“मैं एक इंसान को जानता हूं जिसका जिक्र मिस्टर कपूर ने भी नहीं किया।“ मेल्विन ने रेबेका से कहा जब वे दोनों मिस्टर कपूर की कार से उतरकर पैदल जा रहे थे।

“तुम किसकी बात कर रहे हो?” रेबेका ने पूछा।

“मैं अभी ज्यादा कुछ इस बारे में नहीं कह सकता रेबेका!” मेल्विन ने कहा, “अभी रात होने वाली है, तुम डायना को कॉल करके नीचे बुला लो। फिर मैं मां से जाकर मिल लेता हूं।”

“मेल्विन, मुझे ये मैटर कुछ ज्यादा ही खतरनाक लगता है। तुम अपना ख्याल रखना।” रेबेका ने कहा।

“ठीक है, अब तुम जाओ।”

“ओके!” रेबेका ने कहा फिर डायना को कॉल करके नीचे बुला लिया। दोनो को एक कैब में बिठाकर मेल्विन अपने फ्लैट में पहुंचा।

“सॉरी मां, मैं तुम्हें रिसीव करने के लिए स्टेशन नहीं आ पाया।” मेल्विन ने कहा, “मिस्टर कपूर को पुलिस अरेस्ट करके ले गई थी। मैं पुलिस स्टेशन से सीधा यहीं आ रहा हूं।”

“पीटर ने मुझे बताया।” मेल्विन की मां ने कहा, “उसे बेल मिल गई?”

“हां। लेकिन मुसीबत अभी टली नहीं है।” मेल्विन ने कहा तो पीटर ने पूछा, “क्या मतलब मुसीबत अभी टली नहीं है! मिस्टर कपूर को पुलिस क्यों अरेस्ट करके ले गई थी?”

“घनश्याम याद है तुम्हें?” मेल्विन ने पीटर से पूछा, “वही जिसके पिता ने करते हुए मुझे एक लेटर भेजा था।”

“हां, उसका क्या?” 

“उसकी हत्या के इल्जाम में बॉस को अरेस्ट किया गया था।” मेल्विन ने कहा, “दो–चार और इल्जाम हैं उन पर लेकिन उसके पीछे की कहानी जाने बिना उस इल्जाम के बारे में बताने का कोई मतलब नहीं है। मैं तुम्हें कल मिलकर सब बताता हूं। तुम्हें घर पहुंचते हुए रात हो जायेगी। तुम घर पहुंचो अभी।”

“ठीक है मेल्विन! वैसे भी मैं कब से तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था।” पीटर ने कहा, “चलो गुड बाय!”

पीटर इतना कहकर वहांं से चला गया। 

“मेल्विन, मुझे बताओ, पूरी बात क्या है?” पीटर के जाते ही मेल्विन की मां ने पूछा। 

“मैं आपको सब जवाब देता हूं मां! लेकिन उससे पहले आप मुझे ये बताईए कि मामाजी के घर से आपको पिताजी के बारे में क्या बात पता चली है। सबसे पहले मुझे वो देखना है।”

मेल्विन के पूछने पर उसकी मां ने अपने बैग में से कुछ चीजें निकालकर मेल्विन के हाथ में थमा दिया। ये कुछ पुरानी तस्वीरें और नोट्स थे।

“ये तो उसी डायरी के पन्ने हैं!” मेल्विन के जल्दी–जल्दी उन पन्नों को उलट –पटलकर देखा, “लेकिन इसमें अब भी कुछ पन्ने गायब हैं। मां, ये चीजें मामाजी को कहां से मिली?”

“तुम्हारे नानाजी के सामानों में उन्हें ये चीजें मिली थीं!” मेल्विन की मां ने बताया, “तुम्हें जब अपने पिताजी का जिक्र किया, उनके बारे में मुझसे पूछा तो मैंने तुम्हारे मामा से कुछ जानने की कोशिश की तब उसने मुझे ये सबकुछ दिया।”

“मां, पिताजी स्मगलर थे, ये बात आपको मालूम थी?” मेल्विन ने पूछा, “उनके सारे काम गैरकानूनी थे। वो अपने जमाने में मोस्ट वांटेड भी थे। आज तक शायद कोई नहीं जान पाया है कि वो स्मगलर हमारे पिता ही थे। इसलिए आप मुझसे पिताजी के बारे में छिपा रही थीं न?”

“मुझे उनके बारे में सिर्फ इतना मालूम है कि वे सही काम नहीं करते थे।” मेल्विन की मां ने बताया, “वो स्मगलर थे, ये मुझे तुमसे पता चल रहा है। तुम्हारे करियर पर उनकी जिंदगी का असर न पड़े इसलिए मैं उनकी बात कभी नहीं करती थी।”

“आपने बहुत बचने की कोशिश की लेकिन उनका अतीत चलकर आपके पास पहुंच ही गया।” मेल्विन ने कहा, “वो रघु भी पिताजी के तार ढूंढ रहा है। उसे मुझसे कुछ चाहिए। एक ऐसी चीज जो मेरे पास भी नहीं है।”

“कौन सी चीज?” मेल्विन की मां ने घबराते हुए पूछा।

“500 करोड़।” मेल्विन ने बताया तो उसकी मां के नजर बस मेल्वीन को देखती रह गई।

“कैसे 500 करोड़?” मेल्विन की मां ने पूछा। 

“पिताजी और उनके दोस्तों को 500 करोड़ के बराबर की रकम मिली थी। उस रकम का एक भी रुपिया इस्तेमाल किए बिना वे मारे गए। अब शायद उन्हीं रूपियों के लिए हत्याओं का सिलसिला फिर शुरू हो चुका है। मुझे इन सबके पीछे उसी रघु का हाथ लगता है।”

“वो लंगड़ा क्या किसी की हत्या करेगा मेल्विन!” मेल्विन की मां ने कहा, “वो खुद आधा मरा हुआ मालूम हो रहा था।”

“मतलब!” मेल्विन ने पूछा, “ऐसी कोई बात आपने पहले मुझे नहीं बताई।”

“क्या बताती? मुझे लगा ही नहीं कि ऐसी बातों को भी बताने की जरूरत है। उसे मैंने आते हुए तो नहीं देखा था लेकिन जब वह जा रहा था तब मैंने नोटिस किया कि वह एक पैर से बिल्कुल खराब है। उसके शरीर में एक तरह की सड़न पैदा हो रही थी। मुझे तो लगता है कि अब तो बहुत ही मर गया होगा।”

“इतनी जरूरी बात आपने मुझे नहीं बताई मां।” मेल्विन ने कहा, “उससे ज्यादा और किसे पैसों की जरूरत हो सकती है मां? इस बात से तो ये और साबित होता है कि पैसों के लिए हत्या हो न हो उसने ही शुरू की है। अब ये रघु न जाने मुझे कहां मिलेगा।”

“अगर उसकी तलाश तुम हो मेल्विन, तो जरूर वो तुम्हें ढूंढते हुए यहां तक भी आ जाएगा। लेकिन मुझे अब भी लगता है कि उसमें किसी की जान लेने की ताकत नहीं है।” मेल्विन की मां ने कहा।

मेल्विन का ध्यान एक बार फिर उन चीजों की ओर चला गया था जो उसकी मां ने अभी-अभी उसे दिया था।

“ये आदमी कौन है मां? क्या आप इसे जानती हैं?” मेल्विन ने एक तस्वीर की ओर इशारा करते हुए अपनी मां से पूछा।

“ये शायद रमेश चाचा है। तुम्हारे नाना के दोस्त। मेल्विन की मां ने बताया, “ये शायद तुम्हारे मामा की शादी की तस्वीर है। तुम्हारे पिताजी जब भी मेरे घर जाते थे तो रमेश चाचा से उनकी खूब बनती थी।”

“रमेश चाचा! यह आपके चाचा जी क्या काम करते थे मां?” मेल्विन ने पूछा तो उसकी मां कुछ देर के लिए सोच में डूब गई।

“उनका शायद बांग्लादेश में कोई व्यापार चल रहा था। छुट्टियों में वो अक्सर आते तो तुम्हारे पिता से उनकी मुलाकात हो जाती थी।”

“बांग्लादेश में व्यापार करते थे? किस चीज का व्यापार मां?” मेल्विन ने पूछा।

“इतनी जानकारी तो मुझे नहीं है मेल्विन। लेकिन मैं तुम्हारे मामा से पूछ कर बता सकती हूं। क्या ये जानना जरूरी है?”

“अगर इनका व्यापार बांग्लादेश में था, तो हां। मुझे ये जाना बहुत जरूरी है। आखिर बांग्लादेश में व्यापार करने वाले का पिताजी से क्या कनेक्शन था? जरूर पिताजी और रमेश जी के बीच व्यापारिक संबंध रहे होंगे। अब तो मुझे ये बात मामा जी जानना ही है कि रमेश जी बांग्लादेश में कौन सा व्यापार करते थे।”

मेल्विन ने फिर दूसरी तस्वीरों को देखना शुरू किया। इस शादी के दिन की और भी तस्वीरें थीं लेकिन उसमें कुछ भी गौर करने लायक बात नहीं थी।

मेल्विन ने फिर आखिर में उस डायरी के पन्नों को पढ़ा।

“किसी खास मकसद से डायरी के इन पन्नों को अलग-अलग किया गया है। इन पन्नों में भी ऐसी कोई खास बात नहीं है जिससे कि उन 500 करोड़ रुपयों के बारे में कुछ पता चले या फिर किसी नए शख्स के बारे में कुछ जानकारी हो। ये सारे बेकार पन्ने हैं जो यहां–वहां बिखरे हुए हैं। समझ में नहीं आता कि वे पन्ने कहां होंगे जिसमें असली जानकारी है। 500 करोड़ रुपए का पता।”

*पता नहीं क्यों मेल्विन, लेकिन मुझे लगता है कि 500 करोड़ रुपए जैसे कोई बात है ही नहीं। इतनी बड़ी रकम का एक परसेंट हिस्सा भी अगर तुम्हारे पिता को मिल रहा होता तो ये मुझे बताते जरूर। वो मुझे हर महीने मुंबई से पैसे भेजा करते थे। पैसे ठीक–ठाक होते थे। मैं उन पैसों से पूरे महीने का खर्चा निकाल लेती थी। आखिर स्मगलिंग जैसे किसी काम में अगर वे लगे हुए थे तो फिर उनके पास मुझे भेजने के लिए पैसे कहां से आते थे?”

“मां, पिताजी चाहे आपके जितने करीब थे, लेकिन वो आपसे सैकड़ों मील दूर रहते थे। ऐसे में उनके व्यापारिक जीवन में रोजाना क्या घट रहा था इसकी जानकारी आपको कैसे हो सकती थी। क्या पता पिताजी आपसे बातें छुपाते हो। 5 करोड़ या 50 करोड़ के लिए अपनी वाइफ से एक बात छुपाना आखिर कौन सा बड़ा गुनाह होता है। अगर वो रकम पिताजी को मिल जाती, उसके बाद वो तुम्हें बताते तो तुम क्या ही करती।”

“बात तो सही है तुम्हारी मेल्विन!” मेल्विन की मां ने सोचते हुए कहा, “लेकिन अंत में क्या हुआ, वे कैसे मालूम चलेगा?”

“ये सब तो हमें अब वो रघु ही बता सकता है। अब रात बहुत हो चुकी है मां। मैं कुछ खाना ऑर्डर कर देता हूं। कल संडे है तो मैं पूरा दिन तुम्हारे साथ ही रहूंगा।”

“अच्छा ठीक है, आज तुम खाना ऑर्डर कर दो लेकिन कल से मैं ही तुम्हारे लिए खाना बनाऊंगी। मैं यहां  आ गया तो तुम्हें घर का कोई भी काम करने नहीं दूंगी। न ही बाहर का खाना घर के अंदर आएगा।” मेल्विन की मां ने सख्त हिदायत देते हुए उससे कहा।

“अच्छा ठीक है, मुझे मंजूर है। मैं भी बाहर का खाना खा–खाकर पक गया हूं। अब मां के होते हुए बाहर का खाना खाना पड़े, ये क्या अच्छा लगेगा।”

मेल्विन ने जब ये कहा तो उसकी मां मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ फिराने लगी।

इसके बाद मेल्विन ने खाना ऑर्डर किया और डिनर करने के बाद वो अपने कमरे में सोने चला गया। बेड पर करवटें बदलते हुए भी उसके दिमाग में बार-बार रघु और डायरी के वो पन्ने ही घूम रहे थे।

“रघु को इस बारे में कैसे मालूम होगा?” मेल्विन अपने आप से बातें करते हुए बोला, “क्या उसके पिता या घर का कोई बड़ा आदमी भी मेरे पिताजी के साथ इस स्मगलिंग में शामिल था? और पिताजी का वो दोस्त जो नाना जी के भी दोस्त थे, उनका इन सब में क्या रोल हो सकता है? उस आदमी को देखकर ही मुझे कुछ गड़बड़ लगता है। क्या रघु का कोई कनेक्शन रमेश जी से निकल सकता है?”

पूरी रात मेल्विन इन्हीं सब ख्यालों में खोया रहा। रात के 2 बजे के बाद उसे कब नींद लग गई, खुद उसे भी मालूम नहीं चला।

अगले दिन मेल्विन की नींद तब खुली जब एक अननोन नंबर से उसके मोबाइल पर कॉल आया।

“हेलो मेल्विन!” एक लड़की की आवाज मेल्विन के कानों में पड़ी तो मेल्विन की नींद जैसे उड़ गई।

“हेलो कौन? रेबेका?” मेल्विन ने फोन पर आवाज पहचानने की कोशिश करते हुए पूछा।

“हां। मेरा नंबर तुमने सेव नहीं किया है क्या?” रेबेका ने मुस्कुराते हुए पूछा।

“नहीं। तुम्हारे मिसिंग होने वाले कांड के टाइम मैंने तुम्हारा फोन नंबर तो लिया था लेकिन उसे सेव करना भूल गया था।” मेल्विन ने अपनी आंख साफ करते हुए कहा।

“अच्छा। कोई बात नहीं।” रेबेका ने कहा, “मैंने तुम्हें एक बार फिर से याद दिलाने के लिए फोन किया है कि आज शाम को मेरे शो में तुम्हारा आना जरूरी है। मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी।”

“ठीक है रेबेका, मुझे याद है। लेकिन मैं मां को लेकर नहीं आ पाऊंगा। शाम को दो-तीन घंटे मैं मां को अकेले यहां छोड़कर आऊंगा। उनका बहुत मन है कि वो मेरे लिए खाना बनाएं।”

“तुम्हारी मां सचमुच बहुत अच्छी है मेल्विन। तुम दोनों के बीच का कनेक्शन मुझे बहुत अच्छा लगता है। काश, मैं तुम्हारी मां से एक बार मिल पाती।”

“फिलहाल तो ऐसा सोचना भी पाप है। मेरी मां के खयालात बहुत पुराने हैं। अगर उन्हें हमारे बारे में कुछ मालूम चल गया तो शायद हमारी और तुम्हारी ये मुलाकात ही आखिरी हो जाए।”

“क्या मतलब कि वो पुराने ख्यालात वाली है। आखिर वो एक बुजुर्ग हैं तो उनके ख्यालात तो पुराने ही होंगे न। अगर कोई और भी तुम्हें इस उम्र में मेरे साथ देखेगा उसके मन में भी अच्छा ख्याल तो आयेगा नहीं।”

“तुम मेरी टांग मत खींचो। मुझसे इतनी जल्दी बोर हो गई हो तो कहो, मैं शाम को मां को लेकर ही आ जाता हूं।” मेल्विन ने हंसते हुए कहा।

“अरे नहीं–नहीं, मैं तो मजाक कर रही थी मेल्विन। आज शाम को तुम मेरे शो में आ जाओ मेरे लिए वही बहुत है। चलो, अब फोन रखती हूं मुझे ढेर सारी तैयारियां भी करनी है।

“ओके बाय, सी यू सून।” मेल्विन ने कहा और अपना फोन रख दिया।

मेल्विन को रेबेका से बात करते हुए उसकी मां ने सुन लिया था। उनके मन में एक अजीब सी घबराहट होने लगी थी।

फोन रख कर जब सामने की ओर देखा तो उसकी मां वहीं खड़ी थी। उसे लगा जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो।

“तुम किससे बातें कर रहे थे मेल्विन?” मेल्विन की मां ने उससे पूछा, “क्या ये तुम्हारी वही दोस्त है जिसका नाम रेबेका है?”

“मां, आप यहां!” मेल्विन ने घबराते हुए कहा।

“क्यों, भूल गए थे कि मैं तुम्हारे पास ही हूं?” 

“ऐसी बात नहीं है मां!”

क्या मेल्विन की मां रेबेका के बारे में जान पाएगी? का मेल्विन रघु को ढूंढ सकेगा? आखिर रमेश कौन था? क्या इसका कनेक्शन मेल्विन के पिता से था?

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