अपने डिटेक्टिव से बात करने के बाद रेणुका ने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाए ताकि वो अमृता की नाराजगी का कारण समझ सके। थोड़ी देर सोचने के बाद उसे समझ आया कि शायद उसने रिश्ता भेजने में थोड़ी जल्द बाजी कर दी है। उसने वैभव से कहा कि उससे एक गलती हो गई है। वैभव ये सुनते ही और ज्यादा गुस्सा हो गया। उसे अभी भी लग रहा था कि रेणुका का डिटेक्टिव ही अमृता की नाराजगी का कारण है पर जैसे ही रेणुका ने ये बताया कि उसने अमृता के पापा  को फोन लगाया था, वैभव को समझ नहीं आया वो क्या कहे? रेणुका ने उसे एक एक करके सारी बात बताई। वैभव सारी बातों को बहुत  ध्यान से सुन रहा था। जैसे जैसे रेणुका पूरी बात बताती जा रही थी वैभव का गुस्सा आसमान की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा था।

वैभव अमृता से खुद शादी नहीं करना चाहता है। वो तो बस अपने पहले प्यार Elsie को ढूंढना चाहता है। अब रेणुका की ये बहू योजना देख कर उसका दिमाग चारों तरफ घूमने लगा। एक तरफ उसे गुस्सा आ रहा था और दूसरी तरफ वो ये समझ नहीं पा रहा था कि वो अमृता को अब कैसे मनाए? इसलिए गुस्से में वैभव रेणुका से बस इतना कहता,

वैभव( दुखी हो कर)  – मां , मैंने सोचा था कि आप मुझे समझते हो, पर आप बस अपनी जिद को पूरा करना जानते हो। उसके बाद चाहे किसी का दिल दुखे या नहीं। आपको कोई फर्क नहीं पड़ता।

ये कहते ही वैभव रेणुका के कमरे से चला गया। आज कई दिनों बाद ऐसा हुआ था कि वैभव के चेहरे पर इतनी मायूसी थी। रेणुका वैभव की बात सुन कर समझ नहीं पा रही थी कि वो आखिर कैसे वैभव को समझाए कि उसका इरादा अमृता का दिल दुखाने का नहीं था। वो तो बस उन दोनों को एक करना चाहती थी। रेणुका मन ही मन खुद को कोसने लगी। उसे ज़रा भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो ऐसा कौनसा जादू करे जिससे अमृता मान जाए। इसलिए जब उसे कुछ समझ नहीं आया तो वो kitchen में चली गई। एक ग्लास ठंडा पानी पिया और लट्टू काका से juice देने के लिए कह दिया।

लट्टू काका भी रेणुका के परेशान चेहरे को देख कर समझ गए थे कि कोई बात है जो उसको परेशान कर रही थी। उन से रहा नहीं गया तो उन्होंने रेणुका को मुस्कुराकर कहा कि, “बेटा, जब कोई बात परेशान करे तो लंबी सांस लेकर भगवान का नाम ले लिया करो, फिर देखो कैसे सब परेशानियां छू मंतर होती है!”

ये सुनते ही रेणुका मुस्कुराई, और एक लंबी सांस लेकर उसने भगवान का नाम ले लिया। वो ज्यादा धार्मिक तो नहीं है पर भगवान में बहुत  भरोसा रखती है। भगवान का नाम लेकर उसे पहले से थोड़ा बेहतर लगने लगा।

बहुत  देर तक रेणुका किचेन में खड़े खड़े ही इस परेशानी से निकलने के बारे में सोचती रही लेकिन इतनी देर  सोचने के बाद उसे अब बस एक ही रास्ता नज़र  आ रहा था, जो था अमृता को फोन लगाना क्योंकि रेणुका को लगा कि अगर इस situation को आराम से संभालना है तो अमृता से सीधे बात करने में ही भलाई है।

हालांकि रेणुका अब किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती। इसलिए उसने ठंडे दिमाग से सोच कर ही अमृता को फोन लगाने का फैसला किया।

वहीं वैभव रेणुका से बात करने के बाद गुस्से में अपने कमरे में जाकर लेट गया। उसे अन्दर ही अंदर ये बात खाए जा रही थी कि उस ने जाने अनजाने में अमृता का दिल दुखा दिया। वो अमृता से बात करना चाहता था पर उसके कानों में अमृता की कही बात गूंज रही थी।

अमृता – आज के बाद मुझे कॉल करने की, या मैसेज करने की कोशिश मत करना वैभव।

इस बात को सोचते हुए वो अपने past में खो गया। दरअसल, लन्दन जाने से कुछ महीने पहले Elsie भी वैभव से ऐसे ही नाराज़ हो गई थी क्योंकि वैभव ने उसे अपने जाने के बारे में नहीं बताया था। अचानक अपने इतने अच्छे दोस्त से दूर होना Elsie को बहुत  खटक रहा था। इसलिए Elsie ने वैभव से फोन करने को साफ मना कर दिया था। आज अमृता ने भी वैसा ही किया।

वैभव जितनी भी कोशिश करे अमृता की हर एक बात उसे Elsie की याद दिला देती है। इसलिए आज जो हुआ उसका असर वैभव पर कुछ ज्यादा ही हो गया।

वैभव को इधर चैन नहीं पड़ रहा था और दूसरी तरफ अमृता गलतफहमी में वैभव के बारे में गलत राय बनाकर बैठ गई थी। अब गलतफहमी तो बस बात करके ही दूर हो सकती है पर वो रास्ता तो अमृता ने वैसे ही बंद कर दिया।

वहीं रेणुका बहुत  देर अपने कमरे में अमृता से बात करने के लिए script तैयार करती रही और आखिर हिम्मत कर के उसने अमृता को फोन लगा दिया। अमृता ने एक बार तो उसका फोन नहीं उठाया पर जब रेणुका ने फिर से कॉल किया तो, उसने call receive कर लिया।

रेणुका – हेलो अमृता!

अमृता – हेलो रेणुका आंटी!

रेणुका ने बिना सीधे बात पर आए धीरे-धीरे अमृता से इधर उधर की बातें करना शुरू कर दिया ताकि वो stress को थोड़ा कम कर सके। थोड़ी देर बात करने के बाद रेणुका ने मुद्दे की बात छेड़ते हुए कहा।

रेणुका – अमृता मुझसे गलती हो गई! मैंने तुम से बात किए बिना ही तुम्हारे पापा  से शादी की बात कर ली। दरअसल, तुम मुझे मेरे बेटे वैभव के लिए पहले दिन से पसंद हो और मैं मानती हूँ कि नेक काम में देर नहीं करनी चाहिए।

अमृता ये सुनकर कुछ देर चुप रही। वो रेणुका को बताना चाहती थी कि उसका शादी पर कोई यकीन नहीं है पर वो बस इसलिए चुप रह गई क्योंकि वो रेणुका की भावनाओं को चोट नहीं पहुंचना चाहती थी। बिना कुछ कहे ही उसने किसी काम का बहाना बनाते हुए call कट कर दी पर उसके बाद उसके मन में एक नई गलतफहमी पैदा हो गई। उसे लगा कि ये फोन रेणुका ने नहीं बल्कि वैभव ने रेणुका से करवाया होगा शायद। मन ही मन उसे बहुत  गुस्सा आने लगा। उसने एक बार वैभव को कॉल करके इस बारे में बात करने का सोचा पर फिर उसे यही लगा कि ऐसा करके भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा। वो मन ही मन सोचने लगी,

अमृता ( मन में) – वैभव को फिर से कॉल किया तो वो फिर किसी न किसी तरीके से मुझ से बात करने की कोशिश करेगा! नहीं अमृता तू ऐसा नहीं होने दे सकती! तुझे वैभव से दूर रहना होगा!

अमृता वैभव से दूर भागना चाहती थी और रेणुका कैसे भी कर के बस इन दोनों को साथ ले आना चाहती थी। रेणुका ने अमृता के पापा को फोन लगाकर जो गलती कर दी थी, उससे पहले ही काफी नुकसान हो चुका था और रही सही कसर रेणुका के इस दूसरे फोन ने कर दी। रेणुका को अंदाजा भी नहीं था कि उसकी इतने दिनों की मेहनत मिट्टी में मिल गयी है। अमृता के मन में वैभव के लिए नफरत पैदा होने लगी।

अभी रेणुका की हर कोशिश वैभव और अमृता की गलतफहमियों की आग को हवा देने का काम कर रही थी। इस बात से अंजान रेणुका अब भी अपनी जिद पर अटल थी। उसने सोचा कि उसे कैसे भी करके वैभव और अमृता को फिर से एक ही जगह पर एक ही समय में लाना होगा। इससे वो अपनी की हुई गलती को भी सुधार लेगी और वैभव और अमृता के बीच सब ठीक भी हो जाएगा।

बहुत  सोचने के बाद रेणुका ने तय किया कि वो अगले दिन अमृता को फिर से घर पर बुलाएगी। हालांकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो अब कौनसा बहाना देकर उसे घर बुलाए? वो भी ये बात अच्छे से जानती थी कि अमृता अभी नाराज़ है, इसलिए उसे घर बुलाने के लिए उसे कोई ठोस plan बनाना पड़ेगा जिस से वो चाहकर भी मना ना कर पाए।

बहुत  देर तक सोचने के बाद उसे याद आया कि अमृता काफी धार्मिक type की लड़की है, तो उसने इस बात का फायदा उठाकर घर में हवन रखने का फैसला किया। उसने लट्टू काका को हवन की सामग्री और पंडितजी को बुलाने की जिम्मेदारी सौंप दी और फिर अम्मा के पास जाकर उन्हें इस latest program के बारे में update करने चली गयी।

रेणुका – अम्मा वो मैं  सोच रही थी, बहुत  दिन हो गए हैं, घर की सुख शांति के लिए एक हवन करवा लेते। क्या बोलती हो आप?

रेणुका अच्छे से जानती थी कि बात अगर किसी हवन या पूजा पाठ की हो तो अम्मा कभी मना नहीं कर सकती पर वो अम्मा के सामने ऐसे दिखाना चाहती थी कि अम्मा हवन के लिए हां करेंगी तो ही वो हवन करवाएगी। वैसे तो अम्मा खूब समझती है रेणुका को, पर आज वो समझ नहीं पाई कि वो अम्मा से पूछ नहीं रही थी ,बल्कि उनके दिमाग में हवन की बात डाल रही थीं।

बिना सच जाने कि रेणुका हवन क्यों करवा रही है, अम्मा तो रेणुका के इस बदले अंदाज़ से काफी खुश थी। उन्होंने रेणुका से कहा,

अम्मा ( दुखी आवाज में)– रेणुका मैं ये कहना तो नहीं चाहती पर तू आजकल मुझे थोड़ी ठीक लगने लगी है!

रेणुका को ये सुनकर हंसी आ गई।

रेणुका –इसमें दुखी होने वाली कौनसी बात है?

अम्मा – अरे! अगर तू ठीक लगने लगेगी मुझे, तो फिर मैं बुराई कैसे करूंगी तेरी!

रेणुका ने हंस कर अम्मा के कंधे पर अपना सिर रख दिया और उनके हाथ को अपने हाथ से पकड़ लिया। अम्मा एक सेकंड तो कुछ नहीं बोली पर फिर बोल पड़ी,

अम्मा – अरे हाथ दो तो, तू तो सिर पर चढ़ने लगी!

बस ये कहकर अम्मा ने रेणुका को थोड़ा दूर कर दिया। अम्मा रेणुका को बहुत  चाहती हैं पर वो अपनी सास होने की छवि को उस के सामने भूलना नहीं चाहती। इसलिए वो रेणुका के सामने ज्यादा ममता नहीं दिखाती। रेणुका ये बात अच्छे से जानती है इसलिए वो  अम्मा को देख कर हंस पड़ी और फिर अपने कमरे की तरफ चली गई।

कमरे में जाने से पहले उसे याद आया कि सुबह से शाम हो गई है पर उसे वैभव की इतनी देर से एक आवाज सुनाई नहीं दी है। तो वो अपने कमरे की जगह पहले वैभव के कमरे में चली गई। वहां जाकर उसने देखा कि वैभव कमरे में नहीं था। उसका लैपटॉप उसकी टेबल पर खुला रखा हुआ था और कमरे में सभी चीजें बिखरी पड़ी थी। रेणुका को समझ नहीं आ रहा था कि आज वैभव के कमरे की ऐसी हालत क्यों है? वैभव हमेशा अपनी चीजें सही जगह पर और अच्छे से रखने का आदि है। उसे अपने कमरे में ज़रा भी गंदगी या चीजें इधर की उधर नहीं पसंद। फिर आज क्या हुआ?

रेणुका को लगा कि ये सब शायद उसकी हरकत का नतीजा है। वो मन ही मन खुद को कोसने लगी,

रेणुका – रेणुका ये तूने क्या कर दिया है? तुझे कैसे भी कल इन दोनों के बीच चीजें बेहतर करनी होगी!

 

क्या अमृता हवन में आने के लिए हां करेगी? क्या रेणुका उस हवन में अमृता और वैभव के बीच की दूरी को मिटा पाएगी?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.