ध्रुवी ने अर्जुन की ओर देखा, बिना किसी भाव के, “आर्यन.....आर्यन कहाँ है.....क्या वो.....”
अर्जुन ने ध्रुवी की बात बीच में ही काटते हुए कहा, “अच्छे से जानते हैं हम आपका सवाल......(एक पल रुक कर)......और आपके सवाल का जवाब यह है.....कि हाँ, आर्यन भी इंडिया आ चुके हैं.....और जब तक आप यहाँ रहेंगी.....तब तक आर्यन भी इंडिया में ही रहेंगे.....लेकिन आपकी पहुँच से दूर......आपसे बिल्कुल अलग.......हमारे पास......(ध्रुवी की ओर देखकर संजीदगी के साथ)......आपकी ज़मानत के तौर पर.....(एक पल रुक कर).....और जैसे ही आप अपना काम खत्म कर देंगी.....आपको आपकी अमानत बिल्कुल सुरक्षित.....और सही-सलामत वापस कर दी जाएगी.....(एक पल रुक कर).....और हम आशा करते हैं.....कि आप ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगी.....जिसकी वजह से आपके आर्यन के लिए.....या उनकी ज़िंदगी में कोई भी.....या किसी भी तरह की कोई प्रॉब्लम क्रिएट हो.....और साथ ही हम यह भी उम्मीद करते हैं.....कि आप पूरी ईमानदारी और लगन के साथ अपने काम को करेंगी!”
अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी ने कुछ नहीं कहा। उसने खामोशी से अपना चेहरा खिड़की से बाहर की ओर घुमा लिया। इसी के साथ गाड़ी चल पड़ी।
कुछ पल बाद, खिड़की से बाहर देखते हुए ध्रुवी ने अपनी चुप्पी तोड़ी, “कब तक मुझे यहाँ रहना होगा?”
अर्जुन ने सामान्य लहज़े में कहा, “बस कुछ महीनों की बात है.....उसके बाद आप खुशी-खुशी वापस अपनी पुरानी ज़िंदगी में जा सकती हैं!”
ध्रुवी ने एक पल रुक कर कहा, “जिस तरह से आप जानते हैं.....और समझते हैं.....कि मैं आपकी पत्नी अनाया नहीं हूँ.....उसी तरह से बाकी के लोग भी.....पल भर में यह बात समझ जाएँगे.....पहचान जाएँगे.......कि मैं आपकी पत्नी नहीं हूँ......क्योंकि आपकी पत्नी की जो तस्वीर.....मैंने आपके घर में देखी थी.....उस हिसाब से मुझ में.....और आपकी पत्नी में.....(एक पल रुक कर)....हम दोनों में ज़मीन आसमान का फ़र्क है.....और कोई भी आसानी से पहचान सकता है.....कि मैं राजकुमारी अनाया नहीं हूँ?”
अर्जुन ने सामान्य भाव से ध्रुवी की ओर देखकर, एक पल बाद अपनी चुप्पी तोड़ी, “उसकी चिंता आप बिल्कुल ना करें.....और यह सब आप हम पर छोड़ दीजिए.....क्योंकि हमें कब.....कैसे.....और कहाँ.....इस बात को सच साबित करना है.....यह हम अच्छे से जानते हैं.....आपको सिर्फ़ वह करना है.....जो आपसे करने के लिए कहा जाएगा.....और रही बात.....आपके सवाल के जवाब की.....तो वह बहुत जल्द ही आपको मिल जाएगा.....!”
इतना कहकर अर्जुन ने भी अपना चेहरा खिड़की की ओर घुमा लिया और बाहर की ओर देखने लगा। इसके बाद ध्रुवी ने भी उससे आगे कुछ नहीं कहा, और ना ही कोई सवाल किया। कुछ देर के इस सफ़र में गाड़ी में बस खामोशी ही पसरी रही। किसी ने इसके आगे कोई बात नहीं कही, और ना ही अपनी चुप्पी तोड़ी।
काफी देर के सफ़र के बाद, आखिर में उनकी गाड़ी एक बड़े से बंगले के बाहर जाकर रुकी। इसके आसपास एक सुनसान जंगल जैसी जगह पड़ी थी। यह बंगला किसी शहर के बिल्कुल बाहर स्थित था, जहाँ बहुत ही कम लोगों का आना-जाना रहता था। हालाँकि, यहाँ बना बंगला और उसकी साफ़-सफ़ाई से ज़ाहिर था कि यह किसी अच्छे-खासे इंसान का बंगला है। लेकिन ध्रुवी ने जब इस जगह को देखा, तो वह चाहकर भी अपने मन में चल रहे सवाल को और नहीं रोक पाई।
ध्रुवी ने अर्जुन की ओर देखकर कहा, “पर तुमने तो कहा था.....कि तुम्हारी वाइफ़ रायगढ़ रियासत की रानी थी??.....और जहाँ तक.....और जितना इंडिया के बारे में मुझे पता है.....इतना तो श्योर हूँ कि यह रायगढ़ तो नहीं है.....और पीछे बोर्ड पर भी इस जगह का नाम कुछ अलग ही था.....तो फिर हम यहाँ क्यों आए हैं?”
अर्जुन ने गंभीर भाव से कहा, “हाँ, बेशक हमने कहा था......और आप यह भी बिल्कुल सही अनुमान लगा रही हैं.....कि हम आपको रायगढ़ लेकर नहीं आए हैं.....बल्कि यह कोई और दूसरी जगह है.....(एक पल रुक कर).......लेकिन यहाँ पर आपके उस सवाल का जवाब है.....जो अभी आपने हमसे कुछ देर पहले पूछा था.....(कुछ पल बाद ध्रुवी के चेहरे पर आए असमंजसता के भाव को देखकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए).....अभी कुछ देर पहले आपने हमसे सवाल किया था कि आप में और हमारी पत्नी अनाया में इतना अंतर है.....कि कोई भी आसानी से.....आप दोनों की विभिन्नता को पहचानकर.....आपकी असली पहचान को उजागर कर सकता है.....आपने शत-प्रतिशत सही कहा था.....क्योंकि आप दोनों के चेहरे के सिवा.....आप दोनों में और कुछ भी समानता नहीं है.....फिर चाहे आपका रहन-सहन हो.....आपकी सोच हो.....आपकी भाषा हो.....आपका लाइफस्टाइल हो.....या फिर आपकी पूरी पर्सनैलिटी.....सब कुछ बिल्कुल एक-दूसरे से जुदा और अलग है.....और जिसे समझकर कोई भी आसानी से यह जान सकता है.....कि आप दोनों की शक्ल मिलने के सिवा.....आप दोनों में और कोई भी समानता नहीं है.....(एक पल रुक कर)........और इसी विभिन्नता को समानता में बदलने के लिए.....हम आपको यहाँ लाए हैं.....!”
इतना कहकर अर्जुन गाड़ी से बाहर आ गया। कुछ पल बाद, ध्रुवी भी चेहरे पर असमंजसता के भाव लिए गाड़ी से उतरी और अर्जुन के पीछे चल पड़ी। देखने में ही यह बंगला काफी बड़ा और शाही मालूम पड़ रहा था। बंगले का सारा इंटीरियर व्हाइट एंड गोल्डन था। मेन एंट्री पर एक ब्लैक कलर का बड़ा सा दरवाज़ा था, जहाँ से एक बड़ा अच्छा-खासा गार्डन शुरू हो रहा था, और बीचों-बीच एक हवेली-नुमा बंगला बना हुआ था, जो दूर से बेहद खूबसूरत नज़र आ रहा था। हालाँकि, यह बंगला ध्रुवी के अपने बंगले से ज़्यादा बड़ा नहीं था, लेकिन फिर भी बेहद खूबसूरत था।
ध्रुवी बंगले की खूबसूरती को निहारने के लिए कुछ पल वहीं ठहर गई, और फिर कुछ पल बाद वह आगे बढ़ी। जितना यह बंगला बाहर से खूबसूरत था, उतना ही अंदर से भी खूबसूरत और लग्ज़रियस था, और हर तरह की सुविधा से परिपूर्ण था। ध्रुवी और अर्जुन बंगले के अंदर आए, और अर्जुन ने ध्रुवी को सोफ़े पर बैठने का इशारा किया। ना चाहते हुए भी ध्रुवी ने अर्जुन की बात मानी और वह वहीं सोफ़े पर बैठ गई। कुछ पल बाद, अदब से अपना सर झुकाते हुए दो नौकर वहाँ आए। उन्होंने ध्रुवी और अर्जुन को सलाम किया, और फिर पानी की ट्रे टेबल पर रखकर वहाँ से चले गए। अर्जुन ने ध्रुवी से पानी पीने का इशारा किया, मगर ध्रुवी ने आँखों में गुस्से के साथ अपनी गर्दन ना में हिला दी।
अर्जुन ने कुछ पल बाद अपनी चुप्पी तोड़ी, “अभी कुछ देर पहले.....आपने हमसे जो सवाल किया था.....वह बिल्कुल लॉजिकली सही था.....आपका चाल-ढाल.....आपका पहनावा.....आपकी बोली.....आपकी पर्सनैलिटी.....सब कुछ.....हमारी पत्नी अनाया से.....बिल्कुल जुदा और मुख्तलिफ़ है.....और आपने बिल्कुल ठीक कहा.....कि आपको देखकर कोई भी.....आसानी से.....पल भर में यह अंदाज़ा लगा सकता है.....कि आप अनाया नहीं हैं.....जानती हैं आप में और अनाया में.....सबसे बड़ा डिफ़रेंस क्या है??.....(ध्रुवी ने अर्जुन की बात सुनी तो बिना कुछ बोले.....बस सवालिया नज़रों से अर्जुन की ओर देखा).....कि आपको पल भर में गुस्सा आ जाता है.....या यूँ कहें कि आपका गुस्सा.....पल भर में सातवें आसमान को छू जाता है.....जबकि हमारी अनाया.......(एक पल को एक सुखद एहसास को अनुभव करते हुए).....जबकि हमारी अनाया.....बेहद ही मासूम और खुशमिजाज थी.....शायद ही जीवन में.....उन्होंने कभी भी किसी पर थोड़ा भी गुस्सा किया हो.....अक्सर हम भी जब उनसे पूछा करते थे.....कि क्या उन्हें गुस्सा नहीं आता.....तो वह यही कहती थी.....कि नहीं.....उन्हें कभी गुस्सा आता ही नहीं है.....क्योंकि गुस्सा इंसानियत को.....आपके बचपन को खा जाता है.....और वह इन दोनों ही चीजों को कभी भी नहीं खोना चाहती थी.....(एक पल रुक कर)......हमारी अनाया बेहद मासूम थी.....उनका दिल शीशे की तरह बिल्कुल साफ़ था.....जिसमें किसी के लिए भी कोई क्रोध.....कोई मैल.....किसी भी तरह की चालाकी की.....कभी कोई जगह थी ही नहीं.....!”
इतना कहते-कहते अर्जुन ने एक पल को अपनी आँखें बंद करके एक गहरी साँस ली। अतीत की बातें करते-करते शायद अर्जुन अतीत के उन गलियारों में पहुँच चुका था, और शायद अनाया के साथ बिताए यादों के वे सुखद पल उसके दिल में एक बार फिर हरे हो चुके थे, जिसका दर्द उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहा था। लेकिन अगले ही पल अर्जुन ने एक गहरी साँस ली और खुद के एक्सप्रेशन को पल भर में सामान्य कर लिया।
अर्जुन ने सामान्य भाव के साथ कहा, “और दूसरा सबसे बड़ा अंतर आप दोनों में जो है.....वह है.....आपके बोलने का तरीका और अंदाज़.....क्योंकि अनाया राज परिवार से थी.....इसलिए उनके बोलने का अंदाज़.....और उनकी तहज़ीब आपके बोलने के अंदाज़ और तहज़ीब से बिल्कुल मुख्तलिफ़ थी.....या यूँ कह सकते हैं.....कि आप एक आम और साधारण भाषा का प्रयोग करती हैं.....जबकि अनाया राजपरिवार की मान-मर्यादा के हिसाब से बर्ताव करती थी.....(एक पल रुक कर).....हमारे कहने का मतलब यह है.....कि आपके पास सिर्फ़ 7 दिन हैं.....और इन 7 दिनों में आपको अनाया के उठने से लेकर.....सोने तक का रूटीन स्टेप बाय स्टेप.....याद करना है....वह कैसे चलती थी.....कैसे बैठती थी.....कैसे उठती थी.....कैसे खाती थी.....ईच एंड एवरीथिंग.....आपको खुद के अंदर यह सारी चीज़ें डेवेलप करनी हैं.....इन कुछ महीनों के लिए.....एक अरसे तक आपको अपने वजूद.....यानी ध्रुवी के वजूद को भूलकर.....खुद को पूरी तरह अनाया के साँचे में ढाल देना है.....कुछ वक़्त के लिए बिल्कुल भूल जाएँ.....कि आप ध्रुवी हैं.....ध्रुवी सिंघानिया.....आप कुछ महीनों तक सिर्फ़ अनाया हैं.....अवंतिका सिंह राणावत!”
ध्रुवी ने परेशानी और असहमति के मिले-जुले भाव के साथ कहा, “आपके लिए यह कहना जितना आसान है.....करना उतना ही मुश्किल है.....(एक पल रुक कर).....दो इंसान.....जिनकी पूरी ज़िंदगी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है.....उनके रहने का तरीका.....उनकी लाइफस्टाइल.....उनकी पूरी पर्सनैलिटी.....जब सब कुछ बिल्कुल अलग है.....तो वे कभी भी चाहकर भी एक नहीं बन सकते.....और मैं चाहे कितनी भी कोशिश क्यों ना कर लूँ.....लेकिन मैं अनाया नहीं बन सकती......(लगभग खीझ कर).......क्योंकि मेरी खुद की एक पहचान है.....खुद की एक पर्सनैलिटी है.....मैं चाहूँ भी तो भी अनाया नहीं बन सकती!”
अर्जुन ने गंभीर भाव से ध्रुवी की ओर देखकर अपनी चुप्पी तोड़ी, “इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है.....आपका अनाया बनना भी नहीं......(एक पल रुक कर)......आपको अनाया बनना ही पड़ेगा.....अपने लिए ना सही.....तो अपने आर्यन के लिए.....उनकी सलामती के लिए.....आपको अनाया बनना ही पड़ेगा!”
अर्जुन की बात सुनकर ध्रुवी बिना किसी भाव के, एकटक उसकी ओर देखने लगी।
अर्जुन ने टेबल पर से एक बैग उठाकर ध्रुवी की ओर बढ़ाया, “लीजिए.....(ध्रुवी की सवालिया नज़रों को देखकर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए).....इस बैग में वह सारा ज़रूरी सामान है.....जो इस सफ़र को मुमकिन बनाने के लिए.....आपके काम आएगा.....(एक पल रुक कर).....इसमें अनाया के इस दुनिया में आने से पहले से लेकर.....उनके माता-पिता के बारे में भी पूरी जानकारी है.....और इसमें अनाया के बचपन से लेकर.....बड़े होने तक की.....सारी मेमोरीज़ हैं.....और उसी के साथ.....कुछ पेनड्राइव और सीडी हैं.....जिसमें अनाया की ज़िंदगी के कुछ कीमती पल मौजूद हैं.....और इसी सब के साथ.....इसमें आपको अनाया और उनके माता-पिता के जीवन पर लिखी किताब भी मिलेगी.....जो कि एक अरसे से हर राज परिवार के सदस्य की जीवनी के रूप में लिखी आती है.....और उनके बचपन से लेकर.....उनकी मृत्यु तक का सफ़र उसमें कैद होता है.....ताकि उनकी आगे आने वाली पीढ़ियाँ.....अपने पूर्वजों के बारे में भली-भाँति जान सकें.....और समझ सकें.....हमने कभी तस्व्वुर में भी नहीं सोचा था.....कि यह चीज़ें हमारे इस तरह से काम आएंगी.....खैर....(एक पल रुक कर)......हमें पूरी उम्मीद है.....जब आप इन सारी चीजों को अच्छे से देखेंगी.....और पढ़ेंगी.....तो आपके लिए बहुत हद तक चीजें.....और सिचुएशन.....दोनों ही आसान हो जाएँगी.....और फिर आप आसानी से यह कर पाएँगी......(एक पल की खामोशी के बाद).......जानते हैं.....कि मुश्किल है यह करना.....मगर यकीन करें हमारा.....नामुमकिन नहीं है!”
ध्रुवी ने लगभग खीझ कर कहा, “आपको यह सब जितना आसान लग रहा है ना.....यह सब इतना आसान नहीं है.....आप समझते क्यों नहीं हैं.....मैं और अनाया बिल्कुल अलग-अलग पर्सनैलिटी हैं.....दो अलग-अलग इंसान हैं.....और कभी भी दो इंसान.....दो पर्सनैलिटी.....किसी कीमत एक जैसे नहीं बन सकते.....मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ.....लेकिन मैं अनाया नहीं बन सकती.....क्योंकि मैं ध्रुवी हूँ.....ध्रुवी......(लगभग झल्लाकर)......आपको इतनी सी बात समझ क्यों नहीं आ रही है आखिर!”
अपनी बात कहते-कहते आखिर में ध्रुवी झल्ला उठी थी।
अर्जुन ने गंभीर मगर सामान्य भाव से ध्रुवी की ओर देखकर कहा, “जानते हैं यह काम मुश्किल है.....लेकिन नामुमकिन नहीं.....और जैसा कि हमने आपसे कहा.....आपको यह काम करना ही होगा....तो हर कीमत आपको यह काम करना ही होगा.....और खुद को अनाया बनाना ही पड़ेगा.....अपने लिए ना सही.....तो अपने आर्यन के लिए.....उनकी सलामती के लिए.....उनकी ज़िंदगानी के लिए.....आपको अनाया बनना ही पड़ेगा.....वरना आपकी ना का हर्जाना.....और अंजाम क्या होगा....यह हमें आपको बताने की ज़रूरत नहीं है....और हम एक ही चीज़ को.....बार-बार दोहराना भी पसंद नहीं करते......(ध्रुवी की जलती नज़रों को देखकर वापस से अपनी बात आगे बढ़ाते हुए).....रायगढ़ जाने से पहले आपको कुछ दिन यहाँ रहना है.....या यूँ कहें कि यहाँ रहकर आपको अनाया.....और उनकी ज़िंदगी के हर पहलू से होकर गुज़रना है.....जब आप उनकी ज़िंदगी के हर पहलू से होकर गुज़र जाएँगी.....और उनके बारे में सारी जानकारी हासिल कर लेंगी.....तब आपकी असली परीक्षा शुरू होगी.....और तब आप हमारे साथ रायगढ़ जाएँगी.....और उसके लिए आपके पास सात दिन हैं.....सिर्फ़ सात दिन.....मगर उससे पहले आपको यहाँ रहकर अपनी इस परीक्षा को पार करना है.....और हम उम्मीद करते हैं.....कि आप अपनी इस परीक्षा में ज़रूर सफल होंगी.....खुद के लिए ना सही.....तो अपने आर्यन के लिए!”
अर्जुन की बात सुनकर, कुछ पल तक ध्रुवी नफ़रत और गुस्से के मिले-जुले भाव से एकटक अर्जुन को देखती रही। और फिर एक पल बाद, लाचारी भरी खामोशी से, आखिर में गुस्से से, उसने अर्जुन के हाथ से वह बैग लेकर अपने हाथ में थाम लिया। और बस यहीं से शुरुआत होनी थी.....ध्रुवी की ज़िंदगी के एक नए सफ़र की.......…!!!
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