अर्जुन (हल्के सख्त भाव से): “आप हमें धमकी दे रही हैं??”
ध्रुवी (पूरी संजीदगी के साथ): “एज योर विश.....अब आप इसे मेरी रिक्वेस्ट समझे.....या धमकी.....या फिर जो भी..... लेकिन मैं आर्यन से मिले बिना.....यहां से कहीं भी नहीं जाऊंगी.....एंड दिस इज़ फाइनल.....”
ध्रुवी ने अर्जुन से सपाट लहजे में अपनी बात कह दी थी। वह बिना आर्यन से मिले कहीं नहीं जाएगी। अर्जुन ने एक गहरी नज़र से ध्रुवी को देखा और आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी।
अर्जुन (कुछ पल बाद): "ठीक है.....आप आर्यन से मिल सकती हैं...." (अपनी बात के बाद ध्रुवी के चेहरे पर एक पल के लिए आए सुकून को देखकर) “...लेकिन.....लेकिन यह पहली और आखिरी दफा है.....जब आप इस तरह से हमें धमका रही हैं.....और बेशक आप बिल्कुल इस बात को हरगिज़ इस तरह मत लीजिएगा.....कि हम यह सब आपसे डरकर.....या आपके धमकाने की वजह से कर रहे हैं.....हम यह सब सिर्फ़ इसलिए कर रहे हैं.....ताकि आर्यन से मिलकर आपको एक बार तसल्ली हो जाए.....वरना यह बात तो आप भी अच्छे से जानती हैं.....कि हम आपकी कोई भी बात.....या शर्त मानने के लिए हरगिज़ बाध्य नहीं हैं!!”
ध्रुवी (अर्जुन की बात को पूरी तरह इग्नोर करते हुए): “कहां है आर्यन???”
अर्जुन (एक पल शांत रहकर, हल्की बेरुखी से): “चले हमारे साथ.....आपके आर्यन आपको रास्ते में ही मिल जाएंगे!!”
इतना कहकर अर्जुन बिना रुके, अपना कोट कुर्सी से उठाते हुए, बाहर की ओर निकल गया। ध्रुवी ने एक गहरी साँस ली और उसके पीछे चल पड़ी। अर्जुन बाहर खड़ी एक महंगी और चमचमाती गाड़ी में जाकर बैठ गया। शक्ति ने ध्रुवी को भी अर्जुन के साथ बैठने का इशारा किया। ध्रुवी ने एक पल सोचा और फिर अर्जुन के साथ एक उचित दूरी बनाते हुए, पिछली सीट पर जाकर बैठ गई। शक्ति ड्राइवर के साथ आगे वाली सीट पर बैठ गया। उनकी गाड़ी चल पड़ी।
हर बढ़ते पल के साथ ध्रुवी के चेहरे की बेचैनी और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था। यह जाहिर तौर पर आर्यन से मिलने के लिए था। उसके चेहरे के भाव साफ बता रहे थे कि वह कितनी बेचैनी महसूस कर रही थी। उसकी बेचैनी भरी उत्सुकता अर्जुन भी नोटिस कर रहा था। कुछ देर बाद ध्रुवी से सब्र नहीं हुआ और उसने अपनी चुप्पी तोड़ी।
ध्रुवी (बैचेनी भरी उत्सुकता के साथ): “एयरपोर्ट भी आने वाला है अब तो.....आपने तो कहा था आर्यन रास्ते में मिलेगा.....कहां है आर्यन???”
ध्रुवी ने अपना सवाल किया, लेकिन अर्जुन ने उसे कोई जवाब देना ज़रूरी नहीं समझा। वह निरंतर एकटक खिड़की से बाहर देखता रहा, जैसे उसने ध्रुवी की कोई बात सुनी ही न हो।
ध्रुवी (लगभग चिढ़कर): “मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूँ.....कहां है आर्यन???”
अर्जुन ने अभी भी ध्रुवी की बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। आखिर में ध्रुवी खीज उठी और गुस्से से खुद भी खिड़की से बाहर देखने लगी। कुछ देर बाद उनकी गाड़ी एयरपोर्ट के वीआईपी एरिया पर रुकी। ध्रुवी भी अर्जुन के साथ गुस्से से गाड़ी से बाहर उतरी। अर्जुन के साथ उसके कुछ खास लोग और गार्ड भी एंट्री के लिए आगे बढ़ गए, लेकिन ध्रुवी अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिली। जब अर्जुन ने यह नोटिस किया, तो उसने गुस्से भरी एक गहरी साँस ली और ध्रुवी के पास वापस आया।
अर्जुन (धीमे मगर सख्त लहजे से): “अब आप हमारे सब्र का इम्तिहान ले रही हैं!!!”
ध्रुवी (तंज भरे लहजे से): “ओह रियली???........(एक पल बाद गुस्से से).......मैं तुम्हारे सब्र का इम्तिहान ले रही हूँ.....या तुम मेरे सब्र का इम्तिहान ले रहे हो.....मैं कब से तुमसे आर्यन के बारे में पूछे जा रही हूँ.....लेकिन तुम जवाब देना तो दूर.....मुझे उसके बारे में कोई क्लू तक नहीं दे रहे!!!!”
अर्जुन (अपने गुस्से को जब्त करते हुए): “हमने आपसे कहा था.....कि आर्यन आपको रास्ते में मिलेगा.....और अभी हमारा रास्ता खत्म नहीं हुआ है.....सो स्टॉप इरिटेटिंग मी.....और चुपचाप चले यहां से!!!”
ध्रुवी (असंतुष्टि भरे भाव से): “लेकिन आर्यन.....”
अर्जुन (सख्त भाव से): “अगर एक बार और आपने हमसे कोई बहस की.....या कोई फिजूल सवाल किया.....तो आई प्रॉमिस.....आई प्रॉमिस.....कि आप दोबारा कभी अपने आर्यन को मिलना तो दूर.....उन्हें देख भी नहीं पाएंगी!!!”
कुछ पल पहले तक ध्रुवी के चेहरे पर गुस्से के भाव थे। अचानक अर्जुन की बात सुनकर उसके चेहरे पर डर और परेशानी के भाव उभर आए। वह बिना कुछ कहे, या आगे बहस किए, अर्जुन के साथ एयरपोर्ट की ओर बढ़ गई। ध्रुवी का दिल चाह रहा था कि वह अर्जुन का कत्ल कर दे, जो उसे न सिर्फ धमका रहा था बल्कि आर्यन के दम पर उसे कैद करने और उसके दिल-दिमाग के साथ खेलने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मौजूदा स्थिति ऐसी नहीं थी कि ध्रुवी कुछ कर पाती या जवाब दे पाती। इसलिए वह शांत थी और अपने गुस्से को कड़वे ज़हर की तरह पी रही थी। चेकिंग के बाद सभी अंदर पहुँचे। फ़्लाइट में अभी थोड़ा समय था, इसलिए सभी वेटिंग एरिया की ओर चले गए, अर्जुन के साथ ध्रुवी भी। वीआईपी वेटिंग एरिया में बैठकर फ़्लाइट का इंतज़ार कर रही थी कि अचानक अर्जुन ने उसे वहाँ से चलने का इशारा किया। ध्रुवी बिना कोई सवाल किए या बहस किए उसके साथ चल पड़ी।
अर्जुन एयरपोर्ट पर ही बने एक खास और वीआईपी एरिया से होते हुए एक पर्सनल केबिन की ओर बढ़ गया। ध्रुवी भी उसके पीछे उसी केबिन की ओर बढ़ गई। अर्जुन ने ध्रुवी से अंदर चलने का इशारा किया। ध्रुवी ने एक पल असमंजस से अर्जुन की ओर देखा और फिर बिना कुछ सोचे अंदर की ओर बढ़ गई। अर्जुन के पीछे ध्रुवी अंदर आई तो केबिन के अंदर कोई भी नहीं था। यह देख ध्रुवी ने सवालिया नज़रों से अर्जुन की ओर देखा। अर्जुन ने उंगली से उसी रूम में बने एक और छोटे से रूम की ओर इशारा किया। ध्रुवी ने एक बार फिर सवालिया नज़रों से अर्जुन की ओर देखा। लेकिन कुछ पल बाद, जैसे ही ध्रुवी को आर्यन का ख्याल आया, वह झट से, बिना एक पल की देरी किए, बेचैनी और उत्सुकता से उस कमरे की तरफ़ दौड़ पड़ी। ध्रुवी ने धड़कते दिल और बेचैनी भरे भाव के साथ वह दरवाज़ा खोला तो उसका दिल धक सा रह गया। सामने कुर्सी पर आधी बेहोशी की हालत में, हाथ-पांव बंधे बैठे आर्यन को देखकर उसकी आँखों से आँसू छलक उठे और वह जल्दी से आर्यन के करीब जा पहुँची।
उसी कमरे में आर्यन के साथ अर्जुन के कुछ लोग भी मौजूद थे जो आर्यन की रखवाली कर रहे थे या उस पर नज़र रखे हुए थे। ध्रुवी जल्दी से आर्यन के पास गई और उसके पास अपने घुटनों पर बैठते हुए, नम आँखों और दर्द भरे भाव से आर्यन की ओर देखा। आर्यन के चेहरे पर लगे हल्के जख्म देखकर उसके चेहरे पर एक अनकहा दर्द उभर आया। ये ज़ख्म शायद आर्यन को खुद को बचाने की जद्दोजहद में लगे थे या फिर कैद से भागने की कोशिश में उसे ये जख्म दिए गए थे। हालाँकि जख्म ज़्यादा गहरे और बड़े नहीं थे, लेकिन इन जख्मों को देखकर ध्रुवी के चेहरे पर बेशुमार दर्द के भाव उभर आए थे और उसकी आँखों से बिना रुके आँसू निकलने लगे थे।
इस वक्त आर्यन को ऐसी हालत और दर्द में देखकर ध्रुवी को कितना दर्द और बेचैनी महसूस हो रही थी, यह उसके चेहरे के भाव से साफ़ पता चल रहा था। उसने घुटनों के बल आर्यन के नज़दीक बैठते हुए, उसके चेहरे पर लगे हल्के जख्मों पर हौले से अपनी उंगलियाँ लगाते हुए, उन्हें हौले से, मिले-जुले भाव और जज़्बातों से छूकर, उसके दर्द को महसूस करने लगी। और इसी के साथ उसने दूसरे हाथ से आर्यन का हाथ मजबूती से अपने हाथों में थाम लिया। ध्रुवी ने दर्द भरी भावुकता के साथ, लगभग रोते हुए धीरे से आर्यन का नाम पुकारा। अपनी आधी बेहोशी में घिरे आर्यन ने जैसे ही ध्रुवी की आवाज सुनी, अपनी बोझिल हुई पलकों को पूरी जद्दोजहद के साथ आहिस्ता-आहिस्ता खोला और सामने ध्रुवी को देखकर, बहुत ही मुश्किल से, अपने काँपते होठों से, बहुत ही कमज़ोर और धीमी आवाज में उसका नाम पुकारा।
आर्यन (काँपते होंठों और कमज़ोर आवाज़ में): “ध्रु....ध्रुवी.....”
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