मेल्विन अपनी माँ के शव के पास, सदमे और अपराधबोध से स्तब्ध खड़ा था। उसका पूरा संसार  जैसे बिखर चुका था। माँ की मौत का दर्द अभी उसे पूरी तरह से महसूस भी नहीं हुआ था कि ‘मी’ के गायब होने की कड़वी सच्चाई ने उसे और भी तोड़ दिया। वह पागलों की तरह घर के हर कोने में ‘मी’ को ढूंढ रहा था, उसका दिमाग चीख रहा था, '‘मी’ कहाँ है? कहाँ चली गई?' हर बंद दरवाज़ा, हर खाली अलमारी उसे और ज़्यादा डरा रही थी। उसकी आँखें आँसुओं से धुंधली थीं, पर फिर भी वह ‘मी’ की तलाश में हर चीज़ खंगाल रहा था, जैसे किसी भयानक सपने में फँस गया हो।

मेल्विन अभी भी ‘मी’ को ढूंढने की हताश कोशिश में लगा था, जब उसके मोबाइल की घंटी बजी। रात के सन्नाटे में फोन की आवाज़ किसी चीख जैसी लगी। स्क्रीन पर एक अनजान नंबर चमक रहा था। उसका दिल एक बार फिर तेज़ी से धड़कने लगा। उसे लगा जैसे यह सिंडिकेट का ही नंबर है, जो उसे एक और दर्दनाक खबर देने वाला है, या शायद उसकी बेबसी का मज़ाक उड़ाने वाला है। उसने काँपते हाथों से कॉल उठाया, उसकी साँसें गले में अटक रही थीं।

"मेल्विन?" दूसरी तरफ से एक भारी, गंभीर, और बेपरवाह आवाज़ आई। "मुझे पता है तुम अपनी ‘मी’ को ढूंढ रहे हो।"

मेल्विन की साँसें अटक गईं। यह वही आवाज़ थी जो उसने पहले भी सुनी थी, सिंडिकेट के ईमेल में छिपी धमकी की तरह। 

"तुम कौन हो? ‘मी’ कहाँ है? तुमने क्या किया है उसे? मेरी माँ... मेरी माँ को तुमने मार दिया!" उसकी आवाज़ में गुस्सा, डर और बेबसी का एक अजीब मिश्रण था, जो दर्द से भरा था।

"शांत हो जाओ, मेल्विन।" उस आवाज़ ने कहा, उसमें कोई सहानुभूति नहीं थी, सिर्फ़ एक अजीब सा नियंत्रण था। "मी सुरक्षित है, और तुम भी सुरक्षित रहोगे अगर तुम वही करते हो जो हम कहते हैं।"

मेल्विन का दिमाग तेज़ी से घूमने लगा। सुरक्षित? ‘मी’ सुरक्षित है? क्या यह सच था? या यह एक और जाल था? उसके पास कोई और विकल्प नहीं था। "तुम मुझे कहाँ बुला रहे हो?"

"तुम्हारे घर के बाहर एक गाड़ी तुम्हारा इंतज़ार कर रही है। उसमें बैठ जाओ।" आवाज़ ने कहा, उसमें एक आदेश था जिसे टाला नहीं जा सकता था। "तुम्हें ‘मी’ तक पहुँचा दिया जाएगा। और हाँ, कोई चालाकी नहीं।"

मेल्विन ने एक पल को दरवाज़े की ओर देखा। उसे लगा जैसे सिंडिकेट ने उसे पूरी तरह से घेर लिया है, उसके पास अब भागने का कोई रास्ता नहीं बचा था। उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। उसे ‘मी’ को बचाना था, और यह शायद एकमात्र तरीका था, चाहे इसकी कीमत कुछ भी हो। वह अपनी माँ के शव के पास गया, एक आखिरी बार उन्हें देखा, उसकी आँखों में अनकहा दर्द था। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, 'माँ, मैं आ रहा हूँ। मैं ‘मी’ को बचाऊँगा, और आपका बदला भी लूँगा। मुझे माफ़ कर देना।'

वह दरवाज़े की ओर लपका, पर जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, उसे सामने पुलिस की वर्दी में कुछ लोग खड़े दिखाई दिए। उनकी आँखों में कोई भावना नहीं थी, सिर्फ़ एक कर्तव्यनिष्ठा थी। मेल्विन कुछ समझ पाता, इससे पहले ही दो पुलिसकर्मियों ने उसे कसकर पकड़ लिया। उनकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि वह हिल भी नहीं पा रहा था, जैसे कोई लोहे की जंजीर हो।

"आप मेल्विन हैं?" एक पुलिस अधिकारी ने पूछा, उसकी आवाज़ सख्त थी, उसमें कोई नरमी नहीं थी।

मेल्विन ने उन्हें घूर कर देखा, उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा था। 

"हाँ, मैं मेल्विन हूँ। मेरी माँ... किसी ने मेरी माँ को मार दिया है! आप लोग यहाँ क्या कर रहे हैं? हत्यारे को ढूंढो!"

"आपको हमारे साथ चलना होगा।" दूसरे अधिकारी ने कहा, कोई सहानुभूति नहीं थी, सिर्फ़ एक आदेश था।

"पर क्यों? क्या हुआ है? मुझे क्यों गिरफ्तार कर रहे हो?" मेल्विन ने विरोध करने की कोशिश की, पर उसकी आवाज़ दर्द और सदमे के कारण लड़खड़ा रही थी।

"आपको पुलिस स्टेशन में पता चलेगा।" उन्होंने कोई और जानकारी नहीं दी और उसे सीधे पुलिस की गाड़ी में धकेल दिया। मेल्विन को लगा जैसे वह एक और जाल में फँस गया है। क्या यह सिंडिकेट की कोई और चाल थी? पुलिस भी उनके साथ मिली हुई थी? उसके दिमाग में हजार सवाल घूम रहे थे, पर कोई जवाब नहीं था। गाड़ी तेज़ी से पुलिस स्टेशन की ओर बढ़ रही थी, और मेल्विन का दिल डर और अनिश्चितता से भरा हुआ था, उसे लग रहा था जैसे वह एक ऐसे अँधेरे में धकेला जा रहा है जहाँ से कोई वापसी नहीं है। 

पुलिस स्टेशन पहुँचकर मेल्विन को सीधे एक पूछताछ कक्ष में ले जाया गया। कमरा छोटा था, दीवारों पर रंग उखड़ा हुआ था, और हवा में एक अजीब सी उदासी थी। एक मेज़ और दो कुर्सियाँ थीं, और एक तेज़ रोशनी वाला बल्ब कमरे को अजीब सा रोशन कर रहा था। कुछ ही देर में एक इंस्पेक्टर अंदर आया, उसकी आँखों में अनुभव की चमक थी, और उसके चेहरे पर एक अजीब सी गंभीरता थी।

"तो मिस्टर मेल्विन," इंस्पेक्टर ने मेज़ पर अपनी हथेलियाँ टिकाईं, उसकी आवाज़ शांत पर दृढ़ थी। "आपकी माँ की मौत के बारे में हमें जानकारी मिली है। हम इस मामले की जाँच कर रहे हैं।"

मेल्विन ने गुस्से में पूछा, उसकी आवाज़ में अभी भी दर्द था। 

"और ‘मी’? ‘मी’ कहाँ है? मुझे अभी-अभी एक कॉल आया था, उन्होंने कहा कि ‘मी’ उनके पास है। वह कहाँ है? क्या वह ठीक है?"

 

इंस्पेक्टर ने मेल्विन को ध्यान से देखा, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वह मेल्विन के हर भाव को पढ़ रहा हो। 

"कौन सा कॉल? आपको कहाँ से आया था वो कॉल?"

मेल्विन ने अनजान नंबर के बारे में बताया, और कैसे उस आवाज़ ने उसे ‘मी’ तक पहुँचाने का वादा किया था। 

"मुझे लगा वह सिंडिकेट का था। उन्होंने मेरी माँ को मारा है, और ‘मी’ को भी ले गए हैं। वे बहुत खतरनाक लोग हैं।"

इंस्पेक्टर ने मुस्कुराने की कोशिश की, पर उसकी मुस्कान में एक अजीब सी गंभीरता थी, जो मेल्विन को और भी भ्रमित कर रही थी। 

"मेल्विन, वह कॉल सिंडिकेट का नहीं था। पर मैं इस बारे में तुमसे बात जरूर करना चाहूँगा।" उसने एक फाइल खोली और कुछ कागज़ात देखे, जैसे किसी बड़े रहस्य को उजागर करने वाला हो। 

"वह कॉल पुलिस स्टेशन से आया था। और ‘मी’ यहीं हमारे साथ सुरक्षित है। वह अगले कमरे में है।"

मेल्विन के कानों पर विश्वास नहीं हुआ। "‘मी’... यहाँ है? सुरक्षित?" उसकी आँखों में एक नई उम्मीद जगी, एक चमक, जो उसके अंदर के अँधेरे को चीर रही थी। उसे लगा जैसे उसे एक नया जीवन मिल गया हो।

"हाँ, वह हमारे साथ है।" इंस्पेक्टर ने पुष्टि की। "और आपको वास्तव में ‘मी’ को लेकर पूछताछ के लिए यहाँ लाया गया है। ‘मी’ कोई सामान्य लड़की नहीं है, मेल्विन।"

मेल्विन भ्रमित हो गया। "क्या मतलब? वह मेरी दोस्त है। उसे क्या हुआ है? वह सामान्य क्यों नहीं है?"

इंस्पेक्टर ने एक गहरी साँस ली, जैसे कोई बहुत बड़ा राज़ खोलने वाला हो। "मेल्विन, तुम जानते हो कि ‘मी’ आखिर कौन है? ‘मी’ का पूरा नाम है माया इवानोवना, और वह रूस के एक बहुत बड़े, प्रभावशाली और ताकतवर परिवार से है। उसके पिता एक बहुत बड़े बिज़्नेसमैन हैं, जिनका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा प्रभाव है, और वे दुनिया की सबसे शक्तिशाली हस्तियों में से एक हैं। ‘मी’ कुछ समय से लापता थी, और उसके परिवार ने उसे ढूंढने के लिए दुनिया भर में टीमों को लगाया हुआ था। हमें ‘मी’ के परिवार से ही जानकारी मिली कि वह आपके साथ थी।"

मेल्विन के दिमाग में सारी बातें घूमने लगीं। नितिन ने उसे बताया था कि ‘मी’ एक 'प्रोडक्ट' है, जिसे डिकोस्टा ने चुराया था। उसने सोचा था कि यह कोई गुप्त तकनीक या हथियार है। लेकिन ‘मी’ खुद एक 'प्रोडक्ट' थी, एक ऐसा 'प्रोडक्ट' जिसका मूल्य उसके अंतरराष्ट्रीय संबंधों और परिवार के प्रभाव से था। शायद इसी लिए उन्होंने ‘मी’ को नहीं मारा था। तो इसका मतलब मेल्विन का ‘मी’ को लेकर फेंका गया झूठ सच था। ‘मी’ सच में किसी बड़े परिवार से थी। पर अगर ऐसा है तो क्या सिंडिकेट को इस बारे में भनक थी? आखिर ‘मी’ को यहाँ तक लाया कैसे गया, उसे इतने बड़े परिवार से लाया कैसे गया?"

 उसे एहसास हुआ कि वह एक ऐसे खेल में फँस गया था जिसकी गहराई का उसे अंदाज़ा भी नहीं था।

"तो... सिंडिकेट ने उसे क्यों अपहरण किया था?" मेल्विन ने पूछा, उसकी आवाज़ अब थोड़ी शांत थी, पर दिमाग में तूफ़ान मचा हुआ था।

"हमें यही पता लगाना है, मेल्विन।" इंस्पेक्टर ने कहा। "हमें शक है कि सिंडिकेट ने ‘मी’ को फिरौती या किसी और बड़े अंतर्राष्ट्रीय सौदे के लिए अपहरण किया था। और आप... आप अचानक उनके बचाव में क्यों आ गए? आपने हमें पहले क्यों नहीं बताया कि आप ‘मी’ के बारे में जानते हैं?" इंस्पेक्टर की आँखों में अब एक सवाल था, एक संदेह।

मेल्विन को समझ आया कि वह एक बहुत बड़े जाल में फँस चुका है। उसे नितिन के बारे में, सिंडिकेट के बारे में, और पूरे ऑपरेशन के बारे में बताना था। पर क्या पुलिस पर भरोसा किया जा सकता था? क्या वे भी सिंडिकेट के हाथ में हो सकते हैं? उसके दिमाग में एक तेज़ लड़ाई चल रही थी – सच्चाई बताए, या ‘मी’ को बचाने के लिए खुद को खतरे में डाले? उसे अपनी माँ की मौत का बदला भी लेना था, और ‘मी’ को पूरी तरह सुरक्षित रखना था। उसकी ज़िंदगी एक ऐसे मोड़ पर आ चुकी थी जहाँ से वापसी का कोई रास्ता नहीं था।

"मैं... मैं नहीं जानता कि सिंडिकेट क्या है," मेल्विन ने आखिर में झूठ बोला, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी बेबसी थी। "मैं बस ‘मी’ की मदद करना चाहता था। वह मेरी दोस्त है। मुझे नहीं पता था कि वह इतने बड़े परिवार से है।"

इंस्पेक्टर ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया, यह उसकी आँखों में साफ झलक रहा था। "मेल्विन, हम जानते हैं कि आप कुछ छुपा रहे हैं। आपकी माँ की मौत, ‘मी’ का अपहरण... यह सब एक बड़े खेल का हिस्सा है। और हम आपको तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक हमें पूरी सच्चाई पता नहीं चल जाती। हमें आपके हर कदम की जानकारी है।"

मेल्विन को पता था कि अब उसकी मुसीबतें खत्म नहीं हुईं हैं। वह अभी भी सिंडिकेट के निशाने पर था, और अब पुलिस के शिकंजे में भी था। उसे अपनी माँ का बदला भी लेना था, और ‘मी’ को पूरी तरह सुरक्षित रखना था। उसकी ज़िंदगी एक ऐसे मोड़ पर आ चुकी थी जहाँ से वापसी का कोई रास्ता नहीं था, सिर्फ़ आगे बढ़ना था, चाहे रास्ता कितना भी अँधेरा क्यों न हो। 

"अभी जल्द ही ‘मी’ के केयर टेकर आ रहे हैं। आगे की पूछ ताछ वे आपसे कर लेंगे। तब तक आप यहीं रहकर इंतज़ार कीजिए"- इतना कहकर इन्स्पेक्टर साहब वहाँ से चले गए और मेल्विन उस अनजान शख्स के आने का इन्जार करने लगा।

वहीं कुछ ही देर में पीटर, लक्ष्मण और रिबेका मेल्विन से मिलने वहाँ भागे-भागे आ गए। 

 

"मेल्विन! तुम ठीक तो हो? हमने ऑन्टी के बारे में सुना। आखिर यह सब कैसे हुआ?"- रिबेका ने पूछा। 

"मेल्विन। मेरे भाई। तू ठीक तो है। मुझे तुंम्हारे मां के बारे में सुनकर बहुत दुख हुआ।"- पीटर ने कहा- "कहाँ तू हर छुट्टी में उससे मिलने के लिए इतने बेसब्री से इंतज़ार करता था और कहाँ,,,," 

"तू चिंता मत कर। मैंने इस घटना के बारे में मिस्टर कपूर को बता दिया है। वे जल्द ही यहाँ आते ही होंगे।"- लक्ष्मण ने कहा। 

"मैं, ठीक हूँ।"- मेल्विन ने दुखी मन से कहा। 

 "और ‘मी’, वो कहाँ है? क्या वो तेरे साथ है?"- लक्ष्मण ने पूछा। 

"वो ठीक है। उसे पुलिसवाले कस्टडी में यहाँ लेकर आए थे।"- मेल्विन ने जवाब दिया। 

"ओह, थैंक गॉड की वो ठीक है। मैं तो डर ही गयी थी।"- रिबेका ने गहरी साँस लेते हुए कहा। 

तभी इंस्पेक्टर साहब कमरे में आ गए। उन्होंने मेल्विन से कहा- "मेल्विन। तैयार हो जाओ। वे आ गए हैं। वे तुमसे थोड़ी देर बातें करना चाहेंगे।"- इंस्पेक्टर ने कहा। 

मेल्विन भी अब तैयार हो गया। उसके मन में ‘मी’ से मिलने को लेकर एक अलग ही उत्साह पैदा हो गया था। क्योंकि इस दुख भरे पल में सिर्फ मी ही वो कड़ी थी जो उसके मन में जगाए हुए थे। उसने जब बाहर देखा तो बाहर बड़ी-बड़ी गाड़ियों का जखीरा वहाँ खड़ा था। और काले सूट में कुछ लोग बाहर खड़े हो गए थे। मेल्विन समझ गया था कि वो कोई बहुत ही बड़ा शक्श था जिससे वो मिलने जा रहा था। 

 

अब आगे क्या होगा? आख़िर ‘मी’ ऐसे कौन से बड़े खानदान से थी? क्या मी वापिस से मेल्विन के साथ रह पाएगी या फिर मी भी उससे दूर चली जाएगी।

Continue to next

No reviews available for this chapter.