रेणुका को समझ नहीं आ रहा था कि वैभव अचानक कहां चला गया? उसने वैभव को कॉल भी किया तो फोन बंद था। रेणुका डर के वापस  अम्मा के कमरे में गई।

रेणुका (डरी हुई ) – अम्मा! आपको मालूम है क्या वैभव कहां है? वो अपने कमरे में भी नहीं है।

अम्मा – इतना डर क्यों रही है? बच्चा थोड़ी न रहा है अब वो, गया होगा कहीं।

रेणुका – नहीं अम्मा उसका फोन भी नहीं लग रहा!

अम्मा – अरे तो क्या हो गया! दिन भर फोन में टुक टुक करता रहता है, फोन बंद हो गया होगा! तू अपना facial मत खराब कर ऐसे चिंता कर के।

रेणुका अम्मा को समझा नहीं पा रही थी कि वैभव गुस्से में घर से गया है क्योंकि अगर उसने अम्मा को ये बता दिया कि आज उसने क्या गलती की है तो अम्मा उसे  खरी खोटी सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इसलिए वो बिना अम्मा को पूरी बात बताए नीचे हॉल में चली गई। रेणुका को देख कर, लट्टू काका ने तुरंत उसे  आवाज़ लगाई और उसे बताया कि वैभव उन से बोल कर गया है कि वो हवा खाने बाहर जा रहा है।

रेणुका ने लट्टू काका पर गुस्सा करते हुए कहा,

रेणुका ( गुस्से में) – आपने पहले क्यों नहीं बताया मुझे? मैं  कितना डर गई थी। मैं देख रही हूँ कि आजकल आप चीजें time पे बताते नहीं हैं।

ये सुनते ही लट्टू काका ने बताया कि वैभव अभी थोड़ी देर पहले ही घर से निकला है। रेणुका को फिर realize हुआ कि उसने फालतू में ही लट्टू काका पर गुस्सा निकाल दिया। वो समझ गई थी कि वैभव जानबूझ कर रेणुका को ये बात बताकर नहीं गया होगा।

उस ने सोचा कि जब तक वैभव घर आएगा वो तब तक वैभव की पसंद की चीजें बना ले। बचपन से ही वैभव जब भी नाराज़ होता था तो रेणुका उसकी मनपसंद चीजें बना कर उसे मना लेती थी।

दूसरी तरफ वैभव अमृता की नाराज़गी झेल नहीं पा रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो ऐसा क्या करे जिससे अमृता उसे माफ कर दे। कई बार हिम्मत करके वो उसका नंबर डायल करता और फिर रिंग होने से पहले ही कट कर देता। कमरे में बैठे बैठे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए वो बाहर निकल गया। आज उसका दिमाग इतना खराब था कि उसने अपने कमरे को सही से जमाया भी नहीं था। इसलिए जब उसे कुछ समझ नहीं आया तो उसने सोचा कि शायद उसे उसकी सुकून वाली जगह पर जाना चाहिए- शीतल दास की बगिया। तभी बिना देर किए वो तैयार होकर वहां के लिए निकल गया। उसने एक बार सोचा कि वो रेणुका को बता दे पर नाराजगी इतनी थी कि वो उस से बात नहीं करना चाहता था लेकिन वो ये भी जानता था कि अगर वो घर से बिना बताए कहीं गया तो रेणुका पूरा घर सिर पर उठा लेगी, जो हुआ भी।

जाते समय वैभव ने देखा कि उसका फोन पूरा discharge हो गया है। आखिर पूरे दिन अमृता को कॉल और मैसेज करने की कोशिश जो कर रहा था वो, फोन को तो दम तोड़ना ही था।

बड़े तालाब वाली road पर घूमते-घूमते जैसे उसके सारे दुख दर्द हवा में उड़ते जा रहे थे। ठंडी हवा और बड़े तालाब का नजारा उसे उसके मन में चल रही परेशानियों से जैसे मुक्त कर रहा था। थोड़ी देर बाद वो शीतल दास की बगिया पहुंच गया। हमेशा की तरह उसने मंदिर के दर्शन किए और फिर सीढ़ियों पर जाकर बैठ गया। अपने जींस को थोड़ा ऊपर कर के वैभव ने अपने पैरों को तालाब के पानी में डाल दिया।

पानी की छुअन से उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई और जैसा वो बोलता है, पानी की छुअन उसकी सारी परेशानियों को एक साथ उससे दूर ले जाने लगी थी।  

वैभव- मैजिक touch!

ये कहते ही वो फिर अपने past में खो गया। जब Elsie को वो यहां पहली बार लाया था। Elsie भोपाल की नहीं थी। वो बस यहां अपनी NET की preparation करने के लिए आई थी। इसलिए एक शाम जब कोचिंग की छुट्टी जल्दी हो गई तो वैभव उसे शीतल दास की बगिया ले आया। उस दिन Elsie को अपनी मां की बहुत  याद आ रही थी तो वैभव ने उससे पानी में पैर डालने को कहा था। जब Elsie ने पानी में पैर डाले तो पानी की छुअन से उसके चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गई और उसने वैभव से कहा कि उसे ऐसा लगा जैसे वो अपनी मां के गले लग गई हो। तब से वैभव को यकीन हो गया था की शीतल दास की बगिया के पानी में कुछ तो जादू है।

पास में खेल रहे बच्चों की आवाज से वैभव अपनी याद से बाहर आया जहां न तो कोई Elsie है और ना ही उसकी मुस्कुराहट! बस एक नाराज़ अमृता है जिसे कैसे मनाना है उसे समझ नहीं आ रहा है।

वो लगभग एक डेढ़ घंटे शांति से वहां बैठा रहा और उसके बाद पास ही की चाय की दुकान पर चाय पी कर वापस  घर की ओर निकल गया।

वहीं रेणुका ने वैभव की सभी favorite चीज़ें बना ली थी। थोड़ी देर बाद जब उस ने वैभव को main gate से आते देखा तो तुरंत उसे आवाज़ लगा दी।

रेणुका ( खुश होकर)– वैभव जल्दी से हाथ मुंह धो कर आ जा, देख तो मैंने तेरे लिए क्या क्या बनाया है।

वैभव रेणुका की बात सुनकर, कुछ देर उसे देखता रहा। उसका मन तो नहीं था खाने का पर वो रेणुका का दिल नहीं दुखाना चाहता था इसलिए वो खाने के लिए रेणुका को हां बोलकर अपने कमरे में कपड़े बदलने और मुंह हाथ धोने के लिए चला गया।

हालांकि वैभव ने रेणुका को हां जरूर कर दी थी लेकिन उसे अभी भी रेणुका पर गुस्सा था। उसे ये बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था कि रेणुका अमृता की बात को पूरी तरह नज़र अंदाज करके उससे बात कर रही थी।

कमरे में पहुंच कर वैभव ने सबसे पहले अपना फोन चार्जिंग पर लगाया और उसके बाद कपड़े बदल कर और मुंह हाथ धोकर वैभव नीचे हॉल में खाना खाने के लिए चला गया। रेणुका ने आज उसके लिए राजमा चावल बनाया था।

वैभव ने अम्मा की तरफ मुस्कुराकर देखा और डाइनिंग टेबल पर जाकर बैठ गया। रेणुका ने लट्टू काका से खाना परोसने को कह दिया और वो वैभव के बगल में जाकर बैठ गई।

उसके बाद लट्टू काका ने सब को खाना परोस दिया और वैभव बिना रेणुका की तरफ देखे, अपने खाने पर ध्यान देने लगा। रेणुका को समझ आ रहा था कि वैभव अभी भी नाराज़ है इसलिए उसने जानबूझ कर लट्टू काका से उसके सामने हवन की बात निकाल दी। जब वैभव ने सुना तो उसने अम्मा की तरफ देखा और पूछा,

वैभव – कैसा हवन अम्मा?

अम्मा – अरे बेटा! घर की सुख शांति के लिए बहुत  दिनों से घर में कोई हवन नहीं हुआ है, इसलिए रेणुका और मैंने सोचा कि कल हवन करवा लेते!

वैभव अगर बस रेणुका का नाम सुनता तो उसे लगता कि ये भी रेणुका की वैभव की शादी करवाने की कोई नई योजना है पर अम्मा का नाम सुनकर वो चुप रह गया। शायद यही वजह थी कि रेणुका ने हवन के बारे में अम्मा को उस अंदाज में बताया था ताकि अम्मा को लगे कि हवन करने के लिए अम्मा की हां जरूरी है। इसलिए जब वैभव से उन्होंने इस बारे में बात की तो रेणुका को अम्मा को कोई पट्टी नहीं पढ़ानी पढ़ी। सही कहती है अम्मा ,रेणुका शातिर तो है।

खैर, वैभव का खाना जैसे ही हो गया, वो उठ कर जाने लगा। रेणुका उसे एक टक देखे जा रही थी क्योंकि आज वैभव ने उसके खाने की कोई तारीफ नहीं की।

तभी वैभव ने पलट कर अम्मा की तरफ देखा और उनसे धीरे से बोला,

वैभव – अम्मा, राजमा चावल अच्छा बना था!

अम्मा समझ नहीं पाई कि वैभव ने रेणुका की जगह उन से क्यों तारीफ की? रेणुका का दिल ये देखते ही बहुत  दुखी हो गया। वो मन ही मन बस एक ही चीज़ सोच रही थी कि कैसे भी अमृता बस कल की पूजा में आ जाए! हालांकि रेणुका को अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि वैभव इस तरह जबरदस्ती और जल्दबाजी की शादी नहीं करना चाहता।

सभी लोग खाना खाने के बाद अपने अपने कमरों में चले गए। रेणुका हवन की तैयारी करने में busy हो गई और अम्मा अपने ध्यान में लीन हो गयी।

वैभव ने भी अपने कमरे में जाकर सबसे पहले अपना फोन चार्जिंग से निकाला और whatsapp पर जाकर Elsie का नाम search करने लगा। बिना dp की वो फोटो, और chats में वो ढेर सारी बातें। वो सभी बातों को जैसे फिर जीने की कोशिश करने लगा। जब से उसे ये पता चला है कि अमृता उससे नाराज है तब से वो Elsie को और भी ज्यादा miss कर रहा है।

Elsie के चैट्स के बाद वो अमृता की फोटो को बहुत  देर तक देखता रहा। जैसे उसकी तस्वीर देखने से वो अमृता से माफी मांग रहा हो। वैभव की आंखे नम हो गई थी, क्योंकि उसे आज ऐसा लग रहा था जैसे उस ने Elsie को फिर से खो दिया।

वैभव अपनी सारी उम्मीदें छोड़ चुका था और अमृता Elsie दोनों के बारे में सोचते हुए उसकी नींद लग गई, पर अगर रेणुका की योजना सफल हुई तो कल की सुबह वैभव के लिए एक नई किरण लेकर आएगी।

रात बहुत  हो चुकी थी इसलिए रेणुका ने सोचा कि वो  अमृता को कल सुबह फोन लगाएगी। पहले ही वो जल्दबाजी में बहुत  सारी गलतियां कर चुकी थी पर अब रेणुका कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी। रेणुका इस बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसे अचानक से याद आया कि डिटेक्टिव शर्मा जी सुबह जब रेणुका को अमृता के पापा  की जानकारी दे रहे थे तब वो कुछ और भी बता रहे थे। रेणुका ने तब उनकी बात काट दी थी क्योंकि वो जल्दी में थी।  उसने अपनी जल्दबाजी में की हुई गलतियों के लिए अपने माथे पर हाथ पटका और शर्मा जी को कॉल कर दिया।

शर्मा जी ने फोन उठाया तो रेणुका ने उनसे आराम से बात की और फिर उनसे वो बात पूछी जो बात सुबह अधूरी रह गई थी।

रेणुका – शर्मा जी, वो आप सुबह अमृता के बारे में कुछ कह रहे थे ना? मैं  सुबह थोड़ा जल्दी में थी तो आपकी बात अच्छे से सुन नहीं पाई थी! क्या कह रहे थे आप?

 

आखिर डिटेक्टिव शर्मा जी रेणुका को अमृता से जुड़ी कौन सी बात बता रहे थे? क्या रेणुका अमृता को बुलाने में सफल होगी? क्या वैभव अमृता से बात कर पाएगा? 

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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