रेणुका ने शर्मा जी से जब अमृता से जुड़ी वो बात पूछी जो अधूरी रह गई थी तो शर्मा जी के जवाब को सुन कर रेणुका के दिल में अमृता के लिए प्यार और दया उमड़ आई। दरअसल, शर्मा जी ने रेणुका को बताया कि अमृता अपनी मां से बहुत प्यार करती थी पर लगभग साढ़े तीन साल पहले एक हादसे में उनकी जान चली गई। शर्मा जी ने ये भी बताया कि अमृता ने अपनी मां को अपनी आंखों के सामने आखरी सांस लेते हुए देखा था, इसलिए वो कभी भी पूरी तरह से उस हादसे से बाहर नहीं आ पाई। उन्होंने बताया कि उस हादसे का असर अमृता पर थोड़ा गहरा हुआ। रेणुका बहुत ध्यान से शर्मा जी की बातें सुन रही थी कि तभी उन्होंने अमृता के पापा का जिक्र कर दिया। जब शर्मा जी ने ये बताया कि अमृता ने अपनी मां के जाने के बाद अपने पापा से न के बराबर रिश्ता रखा है तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। रेणुका को लग रहा था कि हादसे के बाद अमृता अपने पापा से बहुत नजदीक होगी इसलिए उसने डिटेक्टिव शर्मा जी से पूछा,
रेणुका – अमृता तो उनके साथ रहती है ना?
इस पर शर्मा जी ने बताया कि अमृता उस शहर में रहती है जहां उसके पापा रहते हैं पर वो उनके साथ नहीं रहती है। रेणुका को ये बात बहुत अजीब लगी पर वो कहीं न कहीं समझ रही थी कि इसके पीछे अमृता की मां से और उस हादसे से जुड़ी कोई तो बात थी। जब उस ने अमृता और उसके पापा के खराब रिश्ते के बारे में पूछा तो शर्मा जी ने बताया कि अमृता के पापा और उसकी मां का डिवोर्स होने वाला था और डिवोर्स होने के कुछ दिन पहले ही वो हादसा हो गया। अमृता के पापा ने उस समय उन्हें हॉस्पिटल आकर देखा तक नहीं था। तब से वो अपने पापा से नफरत करने लगी।
रेणुका को भी अमृता इस जगह सही लगी। वो मन ही मन सोचने लगी कि अमृता अपनी जगह कहीं भी गलत नहीं है। उसके पापा ने उसके साथ और उसकी मां के साथ गलत किया।
रेणुका को अमृता के लिए बहुत बुरा लग रहा था और वो ये भी समझ गई थी कि उसने उसके पापा से रिश्ते की बात कर के गलती कर दी। शर्मा जी का call कट करने के बाद रेणुका अमृता के बारे में सोचने लगी। उसे अमृता पर दया आने लगी। उसने सोचा कि कहीं कल के हवन की तैयारियों में वो अमृता को हवन में बुलाना न भूल जाए इसलिए उसने अपने फोन में अलार्म लगा लिया और reminder भी लगा दिया। उसने सोच लिया कि सुबह सबसे पहले वो अमृता को कॉल करेगी और फिर ही हवन के बचे हुए कामों में लगेगी।
हवन के बारे में सोचकर उसको अपनी वो बात याद आ गई जब उसने अम्मा को बातों में घुमाकर ये महसूस कराया कि हवन उनकी वजह से हो रहा है। ये बात सोचते ही रेणुका के चेहरे पर एक गर्व भरी मुस्कान आ गई। उसने खुद को शाबाशी दी और फिर bed पर रानी की तरह लेट गयी।
रात के तीन बज गए थे। घर के सभी लोग सो चुके थे। चारों तरफ सन्नाटा था, जैसे कि समय भी थम गया हो। घर की दीवारें और खिड़कियाँ अंधेरे में डूबी हुई थीं। बाहर की ठंडी हवा खिड़कियों से धीरे-धीरे घर के अंदर तक पहुँच रही थी। तभी रेणुका के कमरे से उसकी ज़ोर-ज़ोर से चीखने की आवाज़ आने लगी। वह बहुत तेज़ रो रही थी, जैसे कि उसके अंदर का दर्द और दुख उबलकर बाहर निकल रहा हो। उसकी आवाज़ में दर्द था।
रेणुका ( सपने में, चिल्लाते हुए) – मुझे हवन कुंड में मत धक्का दो अम्मा! अब से मैं कभी ऐसा नहीं करूंगी!
वो बहुत देर तक ऐसे ही चिल्लाती रही और चिल्लाते चिल्लाते अचानक उसकी आवाज़ और तेज़ हो गयी।
रेणुका ( बहुत तेज आवाज, चिल्लाते हुए ) – आअआआआअअ…………मेरा चेहरा !!!
तभी उसकी नींद खुल गई। दरअसल, वो अपने सपने में डूब गई थी। उसके चेहरे पर पसीना था। उसने अपने चेहरे पर हाथ रखकर check किया कि उसका चेहरा सही सलामत है या नहीं लेकिन सब ठीक था।
रेणुका ( हांफते हुए मन में) – ये सच में सपना था ना? कहीं अम्मा मुझे सच में तो हवन कुंड में नहीं धक्का दे देंगी न? वैसे अम्मा ऐसा कर भी सकती हैं.. लेकिन अब तो मैं उन्हें ज़्यादा तंग भी नहीं करती हूँ..
असल में हुआ ये कि रेणुका ने अपने सपने में अम्मा को उसे हवन कुंड में धक्का देते हुए देख लिया। पहले तो उसे समझ नहीं आया कि अम्मा ऐसा क्यों कर रही हैं, पर फिर उसे पता चला कि अम्मा को रेणुका की हवन वाली बात का सच पता चल गया है कि उसने अपनी चाल में अम्मा को बस एक मोहरा बनाया था ताकि वैभव को शक न हो और वो रेणुका से नाराज़ न हो। उन्हें पता चल गया कि रेणुका अम्मा से हवन के लिए पूछ नहीं रही थी बल्कि उन्हें अपनी चाल में फंसा रही थी!
वो अपने इस सपने की वजह से बहुत डर गई थी। उसके दिल की धड़कन रात के सन्नाटे में भी चारों तरफ गूंज रही थी।
रेणुका को अक्सर अजीबो गरीब सपने आते रहते थे पर हमेशा उसके चिल्लाने पर किसी न किसी की नींद खुल ही जाती थी लेकिन आज किसी की भी नींद नहीं खुली क्योंकि वैभव आज कई दिनों बाद चैन की नींद सोया था और अम्मा रेणुका के अफेयर वाली गलतफहमी के बाद से नींद की गोलियां खाने की थोड़ी आदि हो गई थी। इसलिए उन दोनों में से किसी की भी नींद नहीं खुली।
वैसे रेणुका की नज़र से देखे तो अच्छा ही हुआ किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी। उसके लिए तो एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई वाली बात थी। वैभव आ जाता तो रेणुका का उसकी शादी का सपना सपना ही रह जाता और अम्मा आ जाती तो उसका कल हवन में हवन हो जाता। इसलिए उसने हाथ जोड़े और माता रानी को धन्यवाद देने लगी,
रेणुका – बहुत बहुत धन्यवाद माता रानी! आज अपने मुझे बाल बाल बचा लिया।
रेणुका अपने सपने के डर के साथ वापस सोने की कोशिश करने लगी पर उसे यही डर लग रहा था कि कहीं वो फिर से अपने सपने में न डूब जाए क्योंकि वो सोते हुए देख रहे सपने के दर्द को तो सहन कर लेगी पर उसका नींद में बड़बड़ाना उसके जागते हुए सपनो की बलि चढ़ा देगा। वो वैभव की शादी के सपने की बलि नहीं चढ़वा सकती।
थोड़ी देर बाद उसकी आँख लग गई जो सीधा सुबह 6 बजे जाकर खुली। हवन 11 बजे होना था पर रेणुका को अभी अमृता को फोन भी लगाना था। इसलिए वो उठकर नहाने के लिए चली गई। उसने अपनी बाकी खास दोस्तों को तो पहले ही फोन लगा दिया था बस अमृता ही रह गई थी। नहा धोकर उसने 7: 15 के आसपास अमृता को फोन लगा दिया। अमृता ने आज एक बार में ही रेणुका का फोन उठा लिया, वो रेणुका से नाराज़ थी पर अभी वैभव ने उसकी नाराजगी का सारा हिस्सा अपने कब्जे में कर रखा था इसलिए वो रेणुका से पहले जितनी नाराज़ थी, उतनी अब नहीं थी।
अमृता के फोन उठाते ही रेणुका ने उससे पहले उसका हाल चाल पूछा और फिर उसे आज के हवन के बारे में बता दिया। अमृता ने शुरू में तो निमंत्रण को अस्वीकार करने की पूरी कोशिश की, लेकिन जब रेणुका ने कहा कि यह परिवार और दोस्तों की भलाई और शांति के लिए है, तो वह मना नहीं कर सकीं।
रेणुका ने अमृता को अपने सभी दोस्तो से थोड़े समय पहले बुलाया था क्योंकि वो अमृता और वैभव को कुछ निजी समय देना चाहती थीं। हालांकि अमृता को इस बात की भनक तक नहीं थी।
अमृता से बात करने के बाद रेणुका हॉल में जाकर हवन की व्यवस्था देखने में लग गई। थोड़ी देर बाद अम्मा और वैभव भी उठ गए। तो वो लोग भी तैयार होकर हॉल में आ गए जहां लट्टू काका और रेणुका हवन की तैयारियां जोरो शोरों से करने में लगे हुए थे।
रेणुका ने जैसे ही वैभव को हॉल में देखा ,उसने सोचा कि वो उसे एक बार अमृता के हवन में आने की बात बता दें। रेणुका नहीं चाहती थी कि वैभव के लिए अब कोई भी चीज अटपटी हो। तो उसने वैभव को आवाज लगाई और कहा,
रेणुका – वैभव, मैं तुम्हे बताना भूल गई, आज के हवन में अमृता भी आ रही है!
वैभव जैसे ये सुनते ही हैरान हो गया। उसका गुस्सा अभी भी उसके दिमाग से गया नहीं था इसलिए उसने रेणुका से कहा
वैभव – मां! आप पहले ही सब कुछ खराब कर चुके हो! अब और कितना खराब करोगे!
ये कहते ही वैभव गुस्से में घर के बाहर की तरफ जाने लगा। जब वो घर के gate के पास पहुंचा तो उसे अमृता दिख गई। आज अमृता ने नारंगी रंग का अनारकली सूट पहना था। वो बहुत सुंदर लग रही थी। वैभव उसे देख कर वही रुक गया और वो दोनों एक दूसरे को देखने लगे। फिर अमृता अपना चेहरा नीचे कर के घर के अन्दर आ गई। वैभव को उस समय कुछ समझ नहीं आया तो वो घर के बाहर की तरफ चला गया।
अमृता को देख कर रेणुका और अम्मा बहुत खुश हो गई थी। रेणुका ने तो अमृता को सीधा गले लगा लिया। वैसे भी जब से शर्मा जी ने उसे अमृता की मां और पापा के बारे में बताया है तब से रेणुका के दिल में अमृता को लेकर और भी प्यार उमड़ आया है। अमृता ने गले लगने के बाद मुस्कुराते हुए रेणुका को प्रणाम किया और फिर वो अम्मा के पास जाकर उनके गले लग गई।
थोड़ी देर बाद वैभव पंडितजी के साथ घर के अंदर आ गया। पंडितजी को देख कर रेणुका उनसे बात करने के लिए चली गई और सभी लोग मिलकर हवन की तैयारी में लग गए। अमृता भी आगे बढ़कर रेणुका की मदद करने लगी। ये देख कर रेणुका का दिल मंत्रमुग्ध हो गया। उसे अमृता को बहू बनाने का फैसला बिलकुल सही लग रहा था। अम्मा को भी अमृता का व्यवहार बहुत अच्छा लग रहा था। पर वैभव के मन में अभी कुछ और ही चल रहा था। वो अमृता को देख कर समझ नहीं पा रहा था कि आखिर रेणुका ने कैसे उसे घर आने के लिए मना लिया। क्योंकि अमृता वैभव की तरफ देख तक नहीं रही थी। तो ये तो तय था कि वो अभी भी वैभव से नाराज थी।
थोड़ी देर बाद रेणुका की सभी किटी की खास दोस्त, और करीबी रिश्तेदार वहां आ गए। रेणुका ने बस अपने सबसे करीबी लोगों को ही इस हवन में बुलाया था। क्यूंकि वो नहीं चाहती थी कि अमृता ज्यादा लोगो की नज़र में आए। रेणुका नज़र में बहुत विश्वास करती थी और वो अब किसी भी प्रकार की बेवकूफी की वजह से अमृता को नहीं खोना चाहती थी!
क्या अमृता वैभव को माफ करके उसे एक और मौका देगी? और क्या आज के हवन के बाद आयेगा अमृता और वैभव के जीवन में एक नया मोड?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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