"मेल्विन। तैयार हो जाओ। वो आ गए हैं।"- इंस्पेक्टर की उन बातों ने मेल्विन को सचेत कर दिया।
मेल्विन और इंस्पेक्टर के बीच बातचीत अभी चल ही रही थी कि पूछताछ कक्ष का दरवाज़ा अचानक खुला। अंदर एक व्यक्ति आया, जिसके साथ दो कद्दावर, सूट पहने अंगरक्षक थे। उनकी आँखों में कोई भावना नहीं थी, सिर्फ़ एक मशीनी दृढ़ता थी। उस व्यक्ति का व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि इंस्पेक्टर भी एक पल के लिए अपनी सीट से उठ खड़ा हुआ, जैसे किसी उच्च अधिकारी के सम्मान में। यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। उसकी चाल में एक अजीब सी दृढ़ता थी, उसके काले सूट पर कोई शिकन नहीं थी, और उसकी कलाई पर एक महंगी, चमकती हुई घड़ी थी। उसकी आँखों में गहरी समझदारी और अधिकार का भाव था, जो किसी भी स्थिति को नियंत्रित करने की शक्ति दर्शाता था। उसकी उपस्थिति से कमरे का पूरा माहौल बदल गया, जैसे हवा में एक अदृश्य ऊर्जा भर गई हो।
"इंस्पेक्टर," उस व्यक्ति ने अपनी गंभीर, शांत आवाज़ में कहा, जिसकी हर बात में एक अजीब सा ठहराव था, मानो हर शब्द को सोच-समझकर बोला गया हो।
"मुझे उम्मीद है कि आप हमारे अनुरोध पर काम कर रहे हैं। मेरी क्लाइंट, माया इवानोवना, के बारे में आपकी पूछताछ चल रही है?" उसकी आवाज़ में एक अधिकार था जिसे कोई टाल नहीं सकता था।
इंस्पेक्टर ने तुरंत जवाब दिया, उसके चेहरे पर थोड़ी घबराहट साफ दिख रही थी।
"जी, मिस्टर कलिज़नेव। हम पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। माया सुरक्षित है और हमने मिस्टर मेल्विन को भी यहाँ पूछताछ के लिए बुलाया है।"
मेल्विन ने उसे घूर कर देखा। कलिज़नेव। यह नाम उसने कहीं सुना था, शायद किसी अंतर्राष्ट्रीय समाचार में, यह एक बहुत बड़ा नाम था। इन्होंने के बड़े रसियन व्यापारी यहाँ तक कि राजनेताओं तक का केस लड़ा था। मेल्विन को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी बड़ी हस्ती उसके सामने खड़ी थी। यह माया के परिवार का वकील या सुरक्षा प्रमुख था, जो उसके पिता के दाहिने हाथ से कम नहीं था।
कलिज़नेव मेल्विन की ओर मुड़ा, उसकी गहरी, भेदक आँखें मेल्विन के अंदर झाँकने लगीं, मानो वह उसके हर विचार को पढ़ रहा हो। उसकी मुस्कान हल्की थी, पर उसमें कोई गर्मजोशी नहीं थी, सिर्फ़ एक अजीब सी गणना थी।
"तो तुम हो मेल्विन। वह भारतीय लड़का जिसने हमारी माया को बचाने की कोशिश की।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा कटाक्ष था, मानो मेल्विन एक मामूली मोहरा हो, जिसकी भूमिका अब खत्म हो चुकी थी।
मेल्विन को उसका उपहास पसंद नहीं आया। उसके दिल में माँ की मौत का दर्द और ‘मी’ को बचाने की ज़िद दोनों ही भड़क रहे थे।
"मैंने उसे बचाने की कोशिश नहीं की, मैंने उसे बचाया। और तुम्हारी 'माया' कोई 'प्रोडक्ट' नहीं है, वह एक इंसान है!" उसकी आवाज़ में गुस्सा था, जिसने उसके दर्द को दबा दिया।
कलिज़नेव हँसा, एक नीरस, व्यंग्यात्मक हँसी, जो मेल्विन के गुस्से को और भड़का रही थी। "बच्चे, इस दुनिया में हर कोई और हर चीज़ एक 'प्रोडक्ट' है, बस उनकी कीमत अलग होती है। माया की कीमत तुम जैसे लोगों की समझ से बहुत परे है।" उसने इंस्पेक्टर की ओर देखा, एक हल्का सिर हिलाया। "क्या हम अकेले बात कर सकते हैं, इंस्पेक्टर? कुछ संवेदनशील जानकारी है।"
इंस्पेक्टर ने बिना किसी देरी के सिर हिलाया और बाहर चला गया, उसके साथ दोनों अंगरक्षक भी चले गए। मेल्विन और कलिज़नेव अब अकेले थे, कमरे में तनाव का माहौल था।
कलिज़नेव मेल्विन के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो उसकी बुद्धिमत्ता और चालाकी को दर्शा रही थी।
"तो बताओ, मेल्विन। तुम एक साधारण भारतीय लड़के हो। तुम्हारी माँ एक शिक्षिका थीं।" उसकी आवाज़ में एक हल्का सा विराम आया, मानो वह मेल्विन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहा हो। "तुम्हारा कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। फिर तुम माया जैसे हाई-प्रोफाइल केस में कैसे फँस गए? किसने तुम्हें भेजा?"
मेल्विन ने उसे घूर कर देखा। "इतने बड़े आदमी होकर भी इतनी सी बात भी नहीं पता कर सके। आखिर कैसे वकील हो?"- उसने गुस्से से कहा। शायद उसकी माँ के मौत के मौत ने उसे इस कदर गुस्से से भर दिया था कि इस वक़्त उसे हर इंसान अपना दुश्मन लग रहा था।
"हमें सब पता है, मेल्विन।" कलिज़नेव ने उंगलियों से मेज़ पर थपकी दी, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी उदासीनता थी।
"हमें यह भी पता है कि तुम्हारी माँ का क्या हुआ।" उसकी आवाज़ में एक पल को भी भावना नहीं आई, यह सिर्फ़ एक बयान था, एक ठंडी, कठोर सच्चाई।
"हम इस अपहरण और तुम्हारी माँ की मौत के बारे में हाल ही में जान पाए हैं। हमारे नेटवर्क ने हमें बताया कि माया को एक 'डिकोस्टा' नाम के व्यक्ति ने चुराया था, और उसे एक 'प्रोडक्ट' के रूप में कहीं छिपाया गया था।"
मेल्विन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। "तुम्हें पता है! तो तुमने उन्हें क्यों नहीं बचाया? तुम्हें मेरी माँ के बारे में पता था, और तुम बस... उन्हें मरने दिया? तुम लोगों ने क्या किया?" उसकी आवाज़ में दर्द और चीख थी।
कलिज़नेव ने मेल्विन को अपनी भेदक नज़रों से देखा। उसकी आँखों में कोई अफ़सोस नहीं था। "मेल्विन, हमारी प्राथमिकता माया की सुरक्षा और उसकी वापसी थी। तुम्हारी माँ एक अनवांटेड लॉस थीं, एक दुखद संयोग। सिंडिकेट ने तुम्हें एक संदेश देना चाहा, और उन्होंने उसे दे दिया। यह बिजनेस है, दोस्त। भावनाएँ यहाँ मायने नहीं रखतीं।" उसकी आवाज़ कठोर और तथ्यपरक थी, जैसे वह किसी व्यापारिक सौदे की बात कर रहा हो।
मेल्विन का कलेजा छलनी हो गया। अनवांटेड लॉस! उसकी माँ एक 'लॉस' थीं उनके लिए! "तुम लोग शैतान हो! तुम्हें इंसानियत की कोई परवाह नहीं!"
कलिज़नेव ने अपनी भौंहें हल्की सी उठाईं। "तुम्हें जो सोचना है, सोचो। पर सच्चाई यह है कि तुम इस खेल में अकेले हो। और सिंडिकेट बहुत बड़ा है। तुम उनका सामना नहीं कर सकते। तुम्हारे पास न संसाधन हैं, न पहुँच।"
उसने मेज़ पर एक मोटा लिफाफा रखा। "यह तुम्हारी माँ के अंतिम संस्कार के लिए है। और तुम्हारी सुरक्षा के लिए एक छोटी सी राशि। यह तुम्हें इस सब से दूर रहने में मदद करेगी। हम तुम्हें एक नई पहचान दे सकते हैं, तुम्हें दूर भेज सकते हैं, जहाँ तुम सुरक्षित रहोगे और यह सब भूल सकोगे।"
मेल्विन ने उस लिफाफे को घूर कर देखा, मानो वह कोई ज़हर हो, जो उसकी माँ के खून से सना हो। "मुझे तुम्हारी भीख नहीं चाहिए। मेरी माँ की कीमत पैसे से नहीं चुकाई जा सकती। तुम जैसे लोग मेरी माँ के बलिदान को नहीं समझ सकते।"
"तो तुम क्या चाहते हो?" कलिज़नेव ने पूछा, उसकी आवाज़ में थोड़ी दिलचस्पी जगी, जैसे उसे मेल्विन की प्रतिक्रिया में कुछ नया मिल गया हो। "तुम्हें लगता है कि तुम हमें रोक सकते हो? या सिंडिकेट को? तुम्हारे पास क्या है?"
"मैं सच्चाई चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि सिंडिकेट का हर एक आदमी जो मेरी माँ की मौत का ज़िम्मेदार है, वो मारे जाएँ। मैं चाहता हूँ कि डिकोस्टा अपने किए की सज़ा भुगते। और मैं चाहता हूँ कि माया इवानोवना सुरक्षित रहे, हमेशा के लिए।" मेल्विन की आवाज़ में एक अजीब सी दृढ़ता आ गई थी, जो अब तक नहीं थी। यह एक कसम थी, एक प्रतिज्ञा।
कलिज़नेव ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरा, उसकी आँखों में एक नई चमक थी, जो मेल्विन की दृढ़ता से पैदा हुई थी। "दिलचस्प। बहुत दिलचस्प। देखो, मेल्विन। मैं तुम्हें एक मौका दे सकता हूँ। सिंडिकेट एक खतरा है, हमारे लिए भी। हम उनके नेटवर्क को ध्वस्त करना चाहते हैं। अगर तुम हमें उनके बारे में सटीक जानकारी देते हो, तो हम तुम्हें कुछ मदद कर सकते हैं। हम तुम्हें सुरक्षा दे सकते हैं, संसाधन दे सकते हैं। पर तुम्हें हमारे नियमों पर चलना होगा।"
"मदद?" मेल्विन ने व्यंग्य से पूछा, पर उसके दिमाग में एक तेज़ गणना चल रही थी। "तुम लोग बस अपने फायदे के लिए काम करते हो।"
"हाँ, हम करते हैं।" कलिज़नेव ने बिना किसी हिचकिचाहट के स्वीकार किया। "पर कभी-कभी हमारे फायदे तुम्हारे फायदे से मिल सकते हैं। सोचो। सिंडिकेट को अंदर से तोड़ना, और अपनी माँ का बदला लेना... क्या यह तुम्हें नहीं चाहिए? तुम्हारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है। तुम अकेले इस दलदल में फँसे हो।"
मेल्विन ने कलिज़नेव की आँखों में देखा। वह जानता था कि इस आदमी पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता था, यह एक ऐसा सौदा था जिसमें खतरा बहुत ज़्यादा था। पर उसके पास कोई विकल्प नहीं था। यह एक शैतान के साथ सौदा करने जैसा था, पर यह उसकी अकेली उम्मीद हो सकती थी, अपनी माँ का बदला लेने और ‘मी’ को हमेशा के लिए सुरक्षित रखने की।
इंस्पेक्टर ने दरवाज़ा खटखटाया और अंदर झाँका। "मिस्टर कलिज़नेव, माया इवानोवना अब जाने के लिए तैयार हैं। हमें उनके पिता से निर्देश मिल गए हैं।"
कलिज़नेव अपनी कुर्सी से उठा, उसकी आँखों में अब एक अजीब सी चमक थी।
"ठीक है, इंस्पेक्टर। मेल्विन, हम तुमसे फिर मिलेंगे।" उसने मेल्विन की ओर एक कार्ड बढ़ाया। "इस पर मेरा सीधा नंबर है। सोच लेना। फैसला तुम्हारा है।"
कलिज़नेव इंस्पेक्टर के साथ बाहर चला गया। कुछ ही देर बाद, मेल्विन ने दूर से माया की आवाज़ सुनी, और फिर एक गाड़ी के जाने की आवाज़। माया को उसके परिवार के लोग ले जा चुके थे। मेल्विन अब अकेला था, माँ के सदमे, ‘मी’ की सुरक्षा और एक अनजान दुनिया के खतरे के बीच, जिसमें उसे अपनी लड़ाई खुद लड़नी थी, या शायद एक शैतान के साथ मिलकर।
पुलिस स्टेशन से बाहर निकलते ही मेल्विन के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। शहर की तेज़ रोशनी, गाड़ियों का शोर, लोगों की चहल-पहल – सब कुछ बेईमानी लग रहा था। उसके दिमाग में सिर्फ एक ही चीज़ घूम रही थी: माँ।
वह एक वीरान गली में घुस गया, जहाँ अँधेरा और सन्नाटा था। एक पुरानी बेंच पर बैठ गया, और अपने सिर को अपने हाथों में दबा लिया। माँ का मुस्कुराता चेहरा, उनकी प्यारी आवाज़, उनकी चिंता भरी बातें – सब उसकी आँखों के सामने किसी फिल्म की तरह चलने लगा। उसे याद आया, कैसे माँ हर सुबह उसे जगाती थीं, उसके लिए नाश्ता बनाती थीं, और हर छोटी-बड़ी बात पर सलाह देती थीं। 'बेटा, देर हो रही है!', 'आज नाश्ता कर के जाना!', 'क्या बात है, तुम आजकल परेशान दिख रहे हो?'
सुबह की वो घटना उसके दिमाग में किसी नुकीले चाकू की तरह चुभ रही थी। माँ ने कैसे उससे बात करने की कोशिश की थी, उनके हाथ पकड़ने की कोशिश... और उसने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया था। उसने अपनी माँ को झिड़क दिया था, सिर्फ इसलिए कि उसे रेबेका को बचाने की धुन सवार थी। एक ऐसी धुन जिसने उसे अपनी सबसे अनमोल चीज़, अपनी माँ से दूर कर दिया।
"माँ!" उसके मुँह से एक चीख निकली, जो रात के सन्नाटे में घुल गई। "मुझे माफ़ कर दो, माँ! मैं तुम्हारी बात नहीं सुना। मैं तुम्हें नहीं बचा पाया!" उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, गर्म, कसैले आँसू जो उसके गालों पर बहकर सूख गए। वह एक अपराधी जैसा महसूस कर रहा था। सिंडिकेट ने उसकी माँ को मारा था, लेकिन असली दर्द इस बात का था कि वह खुद उन्हें बचा नहीं पाया। वह अपनी ही प्राथमिकताओं में उलझा रहा, एक ऐसे जाल में फँस गया जहाँ उसने सबसे ज़्यादा जिसे प्यार किया, उसे ही अनदेखा कर दिया।
उसे वो पल याद आया जब कलिज़नेव ने उसकी माँ को "अनवांटेड लॉस" कहा था। यह शब्द उसके दिल में तीर की तरह लगे थे। उसकी माँ, जिसने उसे जीवन दिया, जिसने हर सुख-दुख में उसका साथ दिया, जिसने उसे निस्वार्थ प्यार किया – वह किसी के लिए बस एक 'लॉस' थी? यह विचार उसे पागल कर रहा था। वह अपने आप को कोस रहा था। 'मैं कितना स्वार्थी था! सिर्फ रेबेका और इस ‘मी’ के पीछे भागता रहा, और माँ को अकेला छोड़ दिया। मेरी वजह से माँ नहीं रहीं।'
उसका शरीर काँप रहा था, अंदर ही अंदर वह टूट रहा था। उसने अपने घुटनों पर सिर रख लिया, और रोता रहा, रोता रहा, जब तक कि उसकी आँखों में आँसू सूख न गए। वह अपनी माँ के लिए कुछ भी कर सकता था, पर अब बहुत देर हो चुकी थी। उसके पास केवल यादें बची थीं, और उन यादों में सबसे कड़वी थी – अफसोस।
माँ के साथ बिताया हर पल, हर हंसी, हर डांट, अब उसके दिमाग में किसी फिल्म की तरह चल रहा था। उसे इस बात के लिए भी अफसोस था वह अपनी माँ से मिलने के लिए ज्यादा छुट्टी नहीं लेता था जब उसकी माँ उसे बार-बार मिलने के लिए बुलाती थी तो वह बस अपने स्केचस में बिजी रहता था। अब उसे अपने माँ को सही से वक़्त न दे पाने का बहुत अफसोस था। बहुत ज्यादा अफसोस।
उसके दिल में एक खालीपन था, एक ऐसा घाव जो शायद कभी नहीं भरेगा। वह पूरी तरह टूट चुका था, भावनात्मक रूप से खोखला। उसकी पूरी ऊर्जा खत्म हो चुकी थी, सिर्फ एक भयानक उदासी बची थी।
धीरे-धीरे, उस खालीपन और उदासी के बीच, एक नई भावना ने जन्म लिया। यह आग थी। बदले की आग। कलिज़नेव की बातें, सिंडिकेट की क्रूरता, और सबसे बढ़कर, अपनी माँ की हत्या – यह सब उसके अंदर एक भयंकर ज्वाला को जला रहा था। वह अब सिर्फ एक दोस्त को बचाने वाला नहीं था, वह एक बेटा था जो अपनी माँ के लिए बदला लेना चाहता था। यह बदला सिर्फ सिंडिकेट से नहीं था, बल्कि उस हर व्यक्ति से था जो इस क्रूर खेल में शामिल था, जिसने उसकी माँ को 'लॉस' समझा था।
उसने अपनी आँखें खोलीं। आँसू सूख चुके थे, पर उनकी जगह एक नई दृढ़ता थी। उसने अपने मुँह से हल्की आवाज़ में कहा, "माँ, मैं तुम्हें वचन देता हूँ। मैं सिंडिकेट को खत्म कर दूँगा। हर उस व्यक्ति को खत्म कर दूँगा जो तुम्हारे गुनहगार हैं। मुझे कुछ भी करना पड़े।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सी खनक थी, जो उसके दृढ़ संकल्प को दर्शा रही थी। वह अब सिर्फ एक साधारण मेल्विन नहीं था, वह एक बदला लेने वाला बेटा था, जिसे अपनी माँ की यादों और उनके प्यार की शक्ति से प्रेरित किया गया था।
कलिज़नेव का कार्ड उसकी जेब में था। वह जानता था कि उसे उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए, पर उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। उसे सिंडिकेट से लड़ने के लिए मदद चाहिए थी, और कलिज़नेव उसे वह मदद दे सकता था। यह एक शैतान के साथ सौदा करने जैसा था, पर यह उसकी अकेली उम्मीद हो सकती थी, अपनी माँ का बदला लेने और ‘मी’ को हमेशा के लिए सुरक्षित रखने की। वह उठा, उसके कदम अभी भी भारी थे, पर अब उनमें एक नया, दृढ़ संकल्प था। लड़ाई अभी शुरू हुई थी।
अब क्या होगा आगे? क्या मेल्विन क्लीजनेव से मदद लेगा या फिर वो लड़ाई खुद ही लड़ेगा।
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