ध्रुवी अर्जुन से कुछ कदम दूर ही थी। तभी उसे महसूस हुआ कि यही सही वक्त है जब वह अपने प्लान को एग्जीक्यूट कर सकती थी। और इसी के साथ, चाहे फिर इसका अंजाम जो भी हो। दूसरी तरफ अर्जुन, जो ध्रुवी के जहन में चल रही किसी भी तरह की बात या प्लानिंग से बिल्कुल ही अनजान था, बेफिक्री से ध्रुवी के अपनी ओर आने का इंतज़ार कर रहा था।

ध्रुवी जब अंदर आर्यन के पास थी, तभी उसने अपने मन ही मन सोच लिया था कि आखिर उसे क्या करना है। हालाँकि जो वह करने वाली थी, या जो भी उसने करने का सोचा था, उसमें पूरा रिस्क था। और यह भी पूरी तरह से श्योर नहीं था कि उसका प्लान सक्सेसफुल ही होगा। बल्कि बहुत ही कम चांसेस थे कि उसका सोचा हुआ प्लान सक्सेसफुल हो। लेकिन फिर भी, उसे खुद को और आर्यन को सेफ करने के लिए यह रिस्क लेना ही था।

अपने मन में कई बातों के चलते हुए ध्रुवी अर्जुन के कुछ करीब पहुँची। और जैसे ही ध्रुवी अर्जुन से दो-चार कदम की दूरी पर पहुँची और शक्ति भी ध्रुवी से कुछ दूरी पर पीछे रह गया, तो एकाएक ध्रुवी ने अचानक से साइड होते हुए अपनी पूरी ताकत के साथ, जितना भी वो कर सकती थी, उतनी जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया।

“हेल्प! हेल्प! हेल्प! हेल्प!”

ध्रुवी बिना रुके, बिना किसी अंजाम की फिक्र किए, बस जोर-जोर से मदद के लिए चिल्लाने लगी। दूसरी तरफ, जब अर्जुन ने ध्रुवी की यह हरकत देखी, जिसके लिए वह बिल्कुल भी तैयार नहीं था, या जिसका उसने तसव्वुर भी नहीं किया था, तो एक पल को वह स्तब्ध रह गया। लेकिन अगले ही पल, ध्रुवी की ऐसी बचकानी हरकत देख अर्जुन जल्दी से उसकी ओर बढ़ गया। और उसने भी बिना सोचे-समझे, या एक पल की भी देरी किए बिना, बस जल्दी से फुर्ती के साथ ध्रुवी के मुँह पर अपनी हथेली रखते हुए उसे पीछे लगी दीवार से सटा दिया। और कुछ पल तक अर्जुन खामोशी से, गंभीर भाव से, सख्त नज़रों के साथ ध्रुवी की आँखों में देख रहा था।

दूसरी तरफ, ध्रुवी ने जैसा सोचा था, वैसा कुछ भी नहीं हुआ। और उसका प्लान शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो चुका था। और ना सिर्फ प्लान फ्लॉप हुआ था, बल्कि इतनी बुरी तरह उसका प्लान फेल हुआ था कि अब उसका अंजाम क्या होने वाला था, यह तो वह भी नहीं जानती थी। और कहीं ना कहीं अंजाम का सोचकर, और अर्जुन की सख्त और ठंडी नज़र देखकर, ना चाहते हुए भी ध्रुवी के चेहरे पर डर भरे भाव उभर आए थे, जिसे उसने जल्दी से छुपाने की कोशिश भी की, लेकिन इसमें वह पूरी तरह नाकाम भी रही।

“हमने आपको बहुत ही आम जुबान और तहज़ीब के साथ अपनी बात समझाई थी, लेकिन लगता है आपको हमारी आराम से कही बात बिल्कुल भी समझ नहीं आई। तभी आपने किसी भी अंजाम की फिक्र किए बिना ऐसी फिजूल और बचकानी हरकत की!”

“तुम अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं होगे, क्योंकि मैं यहाँ सबको चिल्ला-चिल्लाकर बता दूँगी कि तुमने किस तरह से मुझे मजबूर किया है और कैसे आर्यन को इस्तेमाल करके तुम मुझे लगातार मजबूर कर रहे हो और मुझसे जबरदस्ती कुछ भी करवाने के लिए कैसे लगातार मजबूर करते ही जा रहे हो!”

"अगर ऐसा है तो फिर ठीक है। मचाइए शोर और चिल्लाएँ। जितना भी आप चिल्ला सकती हैं, उतना चिल्लाएँ और बुलाइए यहाँ मौजूद सब लोगों को। हम भी देखना चाहते हैं। इनफैक्ट आप भी हमारे साथ देखिएगा कि आखिर आपकी ऐसी बचकानी हरकतें करने के बाद उसका नतीजा क्या निकलता है।" (ध्रुवी ने अर्जुन की बात सुनकर असमंजस से उसकी ओर देखा) “(अर्जुन कुछ पल रुककर) और यकीनन आपकी इस बचकानी हरकत के बाद कोई भी नतीजा नहीं निकलना, सिवाय इसके कि आपकी किसी भी ऐसी फिजूल हरकत के बाद इसका अंजाम सिर्फ और सिर्फ आपके आर्यन को भुगतना पड़ेगा!”

“तुम मुझे बार-बार इस तरह से ब्लैकमेल नहीं कर सकते!”

"हम बिल्कुल ऐसा कर सकते हैं, बल्कि हम ऐसा कर भी रहे हैं और अगर ज़रूरत पड़ी तो हम इससे भी चार कदम और आगे बढ़ने से नहीं हिचकिचाएँगे। एंड डैम सीरियस, सो मार्क माई वर्ड्स मिस ध्रुवी सिंघानिया। आप हमारे जुनून, हमारी मोहब्बत को नहीं जानती। हम अपनी मिष्टी और उनकी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। साम, दाम, दंड, भेद, चाहे हमें कुछ भी क्यों ना करना पड़े, कुछ भी हम करेंगे।" (एक पल रुककर) “तो हमारी किसी भी बात को सिर्फ हमारी धमकी समझने की भूल हरगिज मत करिएगा, क्योंकि अगर आप ऐसा करती हैं तो बाद में आपके पास पछताने के अलावा और कुछ नहीं रहेगा। सो जस्ट कीप दिस थिंग इन योर माइंड!”

"तुम समझते क्यों नहीं हो? मैं ये सब नहीं करना चाहती और ना ही मैं ये कर सकती हूँ। बस मुझे, बस मुझे मेरे आर्यन के साथ सुकून से जीना है।" (रिक्वेस्ट भरे अंदाज़ में) “प्लीज, प्लीज हमें शांति से जीने दो। जाने दो मेरे आर्यन को, जाने दो हमें, प्लीज!”

"हमने सोचा था कि हम आपके साथ बहुत ही सॉफ्टली बिहेव करें और आपको बड़े ही अदब के साथ अपनी बात समझाएँ कि शायद आप हमारे जज़्बातों को समझ सकें, कि आप हमारी भावनाओं की कद्र करते हुए हमारी मदद करें। लेकिन नहीं, आप ऐसा करना तो दूर, ऐसा करने की कोशिश तक भी नहीं कर रही हैं और आप खुद अब हर कदम आप हमें मजबूर कर रही हैं कि हम आपके साथ सख्त से सख्त कदम ही बरतें, कि हम आपके साथ सिर्फ सख्ती से ही पेश आएँ।" (अर्जुन एक पल रुककर पूरी संजीदगी के साथ) "अब से अगर आपने कोई भी सीन क्रिएट करने की कोशिश की या कोई भी फिजूल ड्रामा लगाया तो अब आपके आर्यन को मारने से पहले हम एक बार भी नहीं सोचेंगे।" (ध्रुवी के बोलने की कोशिश करता देख बीच में ही उसकी बात काटते हुए) "और इस बार हम बेहद संजीदा हैं। हम अपनी मिष्टी की सौगंध खाते हैं। अगर आपकी वजह से हमारी मिष्टी का कोई भी सपना टूटा या उनके इमेज पर थोड़ी भी आँच आई तो हम भी इस बात को बिल्कुल हल्के में नहीं लेंगे।" (एक पल रुककर) “अगर आपने कुछ भी ऐसा-वैसा किया या आपने अपनी मर्यादा लांघी तो हम भी अपनी मर्यादा लांघ देंगे और उसकी ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ आप होंगी। ये बात याद रखिएगा!”

“नो! प्लीज, नो!”

“ये हमारे हाथ में नहीं, आपके हाथ में है। अगर आप चाहती हैं आपके आर्यन सुरक्षित रहें और हम भी ऐसा कुछ ना करें तो अब बिना कोई भी सीन क्रिएट किए हमारे साथ चुपचाप यहाँ से चलें!”

ध्रुवी ने अर्जुन की बात सुनकर बस लाचारी भरी भावुकता के साथ एक पल को अपनी आँखें बंद की और अपने गालों पर बहकर आए आँसुओं को अपनी उंगलियों से पोछा और बस खामोशी के साथ अपना सर हाँ में हिला दिया।

“ठीक है, तुम जैसा कहोगे मैं वैसा करूँगी और कुछ भी ऐसा-वैसा नहीं करूँगी जैसा तुम चाहते हो। ठीक वैसा ही होगा, लेकिन बदले में बस मेरा आर्यन सेफ रहना चाहिए!”

"तो फिर हमारी तरफ से भी आपको कभी कोई भी या किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी और ना ही आपके आर्यन को हमसे कोई भी या किसी भी तरह का थोड़ा भी खतरा होगा।" (एक पल रुककर) “अब चलें, फ्लाइट का टाइम हो गया है!”

“और आर्यन उसका क्या?”

“हमने कहा ना कि जब तक आप बिल्कुल सही रहेंगी वो भी बिल्कुल सही रहेंगे। तो आप उनकी फिक्र करना छोड़िए क्योंकि जब तक आप हमारे साथ हैं तब तक वो पूरी तरह हमारी ज़िम्मेदारी है और हमें अच्छे से पता है कि उनके साथ क्या, कब और कैसे करना है। तो आप इस बात से बिल्कुल बेफ़िक्र रहें क्योंकि जब तक आप हमारे कहे मुताबिक चलेंगी तब तक आपके आर्यन हमारे पास बिल्कुल सुरक्षित रहेंगे। उनका बाल भी बाँका नहीं होगा। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी और वादा दोनों हमारे हैं!”

इसके आगे ध्रुवी ने अर्जुन से कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी जलती निगाहों और चेहरे के सख्त भाव से साफ़ जाहिर था कि अगर इस वक्त उसका बस चले तो वह अर्जुन का कत्ल ही कर दे। लेकिन अर्जुन अच्छे से जानता था कि इस वक्त ध्रुवी की सबसे नाज़ुक नब्ज़ उसके हाथ में है तो वह चाहकर भी उसके खिलाफ़ या ऐसा कोई भी कदम कभी नहीं उठा सकती जो अर्जुन या उसके प्लान के लिए घातक साबित हो। इस वक्त मजबूरी के तहत ही सही, लेकिन ध्रुवी पर अर्जुन का पूरी तरह कंट्रोल आ चुका था और वह यह भी अच्छे से समझ चुका था कि ध्रुवी जब तक उसके हाथों की कठपुतली है, जब तक कि आर्यन उसके पास है और आर्यन के सहारे ही वह ध्रुवी से कुछ भी करवा सकता है और यकीनन अपने मकसद में भी कामयाब हो सकता है। इसीलिए यह तो तय था कि अर्जुन के लिए जितनी ज़रूरी ध्रुवी थी, अब उससे कहीं ज़्यादा ज़रूरी उसके लिए आर्यन था।

क्योंकि यह पूरी तरह जाहिर था कि जब तक आर्यन उसकी पहुँच में है, तब तक ही ध्रुवी उसके कंट्रोल में है। बिना आर्यन के अर्जुन के लिए ध्रुवी से कुछ भी करवाना या उसे अपने कंट्रोल में ही रखना मुश्किल ही नहीं बल्कि बिल्कुल नामुमकिन था। और यह बात अर्जुन बहुत ही अच्छे से समझ चुका था और ध्रुवी की जिस कमज़ोरी का इस्तेमाल करते हुए वह बार-बार उसका फ़ायदा भी उठा रहा था। इस वक्त अर्जुन के लिए कुछ सही या गलत नहीं था, उसे अर्जुन की तरह सिर्फ़ अपना मकसद नज़र आ रहा था। अर्जुन के कहे अनुसार ध्रुवी ने उसके साथ जाने की मंज़ूरी दे दी थी और तब से वह बस खामोश ही थी। और फिर कुछ पल बाद अर्जुन के साथ वह वेटिंग एरिया की ओर बढ़ गई। कुछ देर बाद ही फ्लाइट की अनाउंसमेंट हो गई, जिसके बाद अर्जुन ध्रुवी को लेकर फ्लाइट की ओर बढ़ गया। ध्रुवी को लगा था कि ध्रुवी अर्जुन के साथ एक जनरल फ्लाइट में जा रही है, लेकिन जब ध्रुवी फ्लाइट में गई तो उसे ज्ञात हुआ कि वह एक प्राइवेट जेट था, जो बहुत ही लग्ज़रीअस और हर तरह की सुविधाओं से पूर्ण था और जिसमें बैठकर ऐसा फील हो रहा था जैसे वह किसी मिनी फाइव स्टार होटल में बैठे हों। मगर ध्रुवी के लिए ये सब कोई नई या अनोखी चीज़ नहीं थी क्योंकि उसके पिता के पास ऐसे कई प्राइवेट जेट और प्लेन थे जिनमें अक्सर वह सफ़र किया करती थी।

हालाँकि ध्रुवी का दिल हर बढ़ते पल के साथ अंदर से धड़क रहा था क्योंकि अर्जुन ने भले ही उसे अपनी कहानी सुनाई थी और जिसके बारे में ध्रुवी कुछ भी तो नहीं जानती थी सिवाय उन बातों के जो अर्जुन ने उसे खुद बताई थीं। लेकिन कुछ भी था, अर्जुन था तो उसके लिए बिल्कुल अनजान ही और एक अनजान के साथ वह इस तरह से बिल्कुल अकेली थी जिसका दूर-दूर तक भी किसी को भी कोई अंदाज़ा तक नहीं था, ना ही उसके घर में और ना ही आर्यन को ही। कोई जानता ही नहीं था कि ध्रुवी कहाँ और किसके साथ जा रही है। फिर भी लाख सवालों और उलझनों के बीच भी ध्रुवी ने खुद को अंदर से इनकरेज किया और कोने की एक सीट पकड़कर वह खिड़की से बाहर देखते हुए बैठ गई। अर्जुन जिसकी नज़र ध्रुवी पर ही थी, ध्रुवी के कुछ ना बोले बिना भी वह महज़ उसके चेहरे के भाव पढ़कर उसके दिल और दिमाग की बातों को अच्छे से समझ पा रहा था। यह उसकी एक क्वालिटी थी कि वह लोगों के बिना बोले भी, महज़ उनकी बॉडी लैंग्वेज और फ़ेशियल एक्सप्रेशन से ही उनके दिमाग की बातों को काफी हद तक समझ और पढ़ लेता था। कुछ ही देर में फ्लाइट ने अपनी उड़ान भरी और उनका सफ़र शुरू हुआ।

ध्रुवी बिना कुछ बोले बस खामोशी से एकटक विंडो से अपना सर टिकाए बैठी हुई थी। कई घंटों के इस सफ़र में ध्रुवी अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हुई थी। इस बीच एयर होस्टेस ने उसे खाने और नाश्ते के लिए कई बार ऑफ़र भी किया, लेकिन उसने हर बार उन्हें सिरे से नकार दिया। ध्रुवी गुमसुम सी बैठी बस अपनी ही सोच में गुम थी। उससे कुछ दूरी पर उसके सामने बैठे अर्जुन की नज़र सिर्फ़ उसी पर टिकी थी और वह लगातार उसके चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश कर रहा था जिस पर इस वक्त दुःख, बेबसी, गुस्सा, लाचारी और फ्रस्ट्रेशन के मिले-जुले भाव साफ़ नज़र आ रहे थे। अर्जुन ने कुछ देर बाद एक गहरी साँस ली और ध्रुवी से अपना ध्यान हटाते हुए उसने अपने लैपटॉप को ऑन कर लिया और उसमें काम करने लगा। काफ़ी घंटों की इस सफ़र में ध्रुवी अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हुई थी और वह वहीं बैठी रही। जब फ्लाइट लैंड हुई तो आख़िर में वह अपने ख्यालों से तब बाहर आई जब अर्जुन ने उसे बाहर चलने के लिए कहा और इतना कहकर बिना रुके बाहर की ओर बढ़ गया।

कुछ पल बाद ध्रुवी बेमन से उठी और अर्जुन के पीछे चल पड़ी। प्लेन से उतरने के बाद और सारी फ़ॉर्मेलिटीज़ होने के बाद वो लोग एयरपोर्ट से बाहर निकल आए जहाँ एक बड़ी सी महँगी गाड़ी पहले से ही उनके लिए तैयार खड़ी थी। अगर यह कोई आम दिन होता और ध्रुवी की सिचुएशन अलग होती और जितना उसको गाड़ियों का क्रेज़ था, यकीनन इस लग्ज़रीअस और स्पोर्ट कार को देखकर वह ख़ुशी से उछल पड़ती, लेकिन इस वक्त ना तो उसकी सिचुएशन ऐसी थी और ना ही उसके हालात और जज़्बात। इसीलिए वह बेमन सी बस अर्जुन के कहे अनुसार काम किए जा रही थी। अर्जुन ने इशारा किया तो ध्रुवी बिना कुछ बोले या ना नुकुर किए खामोशी से गाड़ी में बैठ गई और एक पल बाद अर्जुन भी उसके साथ पिछली सीट पर एक प्रॉपर स्पेस बनाकर बैठ गया।

“आर्यन... आर्यन कहाँ है? क्या वो...”

"अच्छे से जानते हैं हम आपका सवाल।" (एक पल रुककर) "और आपके सवाल का जवाब ये है कि हाँ, आर्यन भी इंडिया आ चुके हैं और जब तक आप यहाँ रहेंगी तब तक आर्यन भी इंडिया में ही रहेंगे, लेकिन आपकी पहुँच से दूर, आपसे बिल्कुल अलग, हमारे पास।" (ध्रुवी की ओर देखकर संजीदगी के साथ) “आपकी ज़मानत के तौर पर!”

 

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