“अगर वो तुम्हारे मॉम–डैड नहीं थे तो फिर कौन थे?” मेल्विन ने पूछा, “मैंने तो वहां उन दोनों के अलावा किसी और को देखा भी नहीं।”
“मेरे मॉम–डैड बचपन में ही गुजर गए।” रेबेका ने बताया, “जिनके साथ मैं रहती हूं उन्होंने मुझे गोद लिया है। उन्हें नहीं मालूम कि ये बात मैं जानती हूं। वो अब भी यही सोचते हैं कि मैं उन्हें अपना मॉम–डैड समझता हूं।”
मेल्विन ने जब रेबेका के मुंह से ये सुना तो गहरी सोच में डूब गया।
“मतलब तुम एक आर्फन हो?” मेल्विन ने चकित होते हुए पूछा, “उन्हें देखकर लगा नहीं कि वो तुम्हारे असली मॉम डैड नहीं है।”
“किसी को सिर्फ देखकर कैसे बताया जा सकता है कि वो असली मॉम–डैड है या नहीं।” रेबेका ने पूछा, “मैं 3 साल की थी जब उन्होंने मुझे गोद लिया था।”
“मतलब तुम्हें अपने मॉम–डैड के बारे में कुछ भी नहीं मालूम?” मेल्विन को अब भी रेबेका की बातों पर यकीन नहीं हो पा रहा था। मेरे लिए ये सच में बहुत हैरत वाली बात है।”
“इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है। गोद ली हुई ही सही लेकिन वे मेरे मॉम–डैड तो है। हां, जब से मुझे ये पता चली है तब से मुझे अब वो फीलिंग नहीं आती है।” रेबेका ने बताया।
“कब पता चला आपको इस बारे में?” मेल्विन ने पूछा। उनकी चाय का आर्डर आ गया था।
“जब मैं 12वीं का एग्जाम दे रही थी तब। मेरे हाथ उनका एक मेडिकल रिपोर्ट लगा था जिस पर लिखा था कि वो कभी माता-पिता नहीं बन पाएंगे।”
“मतलब इस बात को 18–20 साल गुजर चुके हैं। तुमने ये कभी भी उन्हें एहसास नहीं होने दिया कि तुम्हें ये बात मालूम है?”
“बहुत मुश्किल होता है मेरे लिए ऐसा करना। लेकिन अब तक तो उन्हें मालूम नहीं चलने दिया है। खैर, छोड़िए इन सब बातों को। मैं इस टॉपिक पर जितना बात करूंगी उतना ही मुझे ये याद आता रहेगा की मेरे मॉम–डैड इस दुनिया में नहीं है। इससे मेरे और इन मॉम–डैड के रिश्ते पर असर पड़ेगा। आप बताइए, आपकी मां कब मुंबई पहुंच रही हैं?”
“2 बजे ट्रेन यहां आ जाएगी। हाफ डे करके मैं उन्हें रिसीव करने के लिए आने वाला था लेकिन लग रहा है दो तो यही बज जाएंगे।” मेल्विन ने बताया।
“और आपकी जॉब का क्या हुआ? टर्मिनेशन लेटर के बारे में आपकी बॉस से बात हुई?” रेबेका ने पूछा।
“बात तो तब होगी जब हम मिलेंगे। यहां से टाइम पर फ्री हो जाऊं तो शायद शाम को बॉस से ऑफिस में मिल पाऊं।” इतना कहने के बाद मेल्विन ने चाय की एक सिप ली।
इधर मेल्विन ऑफिस जाने के लिए परेशान था तो उधर उसके ऑफिस में एक अलग ही हंगामा खड़ा हो चुका था। पुलिस की एक टीम तेजी से मिस्टर कपूर के ऑफिस के अंदर घुस चुकी थी। महेश और दूसरे एंप्लॉई पुलिस के इस तरह से धावा बोलने से हैरान थे।
“क्या मिस्टर कपूर यहां अपने ऑफिस में है?” पुलिस इंस्पेक्टर ने महेश से पूछा।
“जी, वो अपने केबिन में है।” महेश में जल्दी से मिस्टर कपूर के केबिन की ओर इशारा करते हुए जवाब दिया।
वो इंस्पेक्टर अपने साथी पुलिस वालों को लेकर मिस्टर कपूर के केबिन में घुस गया।
“हेलो मिस्टर कपूर! पुलिस इंस्पेक्टर ने हथकड़ी अपने हाथ में लहराते हुए कहा, “यू आर अंडर अरेस्ट!”
पुलिस वाले को वहां देखकर मिस्टर कपूर के होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी। न तो घबरा हुआ दिखाई दे रहा था और न ही डरा हुआ। जैसे उसे पहले से ही इस अरेस्ट के बारे में मालूम था।
पुलिस हथकड़ी लगाकर जब मिस्टर कपूर को उसके केबिन से बाहर ले आई तब महेश ने मिस्टर कपूर से पूछा, “सर मैं एडवोकेट साहब को अभी फोन करके बुला लेता हूं।”
“नहीं महेश, इसकी जरूरत नहीं है। वो पुलिस स्टेशन मुझसे पहले पहुंच जाएंगे। मेरे पीछे तुम यहां का ध्यान रखना। मेल्विन आए तो उसे कहना, मुझे पुलिस स्टेशन में आकर मिले।”
“सर, मैं उसे कॉल कर दूं?” महेश ने पूछा।
“नहीं, उसे कॉल करने की जरूरत नहीं है। उसे ऑफिस आने दो। फिर उसे इस बारे में बताना।” मिस्टर कपूर ने कहा।
“ओके सर। लेकिन आखिर माजरा क्या है सर? पुलिस आपको क्यों गिरफ्तार करके ले जा रही है?” महेश ने जानने की कोशिश करते हुए पूछा।
“मिस्टर कपूर पर कई संगीत आरोप है। बहुत जल्द आप लोगों को सब कुछ मालूम चल जाएगा।” पुलिस इंस्पेक्टर ने इतना कहा और फिर मिस्टर कपूर को वहां से गाड़ी में बिठाकर पुलिस स्टेशन ले गई।
मिस्टर कपूर के वहां से जाते ही महेश अपने आप से बड़बड़ाने लगा, “आजकल बॉस के दिमाग में क्या चल रहा है कुछ समझ में नहीं आता। पहले तो मेल्विन को ऑफिस से निकालने की बात करते हैं फिर मुसीबत में उसी को पुलिस स्टेशन बुलाते हैं। अब इनकी गिरफ्तारी में भला मेल्विन क्या कर सकता है!
बॉस के मना करने के बावजूद महेश ने तुरंत मेल्विन को कॉल लगा दिया था।
इधर पीटर भी अपनी दोस्ती डायना के साथ बढ़ा रहा था।
“तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है पीटर?” डायना ने पूछा।
“है।” पीटर ने बताया, “एक्चुअली कॉम्प्लिकेटेड है। पता नहीं कि वो मेरी गर्लफ्रेंड है या नहीं।” पीटर ने बताया।
“तो पूछ लो उससे।” डायना ने सजेस्ट किया।
“इतनी जल्दबाजी करना ठीक नहीं।” पीटर ने कहा, “मैं चाहता हूं कि वो खुद रियलाइज करे कि मैं उससे प्यार करता हूं। मैं पूछने से डरता हूं। नहीं सुनने की हिम्मत मैं नहीं जुटा पाऊंगा। जैसा चल रहा है वैसे ही अच्छा है मेरे लिए।”
“काफी सेफ्टी रखते हैं आप ऐसे मामले में।” डायना ने कहा, “लेकिन अगर इंतजार में वो किसी और के साथ चली गई तो?”
“चले जाए। मुझे उसके साथ रिलेशनशिप थोड़ी न रखना है जिसका किसी और के साथ भी जाना पॉसिबल हो।”
“आपकी बात भी सही है।” रेबेका ने कहा, “लेकिन आपकी होनी वाली गर्लफ्रेंड को ये बात कैसे मालूम होगा कि आप उससे प्यार करते हैं।”
“मैं उसे बातों ही बातों में अपने दिल की बात कह देता हूं।” पीटर ने बताया, “वो मुस्कुराती तो है लेकिन कुछ कहती नहीं। जिस दिन कुछ कहेगी, मैं समझ जाऊंगा कि वो भी मुझसे प्यार करती है या नहीं।”
“इसमें इंतजार लम्बा भी हो सकता है।” रेबेका ने कहा।
“हां, मुझे पता है। मजा भी इसी में है।” पीटर ने कहा, “अगर हम इस टॉपिक पर बात न करें तो चलेगा। क्योंकि मेरा मानना है कि इस उम्र हर किसी का पार्टनर होता ही है। आपका क्या ख्याल है?”
“मेरा नहीं है!” डायना ने ये कहते हुए अपनी नजरें दूर से आती ट्रेन की ओर कर ली।
“क्या!” पीटर को डायना की ये बात सुनकर हैरानी हुई, “कल तो आप खुद को नॉन–वर्जिन और रिलेशनशिप में बता रही थीं।”
“झूठ बोला था मैंने।” डायना ने कहा, “मेरा ब्रेकअप 6 महीने पहले ही हो चुका है। ये बात अभी रेबेका को नहीं मालूम इसलिए मुझे कल झूठ बोलना पड़ा था।”
“इसमें छिपाने वाली कौन सी बात है?” पीटर ने पूछा, “कहीं आप कल मुझे ही तो नहीं टाल रही थी?”
“नहीं, मैं आपको नहीं टाल रही थी। दरअसल रेबेका को ब्रेकअप और दिल टूटने वाली बात से बहुत दुख होता है। वो पिछले सात में कभी रिलेशनशिप में नहीं आई। उसका भरोसा इन सब चीजों से उठ चुका है। लेकिन मैं जानती हूं उसे एक साथी की बेहद जरूरत है। अगर मैंने उसे बता दिया कि मेरा बॉयफ्रेंड मुझे छोड़कर चला गया है तो वो शायद आपके दोस्त में जरा भी इंट्रेस्ट न ले जो कि मैं नहीं चाहती।”
“ब्रेकअप से इतना क्या परेशान होना।” पीटर ने पूछा, “ब्रेकअप आखिर उसी से होता है न जिससे प्यार–मोहब्बत नहीं रह जाती। जिससे रिश्ता टूट जाता है। मेरा मानना है कि रिलेशनशिप में ऐसे रहो कि दिल टूटे ही न। वरना ब्रेकअप से डरता और परेशान होना छोड़ दो। जहां तक मेल्विन की बात है, उसकी सिचुएशन भी काफी हद तक मिस रेबेका से मेल खाती है। शायद उसने कभी की गर्लफ्रेंड नहीं बनाया। मिस रेबेका को देखकर उसके दिल में हलचल हुई और उसने अपने पार्टनर बनाने की सोची। उसे एक पार्टनर की जरूरत है ये बात मुझसे बेहतर और कोई नहीं जान सकता।”
“मेल्विन ने कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनाई फिर आपको ऐसा क्यों लगता है?” डायना ने पूछा, “आप शायद मेल्विन को काफी करीब से जानते हैं।”
“कुछ ऐसा ही है।” पीटर ने कहा तभी उसका ध्यान मेल्विन की तरफ गया। वो अपनी पैंट की जेब से मोबाइल निकालकर अपने कान में लगा रहा था।
“व्हाट!” फोन पर मेल्विन ने कहा। उसकी आवाज इतनी तेज भी कि पीटर ने भी उसे सुना, “मैं तो अभी मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर ही अटका हुआ हूं। आगे कोई मालगाड़ी डिरेल हो गई है। शायद उसे वापस पार्टी में आने में कुछ घंटे लग जाए। लेकिन पुलिस बॉस को अरेस्ट कर कर क्यों ले गई है?”
“मुझे कुछ भी नहीं मालूम मेल्विन। मैं तो बहुत से पूछा भी। लेकिन इंस्पेक्टर साहब ने जवाब दिया कि उन पर कई संगीन आरोप है। बॉस ने मुझसे कहा कि तुम्हें ऑफिस में आते ही पुलिस स्टेशन भेज दूं।”
“मैं मेट्रो लेकर ऑफिस पहुंच रहा हूं महेश। मेल्विन ने कहा, “क्या तुमने एडवोकेट दीक्षित को कॉल किया?”
“हां, बॉस ने उन्हें पहले ही कॉल कर दिया है। तुम बस जल्दी से यहां आ जाओ।”
इतना कहकर महेश ने फोन कट कर दिया। फोन पर उसकी बातचीत सुनकर पीटर वहीं आ गया था।
“क्या हुआ मेल्विन?” पीटर ने पूछा।
“महेश का फोन आया था। पुलिस मिस्टर कपूर को अरेस्ट करके ले गई है।” मेल्विन ने बताया, “मुझे तुरंत पुलिस स्टेशन पहुंचना होगा।”
“लेकिन तुम पुलिस स्टेशन क्यों जा रहे हो मेल्विन? तुम्हें इन सब से क्या लेना देना? तुम्हारे बॉस ने जरूर कोई बहुत बड़ा कांड किया होगा। वरना इतने बड़े आदमी पर पुलिस इतनी जल्दी हाथ नहीं लगाती। वो मुझे लगता ही है एक नंबर का करप्ट आदमी।”
“पीटर, बॉस ने अरेस्ट होते समय महेश को कहा कि जैसे ही मुझे ये खबर मिले मैं तुरंत पुलिस स्टेशन जाऊं।”
“अजीब बात है। वो आदमी तुम्हें टर्मिनेशन लेटर भेजता है वही मुसीबत में तुम्हें याद भी करता है। जाओ फिर, मैं कौन होता हूं तुम्हें रोकने वाला।”
*इसमें नाराज होने वाले कौन सी बात है पीटर। तुम भी मेरे साथ चलो।” मेल्विन ने कहा।
मेल्विन ने ये कहा तो पीटर सच में डूब गया।
“तुम चल रहे हो या नहीं?” मेल्विन ने पूछा।
“चलो, मैं चलता हूं।” पीटर ने कहा। रेबेका भी तब तक वहां आ गई थी।
“मेल्विन, क्या सब ठीक है?” रेबेका ने पूछा, “तुम परेशान दिखाई दे रहे हो।”
“बॉस को पुलिस अरेस्ट करके ले गई है। मैं पुलिस स्टेशन जा रहा हूं। यहां से सीधा मेट्रो लूंगा। चलो पीटर!”
इतना कहकर मेल्विन और पीटर ट्रेन की तरफ आ गए।
“डॉक्टर साहब, हम यहां से मेट्रो लेकर वीटी जा रहे हैं।” पीटर ने कहा, “मेल्विन के बॉस को पुलिस अरेस्ट करके ले गई है।”
“क्या!” पीटर की बात सुनकर सब हैरान हो गए।
“तुम अपने टर्मिनेशन लेटर के बारे में उनसे बात करने वाले थे। ये अरेस्ट वाले मामले का क्या सीन है?” डॉक्टर ओझा ने पूछा।
“मैं ये सब बाद में मिलकर आपको बताऊंगा।” मेल्विन ने कहा, “हमें जल्दी निकलना होगा।”
“मेल्विन, मैं भी चलती हूं तुम्हारे साथ! अब वैसे भी स्कूल पहुंचकर कोई फायदा नहीं। हॉफ डे निकल चुका है।”
मेल्विन ने कुछ कहा नहीं, रेबेका समझ गई कि उसे इजाजत मिल गई है। रेबेका के साथ डायना भी उसके साथ मेट्रो की ओर चली गई।
“तुम्हारी मां को यहां कौन रिसीव करेगा मेल्विन?” रेबेका ने पूछा, “2 घंटे में उनकी ट्रेन यहां होगी।”
मेल्विन को जब मां का ख्याल आया तो वो सोचने लगा। तभी पीटर ने कहा, “मेल्विन, तुम और रेबेका पुलिस स्टेशन चले जाओ। मैं और डायना यहां मां को रिसीव कर लेते हैं।”
“ठीक है पीटर!” मेल्विन ने कहा, “चलो रेबेका!”
वीटी पहुंचते ही मेल्विन और रेबेका पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां एडवोकेट दीक्षित पहले ही मौजूद थे। मिस्टर कपूर को जमानत मिल गई थी।
“आओ मेल्विन!” मिस्टर कपूर ने मेल्विन ने देखते ही कहा, “तुम लेट हो गए। मुझे बेल मिल चुकी है। दो मिनट रुको। मैं तुमसे बात करता हूं।”
“ओके सर!” मेल्विन ने कहा और रेबेका को लेकर पुलिस स्टेशन से बाहर आ गया।
“मेल्विन, मुझे तुमसे कुछ कहना था!” रेबेका ने कहा, “कल मेरा एक शो प्ले होने वाला है। मेरा पहला शो जिसे मैंने डायरेक्ट किया है। शिवाजी मंडल ऑडिटोरियम में कल शाम 7 बजे का शो है। अगर मौका मिले तो एक देखना। इसके दो फ्री पास मैं तुम्हें दे रही हूं।”
“ओह, शुक्रिया रेबेका!” मेल्विन ने कहा, “लेकिन आज मां घर पर आ गई होगी, मैं कल तुम्हारा शो देखने कैसे आ पाऊंगा?”
मेल्विन ने जब रेबेका को ये जवाब दिया तो रेबेका का चेहरा उदासी में झुक गया।
क्या मेल्विन रेबेका का दिल रखने के लिए शो देखने जाएगा? क्या मेल्विन की मां रेबेका के बारे में जान जाएगी? आखिर मिस्टर कपूर को पुलिस ने क्यों अरेस्ट किया?
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