“हेलो आंटी!” पीटर ने मेल्विन की मां को देखते ही कहा। वो ट्रेन के दरवाजे पर खड़ी मेल्विन को ढूंढ रही थीं, “मैं पीटर, मेल्विन का दोस्त।”

“पीटर!” मेल्विन की मां ने चौंकते हुए कहा, “तू यहां? मेल्विन कहां है?”

“आंटी, पहले घर चले फिर बात करते हैं।” पीटर ने कहा।

“ये कौन है?” मेल्विन की मां ने डायना को देखकर पूछा, “तुम्हारी बीवी है?”

“हां, बस यही अंदाजा लगाना होता है आप बड़े लोगों को।” पीटर ने मुस्कराते हुए उनका सामान उठा लिया था, “ये मेरी दोस्त डायना है।”

“बीवी नहीं है तो गर्लफ्रेंड बोलो न।” मेल्विन की मां ने कहा।

“आंटी, आज ही तो दोस्त बनी है, क्यों मेरे पीछे पड़ गई आप।” पीटर ने कहा। 

“कोई बात नहीं पीटर, वो बुजुर्ग हैं। उनकी बात को दिल पर क्या लेना।”

पीटर ने रेलवे स्टेशन के बाहर से एक टैक्सी ली और फिर सीधा मेल्विन के फ्लैट पर पहुंचा गया। 

“पीटर, तुम आंटी के साथ बैठो! मैं हम तीनों के लिए चाय बनाती हूं।” डायना ने कहा।

“ठीक है, थैंक्यू डायना!” पीटर ने कहा तो डायना किचेन की ओर चली गई।

“मेल्विन कहां है?” मेल्विन की मां ने फिर पूछा।

“उसके बॉस मिस्टर कपूर को पुलिस अरेस्ट करके ले गई है। मेल्विन आज ऑफिस नहीं जाने वाला था। ट्रेन काफी लेट थी लेकिन अचानक हुए उसके बॉस के अरेस्ट से मेल्विन को अर्जेंटली जाना पड़ा।”

“अरेस्ट! लेकिन क्यों? क्या वो कोई क्रिमिनल है?” मेल्विन की मां ने पूछा, “उसने कौन सा गुनाह कर दिया?”

“अब ये तो मेल्विन ही लौटकर बता सकता है।” पीटर ने कहा।

“उसने मुझे इस बारे में कुछ बात नहीं की। अगर वो मुझे नहीं लेने आने वाला था तो मुझे बता देना चाहिए था।”

“ये सबकुछ बहुत अचानक हुआ आंटी!” पीटर ने कहा, “मैं वहीं था। मैंने ही उसे सजेस्ट किया कि वो तुरंत पुलिस स्टेशन चला जाए। आपको मैं रिसीव कर लूंगा।”

पीटर की बातों से ध्यान हटाकर मेल्विन की मां मेल्विन के फ्लैट को ऊपर से नीचे तक देखने लगी थी। तभी डायना चाय लेकर कमरे में आ गई।

“चाय के लिए दूध थी?” मेल्विन की मां ने पूछा।

“हां!” डायना ने कहा तो मेल्विन की मां ने चाय की एक सिप ली।

“ये पाउडर वाले दूध का स्वाद है!” मेल्विन की मां ने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा, “मेल्विन ये चाय पीता है!”

“नहीं, मैं तो जब भी यहां हूं मेल्विन ने चाय मंगवाकर पिलाई है।” पीटर ने कहा, “वो बस शराब और पोक खुद तैयार है। उसका फेवरेट है न। आप तो जानती ही होंगी।”

“तो मुझे भी बाहर से मंगवाकर चाय पिला देते। पाउडर वाली दूध उसने जरूर इमरजेंसी टाइम के लिए रखी होगी।”

“आंटी, मैं दूसरा दूध वाला चाय बना देती हूं।” डायना ने कहा, “आप ये चाय वापस मुझे दे दीजिए।”

“बाहर से ही चाय मंगवा लो!” मेल्विन की मां ने चाय वापस डायना को थमाते हुए कहा। पीटर ने जब बाहर से चाय मंगाने की बात सुनी तो उसने तुरंत अपनी चाय उठाकर एक सिप ली। चाय उसकी जबान पर किसी कड़वे काढ़े की तरह लगी। उसके तुरंत मुंह बना लिया। 

“आई एम सॉरी आंटी!” पीटर ने कहा, “मैं भी पहली बार पी रहा हूं ऐसी चाय।”

“एक्सक्यूज मी!” डायना ने तुरंत सवालिया नजरों से पीटर को देखते हुए पूछा, “क्या मतलब है तुम्हारा?”

“मतलब दूध वाले पाउडर की चाय पहली बार पी है। पीटर ने कहा, “सचमुच ये बहुत बड़ा स्कैम है। ऐसी चाय में फ्री में भी ना पियूं। आंटी बस 2 मिनट रुकिए आप। आपके लिए एक बढ़िया चाय लेकर आता हूं।”

इतना कह कर पीटर तुरंत फ्लैट से बाहर निकल गया।

उधर मेल्विन अब भी रेबेका के सवालों में उलझा हुआ था। रेबेका चाहती थी कि मेल्विन उसके शो को देखने के लिए आए। उसके इसके लिए मेल्विन को 2 फ्री पास भी उसे दिए। 

“मैंने तुम्हें पास दे दिए हैं मेल्विन। मैं कल तुम्हारा इंतजार जरूर करूंगी।” रेबेका ने कहा।

“ठीक है! मैं कोशिश करूंगा रेबेका!” मेल्विन ने कहा, “मां मुंबई में नहीं होती तो मैं जरूर आता।”

“इसलिए तो तुम्हें दो पासेस दिए मैंने।” रेबेका ने कहा, “मां को साथ में लेकर आना। मैं भी उन्हें मिल लूंगी।”

इससे पहले कि मेल्विन रेबेका के इस बात का जवाब देता, मिस्टर कपूर पुलिस स्टेशनस बाहर आते हुए दिखाई दिया। उसके साथ एडवोकेट दीक्षित भी था। 

“ठीक है दीक्षित, मैं समझ गया। जरूरत पड़ने पर मै फिर तुम्हें कॉल करूंगा।” मिस्टर कपूर ने एडवोकेट दीक्षित को गुड बाय कहते हुए कहा। 

“स्योर मिस्टर कपूर!” एडवोकेट दीक्षित ने कहा फिर वो अपने मर्सिडीज के बैठकर वहां से चला गया। 

“हाय मिस रेबेका!” मिस्टर कपूर ने रेबेका को उसके नाम से बुलाते हुए कहा, “आपके बारे में थोड़ा–बहुत मै जानता हूं इसलिए हैरान मत होइए।”

“हेलो सर!” रेबेका ने भी मुस्कुराते हुए कहा। 

“सर, पुलिस ने आपको अरेस्ट क्यों किया था?” मेल्विन ने पूछा, “महेश ने बताया कि आप पर कई संगीन आरोप हैं।”

“अगर आपके पास बहुत सारा पैसा हो तो आप यूं ही पुलिस के नजरों में आरोपी हो जाते हैं। पुलिस मुझे घनश्याम की हत्या करने के जुर्म में यहां ले आई थी। मैंने तुम्हें यहां अपनी मदद के लिए बुलाया था लेकिन इसकी जरूरत नहीं पड़ी।” मिस्टर कपूर ने कहा। 

“मेरी कैसी मदद सर?” मेल्विन ने पूछा, “मैं खुद नहीं समझ पा रहा हूं आखिर पुलिस किस एंगल से आपको घनश्याम का हत्यारा समझ रही है।”

“घनश्याम के फ्लैट से पचास लाख रुपए कैश मिले हैं। पुलिस ने बैग की पहचान करते हुए बताया कि वो पचास लाख मैंने उसे दिए थे किसी का मर्डर करने के लिए। किसी का मतलब तुम्हारा। मैंने पुलिस को साफ–साफ हमारे 17 साल पुराने बॉन्ड के बारे में बताया और ये जानकारी दी कि मेरे पास तुम्हारा मर्डर करने का कोई रीजन नहीं है। वो पचास लाख चोरी हो गए थे। मैंने इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी थी क्योंकि इतना कैश रखने का मेरे पास कोई रिकॉर्ड नहीं था। इतने बड़े धंधे में पचास, सौ लाख कैश भी मुझे मिल जाते हैं। मैंने सोचा नहीं था कि ये बात इतनी गंभीर भी हो सकती हैं।”

“लेकिन मैं अब भी ये नहीं समझ पा रहा हूं सर कि मैं आपकी गिरफ्तारी में कैसे मदद कर सकता था?” मेल्विन ने पूछा। 

“तुम मेरी मदद मेरे और घनश्याम के बारे में पुलिस को बातकर कर सकते थे मेल्विन। घनश्याम एक सस्पेक्टफुल आदमी था ये बात तुम अच्छी तरह जानते हो। जब घनश्याम की हत्या हुई तब मैं सिंगापुर में था ये बात भी तुम्हें मालूम है। तुम मेरे लिए एक मात्र चश्मदीद गवाह थे जो मेरी तरफ से पुलिस को गवाही दे सकते थे। खैर, अभी ये मामला और निपट चुका है। तुम्हारा यहां आने के लिए शुक्रिया मेल्विन। मैं तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर वापस लेने का फैसला किया है।”

“मैं कुछ समझा नहीं सर! पहले आप मुझे टर्मिनेशन लेटर मेल करते हैं और फिर बिना कारण है उसे वापस ले लेते हैं। आखिर ये सब आप क्यों कर रहे हैं सर?”

“मेरे साथ गाड़ी में आओ मेल्विन! मैं तुम्हें सब समझाता हूं।” मेल्विन ने कॉल करके अपनी कार पुलिस स्टेशन के बाहर ही मंगवा ली थी। वे तीनों कार में बैठकर आगे बढ़े तब मिस्टर कपूर ने कहा, “मेल्विन, मैं जानता हूं तुम्हारे मन में मेरे लिए कई तरह के ख्याल एक साथ आ रहे होंगे। आने भी चाहिए। आखिर इंसान जब अंधेरे में होता है तो वो तरह-तरह के अंदाजे ही लगाता है। मैं एकमात्र वो उजाला था जो तुम्हें अंधेरे से खींच सकता था लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। मेल्विन, ये गिरफ्तारी मेरी जगह तुम्हारी भी हो सकती थी। तुम तो आज भी घनश्याम की हत्या के बाद थाने में जाकर हाजिरी देते हो। पुलिस का शक तुम पर भी है। वे  घनश्याम और उसके पिता के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं। जैसे-जैसे उनकी जानकारी बढ़ेगी वैसे-वैसे तलवार तुम पर भी लटकेगी।”

“मैं ये बात जानता हूं सर। मैं जानता हूं कि घनश्याम के तार मेरे और आपके पिता से जुड़े हुए हैं। किस तरह जुड़े हुए हैं ये मैं नहीं जानता। सिर्फ आप जानते हैं लेकिन शायद आप बताना नहीं चाहते।”

“मैं दअरसल इस बारे में बात ही नहीं करना चाहता।” मिस्टर कपूर ने कहा, “क्योंकि इसके पीछे की सच्चाई तुम सुन नहीं सकोगे। अगर तुमने अपने पिता की कहानी जान ली तो शायद तुम फिर कभी चैन से नहीं जी सकोगे। मैं तुम्हें ऑफिस से इसलिए ही निकालना चाहता था ताकि तुम्हारे पिता और तुम्हारे बीच की जो कड़ी है वो टूट जाए। ये वो कड़ी है तो मुझसे और मेरे पिता से जुड़े हुई है।”

“इस तरह की बातें करके आप मेरी जिज्ञासा और बढ़ा रहे हैं सर।” मेल्विन ने कहा, “आखिर मेरे पिता की ऐसी कौन सी सच्चाई है जिसे मुझे जानने का हक नहीं है?”

मिस्टर कपूर ने कुछ भी कहने से पहले एक बार रेबेका की ओर रेखा फिर ड्राइवर की तरफ देखा। ड्राइवर का ध्यान उनकी बातों की ओर नहीं था।

“शायद अब मुझे तुम्हें ये बात बता ही देनी चाहिए। मेल्विन, दरअसल हमारे पिता बहुत बड़े स्मगलर थे। जब 1972 में बांग्लादेश बन रहा था तब वो ह्यूमन बॉडी पार्ट्स की स्मगलिंग कर रहे थे। ये स्मगलिंग देश से बाहर जा रहा था। इस तरह का ये पहला मामला था। दूर-दूर तक लोगों को ह्यूमन बॉडी पार्ट्स के स्मगल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मेरे पिता और तुम्हारे पिता ने मिलकर इसकी नींव रखी थी। इसमें घनश्याम के पिता भी शामिल थे। इन लोगों ने हिंदुस्तानी और पाकिस्तानी सैनिकों की बॉडी पार्ट्स को स्मगल किया। इसके बदले उन्हें इतना रुपया मिला जिसे देखकर ये पागल हो उठे। मेरे और तुम्हारे पिता तो इस इस चक्कर में पहले ही मारे गए लेकिन घनश्याम के पिता की हत्या अब जाकर हुई है।”

“घनश्याम के पिता की हत्या!” मेल्विन हैरानी से कहा, “क्या उनकी हत्या हुई थी?”

“घनश्याम की हत्या भी हुई थी लेकिन उसका कारण कुछ और था। वो खुद एक क्रिमिनल था। उसके गैंग के लोग ही उसके दुश्मन बन गए थे। जब उसके पिता का यहां आना–जाना शुरू हुआ तभी मुझे लगा कि तुम्हें कंपनी से निकाल देना हैंबेहतर है। अगर तुम्हारे बारे में उनके गैंग को पता लग जाता तो वो तुम्हारी भी हत्या कर सकते थे।”

“मेरी हत्या क्यों करेंगे?” मेल्विन ने पूछा, “न तो मुझे इस बारे में कोई जानकारी है और न ही मैं कोई स्मगलर हूं।”

“बात कम से कम 500 करोड़ रुपए की है मेल्विन!” मिस्टर कपूर ने बताया, “50 साल पहले 5 करोड़ रुपए थी। लेकिन आज वो 500 करोड़ की रकम बन चुकी है। जिस डायरी का कुछ हिस्सा मैंने तुम्हें पढ़ने को दिया था दअरसल मुझे भी वो टुकड़ों में मिला जिसमें मैंने कुछ पन्ने निकालकर मैंने तुम्हें सौंप दिया। रकम वाली बात उसमें लिखा है जो पन्ने मेरे पास है। वो रकम कहां है इस बारे में लिखे पन्ने अब तक गायब हैं।”

“तो ये है पूरा मामला।” मेल्विन ने गहरे ख्यालों में डूबे हुए कहा, “मतलब हमारे पिता ने पूरी जिंदगी मेहनत की लेकिन जब उसका फल मिलने की बारी आई तो मारे गए। आई एम स्योर, मेरे पिता की भी हत्या की गई है इसी रकम के लिए।”

“हम दोनों के पिता का अंत कैसे हुआ, ये अब भी रहस्य है। लेकिन तमाम चीजों को देखने के बाद तो यही लगता है कि उनकी भी हत्या ही की गई थी।”

“क्या उस रकम के रहस्य को जानने के लिए और भी हत्याएं हो सकती हैं मेल्विन?” रेबेका ने पूछा, “जैसा कि सर ने बताया, 5 करोड़ की ये रकम आज के टाइम में 500 करोड़ का हो चुका है। तो क्या ये रकम सोने या हीरे के रूप में है?”

“ऐसा ही होगा। लेकिन उसका वजूद आज है भी या नहीं कौन कह सकता है!” मेल्विन ने कहा, “एक बात तो तय है कि घनश्याम और उसके पिता को इसके बारे में कुछ तो मालूम था। मैंने वो लेटर खो दिया। अगर वो लेटर मैंने पढ़ लिया होता तो आज इसका सॉल्यूशन भी हो गया होता।”

“सॉल्यूशन तो अब भी है मेल्विन!” मिस्टर कपूर ने कहा, “हमें डायरी के वो पन्ने चाहिए जिस पर बाकी की जानकारी लिखी गई है। ये या तो मेरे पिता ने कहीं गायब कर दिया है या फिर तुम्हारे पिता ने। या कोई तीसरा शख्स है जो इसे लेकर घूम रहा है, हत्याएं कर रहा है। जरूर वो जानकारी एक कोड में रूप में होगी जिसके बारे में वो जानने के लिए भटक रहा है।”

जैसे मिस्टर कपूर ने ये बात कही, मेल्विन के आंखों के सामने रघु नाम के उस शख्स का चेहरा घूमने लगा जो उसे ढूंढता हुआ पालघर तक पहुंच गया था।

क्या मेल्विन रघु तक पहुंचने को कोशिश करेगा? क्या रघु ही वो आखिरी कड़ी है जो स्मगलिंग से जुड़े केस को हल कर देगा? मेल्विन की मां अपने साथ जो चीजें लाई हैं क्या वहां से मेल्विन को आगे का रास्ता दिखाई देगा?

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