ध्रुवी ने दर्द भरी भावुकता के साथ, लगभग रोते हुए, धीरे से आर्यन का नाम पुकारा। अपनी आधी बेहोशी में घिरे आर्यन ने, जैसे ही ध्रुवी की आवाज सुनी, अपनी बोझिल हुई पलकों को पूरी जद्दोजहद के साथ आहिस्ता-आहिस्ता खोला। और सामने ध्रुवी को देखकर, बहुत ही मुश्किल से, उसने अपने कांपते होठों से, बहुत ही कमजोर और धीमी आवाज में उसका नाम पुकारा।

 

आर्यन (कांपते होठों और कमज़ोर आवाज में): ध्रु...ध्रुवी…

 

आर्यन को ऐसे कमजोर और बेबस देखकर, ध्रुवी के चेहरे पर बेबसी और लाचारी के भाव दुगने हो गए थे। उसकी आंखों से लगातार लाचारी और बेबसी के आंसू झर-झर करके बहने लगे। शायद ध्रुवी के ये आँसू अपने दर्द से ज़्यादा, अपनी बेबसी के लिए उमड़ रहे थे। जब आर्यन ने ध्रुवी को यूँ रोते देखा, तो उसकी आँखें भी नम हो गईं। सब जानते थे कि ध्रुवी बहुत स्ट्रॉन्ग है और कोई भी बड़ी से बड़ी मुश्किल भी उसे तोड़ नहीं सकती थी। लेकिन ये भी सब अच्छे से जानते थे कि जहाँ बात दिल और जज़्बातों की आती है, तो वह बिल्कुल ही आर्यन की तरह कमज़ोर पड़ जाती है। आर्यन ने ध्रुवी को यूँ परेशान होकर भावुक होते देखा, तो उसने अपने चेहरे पर आए दर्द को छुपाने की कोशिश करते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी।

 

आर्यन (परेशानी भरे भाव के साथ मगर कमज़ोर आवाज़ में): तुम यहां कैसे? क्या ये लोग तुम्हें भी यहां जबरदस्ती कैद करके लाए हैं?

 

ध्रुवी (दर्द भरी भावुकता के साथ): न...नहीं...इन लोगों ने ऐसा कुछ नहीं किया है मेरे साथ। खैर, तुम मुझे बताओ, तुम ठीक तो हो ना आर्यन?

 

आर्यन (अपने चेहरे पर आए दर्द को छुपा कर अपनी पूरी हिम्मत बटोरते हुए): मैं ठीक हूँ, तुम फ़िक्र मत करो। (असमंजस भरे भाव से) लेकिन ये लोग हैं कौन ध्रुवी? और हमसे आखिर चाहते क्या हैं? और इन्होंने इस तरह से मुझे क्यों कैद किया हुआ है? और तुम...तुम इनके साथ यहां कैसे? (एक गहरी सांस छोड़ते हुए असमंजसता भरे भाव से) मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है ध्रुवी, आखिर यहां चल क्या रहा है?

 

ध्रुवी (अपने उमड़ते जज़्बातों को कंट्रोल करते हुए): डोंट वरी आर्यन, सब ठीक हो जाएगा। और आई प्रॉमिस, मैं बहुत जल्द तुम्हें यहां से निकाल कर अपने साथ ले जाऊंगी।

 

आर्यन (असमंजसता के साथ): ले...लेकिन यह सब हो क्या रहा है ध्रुवी? मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है?

 

ध्रुवी (प्यार से आर्यन का चेहरा अपने हाथों में थामते हुए): डू यू ट्रस्ट मी आर्यन?

 

आर्यन (मासूमियत से अपना सर हां में हिलाते हुए): खुद से भी ज्यादा!

 

ध्रुवी (अपने उमड़ते आँसुओं के सैलाब को रोकते हुए): तो बस, ये भरोसा हमेशा मुझ पर यूँ ही बनाए रखना। और ट्रस्ट मी, चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों ना कुर्बान करनी पड़ी, लेकिन मैं तुम्हें कभी भी, कुछ भी नहीं होने दूंगी!

 

आर्यन (अपने गालों पर रखे ध्रुवी के हाथों को अपने हथेलियों से थामते हुए): अच्छे से जानता हूँ ये बात, और समझता भी हूँ। लेकिन डोंट फॉरगेट कि अब तुम्हारी जान पर भी, तुमसे ज्यादा मेरा हक है। और प्रॉमिस मी कि चाहे सिचुएशन जो भी हो, लेकिन तुम अपना भी उतना ही ख्याल रखोगी, जितना कि तुम मेरा ख्याल करती हो। अपने लिए ना सही, मगर मेरे लिए!

 

ध्रुवी (भावुकता से अपनी गर्दन हां में हिलाते हुए): आई प्रॉमिस, मैं रखूंगी अपना ख्याल!

 

आर्यन (हल्की सी मुस्कान के साथ): एंड ऑलसो रिमेंबर दैट आई लव यू द मोस्ट!

 

ध्रुवी (दर्द भरी मुस्कान के साथ अपना माथा आर्यन के माथे पर टिकाते हुए): एंड आई लव यू मोर देन एनीथिंग!

 

कुछ पल तक आर्यन और ध्रुवी, अपनी आँखें मूंदे एक दूसरे के माथे पर अपने माथे को टिकाए, यूँ ही इस पल को महसूस कर रहे थे। कुछ पल बाद आखिर में ध्रुवी ना चाहते हुए भी आर्यन से दूर हुई और उसने अपनी आँखों से बहते आँसुओं को अपनी उंगलियों से पोंछा।

 

आर्यन (ध्रुवी के चेहरे पर परेशानी भरे भाव को पढ़ते हुए): जो भी बात है, तुम मुझसे कह सकती हो, यू नो दैट ना, कि मैं हूँ तुम्हारे साथ!

 

ध्रुवी (एक पल की चुप्पी के बाद भावुकता से): आर्यन मैं…

 

ध्रुवी कहते-कहते ही अचानक चुप हो गई, जब उसकी नज़र पास खड़े अर्जुन के लोगों पर पड़ी, जिनका पूरा का पूरा ध्यान पूरी तरह उन दोनों पर ही था। और इस वक्त ध्रुवी जिस सिचुएशन में थी, इस वक्त समझदारी और हालात दोनों का यही तकाज़ा था कि वो हर कदम को पूरी सूझ-बूझ और वक्त की नज़ाकत के हिसाब से ही रखे। और इससे अलग इस मोमेंट पर ध्रुवी कोई भी या किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी। इसीलिए इस वक्त उसने खुद को और खुद के सभी जज़्बातों को विराम देने में ही बेहतरी समझी।

 

ध्रुवी (एक गहरी सांस लेते हुए): कोई बात नहीं है आर्यन!

 

आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर): और यही बात मेरे सर पर अपना हाथ रखकर कहो? कि वाकई में कोई बात नहीं है? (एक पल रुककर) और अगर ऐसा नहीं होता और सच में सब ठीक होता, तो आखिर हम ऐसी सिचुएशन में होते ही क्यों?

 

ध्रुवी (गहरी सांस लेकर): यू नो, मैंने हमेशा सुना था और अक्सर किताबों में पढ़ा भी था कि जिनकी मोहब्बत सच्ची होती है ना, उन्हें हमेशा अग्नि परीक्षाओं से होकर अपनी मोहब्बत को साबित करना होता है। तो समझो बस अभी हमारी मोहब्बत की वही अग्नि परीक्षा है, जिसे देकर हमें हर हाल में जीतना है और अपनी मोहब्बत को प्रूफ करना है!

 

आर्यन (हल्की सी हैरानी के साथ हल्की मुस्कान के साथ): यू नो, तुम्हारे मुँह से इतनी टिपिकल बातें सुनकर, बिल्कुल ऐसा लग रहा है जैसे मेरी मॉडर्न ध्रुवी, हिंदी फिल्मों की कोई टिपिकल हीरोइन बन गई है!

 

ध्रुवी (नम आँखों से मुस्कुरा कर एक पल बाद): आर्यन, तुम मेरी फीलिंग्स का मज़ाक उड़ा रहे हो?

 

आर्यन: नॉट एट ऑल। (एक पल तक ध्रुवी का चेहरा देखने के बाद पूरी गंभीरता के साथ) ध्रुवी, आखिर बात क्या है?

 

ध्रुवी (नम आँखों से आर्यन की ओर देखते हुए): आर्यन, मैंने कहा ना कि…

 

आर्यन (ध्रुवी की बात को बीच में ही काटते हुए): मुझे सिर्फ़ सच सुनना है ध्रुवी!

 

ध्रुवी (एक गहरी साँस ले कर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए): दरअसल आर्यन मैं…

 

ध्रुवी आगे कुछ कह पाती कि तभी शक्ति वहाँ आ गया और उसने ध्रुवी को बीच में ही टोक दिया।

 

शक्ति (ध्रुवी की ओर देखकर ठंडे लहजे से): फ़्लाइट का टाइम हो गया है। चलो अब जल्दी यहां से!

 

आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर): तुम कहीं जा रही हो ध्रुवी?

 

ध्रुवी (अपनी गर्दन हां में हिलाते हुए): हाँ आर्यन, मैं कुछ दिन के लिए लंदन से बाहर जा रही हूँ!

 

आर्यन (असमंजस और परेशानी के मिले-जुले भाव के साथ): लंदन से बाहर जा रही हो, मतलब? ऐसे अचानक? कहाँ जा रही हो आखिर तुम? या तुम्हारे ऐसा करने के पीछे भी इन लोगों की ही कोई चाल और साज़िश है? (ध्रुवी की खामोशी देखकर थोड़ी सख्ती से) बात क्या है ध्रुवी, मैंने तुमसे कुछ पूछा है?

 

ध्रुवी (एक गहरी साँस लेकर आर्यन की ओर देखकर): आर्यन, मैं अभी तुम्हें कुछ नहीं बता सकती, पर ट्रस्ट मी, मैं बहुत जल्द तुमसे मिलूंगी और तब तक सब कुछ ठीक भी हो जाएगा!

 

आर्यन (अपने हाथ खोलने की कोशिश करते हुए परेशानी भरे स्वर में): लेकिन ध्रुवी तुम…

 

शक्ति (आर्यन की बात को बीच में ही काटते हुए): ए छोरे, बस कर अब अपने सवाल-जवाब। (ध्रुवी की ओर देखकर) और तुम, बंद करो अपना मेल्लो ड्रामा और जल्दी चलो। हुकुम सा इंतज़ार कर रहे हैं तुम्हारा, उन पर पूरा दिन ना से, जो तुम्हारा ही इंतज़ार करते रहेंगे। चल अब जल्दी!

 

आर्यन (लगभग छटपटा कर गुस्से से शक्ति को घूरते हुए): तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी ध्रुवी से इस तरह से बात करने की?

 

शक्ति (आर्यन को गुस्सा करते देख घूरकर): ए छोरे! अपने खून की गर्मी अपने पास तक ही रख, वरना दो मिनट भी नहीं लगेंगे मेरे को तुम्हारी गर्मी झाड़ने में!

 

आर्यन (गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए): एक बार मेरे हाथ खोलो, तब दिखाता हूँ मैं तुम्हें अपने खून की गर्मी भी और उसका असर भी!

 

शक्ति (तिरछी मुस्कान के साथ): ज़रूर, तुम्हें ये मौका भी ज़रूर देंगे हम, लेकिन फ़िलहाल सही वक्त और मौका दोनों ही नहीं है, तो इंतज़ार कर थोड़ा!

 

आर्यन (गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए): मैं छोड़ूँगा नहीं तुम में से किसी को भी, अगर मेरी ध्रुवी पर एक खरोंच भी आई तो और…

 

आर्यन अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाया था कि शक्ति ने आर्यन के पीछे खड़े एक आदमी को इशारा किया और उस आदमी ने शक्ति का इशारा पाकर अपनी जेब से एक इंजेक्शन निकाला। और बिना एक पल की भी देरी किए, उस आदमी ने झट से वो इंजेक्शन आर्यन की बाजू में लगा दिया। ध्रुवी जब तक कुछ समझ पाती या कोई रिएक्ट ही कर पाती, तब तक वह आदमी आर्यन को वह इंजेक्शन दे चुका था। जिसके देने के एक पल बाद से ही आर्यन की आँखें धुंधलाने लगी थीं और कुछ पल के अंदर ही आर्यन पूरी तरह बेहोशी की हालत में चला गया। ये देखकर ध्रुवी ने जल्दी से खड़े होते हुए आर्यन के चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसे लगभग झिंझोड़ते हुए उठाने की कोशिश करने लगी।

 

ध्रुवी (पैनिक होकर): आर्यन...आर्यन, अपनी आँखें खोलो आर्यन... (कुछ पल बाद आर्यन से कोई रिस्पॉन्स ना मिलने की सूरत में शक्ति की ओर पलट कर गुस्से से) क्या किया है तुमने इसके साथ?

 

शक्ति (लापरवाही भरे भाव से): घबराओ ना, ज़िंदा है वो अभी, सिर्फ़ बेहोश किया है। लेकिन अगर अब तुमने हमारी बात मानने में कोई भी आनाकानी की या बेवजह नखरे दिखाए, तो इसकी बेहोशी को मौत में बदलते देर नहीं लगेगी!

 

ध्रुवी ने शक्ति की बात सुनकर एक जलती हुई निगाह उस पर डाली, तो शक्ति ने उसे लापरवाही के साथ बाहर की ओर चलने का इशारा किया। ध्रुवी ने एक नज़र आर्यन पर डाली और प्यार से उसके चेहरे को अपने हाथों में थामते हुए उसके माथे पर अपने अधर रख दिए। और फिर कुछ पल बाद वो अपनी जगह से खड़ी हुई। उसने अपनी आँखों से बहते आँसुओं को अपनी पिछली हथेली से पोंछा और फिर कुछ पल रुककर उसने मन ही मन कुछ सोचा और फिर वह बाहर की ओर बढ़ गई। जहाँ बाहर पहले से ही अर्जुन उसका इंतज़ार कर रहा था। ध्रुवी अर्जुन से कुछ कदम दूर ही थी कि तभी उसे महसूस हुआ कि यही सही वक्त है जब वो अपने प्लान को एग्ज़ीक्यूट कर सकती थी और इसी के साथ, चाहे फिर इसका अंजाम जो भी हो। दूसरी तरफ़ अर्जुन, जो ध्रुवी के ज़हन में चल रही किसी भी तरह की बात या प्लानिंग से बिल्कुल ही पूरी तरह अनजान था, बेफ़िक्री से ध्रुवी के अपनी ओर आने का इंतज़ार कर रहा था।

 

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