सुबह का वक्त हो चुका था। जंगल में हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी, और चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी। थकावट और रात भर के इंतज़ार ने नेहा और रोहित की नींद उड़ा दी थी।

नींद के हल्के साए में भी नेहा मन ही मन सोच रही थी कि कहां दुनिया की भागदौड़ और मृत्युंजय के बदलते रवैये से परेशान होकर वह इस मेडिटेशन कैंप में आई थी, और कहां इस मुसीबत ने उसे मानो दबोच लिया था। मृत्युंजय से नेहा का वह प्यार, जो कहीं खो-सा गया था, अब धीरे-धीरे उसे याद आने लगा। लेकिन इसके साथ ही रोहित की चिंता ने नेहा को अचानक जगा दिया। जैसे ही नेहा की नींद खुली, उसकी आंखें सिर्फ रोहित को तलाश रही थीं। रोहित का वहां न होना नेहा को बेचैन कर रहा था। रोहित को ढूंढ़ते हुए नेहा फॉरेस्ट कमांडर के पास पहुंची .

नेहा: रोहित कहां है?  

ऑफिसर ने नेहा के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। नेहा को रोहित की चिंता होने लगी। कहीं ये लोग रोहित के साथ कुछ गलत तो नहीं कर रहे? ये सोच कर नेहा डरने लगी नेहा ने एक बार फिर जोर से चिल्लाकर पूछा,  

नेहा (चिल्लाकर गुस्से में): मैंने पूछा, रोहित कहां है?  

कमांडर ने हल्की सी मुस्कराहट के साथ जवाब दिया और कहा “रोहित हेड कमांडर से मुलाकात करने गया है। जैसे ही वह आएगा, तुम उससे मिल लेना।” यह सुनकर नेहा थोड़ी शांत हुई।


लेकिन नेहा कमांडर के जवाब से बिलकुल सैटिस्फाइ़ड नहीं थी। नेहा के मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगे, मानो जैसे यह किसी तूफान से पहले की शांति हो, जैसे कुछ गड़बड़ होने वाली हो। वहीं, दूसरी ओर, नेहा को यह चिंता भी सताने लगी कि मेडिटेशन कैंप में आखिर क्या चल रहा होगा। नेहा ने कमांडर से कड़ी आवाज में रोहित के पास ले जाने को कहा। हालांकि, नेहा की बात सुनने पर भी कमांडर ने साफ इंकार कर दिया।

इतनी देर में फारेस्ट कमांडर की आवाज़ आती है , ‘रोहित हमारे सीनियर कमांडर से बात कर रहा है। आपको यहाँ इंतज़ार करना होगा। ये ऑफिस है आपका मैडिटेशन कैंप नहीं।  ‘

यह सुनकर नेहा आग-बबूला हो उठी। वह जैसे ही कमांडर को कुछ कहने वाली थी, उसे कुछ आवाज सुनाई दी और उसने देखा कि रोहित सीनियर कमांडर से बात करते हुए बाहर आ रहा था।


जैसे ही रोहित बाहर आया, नेहा ने रोहित को अपने बाहों में कसकर गले से लगा लिया और रोने लगी। रोहित भी अब अपने आंसू नहीं रोक पाया और उसने नेहा को सीने से लगाते हुए उसे शांत करने की कोशिश की।

ये देख, वहां मौजूद तमाम फॉरेस्ट अफ़िशल्स भी रोहित और नेहा की ओर घूरने लगे। इतने में ही फॉरेस्ट कमांडर ने रोहित से अचानक कहा कि वह सारी फॉर्मैलिटीज़ पूरी करे और यहां से चला जाए। यह सुनते ही नेहा की आँखें चौंक गईं। नेहा ने शक और सस्पेंस भरी निगाहों से फॉरेस्ट कमांडर और रोहित को देखा, लेकिन रोहित ने फिर से नेहा से आँखें चुरा ली। नेहा रोहित का यह बर्ताव समझ नहीं पा रही थी। उलझन और सवालों की डोर में नेहा बुरी तरह फंसती जा रही थी, लेकिन नेहा जानती थी कि यह सही समय सवाल-जवाब का नहीं है। नेहा ने एक झूठी मुस्कान के साथ रोहित की ओर देखा.

नेहा- रोहित हम सच में जा रहे है ? ये लोग हमे छोड़ रहे है ? तुमने...तुमने इन्हे सब सच बता दिया?

रोहित (tensed स्माइल करते हुए )- हाँ नेहा !

रोहित के चेहरे पर टेंशन देख कर नेहा भी टेंशन में आ रही थी। लेकिन नेहा अब कर भी क्या सकती थी, न तो वह रोहित से कुछ पूछ सकती थी, न ही कोई जवाब की उम्मीद कर सकती थी। दोनों अब फॉरेस्ट हेडक्वार्टर से निकलने को तैयार थे। नेहा अचानक हुए इस फैसले से कन्फ्यूज़ तो बहुत थी, आखिर ऐसा क्या हुआ था रोहित और कमांडर के बीच, कि उन्हें बिना किसी सवाल जवाब के तुरंत छोड़ दिया गया, पर यह समय नेहा के सवालों के लिए सही नहीं था। नेहा अब बस मेडिटेशन कैंप वापस जाना चाहती थी।

जैसे ही वे दोनों कैंप के लिए निकलने वाले थे, कमांडर ने रोहित को वापस अपनी तरफ़ बुलाया। कमांडर और रोहित आपस में बातें करने लगे। कमांडर ने नेहा की तरफ़ इशारा किया, और रोहित ने हाँ में अपना सिर हिला दिया। नेहा बस उनके एक्शंस ही देख पा रही थी, क्योंकि वे दोनों नेहा से दूर थे। आखिरकार रोहित अपनी बात खत्म करके नेहा के पास वापस आ गया। इतनी देर में नेहा ने सवाल किया-

 

नेहा: क्या वो मेरे बारे में बात कर रहे थे रोहित?  

रोहित: कुछ खास नहीं। तुम ध्यान मत दो।  

नेहा अब रोहित से सवाल करके थक चुकी थी। वैसे भी रोहित नेहा को जवाब तो देता नहीं था, तो फायदा भी क्या। नेहा चुपचाप कैंप की तरफ़ बढ़ने लगी। रोहित भी नेहा के पीछे-पीछे चल दिया। आखिरकार रोहित और नेहा कैंप के पिछवाड़े पहुंचे। अब वे गार्डन के रास्ते से, धीरे-धीरे और ध्यान से, लोगों की नज़र से बचते हुए आगे बढ़ने लगे।

तभी उन्होंने देखा कि कैंप के सीनियर मेंबर्स वहीं खड़े है, जिनमें से एक मिस्टर मेहता थे, जो इस मेडिटेशन कैंप के मैनेजर है। वह सबसे आगे खड़े दोनों को गुस्से से देख रहे थे। मिस्टर मेहता, जो एक फॉर्मर सेना ऑफिसर्स  है, वो बेहद नियम कायदे वाले और स्ट्रिक्ट शख्स थे। उन्होंने खुद आकर कैंप शुरू होने से पहले ही सभी को सख्ती से चेतावनी भी दी थी कि कोई भी कैंप के बाहर न जाए। इस चेतावनी को टूटता हुआ देख, मिस्टर मेहता का ग़ुस्सा बेकाबू हो गया और उनकी आँखें ग़ुस्से से लाल हो गईं।

 

इस वक्त मिस्टर मेहता का वहां होना ये साफ़ बता रहा था कि, नेहा और रोहित का रात भर गायब होना अब चिंता का मुद्दा बन चुका था।

मिस्टर मेहता ने घूर कर दोनों को देखा और सवालों की लाइन लगा दी

कैंप का बिगड़ता माहौल देखकर, मिस्टर मेहता ने नेहा और रोहित की ओर घूरते हुए सख्त आवाज़ में कहा, ‘आप दोनों को पता है, कैंप के नियम क्या है? क्या आप दोनों को जंगल के नियम पता है? आप दोनों बिना बताए जंगल में चले गए? यह कोई मजाक नहीं है, जंगल खतरनाक है, और यह हर तरह से आपके और बाकी सबके लिए भी एक बहुत बड़ा रिस्क है। क्या आप दोनों को जरा भी अंदाजा है की क्या किया है आपने ? ‘

ये सुनते ही नेहा और रोहित की आँखें नीची हो गयी। दोनों की आखों में गिल्ट साफ़ दिखाई  दे रहा था। हर वक़्त बहस करने वाला रोहित भी आज शांत था।  रोहित को शांत देख नेहा भी घबरा गई की रोहित कुछ बोल क्यों नहीं रहा है। क्योंकि नेहा तो इतनी जल्दी बहाने नहीं बना सकती, लेकिन रोहित तो बात बनाने में माहिर है।

नेहा ने एक पल के लिए रोहित की तरफ़ देखा

नेहा: हमें बस थोड़ी ताजी हवा चाहिए थी, मिस्टर मेहता। हम... हम थोड़ा वक्त जंगल में बिता कर वापस आ रहे थे।  

मिस्टर मेहता उनके जवाब से बिलकुल भी सैटिस्फाइड नहीं दिखे। उनके हाव भाव को देख कर रोहित ने एक कदम आगे बढ़ाया

रोहित: "मिस्टर मेहता, मैं जिम्मेदारी लेता हूँ। यह मेरी गलती थी, नेहा को मै ही अपने साथ लेकर गया  था। उसकी कोई गलती नहीं है।"

नेहा ने हैरान होकर रोहित की तरफ़ देखा, नेहा की आँखों में एक हल्की सी नाराजगी थी, जैसे वह कहना चाह रही हो कि यह सिर्फ उसका फैसला नहीं था मगर इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, रोहित ने उसे इशारे से चुप रहने को कहा।  

 

मिस्टर मेहता की चिल्लाने की आवाज़ पूरे कैंप में गूँज रही थी। हर कोई नेहा और रोहित की तरफ़ जिज्ञासा भरी नजरों से देखने लगा। सभी के जेहन में एक ही सवाल था की आखिर क्यों नेहा और रोहित ने ये बड़ा कदम उठाया था. कैंप में लगातार खुसपुसाहट चल रही थी। रोहित और नेहा का जाना मानो लोगो के लिए गॉसिप बन चूका था. कैंप के कुछ सदस्यों को रोहित और नेहा के जंगल में जाने की बात पता थी। यह बात पूरे कैंप में आग की तरह फैल चुकी थी। एक आदमी ने आगे बढ़कर जानना चाहा कि क्या यह सच है कि वो दोनों फॉरेस्ट अफसरों के साथ पकड़े गए थे… क्या रोहित और नेहा कुछ इल्लीगल कर रहे थे?  

नेहा: (घबराते हुए) हाँ, हम जंगल में गए थे, लेकिन हम वहाँ खो गए थे। हमने कुछ भी गलत नहीं किया है।  

मिस्टर मेहता नेहा की बात से और आग बबूला हो गए। उन्होंने कहा, "आखिर ज़रूरत क्या थी तुम लोगों को जंगल की तरफ़ जाने की?"  मिस्टर मेहता के इस सवाल का जवाब न तो रोहित के पास था, न ही नेहा के पास। कोई जवाब न आता देख, मिस्टर मेहता आगे बोलने लगे, "तुम लोगों को यह समझना चाहिए था कि जंगल में बिना परमिशन के अकेले जाना कितना रिस्की है। तुम्हारे irresponsible बिहेवियर ने हमारे पूरे कैंप के सिक्योरिटी स्टैंडर्ड्स पर सवाल खड़ा कर दिया है।"  

कैंप के लोग अब और भी ज्यादा एक्साइटेड हो गए थे। सभी के चेहरों पर जिज्ञासा थी, और कुछ लोग आपस में बातें करने लगे। एक और लड़की ने पूछा, "लेकिन जंगल में ऐसा क्या हुआ है कि इतने रेस्ट्रिक्शन्स है? मैंने कहीं सुना है कि जंगल में आतंकवादी घूम रहे है। क्या यह सच है?"  मिस्टर मेहता ने हाथ उठाकर सभी को चुप कराते हुए कहा, "ऐसी अफवाहों पर ध्यान ना दिया जाए, तो बेहतर होगा .उन्होंने साफ़ कहा कि जंगल में जाना स्ट्रिक्टली मना है, और अगर किसी ने यह नियम तोड़ा, तो अपने बैग्स तैयार रखे"  रोहित ने नेहा की तरफ़ देखा।

रोहित (धीरे से )-  "सब आपस में बिज़ी है। धीरे से यहाँ से निकलकर कमरे में चलो। मैं यहाँ संभाल लूंगा।"  

 

नेहा: नहीं रोहित, मैं भी बराबर की जिम्मेदार हूँ। जंगल में सिर्फ तुम अकेले नहीं थे।

मिस्टर मेहता ने रोहित की तरफ़ गहरी नजर डाली और चेतावनी भरे लहजे में कहा,

रोहित की तरफ़ देखते हुए, मिस्टर मेहता ने अपनी बात रखते हुए बोला, रोहित, तुम अपने आपको बहादुर समझ रहे हो या कुछ और, मुझे नहीं पता। लेकिन इस तरह जंगल में जाना सिर्फ तुम्हारे लिए ही खतरा नहीं है।

इतना कहकर उन्होंने नेहा को भी एक सख्त नजर से देखा। मिस्टर मेहता की नाराजगी साफ दिखाई दे रही थी, और उनका गुस्सा जायज भी था। आखिर कैंप के लोग यहाँ मेडिटेशन के लिए आए थे, न कि जंगल में एडवेंचर करने।

मिस्टर मेहता रोहित से कहते है, "रोहित, तुम मुझे क्या समझते हो? जो भी इंसान जंगल में गया, वह अपनी मर्जी से गया है।"

रोहित (विनती करते हुए): "पर मिस्टर मेहता..."

मिस्टर मेहता ने रोहित की बात बीच में ही काटते हुए गुस्से में चिल्लाया, "रूल्स आर रूल्स! जो इस कैंप के नियमों का पालन नहीं कर सकता, उसे यहां से जाना होगा।"

यह सुनते ही सभी लोग चुप हो गए। कैंप में एक सन्नाटा छा गया। किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि ऐसा कुछ होगा। रोहित कैंप में सभी का पसंदीदा था, और कोई भी नहीं चाहता था कि वह और नेहा सिर्फ चार दिन में ही कैंप छोड़कर चले जाएं। यह कहकर मिस्टर मेहता वहाँ से चले गए, लेकिन अपने पीछे कई सवाल छोड़ गए। क्या रोहित और नेहा का यह सफर यहीं खत्म हो जाएगा?
क्या उन्हें सचमुच कैंप छोड़कर जाना पड़ेगा? इन सवालों का जवाब सिर्फ और सिर्फ मिस्टर मेहता ही दे सकते है।

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

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