिकेट इतना खतरनाक है कि कोई उनके बारे में बात करने की हिम्मत नहीं करता। डीकोस्टा एक रहस्यमयी आदमी है। मुझे पता है वो बस एक नाम है, असली चेहरा कोई और है! उसका पता तो क्या, उसका फोन नंबर भी मैं नहीं जानता!”
मेल्विन ने शकील को फिर से देखा, उसके चेहरे पर निराशा के भाव थे। शकील की हालत देखकर लग रहा था कि वह सच में कुछ नहीं जानता। उसकी आँखें लाल थीं, उसके चेहरे पर डर और थकान साफ दिख रही थी। मेल्विन को लगा जैसे वह एक बंद दरवाज़े पर सर फोड़ रहा हो। उसकी सारी उम्मीदें एक पल में टूट गईं। उसे एहसास हुआ कि शकील वास्तव में एक छोटा-मोटा मोहरा था, जिसे सिंडिकेट के बड़े खेल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
मेल्विन कमरे में घूमता रहा, उसके कदम भारी थे। उसने मेज़ पर बिखरे कागज़ात देखे, पर उनमें कुछ भी ऐसा नहीं था जो उसके काम का हो। वह थक चुका था, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी। अपनी माँ का बदला लेने की आग अब एक धीमी राख में बदलती जा रही थी, क्योंकि उसे रास्ता नहीं दिख रहा था। वह डीकोस्टा को ढूंढ नहीं पा रहा था, और सिंडिकेट का नेटवर्क इतना गहरा था कि उसे भेदना असंभव लग रहा था।
"नितिन... नितिन ही सब जानता है।" मेल्विन बड़बड़ाया, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी बेबसी थी। "मुझे नितिन से बात करनी होगी। वही कुछ बता सकता है।"
मेल्विन ने एक गहरी साँस ली और फिर वह शकील की तरफ दोबारा मुड़कर उसे अंतिम बार घूर कर देखा। "अगर तुम्हें कुछ भी पता चले, तो मुझे बताना। अगर तुमने नहीं बताया, तो मैं तुम्हें कहीं से भी ढूंढ निकालूंगा।" उसने धमकी दी, पर उसकी आवाज़ में अब उतनी शक्ति नहीं थी।
वह दफ्तर से बाहर निकला, उसके कदम लड़खड़ा रहे थे। रात अभी भी जवान थी, पर मेल्विन के लिए सब कुछ खत्म होता दिख रहा था। उसके पास अब कोई सुराग नहीं था, कोई रास्ता नहीं था। वह पूरी तरह से अकेला था, और इस भयानक दलदल में फँसा हुआ था, जहाँ हर तरफ़ अंधेरा था।
जब वह वहाँ से निकल ही रहा था तभी दरवाजे के पास खड़े चौकीदार को टोका-
"तुम तो कह रहे थे वो यहाँ नहीं है?"
"माफ करना साब! बोलना पड़ता है। नौकरी का सवाल है। आज कल ऐसे कई लोग यहाँ आ जाते हैं और वकील साब को परेशान करते हैं।"- चौकीदार ने कहा। वो चौकीदार बूढ़ा और कमजोर था जिससे मेलविन को उसपर दया आ गयी।
मेल्विन ने अपने शब्द थोड़े नरम किए। “ठीक है। समझ सकता हूँ।”
पर तभी उसकी नजर उस चौकीदार में हाथ में पड़े कागज के टुकड़े पर पड़ी। वो एक प्रचार कागज था जो किसी रेस्टुरेंट में आये नए ऑफर का प्रचार था। वो चौकीदार उसे फेंकने ही जा रहा था।
"तुंम्हारे हाथ में क्या है?"- मेल्विन ने पुछा।
"ओह। यह? ये कुछ नहीं है साब। कोई लड़का वकील साहब से मिलने के बहाने यह प्रचार दे गया। ऐसा आये दिन अक्सर होता रहता है साब। कोई बड़ी बात नहीं है। मैं उसे फेंकने जा ही रहा था।"- उस चौकीदार ने कहा।
मेल्विन ने कल से कुछ नहीं खाया था। उसे वैसे भी बहुत जोरो की भूख लग रही थी और यहाँ आस पास में वही एक रेस्टॉरेन्ट खुला था। मेलविन ने वो कागज चौकीदार से लिया। मेलविन को उसका ऑफर भी अच्छा लगा। इसलिए जाने अनजाने में ही सही, पर वो उस रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ चला।
क्या होगा अब मेल्विन का अगला कदम? क्या वो सुलझा पाएगा इन गुत्थियों को? ऐसा कौन स सुबूत मिलने वाला था मेल्विन को जिससे सिंडिकेट की नींव हिलने वाली थी। जानने के लिए पढिए कहानी का अगला भाग।
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