धीरे-धीरे घर में सभी लोग आ गए। पंडितजी ने भी हवन की सामग्री रखवा ली और सभी को आसपास बैठा लिया। रेणुका ने बैठने की व्यवस्था इस तरह से की थी कि वैभव और अमृता हवन के समय कैसे भी कर के बस आसपास बैठ जाएँ और उसकी बाकी सहेलियाँ भी आसपास ही हों, जिससे अमृता को ये न लगे कि रेणुका अभी भी वैभव और उसको साथ लाने की कोशिश कर रही है।
रेणुका अमृता और वैभव को आसपास खड़ा देख मन ही मन खुश हो रही थी और दूसरी तरफ पंडितजी ने हवन शुरू कर दिया, जिसके लिए उन्होंने पहले से ही सभी आवश्यक सामग्री इकट्ठा करवा ली थी। उन्होंने हॉल के बीचों बीच एक हवन कुंड बनाया।
पंडितजी ने सबसे पहले अग्नि प्रज्वलित की और फिर सभी देवताओं को आमंत्रित करने के लिए मंत्रों का जाप किया। रेणुका, उसकी खास सहेलियां, अम्मा, वैभव, और अमृता अपने हाथों में अक्षत और फूल लेकर हवन कुंड के चारों ओर बैठे थे।
पंडितजी ने घर परिवार की शांति, सुख-समृद्धि और स्वास्थ के लिए मंत्र पढ़े। उन्होंने घर के सदस्यों को भी देवताओं का ध्यान करने के लिए कहा, जिससे घर में positive energy का संचार हो सके। फिर उन्होंने एक-एक करके सभी लोगों को उनके जोड़ो के साथ बुलाकर पूजा करवाई और सबको रक्षा सूत्र बांधने को दिया। जिनके जोड़े नहीं थे उन्हें पंडित जी ने एक साथ बुलाया लिया, जैसे रेणुका के साथ उन्होंने अम्मा को बुला लिया ताकि वो दोनों आपस में एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांध सके। आखिर में बस दो लोग बचे थे, वैभव और अमृता। तो रेणुका ने अमृता को मुस्कुराते हुए इशारा किया और कहा,
रेणुका – अमृता तुम और वैभव साथ में कर लो पूजा, और कोई तो अब बचा नहीं है!
रेणुका ने ये ड्रामा पहले ही सोच रखा था जिससे आखिर में बस वैभव और अमृता ही रह जाए। वैभव को थोड़ा अजीब तो लग रहा था पर उसने जब अमृता की तरफ देखा तो अमृता बिना कुछ कहे पंडितजी के पास जाकर खड़ी हो गई। वैभव भी ये देख कर पंडित जी के पास आ गया। पंडित जी ने उन दोनों से उनका नाम पूछा और फिर साथ में ही उनका नाम लेकर वो पूजा करवा दी। इधर रेणुका और अम्मा ये देख कर खुशी के मारे पागल हो रहीं थीं और वहीं दूसरी तरफ रेणुका की दोस्त, ऋद्धि , सुनीता और ऊषा समझ नहीं पा रहीं थीं कि आखिर ये अमृता है कौन!
पंडित जी ने दोनों से पूजा करवाने के बाद उन्हें भी रक्षा सूत्र दे दिया और कहा, “बिटिया, वैभव बेटे को को ये सूत्र बांध दो और वैभव…..”
पंडित जी अपनी पूरी बात ही नहीं कर पाए कि तभी वैभव भैया सुनते ही रेणुका की दिल की धड़कने तेज़ हो गई। वो चिल्लाते हुए पंडित जी से बोली,
रेणुका ( थोड़ी तेज आवाज में) – अरे पंडित जी क्या बोल रहे हो? ये दोनों भाई बहन नहीं है।
ये सुनते ही सभी लोग हंसने लगे। अमृता के चेहरे पर भी रेणुका की तनाव भरी आवाज़ की वजह से हल्की सी हंसी आ गई। वैभव ने रेणुका की बात पर पहले तो ज्यादा कोई reaction नहीं दिया पर जैसे ही उस ने अमृता के चेहरे पर हंसी देखी, तो वो भी मुसकुराते हुए उसे एक टक देखने लगा।
वहीं रेणुका पंडित जी से बहस करने में लगी पड़ी थी।
रेणुका ( बहस करते हुए) – अरे पंडितजी! आपको नहीं मालूम था तो ऐसे किसी को भी भाई बहन बना देंगे क्या? कल के दिन आप अम्मा को 90 साल का बता देंगे तो क्या अम्मा 90 की हो जाएंगी?
अम्मा ये सुनते ही चिढ़ कर बोली,
अम्मा ( चिड़चिड़ी होकर ) – ओए रेणुका! मुझे मत घसीट इस में, और 90 की तू होगी! मैं तो अभी बस चटक 84 की ही हूं।
अमृता और वैभव को रेणुका और अम्मा की इस मीठी सी नोंकझोंक में बहुत मज़ा आ रहा था। अमृता उन्हें देख कर हंस रही थी और ये देख कर वैभव भी हंसने लगा।
वहीं पंडितजी ने रेणुका से बात करने के बाद अपने शब्दों को सुधारा और वैभव और अमृता को रक्षा सूत्र देकर एक दूसरे को बांधने के लिए कहा। वैभव ने बहुत प्यार से अमृता को रक्षा सूत्र बांध दिया और अमृता भी उसे देख कर एक बार हल्के से मुस्कुराई और उसे रक्षा सूत्र बांधने लगी।
रेणुका पंडित जी से बहुत गुस्सा हो गई थी पर वो इस बात को लेकर खुश भी हो गई कि इसी बहाने, अमृता के चेहरे पर मुस्कान तो आई!
हवन सम्पन्न होते ही पंडितजी ने सभी को आशीर्वाद दिया। फिर रेणुका उन्हें खाना खिलाने के लिए ले गई। वहीं ऋद्धि, ऊषा और सुनीता आपस में अमृता के बारे में बातें बनाने लगीं थी पर तीनों में से किसी को भी उसके बारे में कुछ भी पता नहीं था।
उधर वैभव के चेहरे पर भी इस सब के चक्कर में थोड़ी सी चमक आ गई जो अमृता की नाराजगी की वजह से उसके चेहरे से चली गई थी। वो मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। उसने सोचा कि उसे अमृता से बात करनी चाहिए पर अमृता अम्मा के साथ थोड़ी busy नज़र आई तो उसने उसको फोन पर मैसेज कर दिया। वैभव ने मैसेज में लिखा कि वो अपनी गलती के लिए माफी मांगना चाहता है और अगर अमृता को ठीक लगे तो वो दोनों रेणुका के इस धार्मिक तामझाम से दूर कहीं और मिल कर इस बारे में बात कर सकते हैं।
अमृता ने वैभव के मैसेज का बहुत देर तक कोई जवाब नहीं दिया। वैभव को लगा कि शायद उसने उसकी हंसी का मतलब गलत निकाल लिया है। इस वजह से वो अन्दर ही अंदर और ज्यादा उदास हो गया।
थोड़ी देर बाद रेणुका भी पंडित जी को खाना खिला कर फ्री हो गई। उसने जब अमृता और वैभव को ढूंढा तो देखा कि अमृता तो अम्मा के साथ उनके कमरे में बैठी है। रेणुका ने अपने माथे पर हाथ मारा और खुद से बड़बड़ाने लगी,
रेणुका ( मन में) – हे भगवान, ये अम्मा अमृता को अपने कमरे में बिठा कर क्या रही हैं? वैभव की जगह मंडप में क्या मैं अम्मा को बिठाऊँगी अब?
वो फौरन अम्मा के कमरे में गई और बहाना बना कर अमृता को वहां से ले जाने की कोशिश करने लगी। अम्मा, अमृता को अपनी शादी का एल्बम दिखा रही थी। इसलिए अम्मा ने रेणुका को, उसे वहां से ले जाने के लिए साफ मना कर दिया। रेणुका ने बहुत कोशिश की पर अम्मा को ज़रा भी समझ नहीं आया कि वो उनसे क्या कहने की कोशिश कर रही थी। मुंह लटकाकर रेणुका वहां से चली गई और हॉल में जाकर बैठ गई। वैभव भी अमृता के मैसेज का इंतेज़ार करते हुए थक कर हॉल में ही बैठ गया था।
कुछ आधे-एक घंटे के बाद अमृता ने भी अम्मा से विदा ली और वो उनके कमरे से निकल कर नीचे हॉल की तरफ जाने लगी। रास्ते में जैसे ही उसने अपना फोन देखा तो वैभव का मैसेज पढ़कर वो सीढ़ियों पर ही खड़ी रह गई। वो जवाब लिखने ही वाली थी कि रेणुका ने नीचे से उसे आवाज़ लगा दी। अमृता ने रेणुका की आवाज़ सुन कर अपना फोन वापस अपने पर्स में रख लिया और सीढ़ियों से नीचे उतरकर आ गई।
रेणुका – बेटा, तुम अभी निकल तो नहीं रही हो ना!
अमृता – आंटी, असल में हां! मैं बस निकल ही रही थी!
रेणुका ये सुनते ही थोड़ी दुखी हो गई। उसकी सारी planning पर पानी फिर गया था। अमृता का सारा समय जो रेणुका वैभव के साथ spend करवाना चाहती थी, वो तो अम्मा ने बर्बाद कर दिया था। तो जब रेणुका को कुछ समझ नहीं आया तो उसने अमृता से कहा,
रेणुका – ठीक है बेटा! मैं तुम्हारे लिए प्रसाद लेकर आती हूँ! बाकी वैभव तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देगा!
ये बात जैसे ही वैभव ने सुनी तो वो एक टक अमृता को देखने लगा, उसे लगा कि अमृता ने मैसेज का जवाब नहीं दिया इतनी देर से, घर छोड़ने की बात सुन कर वो कहीं उसे ब्लॉक ही ना कर दे पर अमृता ने पहली बार… एक ही बार में रेणुका को हां कर दिया। रेणुका भी ये सुनकर थोड़ी हैरान रह गई। उसे खुशी थी कि कम से कम वैभव और अमृता को साथ में quality टाइम तो मिल जाएगा। वो kitchen में प्रसाद लेने चली गई और इधर वैभव हैरानी से अमृता को देखता ही रह गया।
अमृता ने भी उसकी तरफ देखा और बस मुस्कुरा दिया। वैभव समझ गया था कि अमृता ने सारे messages पढ़ लिए हैं। इसलिए वो भी हल्के से मुस्कुराया और कार की चाबी लेने चला गया। रेणुका किचन से आ गई और उसने अमृता को प्रसाद पैक कर के दिया। अमृता भी उसके गले लगी और वैभव ने जैसे ही उसे आवाज़ दी, वो बाहर की तरफ चली गई।
कार में दोनों को एक साथ बैठा देख, रेका ने खुद को ही शाबाशी दे डाली। उसे उसका plan आखिरकार successful होता नज़र आ रहा था।
इसके बाद वैभव ने अमृता से उसके घर का रास्ता पूछा तो उसने एक होटल का एड्रेस बताया। वैभव कुछ समझा नहीं पर उसने गूगल maps में होटल का नाम डाल कर कार उसी तरफ़ मोड़ ली और उससे पूछा,
वैभव – अमृता आप कहीं और जा रहे हो क्या?
अमृता – नहीं! दरअसल अभी मैं इस hotel में ही रुकी हुई हूँ।
वैभव – आप आपके उस दोस्त के यहां नहीं रुकी जिसके साथ आप पार्टी में आई थी?
अमृता ने इस सवाल का जल्दबाज़ी में जवाब देकर पूछ लिया, कौनसी दोस्त? तब अमृता को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वैभव आखिर कौनसी दोस्त की बात कर रहा था पर जैसे ही अमृता को समझ आया कि शायद वैभव को कोई और ही कहानी पता है वो थोड़ी चुप हो गई। फिर बात घुमाते हुए बोली,
अमृता – नहीं नहीं! किसी के यहां रुकना मुझे पसंद नहीं है!
वैभव को अमृता के अजीब behaviour की वजह से थोड़ा doubt तो हुआ पर उसे अभी इस बात को नज़र अंदाज कर के अमृता के बारे में जानना ज्यादा जरूरी लग रहा था। इसलिए वो उससे हर थोड़ी देर में कोई न कोई सवाल करने लगा। थोड़ी देर बाद जब इन दोनों के बीच माहौल थोड़ा नॉर्मल हुआ तो उसने अमृता से रेणुका की गलती के लिए माफी मांग ली। अमृता ने भी वैभव को गलत समझने के लिए पलट कर sorry बोल दिया। असल में जब वैभव रेणुका से अमृता को हवन में बुलाने वाली बात पर लड़ कर बाहर जा रहा था तब अमृता ने उसकी बात सुन ली थी और इसी वजह से उसकी गलतफहमी दूर हो गई कि वैभव रेणुका की तरह उसके पीछे सिर्फ इसलिए नहीं था क्योंकि वो उससे शादी करना चाहता है।
क्या अमृता और वैभव में होने वाली है दोस्ती की शुरुआत? क्या रेणुका का अमृता को बहू बनाने का सपना होगा पूरा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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