नेहा को रोहित का यह बर्ताव बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था। कुछ पल पहले रोहित नेहा की बाँहों में रो रहा था, और अब चेहरे पर कोई शिकन नहीं। रोहित नेहा की रूममेट्स से किसी छोटे बच्चे की तरह बात कर रहा था और नेहा उसको बातें करते हुए देख रही थी। क्या ये वही रोहित है जो थोड़ी देर पहले ही नेहा के सामने रो रहा था। जिसने नेहा को अपने पास्ट की सारी वो दास्तान सुनाई, जिनको वो बोलने से कतराता रहा था। नेहा को तब लगा था कि शायद रोहित उस पर पूरा भरोसा करने लगा है, तभी उसने नेहा की नाराजगी पर उससे सब सच-सच बता दिया था, लेकिन अब, सिर्फ कुछ घंटों के बाद, ये रोहित बिल्कुल अलग लग रहा है। ये नेहा के रूममेट्स के साथ मस्ती कर रहा है, हंसी-मजाक कर रहा है, जैसे कि उसके दिल में कोई भी ग़म न हो।
नेहा की आंखों में रोहित को लेकर कंफ्यूजन, और मन में शक की उलझन पैदा होने लगी और वो सोचने लगी कि-
नेहा: (मन में) आखिर क्यों मैं रोहित पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पा रही?
नेहा, रोहित की हर एक हरकत को ध्यान से देखने लगी— उसका मुस्कुराना, हाथों से इशारे करते हुए बात करना, और तो और फ्लर्ट करना। नेहा के पास कोई प्रूफ नहीं था कि रोहित झूठ बोल रहा है। इंतजार करने के अलावा नेहा के पास और कोई चारा नहीं था।
ऐसे ही रोहित के साथ हंसी-मजाक करते ये दिन भी गुजर गया। रात में बिस्तर पर लेटे हुए नेहा रोहित के बारे में ही सोच रही थी। तभी नेहा को उस शख्स की बात याद आती है। क्या नेहा रोहित पर उस आदमी की वजह से शक कर रही है? नेहा उस आदमी का नाम भी नहीं जानती, पर उसने नेहा के मन में शायद एक शक का एहसास पैदा कर दिया है, जिसे रोहित की हरकतें और गहरा करती जा रही है। नेहा सोचने लगी कि-
नेहा: (खुद से) क्या ये वही रोहित है, जो थोड़ी देर पहले मेरी गोद में सिर रख के रो रहा था? या फिर ये कोई और है? क्या मैं उसकी सच्चाई को कभी समझ भी पाऊंगी? क्या रोहित कभी अपनी पूरी कहानी मेरे सामने रखेगा?
अगले दिन, जब नेहा उठी, तो वह सबसे पहले रोहित से मिलना चाहती थी। पर उसके पास रोहित की बात का अब भी कोई जवाब नहीं था। नेहा थोड़े टाइम के लिए नॉर्मल रहना चाहती है। मेडिटेशन सेशन्स शुरू हो गए थे। मगर वहां भी नेहा रोहित के बारे में ही सोचती रही। रोहित का कभी शांत और कभी खुश चेहरा, नेहा की आंखों के सामने घूम रहा था। रोहित का ख्याल नेहा को चैन से रहने नहीं दे रहा था। आज रोहित सेशन में भी नहीं आया। पिछली शाम रोहित का बिहेवियर अचानक बदल गया था।
मेडिटेशन सेशन के बाद, वह रोहित से सारी बातें क्लियर कर लेना चाहती थी। नेहा ने कैंप के आसपास रोहित को ढूंढा, पर वह फिर से कहीं भी नजर नहीं आया। नेहा रोहित के कमरे की ओर गई। रोहित अपने कमरे में भी नहीं था। नेहा ने जब आस-पास लोगों से पूछा तो किसी ने रोहित को नहीं देखा था, अब नेहा को घबराहट होने लगी। कहीं कल की बातों के बाद रोहित अब नेहा से नहीं मिलना चाहता। क्या इसीलिए रोहित ने ये कैंप ही छोड़ दिया? पर रोहित नेहा से बिना मिले ऐसे कैंप छोड़ कर भागने वालों में से नहीं है। नेहा अपने मन को शांत करती है और फिर से रोहित को ढूंढने लगती है।
रोहित को ढूंढते हुए नेहा ने देखा, कि कैंप में कुछ अजीब सी हलचल है। कुछ सीनियर मेंबर्स आपस में छुप कर बातें करते दिखे और कुछ अडमिनिस्ट्रेटर्स काफी टेन्स और चौकस नजर आ रहे थे। कैम्प के आज के माहौल में और पहले दिन के माहौल में बहुत का फर्क था। वह शख्स जो नेहा को रोहित से दूर रहने की बात बोलकर गया था, आज फिर से वह नेहा को दिखा। उसकी आंखें नेहा को ही फॉलो कर रही थीं।
नेहा को अब इस शख्स से चिढ़ होने लगी थी, वह तुरंत उसके पास जाती है।
नेहा (गुस्से में): क्या परेशानी है आपको? आप मेरा ऐसे पीछा क्यों कर रहे है?
उस शख्स ने नेहा को उसके सवाल का तो जवाब नहीं दिया पर उसे और उलझन में डाल दिया। उस शख्स ने नेहा से कहा, कि रोहित एक ऐसा बागी है, जिस पर कोई नियम लागू नहीं हो सकता। नेहा का रोहित से दूर रहना ही भला है। इससे पहले कि नेहा कुछ कह पाती वह शख्स वहां से चला गया।
उस आदमी की बात सुनकर नेहा कुछ समझ नहीं पाई। आखिर ऐसा कौन सा नियम है जिसे रोहित ने तोड़ा है। तभी नेहा को बाहर अकेले न जाने वाली वार्निंग याद आई। कहीं फिर से रोहित बाहर तो नहीं चला गया?
यह मेडिटेशन कैंप बंगलोर सिटी से बहुत दूर, स्कंदगिरी हिल्स पर बना हुआ है। कैंप वाले एरिया के आस-पास कुछ बेसिक फैसिलिटीज़ को हटा दे तो, इस कैंप के चारों ओर सिर्फ जंगल ही है। कैंप से बाहर जाने के बस दो रास्ते थे। अगर मेन रोड को छोड़ दें, तो यहां से सिर्फ जंगल के ही जरिए निकला जा सकता है।
मेन गेट से बिना किसी को पता चले निकलना इम्पॉसिबल है। और अगर रोहित कैंप में नहीं है तो वह जरूर कैंप से बाहर जंगल में ही गया होगा। नेहा को रोहित की चिंता होने लगी। कहीं रोहित जंगल में खो तो नहीं गया। वैसे भी कितने सारे जंगली जानवर है वहां, रोहित को कुछ भी हो सकता है।
धीरे-धीरे अंधेरा भी होने लगा, और इस अंधेरे के साथ नेहा की बेचैनी बढ़ने लगी। अब नेहा और इंतजार नहीं कर सकती थी। नेहा ने जंगल में जाने का फैसला किया।
नेहा चुपके से सबके पास से निकल गई। बिल्डिंग के साइड वाले एरिया से होकर, नेहा कैंप के पीछे वाले गेट पर चली गई। गेट पहले से ही खुला हुआ था। शायद रोहित भी यहां से बाहर गया होगा।
नेहा गेट पार करके जंगल में चली गई। रोहित को खोजते हुए नेहा जंगल में काफी अंदर तक चली गई। शाम हो चुकी थी, नेहा को जानवरों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। नेहा का चेहरा अब डर से सफेद पड़ गया था, उसके होश उड़े हुए थे।
नेहा धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ा रही थी। आसपास पूरा सन्नाटा और बीच-बीच में जानवरों की आवाज, नेहा को डराने लगी। तभी पीछे से किसी ने नेहा को अपनी तरफ़ खींच लिया। अचानक से खींचने की वजह से नेहा ने अपना बैलेंस खो दिया और उसके मुँह से डर की वजह से चीख निकल गई।
नेहा की आँखें बंद हो गई। पर उस इंसान ने नेहा को संभाल लिया। जब नेहा ने अपनी आंखें खोली तो, वह रोहित ही था। नेहा चिढ़ते हुए, रोहित को जोर जोर से मारने लगी।
नेहा: कहाँ थे तुम?
रोहित : तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था, नेहा। (रोहित ने धीरे से कहा, जिससे उसकी आवाज सिर्फ नेहा तक ही पहुंचे।)
नेहा: (धीरे से, तेज बोलते हुए) रोहित, तुम मुझसे क्या छुपा रहे हो? ये सब क्या है? तुम यहां क्या कर रहे थे? तुम्हारी बातें और एक्शन्स कभी मैच क्यों नहीं करते है?
रोहित के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आई। नेहा के सवालों का जवाब देने के बजाय, रोहित ने नेहा का हाथ पकड़ कर उसे जंगल के बाहर लेकर जाने लगा। उसने नेहा से कहा कि
रोहित (हल्की मुस्कान के साथ): ये जगह मुझे बहुत पसंद है, इसलिए कभी-कभी बस यहां आ जाता हूं। पर नेहा, तुम्हें यहां अकेले नहीं आना चाहिए था। जंगल के जानवरों का खतरा बहुत ज्यादा है।
नेहा रोहित की तरफ़ देखने लगी जैसे कि वह अभी कुछ और जवाब एक्सपेक्ट कर रही हो। ये देखकर रोहित जोर से हंस पड़ा। नेहा कुछ कहने के लिए आगे बढ़ी, पर रोहित ने बात को बदलते हुए कहा।
रोहित – नेहा! गाना सुनोगी?
रोहित अपना एक ईयरपॉड्स नेहा की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा। नेहा ने बिना कुछ बोले रोहित के हाथों से वो ले लिया।
चलते-चलते, रोहित नेहा को एक लेक के किनारे ले गया। नेहा ने सरप्राइज होकर रोहित की तरफ़ देखा। ये वही लेक है जो उसके बालकनी से दिखती है। नेहा वहां पर अच्छा महसूस करने लगी।
घने जंगल के बीच, उन दोनों के पास पूरा वक्त था कि वह दोनों सारी बातें पूरी कर लें। हर वो बात जो अब तक नहीं हो पाई हो। रोहित की नजरें पूरे टाइम नेहा की तरफ़ थी, मानो वह बस, नेहा को देखते ही रहना चाहता हो।
नेहा कुछ देर चांद तो कुछ देर लेक पर पड़ रही चांद की परछाईं को देखकर खुश हो रही थी। रोहित की तरफ़ से कोई आवाज ना आने पर नेहा उसकी तरफ़ देखती है। रोहित नेहा में इस हद तक खो चुका था, कि नेहा के देखे जाने पर भी, उसने अपनी नजरें उसके चेहरे से नहीं हटाई। तब ही अचानक, रोहित को हाथ में कुछ चुभा, जैसे कि किसी कीड़े ने काटा हो। रोहित तुरंत होश में आ गया।
एक साथ बैठे, जंगल में काफी वक्त गुजार चुके थे। देर रात हो चुकी थी, और अब कैंप वापस लौटना ही सबसे बेहतर ऑप्शन था। रोहित नेहा को लेकर कैंप की ओर वापस चलने लगा।
नेहा और रोहित घने जंगल के रास्ते पर चलने लगे। रात में जंगल जितना डरावना उतना ही खूबसूरत दिख रहा था। पेड़ों की पत्तियों से चांद की रोशनी ही सिर्फ लाइट का सहारा थी। अब तो जानवरों की भी आवाज नहीं आ रही थी। रोहित बीच-बीच में नेहा को जंगल के कुछ पेड़ और उनकी पत्तियों की अहमियत बताने लगा।
नेहा उसकी बातें सुनते हुए मुस्कुराई और बोली,
नेहा: शो-ऑफ कर रहे हो कि तुम्हें सब पता है। मैं तो बस देखते ही खो जाती हूं।
राहुल: (हंसकर) जंगल मेरा दोस्त है। आखिर इतने साल जो बिताए है। तुम्हें पता है नेहा…
इतना कहते-कहते रोहित शांत हो गया, जैसे कि उसने कुछ ऐसी बात कह दी जो उसे नहीं करनी चाहिए थी। नेहा चलते-चलते रुक गई। नेहा सोचने लगी, इतने साल बिताए है? मगर रोहित का घर तो शहर में है। आखिर रोहित का जंगल से क्या वास्ता? क्या कॉलेज के बाद रोहित जंगल में रहने लगा था। नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है। रोहित ने नेहा को खुद ही बताया था कि वह एक बड़ी कंपनी के लिए काम करने लगा था।
नेहा रोहित की तरफ़ देखने लगी। नेहा के चेहरे पर सवाल साफ दिख रहा था। रोहित टॉपिक चेंज करने की कोशिश करने लगा।
रोहित (असहज और टॉपिक चेंज करने की कोशिश करते हुए): अच्छा नेहा! तुम जंगल में क्यों आई हो? कोई जानवर पसंद आ गया है क्या?
नेहा कुछ जवाब नहीं देती, बस रोहित को लगातार देखती रहती है। रोहित एक बार फिर नेहा के सवालों के घेरे में था। रोहित को कुछ करना होगा, जिससे नेहा का ध्यान सवालों से हटे। रोहित नेहा से फ्लर्ट करने लगता है।
रोहित (चिढ़ाते हुए): नेहा, कैंप वालों ने तुम्हें बाहर तो नहीं निकाल दिया? चलो अच्छा है, अब बाकि के दिन तुम सिर्फ मेरे साथ बिता सकती हो। फाइनली हम-तुम अकेले, आसपास कोई नहीं।
नेहा रोहित की यह बात सुनकर अन्कम्फ्टबल हो गई, और आगे चलने लगी। रोहित अपने मिशन में कुछ पल के लिए कामयाब हो गया। हालांकि नेहा ज्यादा देर तक शांत नहीं रहने वाली थी। रोहित को पता था कि नेहा के सवाल वापस आएंगे, और तब शायद रोहित के पास उनके जवाब देने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। क्या वाकई रोहित नेहा के सवालों का सामना कर सही जवाब दे पाएगा…कहीं नेहा और रोहित का रिश्ता शुरु होने से पहले खत्म तो नहीं हो जाएगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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