“ये सब बेकार की बातें हैं।” मेल्विन ने कहा, जब उसके एक कलीग ने उस पर दोष मढ़ते हुए अपनी बात रखी थी, “मिस्टर कपूर को अगर मुझसे पहले से कोई प्रॉब्लम थी तो उन्हें मुझे पहले ही कंपनी से बाहर कर देना चाहिए था। लेकिन उन्होंने नहीं किया। वो जानते थे कि मैं अपनी जगह पर सही हूं इसलिए उन्होंने मेरे अगेंस्ट कोई भी एक्शन नहीं लिया। अब उन्होंने एक बहाना ढूंढ कर मुझे कंपनी से बाहर निकालन का डिसीजन ले लिया है। आप लोगों को क्या मालूम नहीं कि सिंगापुर जाने से पहले उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी मुझे दे दी थी। अचानक इतने भरोसमंद आदमी को कंपनी से बाहर निकालने का क्या मतलब हो सकता है? यही ना कि उनका काम निकल गया तो अब वे मुझे किनारे कर रहे हैं।”
तभी महेश ने कहा, “मेल्विन, मैं इस मीटिंग को बहुत लंबा नहीं खींचना चाहता लेकिन मैं चाहूंगा कि एक बात तुम यहां क्लियर कर दो। आखिर उस अजीब सी डायरी, घनश्याम की हत्या और उसके पिता की मृत्यु, इन सब के पीछे जो कुछ भी है उससे इनडायरेक्ट तुम क्यों जुड़े हुए हो और किस तरह जुड़े? बीच में ये भी सुनने में आया था कि तुम्हारे और बॉस मिस्टर कपूर के पिता के बीच कभी घनिष्ठ संबंध है, इन सभी चीजों का क्या तुम्हारे टर्मीनेशन लेटर से कोई मतलब है?”
“मैंने उस बारे में सोचना बहुत पहले ही छोड़ दिया है महेश। बीती जिंदगी में झांकने का मुझे कोई फायदा नहीं दिखा। लेकिन अब मुझे लगता है कि मुझे वो चैप्टर इतनी जल्दी क्लोज नहीं करना चाहिए था। इस चैप्टर से मेरे टर्मिनेशन लेटर का जरूर कोई कनेक्शन है।”
“अब क्या नया मामला है मेल्विन?” तभी एक कलीग देने से पूछा, “क्या इसके बारे में हमें जानना चाहिए?”
“ये सवाल पूछने के लिए तुम्हारा शुक्रिया राहुल। ये एक ऐसा मामला है जिसके बारे में चर्चा करने का कोई फायदा नहीं है। ये मामला कंपनी के अंदर का नहीं है। इसलिए मैं इस टॉपिक को यहां नहीं उठाना चाहूंगा। मैं कल बॉस से इस बारे में मीटिंग करने वाला हूं कि वो मेरे अगेंस्ट इस तरह का एक्शन क्यों ले रहे हैं। मैं आप लोगों की रजामंदी चाहता हूं, क्या आप लोग बॉस के इस फैसले के अगेंस्ट मेरे लिए एक्शन लेंगे?”
“बॉस के खिलाफ एक्शन लेने का तो सवाल ही नहीं उठता मेल्विन।” मेल्विन के एक और कलीग ने अपनी बात रखते हुए कहा, “हां तुम्हारे सवाल के साथ हम कल जरूर खड़े होंगे।”
इस मीटिंग से मेल्विन को एक मोरल सपोर्ट मिला था।
अगले दिन सुबह 6 बजे मेल्विन की मां का फोन आया तब मेल्विन की आंखें खुली।
“हेलो मेल्विन बेटे! उठ गए या अभी सो ही रहे हो?”
“हेलो मां!” मेलबर्न ने नींद में ही कहा, “उठ गया हूं।”
“आज ऑफिस से जरा कुछ देर के लिए छुट्टी ले लेना मेल्विन।” मेल्विन की मां ने कहा, “इससे तुम्हारा काम का नुकसान नहीं होगा।”
“आज शायद मेरी हमेशा के लिए ही छुट्टी हो जाए मां।” मेल्विन ने कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा? और फोन से नहीं मुसीबत में फंस गए तुम?”
“हां मन नई मुसीबत ही कह लो।” मेल्विन ने कहा, “तुम मुंबई आ जाओ फिर बताता हूं इस मुसीबत के बारे में। अभी तुमने फोन करके मुझे उठाई दिया है तो मैं जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकलता हूं।”
पिछले दिन की तरह आज का दिन भी मेल्विन के लिए बेहद लंबा होने वाला था। जल्दी-जल्दी तैयार होकर वो रेलवे स्टेशन पहुंचा तो गाड़ी उसका पहले से ही इंतजार कर रही थी। मेल्विन दौड़कर लोकल ट्रेन में चढ़ गया।
“इतना भाग कर आने की जरूरत नहीं थी मेल्विन।” पीटर ने उसे देखते ही कहा, “अभी-अभी जानकारी मिली है कि आगे एक ट्रेन पटरी से उतर गई है। यहां से ट्रेन आगे बढ़ाने में न जाने कितने घंटे लग जाए। आज का दिन भी सत्यानाश ही समझो।”
“ये तुम क्या कह रहे हो पीटर?” मेल्विन ने अपना सिर पीटते हुए कहा, “ये कांड भी आज ही होना था! आज का दिन भी लगता है खराब जाने वाला है। समझ में नहीं आता कि मेरी किस्मत आखिर मुझे कैसे-कैसे दिन दिखाने वाली है?”
“घबराते क्यों हो मेल्विन!” डॉक्टर ओझा ने कहा, “आओ यहां बैठो! आज तुम्हारे लिए मैंने सीट बचा कर रखी है।”
“क्या फायदा डॉक्टर साहब?” मेल्विन ने उदास होते हुए पूछा, “वैसे भी आज बैठे-बैठे ही दिन निकल जाने वाला है।”
“इतना नेगेटिव क्यों सोचते हो!” डॉक्टर ओझा ने कहा, “पीटर की बातों पर ध्यान मत दो। आगे ट्रैक में कुछ प्रॉब्लम थी इसलिए गाड़ी थोड़ी सी लड़खड़ा गई है शायद। मालगाड़ी थी इसलिए किसी भी जान को कोई नुकसान नहीं हुआ है। जल्दी ही मामला हल हो जाएगा।”
“ये मामला तो हल हो जाएगा डॉक्टर साहब लेकिन उस मामले का क्या जिसे सुलझाने के लिए मेल्विन कल पुणे गया था?” लक्ष्मण ने कल वाली बात छोड़ते हुए पूछा तो मेल्विन ट्रेन के बाहर की ओर देखने लगा। जैसे उसे इस टॉपिक पर कोई बात न करनी हो। तब लक्ष्मण ने आगे कहा, “मुझे पहले ही मालूम था कि ये लड़की मेल्विन को सिर्फ अपने पीछे-पीछे दौड़ा रही है। उसके दिल में मेल्विन के लिए कोई फीलिंग नहीं है। अगर आप लोग थोड़ा दिमाग लगाकर सोचते तो पहले ही समझ जाते हैं। मैंने आप लोगों को आगाह किया था लेकिन मेरी यहां सुनता कौन है।”
“लक्ष्मण, क्या कुछ भी बक रहे हो तुम?” पीटर गुस्से में बोला, “तुम्हें जब कुछ मालूम नहीं है तो क्या तुम कुछ भी बोलोगे? तुम्हें हर बारे में अपनी राय क्यों देनी होती है लक्ष्मण? यहां किसी को भी तुम्हारी राय की जरूरत नहीं है?”
“डॉक्टर ओझा को जरूरत है मेरी राय की। आज के बाद उन्हें हर मामले में मेरी राय की जरूरत पड़ने वाली है।” लक्ष्मण ने मुस्कुराते हुए कहा, “अगर आज मेल्विन इतना उदास है तो इसका साफ मतलब है कि मैं ये शर्त जीत चुका हूं।”
“इतनी जल्दी जीत की खुशी मनाने की जरूरत नहीं है लक्ष्मण।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “मेल्विन और रेबेका के बीच सब कुछ ठीक है। और ये बात मैं आज साबित करके रहूंगा।”
डॉक्टर ओझा ने जब ये कहा तो पीटर और मेल्विन उसे हैरानी से देखने लगे।
इससे पहले कि उन दोनों में से कोई डॉक्टर ओझा से कुछ सवाल करता उन्हें दूसरे कंपार्टमेंट में रेबेका दिखाई दी। वे अभी–अभी ट्रेन में चढ़ी थी।
“लक्ष्मण, अगर मेल्विन कल नाकामयाब होकर लौटा होता तो मीरा रोड में रेबेका नहीं होती।” डॉक्टर ओझा ने कहा, “ये शर्त मैंने जी ली है।”
रेबेका को वहां देखकर लक्ष्मण को भी लगा कि वो शर्त हार गया है। रेबेका के साथ डायना भी वहीं थी।
“तुमसे जुड़ी मेरी कहानी की शुरुआत हमेशा बुरी क्यों होती है?” रेबेका ने डायना से पूछा, “तुम मुझे कुछ रास नहीं आ रही हो।”
“वो सब तो ठीक है, लेकिन तुम्हारा साथ मुझे क्यों रास नहीं आ रहा है?” डायना ने भी मुस्कुराते हुए रेबेका से उल्टा सवाल किया, “तुम तो मेरे लिए लकी चार्म हुआ करती थी।”
“क्या पता आज हमारी किस्मत में कुछ अच्छा होना लिखा हो। अब जबकि ट्रेन यहां से आगे नहीं बढ़ने वाली तो फिर चलो स्टेशन पर कुछ चाय–नाश्ता ही कर ले।” रेबेका ने कहा और वो डायना के साथ ट्रेन से नीचे उतर गई।
उधर पीटर ने मेल्विन से कहा, “हम भी स्टेशन पर चलें। प्लेटफार्म पर कुछ चाय–वाय पीते हैं।”
“डायना को देखते ही तुम्हारे दिमाग में खुराफात आने लगा है पीटर।” मेल्विन ने कहा, “आज ऑफिस में बॉस के साथ मेरी मीटिंग है। उसके बाद मुझे मां को रिसीव करने यहीं आना है। आज मेरा पूरा दिन बिखरा हुआ है। ऐसे में ट्रेन लेट है तो समझ में नहीं आ रहा है कि आज क्या होगा।”
“टेंशन मत लो मेल्विन!” पीटर ने कहा, “किस्मत से आगे कोई नहीं जा सकता। आज तुम्हारा दिन टेंशन भरा होने वाला था। गॉड ने इस टेंशन को कुछ देर के लिए दूर कर दिया है। मेरी बात मानो, आओ थोड़ा चाय पीते हैं और अपना दिमाग ठंडा करते हैं। इन लड़कियों का साथ हमारी चाय को और स्वादिष्ट बना देगा।”
पीटर मेल्विन को लेकर ट्रेन से नीचे उतर गया।
इधर ट्रेन के अंदर डॉक्टर ओझा ने लक्ष्मण से फिर कहा, “इस बात का दुख अपने दिल में मत रखना लक्ष्मण। तुमसे शर्त लगाने का मकसद तुम्हें दुख पहुंचना बिल्कुल भी नहीं था। अब जबकि तुमने रेबेका को यहां देख लिया है तो सब कुछ क्लियर है। तुम्हें मेल्विन से माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। तुम उसकी इज्जत करना सीख जाओ, मैं इतना ही चाहता हूं।”
“नहीं डॉक्टर साहब। मैं शर्त हार चुका हूं। शर्त से पहले जो कुछ भी तय किया गया था उसे मनाना मेरा अधिकार है। आप मुझे चाहे जितना नापसंद करते हो लेकिन मैं नियम और कायदे से चलने वाला इंसानों हूं। मैं मेल्विन से माफी जरूर मांगूंगा। लेकिन उससे पहले मैं आपसे माफी मांगता हूं। मुझे आप लोगों से काफी कुछ सीखने की बहुत जरूरत है।”
“हर कोई एक–दूसरे से सीखना है लक्ष्मण।” राम स्वरूप जी ने कहा जो अब तक चुपचाप उन दोनों की बातें सुन रहे थे, “तुमने भी बहुत सीखा है लक्ष्मण। आज जिस पोजीशन पर तुम अपनी जिंदगी जी रहे हो वो इस बात का सबूत है। हां, बस कंपटीशन की दौड़ में तुमने सही–गलत की पहचान करनी छोड़ दी है। उम्मीद है आज की इस घटना के बाद तुम एक बार फिर सही और गलत के बीच अंतर समझ सकोगे। मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ है।”
लक्ष्मण और राम स्वरूप जी ने डॉक्टर ओझा को धन्यवाद कहा।
उधर प्लेटफार्म पर मेल्विन और पीटर उसी टी स्टॉल पर पहुंचे जहां रेबेका और डायना पहले ही मौजूद थीं।
“हेलो रेबेका, कैसी हो तुम?” मेल्विन ने पूछा टी स्टॉल पर पहुंचते ही रेबेका से पूछा।
“हेलो मेल्विन!” रेबेका ने भी उसे देखकर खुश होते हुए कहा, “तुम यहां क्या कर रहे हो?”
जब तक रेबेका ने मेल्विन से ये सवाल किया तब तक इशारों ही इशारों में पीटर ने भी डायना को हाय बोल दिया था, जिसका जवाब डायना ने मुस्कुराते हुए अपनी आंखों से दिया।
“मेरा घर यही मीरा रोड पर ही है।” मेल्विन ने बताया, “लेकिन तुम तो मलाड पर बोर्ड करती हूं।”
“हां, दरअसल मैं यहां डायना की फ्लैट पर आई थी।” रेबेका ने बताया, “तुम मीरा रोड में ही रहते हो? मुझे तो मालूम ही नहीं था।”
“लेकिन मुझे आपके बारे में काफी कुछ मालूम चल चुका है। खासकर आपके उस मिसिंग होने वाले नाटक के बाद।”
“आप अब भी नाराज हैं?” रेबेका ने शर्मिंदा होते हुए पूछा, “मैं अपनी गलती मानती हूं मेल्विन। लेकिन मेरा इरादा गलत नहीं था।”
“नहीं, तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है रेबेका!” मेल्विन ने कहा और फिर उसने अपने और पीटर के लिए भी चाय का आर्डर किया। चाय का आर्डर सुनकर पीटर ने मेल्विन से कहा, “तुम दोनों यहां चाय पियो, मैं और डायना उस स्टॉल पर जाकर चाय पीते हैं।”
“आर यू स्योर?” रेबेका ने डायना से पूछा।
“अगर पीटर ने मुझे चाय पर ज्यादा पकाया नहीं तो।” डायना ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर पीटर के साथ दूसरे टी स्टॉल पर चली गई।
“तुम्हें नहीं लगता मेल्विन कि ये दोनों कुछ ज्यादा ही तेजी से आगे भाग रहे हैं?” रेबेका ने पूछा।
“नहीं। हमारी स्पीड कुछ ज्यादा स्लो है इसलिए वे हमें तेजी से भागते हुए दिखाई दे रहे हैं।” मेल्विन ने कहा, “आपको नहीं लगता हमें अपनी स्पीड कुछ बढ़ानी चाहिए।”
“हम्म, इस बारे में कुछ सोचाना तो चाहिए।” रेबेका ने कहा, “कल शाम आप क्या कर रहे हैं?”
“आज दोपहर को मां घर आ रही है। कल संडे है तो दिन भर मां के साथ रहूंगा और शाम को 1–2 घंटे फ्री रहूंगा।” मेल्विन ने कहा।
“अच्छा, मां घर आ रही है।” रेबेका ने खुश होते हुए कहा, “आप लकी हैं। आपसे मिलने मां आती हैं।”
“इसमें लकी होने जैसी क्या बात है?” मेल्विन ने पूछा, “आपके मॉम–डैड भी तो आपको बहुत प्यार करते होंगे।”
“शायद। मैं भला ये कैसे बता सकती हूं?” रेबेका ने उदास होते हुए कहा, “काश, मैं ये जान पाती कि वे मुझे प्यार करते हैं या नहीं?”
“इसमें कौन सी बड़ी मुश्किल है? आप उनसे सामने से पूछ लीजिए।”
“नहीं पूछ सकती। पूछने के लिए उनका मेरे साथ होना भी जरूरी है।”
मेल्विन को रेबेका की बातें समझ में नहीं आ रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वे रेबेका से सीधा–सीधा उसके दिल का हैकैसे करे।
“क्या सोच रहे हैं आप? यही न कि उस दिन आप मेरे मॉम–डैड से मिले थे?” रेबेका ने पूछा, “आप उस दिन जिससे मिले थे, वो मेरे मॉम –डैड नहीं थे।”
रेबेका की बात सुनकर मेल्विन चौंक उठा। आखिर रेबेका ने ऐसा क्यों कहा कि उसके बंगले में रह रहे ओल्ड कपल उसके मॉम–डैड नहीं थे? अगर वे रेबेका के मॉम–डैड नहीं थे तो फिर कौन थे?
क्या पीटर और डायना के बीच हम दोस्ती हो पाएगी? क्या लक्ष्मण शर्त हारने के बाद मेल्विन को उल्टा–सीधा कहना छोड़ देगा? मेल्विन अपने टर्मिनेशन लेटर का मैटर अपने बॉस से डिस्कस कर पाएगा?
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