जंगल की ख़ामोशी के बीच रोहित का ये मजाक नेहा को डरा रहा था. रोहित की ये हंसी ठिठोली नेहा के पुरानी यादों को वापस उभर रही था. कहीं ना कहीं नेहा के मन में अब भी रोहित के लिए फीलिंग्स थी, पर नेहा पहले से शादीशुदा है। एक शादी शुदा औरत के लिए किसी और के बारे में ऐसा सोचना गुनाह से कम नही है. मृत्युंजय अब भी शायद नेहा का इंतजार कर रहा था।
रोहित ने अनजाने में ही कहीं पर नेहा को अपने पास्ट के बारे में ऐसा कुछ बता दिया है जो कि अब वो छुपाना चाहता है। नेहा को आइडिया तो था कि रोहित का जंगल की इतनी जानकारी होना नॉर्मल नहीं है। और फिर रोहित का अजीब बिहेवियर नेहा के शक को और गहरा करने लगा था।
नेहा को पूरा-पूरा शक था कि रोहित कुछ छिपा रहा है, पर नेहा अब ये "चूहे-बिल्ली का खेल" और नहीं खेलना चाहती। नेहा रोहित की बात पर न ध्यान देने का नाटक करके आगे बढ़ने लगी। ये लड़ाई नेहा अब किसी और दिन लड़ेगी।
नेहा और रोहित शांति से कैंप की ओर वापस जाने लगे। कुछ देर तक तो ये शांति नेहा को अच्छी लगी, पर आस पास सिर्फ जंगल की आवाज़ अब नेहा को डराने लगी थी. नेहा ने रोहित की तरफ़ देखा, तो रोहित का चेहरा लाल पड़ गया था और सांसें तेज़ चल रही थीं। नेहा ने रोहित के सिर पर हाथ रखा, रोहित का सिर बुखार से जल रहा था। नेहा घबराई।
(जंगल की इस अजीब सी खामोशी में, सिर्फ जानवरों की आवाज़ सुनाई दे रही थी)
नेहा (परेशान होते हुए): रोहित, तुम ठीक तो हो न?
रोहित (बुखार की हालत में): मैं ठीक हूँ, नेहा। बस थोड़ा थकान महसूस कर रहा हूँ।
नेहा: थोड़ा!! रोहित, तुम्हारा पूरा शरीर जल रहा है। तुम्हें किनारे बैठ जाना चाहिए।
रोहित: इसकी ज़रूरत नहीं है नेहा। कैंप यहां से बहुत नज़दीक है। हमें चलते रहना चाहिए। रात में ये जंगल सेफ नहीं है।
इतना कहकर रोहित लड़खड़ाकर गिर गया। नेहा तुरंत रोहित को सहारा देते हुए एक पेड़ के पास ले गई।
रोहित नेहा को शांत करने की कोशिश करने लगा पर नेहा ने एक नहीं मानी। उसने ज़बरदस्ती रोहित को वहां पर बैठाया और उसे गौर से देखने लगी।
तभी नेहा का ध्यान रोहित की शर्ट पर पड़ा। शर्ट की बांह सफेद से पूरी लाल हो चुकी थी। नेहा ने तुरंत रोहित की शर्ट की बांह ऊपर की, तो देखा कि हाथ पूरा नीला पड़ा हुआ है, और कलाई के पास दांत के निशान है। रोहित को किसी ज़हरीले जानवर ने काटा था।
नेहा (घबराते हुए): ये कब हुआ रोहित?
रोहित को खुद नहीं पता था कि उसे किसने और कब काटा। तभी रोहित को याद आया कि लेक के पास रोहित को हाथ में कुछ चुभा था। शायद तभी किसी कीड़े ने काटा होगा। पर ये कोई आम कीड़ा नहीं था। रोहित को अपने शरीर में ज़हर दौड़ते हुए महसूस हो रहा था। अगर कुछ देर तक कुछ इलाज न किया जाए तो शायद रोहित बेहोश हो जाता।
रोहित: (बहुत शांति से) नेहा शांत हो जाओ, इसका सॉल्यूशन मिल जाएगा। तुम्हें याद है कुछ देर पहले हमने एक पौधा देखा था, जिसके बारे में मैं बता रहा था। वो नुकीले कांटों वाली पत्तियां। उसे लेकर आओ।
नेहा रोहित को जंगल में इस हालत में अकेला नहीं छोड़ना चाहती। पर रोहित की हालत बिगड़ते देख नेहा दौड़कर वो पौधा खोजने चली गई। जब तक नेहा उन पत्तियों के साथ वापस आई, रोहित ने अपना शर्ट उतारकर नीले पड़े हिस्से को ज़ोर से बांध दिया था। नेहा के हाथ से वो पत्तियां लेकर रोहित उन पत्तियों को चबाने लगा। अपने मुँह से उन चबाई पत्तियों को निकालकर काटने के निशान पर लगाने लगा।
नेहा: रोहित, ये तुम क्या कर रहे हो?
रोहित: नेहा शायद मुझे सांप ने काटा है।
नेहा ये सुनकर डर गई। अगर इस जंगल में रोहित को कुछ हो गया तो आखिर वो रोहित को कैसे संभालेगी। नेहा को तो वापस जाने का रास्ता भी नहीं पता। वो कैंप से मदद कैसे ले पाएगी?
नेहा के चेहरे पर छाए डर ने रोहित के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान ला दी।
रोहित (बीमार पर हल्की मुस्कान के साथ): अरे घबराओ मत। ये पत्तियां मुझे ठीक कर देंगी। इतना जल्दी पीछा नहीं छोड़ रहा मैं।
नेहा रोहित के चिढ़ाने से भी शांत नहीं हुई; उसके लिए ये कोई छोटी बात नहीं थी। कुछ देर आराम करने के बाद रोहित धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। रोहित जानता था, कि सुबह तक वो बिना डॉक्टर को दिखाए भी ठीक हो जाएगा। हालांकि नेहा की आँखों में रोहित के लिए डर रोहित को अच्छा लग रहा था।
नेहा: रोहित तुम्हें डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
रोहित: पहले तो हमें कैंप जाना होगा न, मैम, वहां डॉक्टर्स पहले से ही है।
रोहित की आवाज थोड़ी सीरियस थी, ये सुनकर नेहा का दिल थोड़ा हल्का हुआ। रोहित की हालत में अब पहले से काफी सुधार था।
पर नेहा और रोहित की मुश्किलें अब भी खत्म नहीं हुई थीं। नेहा को चिंता हो रही थी कि कहीं कैंपवालों को पता न चल जाए कि दोनों दिनभर कैंप से बाहर थे। नेहा की एब्सेंस पर शायद किसी का ध्यान ना जाए, मगर रोहित… रोहित तो कैंप की जान है, पूरा दिन रोहित का कैंप से गायब रहना तो ज़रूर नोटिस हुआ होगा।
नेहा: कुछ सोचा है, अगर हम पकड़े गए तो क्या जवाब देंगे?
रोहित: जब पकड़े जाएंगे तब देखा जाएगा। अभी हमारा फोकस वहां पर सही सलामत पहुंचने पर होना चाहिए।
इतना कहकर रोहित आगे बढ़ गया। नेहा मुँह बनाकर रोहित के पीछे-पीछे चलने लगी।
नेहा को रोहित का यही रवैया नहीं पसंद था। नेहा की तरफ़ से कोई जवाब ना सुनकर रोहित नेहा से पूछने लगा।
रोहित: किसके ख्यालों में खोई हो मोहतरमा?
नेहा (बिना सोचे-समझे): तुम्हारे ही।
रोहित ये सुनकर पूरी तरह शॉक हो गया। ये कैसा जवाब था। नेहा अगर उसके बारे में सोच भी रही थी, तो आखिर रोहित को ऐसे कैसे बता दिया। इस मोमेंट में रोहित को भी समझ नहीं आया कि वो बोले भी तो क्या, तभी नेहा ने अपनी बात को संभालते हुए कहा कि वो पूरे दिन कैंप से लापता थी। सब को पता चल गया होगा अब तक कि वो दोनों जंगल में घूम रहे है। जब वो दोनों वापस लौटेंगे तो क्या होगा।
रात का अंधेरा और भी गहरा हो चुका था। नेहा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और हर कदम उन्हें कैंप के नज़दीक ला रहा था। तभी पीछे से एक रोशनी नेहा पर पड़ती है। नेहा ने कहा, “कौन है वहां?”
नेहा एक अनजान आदमी की आवाज़ सुनकर डर जाती है, और रोहित से चिपककर खड़ी हो जाती है। कहीं ये जंगल के डाकू तो नहीं। मुड़कर देखने पर नेहा देखती है कि दो यूनिफॉर्म पहने अफसर नेहा और रोहित की तरफ़ बढ़ रहे है।
एक लंबा अफसर आगे बढ़कर उनसे सख्त आवाज़ में पूछता है, कि तुम दोनों रात के इस वक्त यहाँ क्या कर रहे हो? तुम्हारे पास जंगल में रात बिताने का ऑर्डर है क्या? रोहित संभलने की कोशिश करता है और शांति से कहता है,
रोहित: सर, हम बस जंगल में एक मेडिटेशन कैंप करने आए है। ये हमारे ट्रिप का हिस्सा है, और हमें लगा था कि यहाँ रुकना अलाउड है।
अफसर उसके जवाब से ज्यादा खुश नहीं लगता। वह नेहा और रोहित पर शक भरी नजर डालता है और कहता है, तुम्हें शायद नहीं पता कि यह एरिया प्रोहाइबटेड है। यहाँ बिना ऑर्डर के रुकना मना है। तुम दोनों को हमारे साथ चलना होगा।
अफसर दोनों को कैंप से दूर एक छोटी सी बिल्डिंग तक ले जाता है। यह बिल्डिंग फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का ऑफिस है। अंदर पहुंचकर दोनों को एक छोटे से कमरे में बैठा दिया गया। कमरे में एक टेबल और दो कुर्सियां है, और एक अफसर दरवाजे पर खड़ा होकर उन पर नजर रखता है। रोहित उनसे बात करने की कोशिश करने लगा,
रोहित: सर, हम सिर्फ यहां एक मेडिटेशन कैंप के लिए आए है, हमारा कोई गलत इरादा नहीं था।
अफसर ने बताया कि कमांडर के आने तक उन दोनों को इंतजार करना होगा। और अगर उन दोनों ने कोई भी गैरकानूनी गतिविधि की है, तो उन्हे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। नेहा और रोहित की घबराहट और भी बढ़ जाती है। वे दोनों समझ नहीं पा रहे थे कि यह रात का सफर इस तरह ऐसे मुश्किल ऐडवेंचर में कैसे बदल गया।
दूसरा अफसर, जो छोटे कद का और चुप-चुप सा लग रहा था, रोहित की तरफ़ घूरते हुए देखकर कहने लगा, “तुम यहां के नहीं लगते, पर इतना तो पता होगा कि रात में जंगल में जाना खतरे से खाली नहीं है, वो भी एक लड़की के साथ।
नेहा: (घबराते हुए) सर, हम सिर्फ जंगल में सैर करने आए थे।
नेहा की बात सुन अफसर ने कहा कि जंगल की सैर ने कितनों की ज़िन्दगी बदली है, ये वो लोग नहीं समझेंगे। लेकिन, जब तक उनका शक दूर नहीं होता, वो दोनों यहां से नहीं जा सकते।
रोहित: आप इस तरह हमें कैद नहीं कर सकते।
दूसरे अफसर ने उन्हें गुस्से से देखा और कहा,”देखो, हम ये नहीं कह रहे कि तुम दोनों कुछ गलत कर रहे हो। लेकिन यहां कुछ बड़ी मुसीबतें हो रही है और इस वक्त हमें किसी पर भी शक करने का पूरा हक है। चाहे तुम लोग इनोसेंट हो या नहीं, तुम्हें हमारी मदद करनी होगी और इस जांच में क्वापरैट करना होगा।
रोहित: सर, हमें क्या करना होगा? हम बस यहां से निकलना चाहते है।
अफसर ने पूछा की क्या उन दोनों ने जंगल में कुछ अलग सी हरकत या कुछ अजीब लोग देखे है?
नेहा: (डरते हुए) नहीं सर, हमने ऐसा कुछ नहीं देखा।
लंबा अफसर गुस्से भरी आवाज में चीखते हुए बोला, “अगर तुमने देखा भी होता तो बताओगे नहीं, मुझे पता है।
रात और गहरी होती जा रही थी और अफसर वहां से कुछ दूर जाकर आपस में बात कर रहे थे। रोहित और नेहा ने उनकी फुसफुसाहट सुनने की कोशिश की, लेकिन उनकी आवाज उन तक साफ नहीं आ रही थी।
बस तभी, एक अफसर उनके पास आकर ठंडे लहजे में बोलत है की वो जंगल फिलहाल कुछ ऐसे हालात में है जहां पर हम किसी को भी ऐसे जाने नहीं दे सकते। भले ही वो दोनों वहाँ सिर्फ मजे के लिये गए हो, लेकिन अब उनके पास और कोई रास्ता नहीं है। जब तक ये मामला सॉल्व नहीं हो जाता, उन्हे ऑफिसर्स के साथ को-ऑपरेट करना होगा।
अफसर की बातें नेहा और रोहित के मन में और भी डर पैदा कर रही थी। अब उनके सामने सिर्फ एक ही रास्ता था, मेडिटेशन कैंप के अफसरों से कान्टैक्ट करना। यही उन्हें यहां से बचा सकता था, लेकिन उन्हें इस बारे में बताना, मतलब खुद को कैंप से निकालवाना। अब आखिर नेहा और रोहित को क्या करना चाहिए? क्या वो फॉरेस्ट ऑफिसर्स की पूछताछ से छूट कर वापस कैंप पहुंत पाएंगे या बिना इजाज़त जंगल घूमने का शौक उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा देगा?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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